अन्य भक्ति काव्य और गद्य MCQ Quiz - Objective Question with Answer for अन्य भक्ति काव्य और गद्य - Download Free PDF
Last updated on Jun 27, 2025
Latest अन्य भक्ति काव्य और गद्य MCQ Objective Questions
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 1:
ऋग्वेद में किस भाषा का प्रयोग हुआ है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 1 Detailed Solution
ऋग्वेद में 'वैदिक संस्कृत' भाषा का प्रयोग हुआ है।
Key Points
- ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है जो वर्तमान समय में उपलब्ध है।
- ऋग्वेद के मुख्य देवता इंद्र हैं।
- इसके 10 मंडल (अध्याय) में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र (10580) हैं। प्रथम और अंतिम मंडल समान रूप से बड़े हैं।
अन्य विकल्प के अनुसार-
- प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन् तक माना जाता है।
- वेद के अतिरिक्त अन्य ग्रंथों जैसे ब्राह्मण ग्रंथ, स्मृति, उपनिषद, रामायण, महाभारत आदि में प्रयुक्त संस्कृत को लौकिक संस्कृत कहते हैं।
- अपभ्रंश- आधुनिक भाषाओं के उदय से पहले उत्तर भारत में बोलचाल और साहित्य रचना की सबसे जीवन्त और प्रमुख भाषा।
Important Pointsअन्य महत्वपूर्ण तथ्य-
- वेद चार प्रकार के है - ऋग्वेद, सामवेद, यर्जुर्वेद, अर्थर्ववेद।
- महर्षि वेदव्यास जी द्वारा वेदो को लिखा गया है।
- सामवेद गीत-संगीत प्रधान है।
- यर्जुर्वेद में यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं।
- अथर्ववेद को ब्रह्मवेद भी कहा जाता है, इसमें देवताओ की स्तुति, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं।
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 2:
इनमें से कौन भक्तिकालीन कवि नहीं हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 2 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से "बिहारी" भक्तिकालीन कवि नहीं हैं।
Key Points
- सूरदास, कबीरदास, तुलसीदास भक्तिकालीन कवि है।
- बिहारी लाल जयपुर नरेश जयसिंह के दरबार में रहकर काव्य रचना करने वाले रीति काल के कवि थे।
- बिहारीलाल की एकमात्र रचना 'बिहारी सतसई' है।
- यह मुक्तक काव्य है। इसमें 719 दोहे संकलित हैं।
- 'बिहारी सतसई' श्रृंगार रस की अत्यंत प्रसिद्ध और अनूठी कृति है।
Important Points
आदिकाल के प्रमुख कवि- - अब्दुर्रहमान, नरपति नाल्ह, चंदबरदायी , दलपति विजय, जगनिक , जल्ह कवि, शालिभद्रसूरि , अमीर खुसरो, विद्यापति , स्वयंभू , लक्ष्मीधर, जोइन्दु, केदार आदि |
भक्तिकाल के प्रमुख कवि- कबीर, रैदास, नानक, दादूदयाल, सुंदर दास, मलूकदास, कुतबन, मंझन, जायसी, उसमान, सूरदास, परमानंददास, कुंभनदास, नंददास, हितहरिवंश, हरिदास, रसखान, ध्रुवदास, मीराबाई, तुलसीदास, अग्रदास, नाभादास आदि ने अपनी भक्तिपूर्ण रचनाओं से हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि की। |
रीतिकाल के प्रमुख कवि- केशवदास, बिहारीलाल, चिन्तामणि त्रिपाठी, भूषण, मतिराम, देव, भिखारीदास, पद्माकर,घनानन्द आदि |
आधुनिक काल के प्रमुख कवि - मैथिलीशरण गुप्त, रामचरित उपाध्याय, नाथूराम शर्मा शंकर, ला. भगवान दीन, रामनरेश त्रिपाठी, जयशंकर प्रसाद, गोपाल शरण सिंह, माखन लाल चतुर्वेदी, अनूप शर्मा, रामकुमार वर्मा, श्याम नारायण पांडेय, दिनकर, सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा आदि का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। |
Additional Information
- व्यवस्थित और वैज्ञानिक दृष्टि से आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने सन 1929 में “हिंदी साहित्य का इतिहास लिखा”।
- इसमें साहित्यिक प्रवृत्तियों के आधार पर काल विभाजन कालों का नामकरण तथा विभिन्न कवियों,
- और उनकी साहित्यिक प्रवृत्तियों का विस्तृत विवेचन किया गया है।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ’काल-विभाजन’ को चार भागों में बांटा है-
- (1)आदिकाल (संवत 1050 से 1375 तक)-
- (2) पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल संवत 1375 से 1700 तक)-
- ज्ञानमार्गी शाखा, प्रेममार्गी शाखा (निर्गुण साहित्य),रामभक्ति शाखा, कृष्णभक्ति शाखा (सगुण साहित्य)
- (3) उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल-संवत 1700-1900)-
- रीतिबद्ध ( केशव, देव, चिंतामणि, मतिराम आदि कवि हैं।)
- रीतिमुक्त (घनानंद, ठाकुर, बोधा तथा आलम आदि कवि हैं।)
- रीतिसिद्ध (महाकवि बिहारी)
- (4) आधुनिक काल (गद्यकाल संवत 1900 से अब तक)-
- (1)भारतेंदु युग , (2)द्विवेदी युग (3)छायावादी युग,(4)प्रगतिवादी युग, (5)प्रयोगवादी युग
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 3:
नाथों की संख्या कितनी मानी गयी है ?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 3 Detailed Solution
नाथों की संख्या 9 मानी गयी है।
Key Points
- नाथ सम्प्रदाय के नौ गुरुओं को नवनाथ कहा जाता है।
- डॉ. रामकुमार के अनुसार-
- आदिनाथ
- मत्स्येंद्रनाथ
- गोरखनाथ
- गहिनीनाथ
- ज्वालेन्द्रनाथ
- चौरंगीनाथ
- भर्तरीनाथ
- गोपीचंदनाथ
- चर्पटनाथ
Important Points नाथ सम्प्रदाय-
- हजारीप्रसाद द्विवेदी-
- "नाथ पंथ या नाथ संप्रदाय के सिद्ध-मत,सिद्ध-मार्ग,योग-मार्ग,योग संप्रदाय,अवधूत मत एवं अवधूत संप्रदाय नाम भी प्रसिद्ध है।"
- मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध,शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है।
- यह हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित पंथ है।
- शिव इस सम्प्रदाय के प्रथम गुरु एवं आराध्य हैं।
- नाथ साधु-सन्त परिव्राजक होते हैं।
- वे भगवा रंग के बिना सिले वस्त्र धारण करते हैं।
- उनके एक हाथ में चिमटा,दूसरे हाथ में कमण्डल,दोनों कानों में कुण्डल,कमर में कमरबन्ध होता है।
- ये जटाधारी होते हैं।
Additional Information कुछ नाथों के अन्य नाम-
- मत्स्येंद्रनाथ-मीननाथ,मछंदरनाथ आदि।
- जलंधर-बालनाथ
- नागार्जुन-रसायनी
- चौरंगीनाथ-पूरनभगत आदि।
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 4:
निम्नलिखित रचनाओं को उनके काल के साथ सुमेलित कीजिए तथा सही कूट का चयन कीजिए :
रचना | काल | ||
a. | पृथ्वीराज रासो | 1. | आधुनिक काल |
b. | पदमावत | 2. | आदिकाल |
c. | बिहारी सतसई | 3. | भक्तिकाल |
d. | भारत-भारती | 4. | रीतिकाल |
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 4 Detailed Solution
इसका सही उत्तर है- a - 2, b - 3, c - 4, d - 1
सही मिलन है-
रचना | काल | ||
a. | पृथ्वीराज रासो | 2. | आदिकाल |
b. | पदमावत | 3. | भक्तिकाल |
c. | बिहारी सतसई | 4. | रीतिकाल |
d. | भारत-भारती | 1. | आधुनिक काल |
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 5:
ऋग्वेद में किस भाषा का प्रयोग हुआ है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 5 Detailed Solution
ऋग्वेद में 'वैदिक संस्कृत' भाषा का प्रयोग हुआ है।
Key Points
- ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है जो वर्तमान समय में उपलब्ध है।
- ऋग्वेद के मुख्य देवता इंद्र हैं।
- इसके 10 मंडल (अध्याय) में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र (10580) हैं। प्रथम और अंतिम मंडल समान रूप से बड़े हैं।
अन्य विकल्प के अनुसार-
- प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन् तक माना जाता है।
- वेद के अतिरिक्त अन्य ग्रंथों जैसे ब्राह्मण ग्रंथ, स्मृति, उपनिषद, रामायण, महाभारत आदि में प्रयुक्त संस्कृत को लौकिक संस्कृत कहते हैं।
- अपभ्रंश- आधुनिक भाषाओं के उदय से पहले उत्तर भारत में बोलचाल और साहित्य रचना की सबसे जीवन्त और प्रमुख भाषा।
Important Pointsअन्य महत्वपूर्ण तथ्य-
- वेद चार प्रकार के है - ऋग्वेद, सामवेद, यर्जुर्वेद, अर्थर्ववेद।
- महर्षि वेदव्यास जी द्वारा वेदो को लिखा गया है।
- सामवेद गीत-संगीत प्रधान है।
- यर्जुर्वेद में यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं।
- अथर्ववेद को ब्रह्मवेद भी कहा जाता है, इसमें देवताओ की स्तुति, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं।
Top अन्य भक्ति काव्य और गद्य MCQ Objective Questions
इनमें से कौन भक्तिकालीन कवि नहीं हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से "बिहारी" भक्तिकालीन कवि नहीं हैं।
Key Points
- सूरदास, कबीरदास, तुलसीदास भक्तिकालीन कवि है।
- बिहारी लाल जयपुर नरेश जयसिंह के दरबार में रहकर काव्य रचना करने वाले रीति काल के कवि थे।
- बिहारीलाल की एकमात्र रचना 'बिहारी सतसई' है।
- यह मुक्तक काव्य है। इसमें 719 दोहे संकलित हैं।
- 'बिहारी सतसई' श्रृंगार रस की अत्यंत प्रसिद्ध और अनूठी कृति है।
Important Points
आदिकाल के प्रमुख कवि- - अब्दुर्रहमान, नरपति नाल्ह, चंदबरदायी , दलपति विजय, जगनिक , जल्ह कवि, शालिभद्रसूरि , अमीर खुसरो, विद्यापति , स्वयंभू , लक्ष्मीधर, जोइन्दु, केदार आदि |
भक्तिकाल के प्रमुख कवि- कबीर, रैदास, नानक, दादूदयाल, सुंदर दास, मलूकदास, कुतबन, मंझन, जायसी, उसमान, सूरदास, परमानंददास, कुंभनदास, नंददास, हितहरिवंश, हरिदास, रसखान, ध्रुवदास, मीराबाई, तुलसीदास, अग्रदास, नाभादास आदि ने अपनी भक्तिपूर्ण रचनाओं से हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि की। |
रीतिकाल के प्रमुख कवि- केशवदास, बिहारीलाल, चिन्तामणि त्रिपाठी, भूषण, मतिराम, देव, भिखारीदास, पद्माकर,घनानन्द आदि |
आधुनिक काल के प्रमुख कवि - मैथिलीशरण गुप्त, रामचरित उपाध्याय, नाथूराम शर्मा शंकर, ला. भगवान दीन, रामनरेश त्रिपाठी, जयशंकर प्रसाद, गोपाल शरण सिंह, माखन लाल चतुर्वेदी, अनूप शर्मा, रामकुमार वर्मा, श्याम नारायण पांडेय, दिनकर, सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा आदि का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। |
Additional Information
- व्यवस्थित और वैज्ञानिक दृष्टि से आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने सन 1929 में “हिंदी साहित्य का इतिहास लिखा”।
- इसमें साहित्यिक प्रवृत्तियों के आधार पर काल विभाजन कालों का नामकरण तथा विभिन्न कवियों,
- और उनकी साहित्यिक प्रवृत्तियों का विस्तृत विवेचन किया गया है।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ’काल-विभाजन’ को चार भागों में बांटा है-
- (1)आदिकाल (संवत 1050 से 1375 तक)-
- (2) पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल संवत 1375 से 1700 तक)-
- ज्ञानमार्गी शाखा, प्रेममार्गी शाखा (निर्गुण साहित्य),रामभक्ति शाखा, कृष्णभक्ति शाखा (सगुण साहित्य)
- (3) उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल-संवत 1700-1900)-
- रीतिबद्ध ( केशव, देव, चिंतामणि, मतिराम आदि कवि हैं।)
- रीतिमुक्त (घनानंद, ठाकुर, बोधा तथा आलम आदि कवि हैं।)
- रीतिसिद्ध (महाकवि बिहारी)
- (4) आधुनिक काल (गद्यकाल संवत 1900 से अब तक)-
- (1)भारतेंदु युग , (2)द्विवेदी युग (3)छायावादी युग,(4)प्रगतिवादी युग, (5)प्रयोगवादी युग
निम्नलिखित मैं से कौन निर्गुण भक्तिकाव्य के कवि नहीं हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFईश्वरदास, निर्गुण भक्तिकाव्य के कवि नहीं हैं।
- ईश्वरदास रामभक्ति शाखा के कवि हैं।
- ईश्वरदास ने 'सत्यवती कथा'(1501 ई.), भरत मिलाप और अंगदपैज नामक ग्रंथों की रचना की।
Key Points
- निर्गुण भक्तिकाव्य का प्रवर्तक शुक्ल ने कबीरदास को माना है।
- हिंदी में भक्ति साहित्य की परंपरा का प्रवर्तन नामदेव ने किया।
Important Points
- मलूकदास ने अवधी भाषा में ध्रुवचरित नामक ग्रन्थ लिखा।
- सुन्दरदास ने परिष्कृत ब्रजभाषा में ज्ञान समुद्र और सुन्दर विलास लिखा।
- बाबा लाल - असरारे-मार्फ़त
Additional Information
- अन्य निर्गुण भक्तिकाव्य कवि हैं - रैदास, हरिदास निरंजनी, गुरुनानक, दादूदयाल आदि।
- अन्य रामभक्त कवि हैं - अग्रदास, तुलसीदास, नाभादास।
इनमें से कौन-सा कथन सही नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है - भक्तिकाल का एक नाम उत्तर मध्यकाल है।
Key Points
- भक्तिकाल पूर्व मध्यकाल है।
- उत्तरमध्यकाल रीतिकाल का एक नाम है।
- अतः विकल्प एक में दिया गया कथन गलत है।
Important Points
- आचार्य शुक्ल ने भक्ति का स्त्रोत दक्षिण भारत माना है।
- भागवत धर्म के प्रचार-प्रसार के परिणाम स्वरूप भक्ति आंदोलन का सूत्रपात हुआ।
- भक्ति को उत्तर भारत में लाने का श्रेय रामानंद को दिया गया है।
Additional Information
हिंदी साहित्य का काल विभाजन | |
आदिकाल | 1050 से 1375 वि० सं० |
भक्तिकाल(पूर्वमध्यकाल) | 1375 से 1700 वि० सं० |
रीतिकाल(उत्तरमध्यकाल) | 1700 से 1900 वि० सं० |
आधुनिक काल | 1900 वि० सं० से आगे |
जन्म-काल के अनुसार निम्नलिखित रचनाकारों का सही अनुक्रम क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFजन्म-काल के अनुसार रचनाकारों का सही अनुक्रम-3) सूरदास,जायसी,तुलसी,रहीम है।
Key Points
रचनाकार |
जन्मकाल |
सूरदास |
1478 ई. |
जायसी |
1492 ई. |
तुलसी |
1532 ई. |
रहीम |
1556 ई. |
Important Points
- "साहित्य लहरी' सूरदास की लिखी रचना है।
- जायसी की मुख्य रचनायें-पद्मावत,अखरावट,आख़िरी कलाम,कहरनामा,चित्ररेखा,कान्हावत आदि हैं।
- तुलसीदास का रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है।
- रहीम की मुख्य रचनायें-रहीम दोहावली,नायिका भेद,नगर शोभा आदि हैं।
भक्ति आंदोलन भारतीय चिंताधारा का स्वाभाविक विकास है। यह कथन किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त कथन आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- भक्ति काल की समयावधि संवत् 1343ई से संवत् 1643ई तक
- हिंदी साहित्य का भक्तिकाल 1375 वि.सं से 1700 वि.सं तक माना जाता है।
- यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग है।
- समस्त हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इस युग में प्राप्त होती हैं।
- भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं :
- सगुण भक्ति
- रामाश्रयी शाखा
- कृष्णाश्रयी शाखा
- निर्गुण भक्ति
- ज्ञानाश्रयी शाखा
- प्रेमाश्रयी शाखा
- सगुण भक्ति
Additional Information
'खेट कौतुकर्म' किसकी रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF'खेट कौतुकर्म' रहीमदास जी रचना है। अत: सही विकल्प1'रहीम' है।
Key Points
- रहीमदास अकबर के नवरत्नों में से एक कवि थे।
- रहीम दस जी की रचनाएँ- शृंगार सतसई, रास पंचाध्यायी और रहीम रत्नावली हैं।
- इसके अलावा रहीमदास जी ने रहीम सतसई और बरवै नायिका की भी रचना की है।
नाथों की संख्या कितनी मानी गयी है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFनाथों की संख्या 9 मानी गयी है।
Key Points
- नाथ सम्प्रदाय के नौ गुरुओं को नवनाथ कहा जाता है।
- डॉ. रामकुमार के अनुसार-
- आदिनाथ
- मत्स्येंद्रनाथ
- गोरखनाथ
- गहिनीनाथ
- ज्वालेन्द्रनाथ
- चौरंगीनाथ
- भर्तरीनाथ
- गोपीचंदनाथ
- चर्पटनाथ
Important Pointsनाथ सम्प्रदाय-
- हजारीप्रसाद द्विवेदी-
- "नाथ पंथ या नाथ संप्रदाय के सिद्ध-मत,सिद्ध-मार्ग,योग-मार्ग,योग संप्रदाय,अवधूत मत एवं अवधूत संप्रदाय नाम भी प्रसिद्ध है।"
- मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध,शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है।
- यह हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित पंथ है।
- शिव इस सम्प्रदाय के प्रथम गुरु एवं आराध्य हैं।
- नाथ साधु-सन्त परिव्राजक होते हैं।
- वे भगवा रंग के बिना सिले वस्त्र धारण करते हैं।
- उनके एक हाथ में चिमटा,दूसरे हाथ में कमण्डल,दोनों कानों में कुण्डल,कमर में कमरबन्ध होता है।
- ये जटाधारी होते हैं।
Additional Informationकुछ नाथों के अन्य नाम-
- मत्स्येंद्रनाथ-मीननाथ,मछंदरनाथ आदि।
- जलंधर-बालनाथ
- नागार्जुन-रसायनी
- चौरंगीनाथ-पूरनभगत आदि।
निम्नलिखित कृतियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
सूची – I |
सूची – II |
(a) जपुजी |
(i) तुलसीदास |
(b) रसमंजरी |
(ii) कबीर |
(c) बरवै नायिका भेद |
(iii) नंददास |
(d) वैराग्य संदीपनी |
(iv) रहीम |
|
(v) नानक |
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "(a) - (v), (b) - (iii), (c) - (iv), (d) - (i)" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- तुलसीदास की रचनाएँ:-
- रामललानहछू(1582), वैराग्यसंदीपनी(1612), रामाज्ञाप्रश्न(1612), जानकी-मंगल(1582), रामचरितमानस(1574), सतसई, पार्वती-मंगल(1582), गीतावली(1571), विनय-पत्रिका(1582), कृष्ण-गीतावली(1571), बरवै रामायण(1612), दोहावली(1583) और कवितावली(1612)
- नंददास की रचनाएं:-
- रास पंचाध्यायी,भंवर गीत, सिद्धान्त पंचाध्यायी, अनेकार्थ मंजरी, मान मंजरी, रूप मंजरी, रस मंजरी, विरह मंजरी, गोवर्धन लीला, स्याम सगाई, रुक्मिणी मंगल, सुदामा चरित, भाषा दशमस्कन्ध, पदावली
- गुरु नानक की रचनाएं:-
- गुरु ग्रन्थ साहिब में सम्मिलित 974 शब्द (19 रागों में), गुरबाणी में शामिल है- जपुजी, सिद्ध घोष, सोहिला, दखनी ओंकार, आसा दी वार, पट्टी, बारह माह
- रहीम की रचनाएं:-
- रहीम रत्नावली, रहीम विलास, रहिमन विनोद, रहीम 'कवितावली, रहिमन चंद्रिका, रहिमन शतक
- कबीर दास
- कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।
- वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।
- कृतियां :- साखी, सबद, रमैनी
भक्ति का प्रारंभ कहाँ से हुआ?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFभक्ति का प्रारंभ दक्षिण भारत से हुआ। अन्य विकल्प असंगत है ।अतः सही उत्तर विकल्प 2 दक्षिण भारत होगा ।
Key Points
|
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्य भक्ति काव्य और गद्य Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'अष्टछाप की प्रतिष्ठा वल्लभाचार्य ने की' है, जो सही नहीं है।
Key Points
- अष्टछाप के प्रतिष्ठापक विट्ठलनाथ हैं।
- अष्टछाप की स्थापना 1565 ई. में हुआ हैं।
- अष्टछाप में कुल आठ कवि सम्मिलित हैं।
- जिसमे चार विट्ठलनाथ के शिष्य और चार वल्लभाचार्यजी के शिष्य थे।
वल्लभाचार्य के शिष्य | विट्ठलनाथ के शिष्य |
कुंभनदास (1468 - 1583) | गोविंद स्वामी (1505 - 1585) |
सूरदास (1478 - 1585) | छीत स्वीमी (1515 - 1585) |
परमानंद दास (1493) | चतुुर्भुजदास (1530 - 1585) |
कृष्णदास (1496 - 1578) | नंददास (1533 - 1583) |
Additional Information
कवि | संबंधित प्रमुख तथ्य |
कबीरदास |
कबीर का समय 1398 - 1518 ई. कबीर को हिन्दी भक्ति काव्य का प्रथम क्रांतिकारी पुरस्कर्ता कहा जाता है। प्रमुख रचना बीजक है। बीजक के 3 भाग। 1) रमैनी 2) सबद 3) साखी |
तुलसीदास |
तुलसीदास का समय 1532 -1623 ई. तुलसीदास रामभक्ति काव्य धारा के प्रमुख कवि है। तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँः- वैराग्य संदीपनी, रामाज्ञा प्रश्न , रामललानहछू, रामचरितमानस , पार्वती मंगल आदि। |
जायसी |
जायसी सूफीकाव्यधारा के प्रमुख कवि है। जायसी की प्रमुख रचनाएँः- आखिरी कलाम, पद्मावत, कन्हावत, मसलानामा आदि। |