भक्तिकाल पंक्तियाँ MCQ Quiz - Objective Question with Answer for भक्तिकाल पंक्तियाँ - Download Free PDF
Last updated on Jun 6, 2025
Latest भक्तिकाल पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 1:
'संतन को कहाँ सीकरी सों काम' यह काव्य पंक्ति किसकी है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 'कुंभनदास’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
- 'संतन को कहाँ सीकरी सों काम' यह काव्य पंक्ति 'कुंभनदास' की है।
- कुंभनदास परम भगवद्भक्त, आदर्श गृहस्थ और महान विरक्त थे।
- वे पूरी तरह से विरक्त और धन, मान, मर्यादा की इच्छा से कोसों दूर थे।
- अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Additional Information
- भक्ति काल में अधिकांश रचनाएं ब्रजभाषा में ही रची गईं।
- पुष्टिमार्ग यानी बल्लभ कुल का इसमें बहुत बड़ा योगदान है।
- बल्लभाचार्य जी के पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ ने अष्टछाप की स्थापना कर हवेली संगीत को पुष्ट किया।
- अष्टछाप सखा - सूरदास, नंददास, कुंभनदास, गोविंद दास, छीतस्वामी, चतुर्भुजदास, कृष्णदास, परमानंद दास हैं।
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 2:
मीरा की पंक्तियाँ "म्हारां री गिरधर गोपाल दूसरा णां कूयां। दूसरां णां कूयां साधां सकल लोक जूयां।" में निहित वैचारिक भाव को सबसे अच्छे ढंग से कौन-सा विकल्प व्यक्त करता है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर है - मीरा का हरि के प्रति अनन्य भक्ति और संसार से वैराग्य।
Key Points
विश्लेषण:
- पंक्तियों का अर्थ:
- "म्हारां री गिरधर गोपाल दूसरा णां कूयां। दूसरां णां कूयां साधां सकल लोक जूयां।" का अर्थ है कि मीरा के लिए गिरधर गोपाल (श्रीकृष्ण) ही एकमात्र प्रभु हैं, उनके अलावा कोई दूसरा नहीं है। उन्होंने साधुओं और पूरे संसार को देख लिया, लेकिन उनके लिए कोई और नहीं है।
Additional Information
- वैचारिक भाव:
- इन पंक्तियों में मीरा की अनन्य भक्ति और एकनिष्ठता का भाव स्पष्ट है। वह हरि को ही अपना सर्वस्व मानती हैं और संसार के अन्य सुखों, रिश्तों, या बंधनों से उनका कोई लगाव नहीं है। यह उनके वैराग्य और हरि के प्रति पूर्ण समर्पण को दर्शाता है।
- मीरा यहाँ भक्ति की उस अवस्था को व्यक्त कर रही हैं, जहाँ भक्त के लिए प्रभु ही सब कुछ होता है, और संसार का कोई अन्य आकर्षण उसे प्रभावित नहीं करता।
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 3:
निम्नलिखित में से कौन-सी पंक्ति मीरा के सामाजिक बंधनों को तोड़ने और हरि के प्रति समर्पण को दर्शाती है?
a) मीरां रे प्रभु हरि अविनासी देस्यूँ प्राण अँकोर।
b) कुल कुटुम्ब सजण सकल बार बार हटकी।
c) लोक लाज कुलरा मरजादाँ जगमाँ णेक णा राख्याँ री।
d) मीराँ गिरधर हाथ बिकाणी, लोग कह्याँ बिगड़ी।
e) राणा विषरो प्यालो भेज्याँ पीय मगण हूँया।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है - केवल c) लोक लाज कुलरा मरजादाँ जगमाँ णेक णा राख्याँ री।
Key Pointsविश्लेषण:
- यह पंक्ति "म्हाँ गिरधर आगाँ, नाच्यारी री" पद से ली गई है।
- मीरा यहाँ स्पष्ट रूप से कहती हैं कि उन्होंने हरि के प्रेम में लोक लाज, कुल की मर्यादा, और सामाजिक बंधनों को त्याग दिया है। यह उनके हरि के प्रति पूर्ण समर्पण और सामाजिक बंधनों को तोड़ने की भावना को दर्शाता है।
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 4:
निम्नलिखित में से कौन-सी पंक्ति मीरा की भक्ति और प्रेम की गहराई को दर्शाती है?
a) सुभग शीतल कंवल कोमल, जगत ज्वाला हरण।
b) हम चितवाँ थें चितवो णा हरि, हिबड़ों बड़ो कठोर।
c) ब्रजलीला लख जण सुख पांवा ब्रजवणतां सुखरासी।
d) भौंह कमान बान बांके लोचन, मारत हियरे कसिके।
e) रूंम-रूंम नखसिख लख्यां, ललक ललक अकुलाय।
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल b (हम चितवाँ थें चितवो णा हरि, हिबड़ों बड़ो कठोर।)
Key Pointsविश्लेषण:
- यह पंक्ति "तनक हरि चितवाँ म्हारी ओर" पद से ली गई है।
- इसमें मीरा अपनी विरह-वेदना और भक्ति की गहराई को व्यक्त करती हैं। वह कहती हैं कि मैं तो हरि की ओर देख रही हूँ, लेकिन हरि मेरी ओर नहीं देखते, उनका हृदय बहुत कठोर है। यहाँ मीरा का हरि (श्रीकृष्ण) के प्रति गहरा प्रेम और उनकी उपेक्षा से उत्पन्न दुख व्यक्त हुआ है, जो उनकी भक्ति की गहराई को दर्शाता है।
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 5:
चौपाई में "मुनि मति ठाढ़ि तीर अबला सी" पंक्ति में मुनि की बुद्धि की तुलना "अबला सी" से क्यों की गई है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution
उत्तर है - मुनि की बुद्धि के भरत की महिमा के समक्ष ठहर जाने की स्थिति को दर्शाने के लिए
विश्लेषण: इस पंक्ति में मुनि की बुद्धि (मति) को एक अबला (स्त्री) की तरह समुद्र के तट पर खड़े होने से तुलना की गई है, जो भरत की असीम महिमा (जलरासी) के सामने स्थिर और अभिभूत हो जाती है। यह उपमा अलंकार के माध्यम से भरत की महिमा की विशालता और मुनि की बुद्धि की सीमितता को दर्शाता है।
Top भक्तिकाल पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
साखी सबदी दोहरा, कहि किहनी उपखान ।
भगति निरूपहिं भगत कलि, निन्दहिंहिं बेद पुरान ।।
उपर्युक्त पंक्तियों के रचनाकार हैं
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF- प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा लिखित हैं।
- शुक्ल जी तुलसीदास को स्मार्त वैष्णव कहते हैं।
- तुलसी को हिंदी का जातीय कवि कहा जाता है।
Key Points
- कबीर संत काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं।
- कबीर की वाणी का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास ने बीजक नाम से किया।
- जायसी और कुतुबन प्रेममार्गी धारा के प्रमुख कवि हैं।
Important Points
- तुलसीदास ने नवधा भक्ति में दास्य भक्ति को प्रमुखता से स्थान दिया।
- शुक्ल जी ने तुलसी की भक्ति को स्वदेशी भक्ति माना है।
"निर्गुन कौन देस को बासी। मधुकर ! हँसि समुझाय, सौंह दे बूझति साँच, न हाँसी।।" उक्त पंक्तियाँ किस कवि की हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFनिर्गुन कौन देस को बासी। मधुकर ! हँसि समुझाय, सौंह दे बूझति साँच, न हाँसी।।" उक्त पंक्तियाँ 'सूरदास' कवि की हैं।
Key Points
- उपर्युक्त पंक्ति का अर्थः-
- ( गोपियाँ कहती हैं कि हे उद्धव , भला हमें यह तो बताइए कि तुम्हारा वह निर्गुण ब्रह्म किस देश का निवासी है। हे भ्रमर, सच में, हम कसम खा कर पूछ रहीं हैं, मजाक तुमसे नही कर रही हैं। हमें तुम हँसकर समझा दो कि निर्गुण ब्रह्म का कौन पिता हैं। )
- यह पंक्ति भ्रमरगीत सार से लिया गया है।
- जिसके संपादक आचार्य रामचंद्र शुक्ल हैं।
- सूरदास की अन्य प्रमुख रचनाएँः-
- सूरसागर, सूरसारावली, साहित्यलहरी, नल दमयंती, सूरसागरसार आदि।
Additional Information
कवि |
रचनाएँ |
कबीर (1398 - 1518 ) | बीजक 1464 ई. ( तीन भाग में 1. रमैनी 2. सबद 3. साखी ) |
रहीम ( 1556 - 1627 ) | रहीम सतसई , श्रृंगार सतसई , मदनाष्टक , रास पंचाध्यायी आदि। |
बिहारी (1595 -1663 ) | बिहारी सतसई (719 दोहा ) |
'केशव कहि न जाइ का कहए' यह पंक्ति किस कवि की है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्ति तुलसीदास की है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प तीन तुलसीदास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- केशव कहा ना जाए कहा कहिए पंक्तियां तुलसीदास ने विनय पत्रिका में कही हैं।
- विनय पत्रिका का रचना वर्ष 1585 ईस्वी है।
- काव्य रूप:- गीतिकाव्य
- भाषा:- ब्रजभाषा
- छंद संख्या:- 279
- मुख्य रस:- भक्ति रस
Important Points
- गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे।
- इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है।
अपने 126 वर्ष के दीर्घ जीवन-काल में तुलसीदास ने कालक्रमानुसार निम्नलिखित कालजयी ग्रन्थों की रचनाएँ कीं -
Additional Information
- केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं : रसिकप्रिया, कविप्रिया, नखशिख, छंदमाला, रामचंद्रिका, वीरसिंहदेव चरित, रतनबावनी, विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका।
- धर्मदास ने कबीर की वाणियों का संग्रह "बीजक" नाम के ग्रंथ मे किया जिसके तीन मुख्य भाग हैं : साखी , सबद (पद ), रमैनी।
- नरहरि या नरहरिदास (जन्म : 1505, मत्यु : 1610) हिंदी साहित्य की भक्ति परंपरा में ब्रजभाषा के कवि थे। इनके नाम से तीन ग्रंथ - रुक्मिणी मंगल, छप्पय नीति और कवित्त संग्रह।
'एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय' पंक्ति किस कवि द्वारा रचित है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF'एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय' पंक्ति "रहीमदास " द्वारा रचित है।
रहीमदास-
- भक्तिकालीन प्रमुख कवि है।
Key Points
- कबीर दास
- कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।
- वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।
- कृतियां :- साखी, सबद, रमैनी
Additional Information
- कबीरदास के काव्य में विद्यमान भावात्मक रहस्यवाद की झलक का कारण है।
- डॉ बच्चन सिंह ने लिखा है , 'हिंदी भक्ति काव्य का प्रथम क्रांतिकारी पुरस्कर्ता कबीर हैं।
- कबीर की बानियों का सबसे पुराना नमूना 'गुरु ग्रन्थ साहिब' में मिलता है।
- कबीर की प्रमुख रचनाएं हैं - रमैनी , सबद , साखी।
- कबीर को भाषा का डिक्टेटर भी कहा जाता है।
Important Points
- आचार्य शुक्ल ने हिंदी साहित्य के इतिहास में लिखा है - "उन्होंने भारतीय ब्रह्मवाद के साथ सूफियों के भावात्मक रहस्यवाद , हठयोगियों के साधनात्मक रहस्यवाद और वैष्णवों के अहिंसावाद तथा प्रपत्तिवाद का मेल करके अपना पंथ खड़ा किया"।
खेती न किसान को भिखारी को न भीख भली। बनिक को बनिज न चाकर को चाकरी।। यह पंक्ति इनमें से किस कवि की है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'तुलसीदास' है।
पंक्ति का अर्थः-
- कवि तुलसीदास ने इस पंक्ति में इस समय की वर्तमान में किसानों से खेती नहीं होती , भिखारी को भीख नही मिलती,
- बनियों का व्यापार नही चलता और नौकरी करने वालों को नौकरी नही मिलती। जीविका हीन होने के कारण सब लोग दुःख और शोक मे व्यस्त है।
Key Points
- उपर्युक्त पंक्तियाँ कवितावली (1612 ई. ) से ली गई है।
- कवितावली तुलसीदास का मुक्तक काव्य है, जो ब्रजभाषा मे लिखा गया है।
- कवितावली में सात कांड है।
- तुलसीदास ( 1532 - 1623 ) की प्रमुख रचनाएँः-
- वैराग्य संदीपनी , रामाज्ञ प्रश्न , रामललानहछु , जानकी मंगल , रामचरित मानस , पार्वती मंगल आदि।
Additional Information
कवि | रचनाएँ |
रामानंद | वैष्णवमताब्जभास्कर |
विट्ठलनाथ | अणुभाष्य, यमुनाष्टक, सुबोधिनी की टीका, शृंगार रस मंडन आदि। |
सूरदास | सूरसागर, साहित्य लहरी, सूर सारावली आदि। |
Important Points
- तुलसीदास के अनुसार आर्थिक दरिद्रता संसार का सबसे बडा अभिशाप है।
- विट्ठलनाथ ने 1565 ई. मे अष्टछाप की संस्थापना की थी।
- तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ-
- वैराग्य संदीपनी, रामाज्ञा प्रश्न, जानकी मंगल, रामचरितमानस, पार्वती मंगल, गीतावली, विनय पत्रिका आदि।
'तारो अब मोही' पंक्ति में रेखांकित शब्द का अर्थ है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF'तारो अब मोही' पंक्ति में रेखांकित शब्द का अर्थ है- उद्धार करना।
Key Points
- मरे तो गिरिधर गोपाल......................................तारों अब मोही
- प्रस्तुत पद पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित मीराबाई के पदों से लिया गया है।
- इस पद में उन्होंने भगवान कृष्ण को पति के रूप में माना है तथा अपने उद्धार की प्रार्थना की है।
- भावार्थ -
- मीराबाई कहती हैं कि मेरे तो गिरधर गोपाल अर्थात् कृष्ण ही सब कुछ हैं। दूसरे से मेरा कोई संबंध नहीं है।
- जिसके सिर पर मोर का मुकुट है, वही मेरा पति है। उनके लिए मैंने परिवार की मर्यादा भी छोड़ दी है।
- अब मेरा कोई क्या कर सकता है? अर्थात् मुझे किसी की परवाह नहीं है।
- मैं संतों के पास बैठकर ज्ञान प्राप्त करती हूँ और इस प्रकार लोक-लाज भी खो दी है।
- मैंने अपने आँसुओं के जल से सींच-सींचकर प्रेम की बेल बोई है।
- अब यह बेल फैल गई है और इस पर आनंद रूपी फल लगने लगे हैं।
- वे कहती हैं कि मैंने कृष्ण के प्रेम रूप दूध को भक्ति रूपी मथानी में बड़े प्रेम से बिलोया है।
- मैंने दही से सार तत्व अर्थात् घी को निकाल लिया और छाछ रूपी सारहीन अंशों को छोड़ दिया।
- वे प्रभु के भक्त को देखकर बहुत प्रसन्न होती हैं और संसार के लोगों को मोह-माया में लिप्त देखकर रोती हैं।
- वे स्वयं को गिरधर की दासी बताती हैं और अपने उद्धार के लिए प्रार्थना करती हैं।
Additional Informationमीराबाई
- जन्म - 1498 ई०
- मृत्यु- 1546 ई०
- रचनाएँ -
- नरसी जी रो माहेरो
- गीत गोविन्द की टीका
- राग गोविन्द
- सोरठ के पद
- मीराबाई की मलार
- गर्वागीत
- फुटकर पद
'प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी ।
जाकी अंग-अंग बास समानी ।।'
उपर्युक्त पंक्तियों के रचयिता हैं
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFअन्य विकल्प:
- दादू दयाल : दादूदयाल (1544-1603 ई.) हिन्दी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे। इनके 52 पट्टशिष्य थे, जिनमें गरीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना मुख्य हैं।
- कबीर - संत कबीरदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल के इकलौते ऐसे कवि हैं, जो आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात करते रहे।
- नानक - सिखों के प्रथम (आदि )गुरु हैं। इनके अनुयायी इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से सम्बोधित करते हैं।
- नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबन्धु - सभी के गुण समेटे हुए थे।
'जेहि पंखी के निअर होइ, कहै बिरह कै बात।
सोई पंखी जाइ जरि, तरिवर होहिं निपात।।'
ऊहात्मकता के अतिरिक्त उक्त पंक्तियों में व्यक्त भाव की क्या विशेषता है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प 3 होगा।
- इन पंक्तियों में विरहताप के वेदनात्मक स्वरूप की विशद व्यंजना की गई है।
- रचना - पद्मावत
- खंड - नागमती वियोग
- रचयिता - मलिक मोहम्मद जायसी
- अर्थ - मैं अपनी विरह व्यथा किसी पंछी को सुनाती हूं तो वह भस्म हो जाता है। किसी पेड़ से कहती हूं तो उसके पत्ते जल उठते हैं।
- जायसी भक्तिकाव्य के निर्गुण शाखा के प्रेम मार्गी कवि हैं।
- महत्वपूर्ण ग्रंथ -
- पद्मावत - नागमती, पद्मावती, रतनसेन की प्रेम कहानी
- अखरावट - वर्णमाला से संबंधित ग्रंथ
- आखिरी कलाम - कयामत का वर्णन
- कहरानामा
- मसलानामा
- कन्हावत
- पद्मावत में 57 खंड हैं।
- जाय सी के गुरु - सूफी फकीर शेख मोहिदी
'प्रभु जी तुम चंदन हम पानी' इस पंक्ति के रचनाकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF- "संत रैदास", यहाँ उचित विकल्प है, अन्य विकल्प असंगत है।
Additional Information
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"माई न होती, बाप न होते, कर्म्म न होता काया।
हम नहिं होते, तुम नहिं होते, कौंन कहॉं ते आया।।
चंद न होता, सूर न होता, पानी पवन मिलाया।
शास्त्रत न होता, वेद न होता, करम कहाॅँँ ते आया।। "
उपर्युक्त काव्य पंक्तियॉं किस कवि की हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प 2 है।
- यह पंक्तियां नामदेव की हैं।
- भक्तिकाल के निर्गुण कवि ( सगुण रचनाएं भी की हैं)
- हिंदी में भक्ति साहित्य की परंपरा का प्रवर्तन नामदेव ने किया।
- संप्रदाय - बारकरी
- भाषा - सगुण भक्ति पदों की भाषा ब्रज है।
- निर्गुण पदों की भाषा खड़ी बोली अथवा सधुक्कड़ी
- इनकी रचनाएं गुरु ग्रंथ साहिब में मिलती हैं।
- महत्वपूर्ण पंक्तियां -
- पांडे तुम्हारी गायत्री लोधे का खेत खाती थी। लैकरी ठेंगा टंगरी तोरी लंगत लंगत लाती थी।
- हिंदू पूजै देहरा, मुसलमान मसीद।मा सेविया जहां देहरा न मसीद।