प्रसादोत्तर नाटक MCQ Quiz - Objective Question with Answer for प्रसादोत्तर नाटक - Download Free PDF
Last updated on Jun 3, 2025
Latest प्रसादोत्तर नाटक MCQ Objective Questions
प्रसादोत्तर नाटक Question 1:
धर्मवीर भारती का नाटक, जिसमें महाभारत के कथानक को लेकर आधुनिक युग के अनुकूल अर्थ प्रस्तुत किया गया है
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 1 Detailed Solution
धर्मवीर भारती का नाटक अंधायुग है, जिसमें महाभारत के कथानक को लेकर आधुनिक युग के अनुकूल अर्थ प्रस्तुत किया गया है।
- अंधायुग का कथानक महाभारत के अठारहवें दिन से लेकर श्रीकृष्ण की मृत्यु तक के क्षण पर आधारित है।
Key Pointsअंधा युग:
- अंधा युग, धर्मवीर भारती द्वारा रचित हिंदी काव्य नाटक है।
- अंधा युग गीतिनाट्य का प्रकाशन सन् 1955 ई. में हुआ था।
- इसका कथानक महाभारत युद्ध के अंतिम दिन पर आधारित है।
- इसमें युद्ध और उसके बाद की समस्याओं और मानवीय महत्वाकांक्षा को प्रस्तुत किया गया है।
पात्र:
- अश्वत्थामा
- गान्धारी
- धृतराष्ट्र
- कृतवर्मा
- संजय
- वृद्ध याचक
- प्रहरी-1
- व्यास
- विदुर
- युधिष्ठिर
- कृपाचार्य
- युयुत्सु
- गूँगा भिखारी
- प्रहरी-2
- बलराम
- कृष्ण
Additional Informationधर्मवीर भारती:
- धर्मवीर भारती (1926-1997) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे।
- धर्मवीर भारती एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे।
- डॉ धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- धर्मवीर भारती का उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है।
- सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है।
- अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।
धर्मवीर भारती द्वारा रचित कृतियाँ :
- गुनाहों का देवता-उपन्यास
- सूरज का सातवां घोड़ा-उपन्यास
- ग्यारह सपनों का देश-उपन्यास
- प्रारंभ व समापन -उपन्यास
Important Points
नाटक | लेखक |
स्कंदगुप्त (1928) | जयशंकर प्रसाद |
लहरों का राजहंस (1968) | मोहन राकेश |
आषाढ़ का एक दिन (1958) | मोहन राकेश |
प्रसादोत्तर नाटक Question 2:
मुद्राराक्षस के नाटक 'आला अफसर' किस विदेशी नाटक का हिंदी रूपांतरण है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 2 Detailed Solution
उत्तर- गोगोल का 'इंस्पेक्टर जनरल'
विश्लेषण-
- मुद्राराक्षस का नाटक 'आला अफसर' नौकरशाही की अमानवीयता को दर्शाता है।
- यह रूसी नाटककार गोगोल के नाटक 'इंस्पेक्टर जनरल' का हिंदी नाट्य रूपांतरण है।
प्रसादोत्तर नाटक Question 3:
स्वदेश दीपक के नाटक 'जलता हुआ रथ' का मुख्य विषय क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 3 Detailed Solution
उत्तर- शोषक और शोषित वर्गों का विभाजन
विश्लेषण-
- स्वदेश दीपक का नाटक 'जलता हुआ रथ' समाज के दो वर्गों—शोषक और शोषित—के विभाजन को दर्शाता है।
- इसमें शोषक हिंसक वर्ग और शोषित पीड़ित वर्ग की स्थिति को चित्रित किया गया है।
- अन्य विकल्प जैसे न्याय व्यवस्था ('जुर्म आयद'), कला-सत्ता ('आषाढ़ का एक दिन'), और शिक्षा व्यवस्था ('एक और द्रोणाचार्य') अन्य नाटकों से संबंधित हैं।
प्रसादोत्तर नाटक Question 4:
ज्ञानदेव अग्निहोत्री के नाटक 'माटी जागी रे' को किस सम्मान से नवाज़ा गया था?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 4 Detailed Solution
उत्तर- उत्तर प्रदेश सरकार की नाटक प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार
विश्लेषण-
- ज्ञानदेव अग्निहोत्री का नाटक 'माटी जागी रे' ग्राम्य विकास की कहानी पर आधारित है।
- इसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित नाटक प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
प्रसादोत्तर नाटक Question 5:
जगदीशचंद्र माथुर के नाटक 'शारदीया' की पृष्ठभूमि में किस ऐतिहासिक घटना का चित्रण किया गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 5 Detailed Solution
उत्तर - मराठों और हैदराबाद के निजाम के बीच युद्ध
विश्लेषण-
- जगदीशचंद्र माथुर का नाटक 'शारदीया' 1795 ई. में मराठों और हैदराबाद के निजाम के बीच होने वाले युद्ध और उसके परिणामों पर आधारित है।
- अन्य विकल्प जैसे जलियाँवाला बाग हत्याकांड ('रंग दे बसंती चोला'), भारत-विभाजन ('न्याय की रात'), और सिकंदर का आक्रमण ('वितस्ता की लहरें') अन्य नाटकों से संबंधित हैं।
Top प्रसादोत्तर नाटक MCQ Objective Questions
वस्तु विकास की दृष्टि से अंधायुग के अंकों का सही क्रम है।
(A) कौरव नगरी
(B) अश्वत्थामा का अर्द्धसत्य
(C) पशु का उदय
(D) गांधारी का शाप
(E) विजयः एक क्रमिक आत्महत्या
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFअंधायुग के अंकों का सही क्रम है-(A) कौरव नगरी,(C)पशु का उदय,(B) अश्वत्थामा का अर्द्धसत्य,(D) गांधारी का शाप,(E) विजयः एक क्रमिक आत्महत्या।
Key Points
- अंधा युग नातक धर्मवीर भारती द्वारा सन 1954ई. में लिखा गया।
- विषय-
- महाभारतकालीन पृष्ठभूमि में लिखा यह 5 अंको का नाटक आधुनिक समय में भी युद्ध की त्रासदी का चित्रण करता है।
- अपने आधुनिक संदर्भों में यह कर्म तथा भाग्य एवं आस्था तथा अनास्था के द्वंद का भी चित्रण करता है।
- प्रमुख पात्र-कृष्ण,अश्वथामा,गांधारी,विदुर,युधिष्ठिर,कृतवर्मा,कृपाचार्य,संजय,युयुत्सु,वृद्ध याचक आदि।
Important Points
- धर्मवीर भारती-"पर एक नशा होता है - अंधकार के गरजते महासागर की चुनौती को स्वीकार करने का, पर्वताकार लहरों से खाली हाथ जूझने का, अनमापी गहराइयों में उतरते जाने का और फिर अपने को सारे खतरों में डालकर आस्था के, प्रकाश के, सत्य के, मर्यादा के कुछ क्षणों को बटोर कर, बचा कर, धरातल तक ले जाने का - इस नशे में इतनी गहरी वेदना और इतना तीखा सुख घुला-मिला रहता है की उसके आस्वादन के लिए मन बेबस हो उठता है। उसी की उपलब्धि के लिए यह कृति लिखी गयी।"
Additional Information
- नाटक के कुछ अंश-
- टुकड़े-टुकड़े हो बिखर चुकी मर्यादा,उसको दोनों पक्षों ने तोड़ा है।
- शेष बचोगे तुम संजय,सत्य कहने को,अंधों से...।-संजय,कृतवर्मा से।
नाटकों और नाटककारों का कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF- नाटकों और नाटककारों का एक सत्य हरिश्चंद्र - लक्ष्मीनारायण मिश्र युग्म सुमेलित नहीं है।
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है - "विलक्षण बात यह है कि आधुनिक गद्य- साहित्य की परंपरा का प्रवर्तन नाटकों से हुआ"।
Key Points
- एक सत्य हरिश्चंद्र के नाटककार लक्ष्मीनारायण लाल द्वारा रचित है।
- लक्ष्मीनारायण लाल समकालीन हिन्दी नाटककारों में चर्चित नाटककार हैं।
Important Points
- लक्ष्मीनारायण लाल की प्रमुख रचनाएं हैं - अंधा कुआँ , मादा कैक्टस , तीन आँखों वाली मछली , सूखा सरोवर , मिस्टर अभिमन्यु , आदि।
'सिन्दूर की होली' नाटक किस रचनाकार द्वारा लिखित है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त सभी विकल्पों में से विकल्प 2 लक्ष्मीनारायण मिश्र सही हैं|
Key Points
- सिंदूर की होली नाटक 1934 ई. मे लिखा गया|
- तीन अंकों वाला यह नाटक समस्या प्रधान है|
- इन्हें समस्या प्रधान नाटकों का जनक माना जाता है|
Important Points
- नाटक की भूमिका रामप्रसाद त्रिपाठी ने 1934 मे लिखी|
- पुरुष पात्र:मुरारीलाल(डिप्टी क्लेक्टर),रजनीकान्त,भगवंत सिंह,माहिर अली(मुंशी),मनोज कुमार|
- स्त्री पात्र:मनोरमा(विधवा),चंद्रकांता|
Additional Information
रचनाकार | नाटक |
लक्ष्मीनारायण मिश्र |
संन्यासी(1930),राक्षस का मंदिर(1931),राजयोग(1933) आदि| |
अंबिकादत्त व्यास | ललिता(1883),भारत–सौभाग्य(1887), |
रामकुमार वर्मा | कौमोदी मोहोत्सव(1954),विजय पर्व(1954) |
जगदीश चन्द्र माथुर के नाटकों के मुख्य स्वर हैं :
(A) प्राचीन पात्र - प्रसंगों द्वारा सामयिक समस्याओं का प्रकाशन
(B) प्रसाद की राष्ट्रीय - सांस्कृतिक चेतना का विकास
(C) रामलीला पद्धति द्वारा तुलसी के मानस - मर्म को आधुनिक पाठकों तक पहुंँचाना
(D) मध्यवर्गीय सामाजिक यथार्थ का प्रकाशन
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFजगदीश चन्द्र माथुर के नाटकों के मुख्य स्वर हैं-(A)प्राचीन पात्र-प्रसंगों द्वारा सामयिक समस्याओं का प्रकाशन और (C)रामलीला पद्धति द्वारा तुलसी के मानस-मर्म को आधुनिक पाठकों तक पहुँचाना।
Key Points
- जगदीशचंद्र माथुर-हिंदी साहित्य में एक महत्त्वपूर्ण नाटककार एवं एकांकीकार के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
- हिंदी नाटक-क्षेत्र में इनका प्रवेश स्वतंत्रता से पूर्व 'भोर का तारा' नामक एकांकी संग्रह की रचना से हुआ था किंतु एक सशक्त नाटककार के रूप में उनकी प्रतिष्ठा सन 1951ई. में प्रकाशित उनके नाटक 'कोणार्क' से हुई।
- नाटकों के माध्यम से उन्होंने समसामयिक समस्याओं व मानवीय संबंधों को ऐतिहासिक पौराणिक संदर्भों में व्याख्यायित किया है लेकिन उनका समाधान आधुनिक है।
- अपने नाटकों में इन्होंने शिल्प संबंधी नवीन प्रयोग किए हैं।
Important Points
- जगदीशचन्द्र माथुर के कहानी संग्रह- कोणार्क(1951),शारदीया(1959),पहला राजा(1969),रघुकुल रीति(1985),दशरथनन्दन(1974)।
- कुछ नाटकों की विषयवस्तु-
नाटक | विषय |
कोणार्क | यह नाटक एक कलाकार के संघर्ष,पीड़ा और प्रतिशोध को लेकर चलता है,जो कि कल्पना है। |
शारदीया | मराठों और हैदराबाद के निज़ाम के बीच होने वाले युद्ध और उसके परिणाम का वर्णन। |
पहला राजा | पृथु के माध्यम से नेहरू को मूर्त किया गया है। |
हरिकृष्ण प्रेमी के नाटकों के मुख्य स्वर हैं :
A. स्वातंत्र्योत्तर नये भावबोध का विकास
B. प्रखर राष्ट्रीय चेतनायुक्त ऐतिहासिकता
C. साम्प्रदायिक सौहार्द की मूल्य चेतना
D. पश्चिमी बौद्धिकता का प्राधान्य
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF"हरि कृष्ण प्रेमी" के नाटकों के मुख्य स्वर सांप्रदायिक सौहार्द की मूल्य चेतना व प्रखर राष्ट्रीय चेतना युक्त इतिहास है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) A और B दोनों सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- हरिकृष्ण जी का हिंदी नाटककारों में अपना विशिष्ट स्थान है। मध्यकालीन इतिहास से कथा प्रसंगो को लेकर उन्होंने हमें राष्ट्रीय जागरण, धर्म निरपेक्षता तथा विश्व-बंधुत्व के महान् संदेश दिये हैं।
- रचनायें 'प्रेमी' जी की सर्वप्रथम प्रकाशित रचना "स्वर्ण विहान" (1930 ई.) गति-नाट्य है। उसमें प्रेम और राष्ट्रीयता की भावनाओं की बड़ी रसात्मक अभिव्यक्ति है।
- "रक्षा-बंधन" (1938 ई.) में गुजरात के बहादुर शाह के आक्रमण के अवसर पर चित्तौड़ की रक्षा के लिए रानी कर्मवती द्वारा मुग़ल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजने का प्रसंग है। इस रचना का मूल उद्देश्य हिंदू मुस्लिम सामंजस्य की भावना जागाना है।
- "शिवा साधना" (1937 ई.) में शिवाजी की औरंगजेब की साम्प्रदायिक एवं तानाशाही नीति के विरोधी तथा धर्म निरपेक्षता और राष्ट्रीय भावना के संस्थापक के रूप में चित्रित किया गया है।
- "आहुति" (1940 ई.) में रणथम्भौर के हम्मीर देव द्वारा शरणागत रक्षा के लिए अलाउद्दीन खिलजी से संघर्ष और आत्म बलिदान की कथा है।
- "विषपान" (1945 ई.) में मेवाड़ की राजकुमारी का स्वदेश-रक्षा के लिए आत्मघात का प्रसंग है।
Important Points
- हरिकृष्ण 'प्रेमी' का जन्म 1908 ई. को गुना, ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था।
- मृत्यु :- 1974 ई.
- प्रेमी' जी की सर्वप्रथम प्रकाशित रचना "स्वर्ण विहान" (1930 ई.) गति-नाट्य है।
- पहले ऐतिहासिक नाटक "रक्षा-बंधन" (1938 ई.)
- "पाताल विजय" (1936 ई.) 'प्रेमी' जी का एकमात्र पौराणिक नाटक है।
- प्रेमी जी के दो एकांकी संग्रह 'मंदिर' (1942 ई.) और 'बादलों के पार' (1942 ई.) भी प्रकाशित हुए है।
Additional Information
प्रेमी जी के नाटक एवं काव्य संग्रह निम्नलिखित हैं:-
'बकरी' नाटक से संबंधित सही तथ्य कौन से हैं?
(A) यह स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी व्यंग्य नाटकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
(B) इसका कथ्य बिखरा हुआ नहीं है।
(C) इसके गीत साधारण कोटि के हैं।
(D) इसमें नौटंकी शैली का प्रयोग किया गया है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFविकल्प A और D सही है।
बकरी नाटक स्वातंत्र्योत्तर हिंदी में लिखे नाटकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
इस नाटक की रचना उत्तर प्रदेश की नौटंकी शैली में हुई है।
इसके लेखक सर्ववेश्वर दयाल सक्सेना है।
बकरी प्रगतिशील जनवादी चेतना युक्त नाटक है।
इसमें सत्ता मूलक शोषण और आम आदमी की विडम्बनाओं का यथार्थ चित्रण नाटककार किया है। इसमें दोहा, चौबोला, बहरेतबील, कहरवा आदि छंदों का प्रयोग किया गया है।
इस नाटक में जनवादी चेतना, राजनितिक व्यंग्य, आम आदमी की व्यथा, भ्रष्टाचार और विसंगति का चित्रण है। 'बकरी' आम आदमी का प्रतीक है।
नाटक के प्रत्येक दृश्य के बाद नट गायन है।
तथा अंतिम दृश्य में नट नटी के साथ साथ सबका गायन है।
इसमें राजनीतिकों के मुखोटो (गांधीवाद)का पर्दा फाश किया गया है।
बकरी नाटक
- रचनाकार -सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
- रचना काल -1974
- प्रकाशक -श्रीकान्त व्यास
- निम्न बोलियों में मंचन हुआ है :
- ब्रजभाषा, कुमायनी, गुजराती, कनन्ड़, उडिया, छतिशगढ़ी
- पात्र :- दुर्जन, सत्यवीर ,कर्मवीर ,सिपाही, युवक, विपती, काका ,चाचा ,चाची ,काकी, राम,भिशती
दो अंक प्रत्येक अंक में 3 दृश्य हैं।
भारत सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाया।
आपत् कालीन स्थिति लागू हो गई थी।
बकरी नाटक पर मारिसस में भी प्रतिबंध लगा था।
मोहन राकेश रचित 'आषाढ़ का एक दिन' नाटक किसकी जीवनी पर आधारित है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'कालिदास' है।
Key Points
- आषाढ का एक दिन नाटक मोहन राकेश का है।
- इसका प्रकाशन वर्ष 1958 ई. है।
- आषाढ का एक दिन नाटक के पात्रः-
- माल्लिका , अंबिका , प्रियंगुमंजरी , कालिदास , मातुल , रंगिणी , संगिनी आदि।
- इस नाटक मे कालिदास की प्रसिद्ध का कारण उसकी प्रेयसी (मल्लिका ) रहती है।
Additional Information
तुलसीदास | तुलसीदास के जीवन पर अमृतलाल नागर ने मानस का हंस उपन्यास लिखा है। |
मोहन राकेश |
इनकी प्रमुख रचनाएँः- अंधेरे बंद कमरे , अंतराल ,न आने वाला कल आषाढ का एक दिन (नाटक) , लहरों का राजहंस (नाटक) पैर तले जमीन (अधूरा नाटक ) |
जयशंकर प्रसाद |
इनकी प्रमुख रचनाएँः- चित्रधारा , लहर , झरना ,लहर (1933) कामायनी (1936 ई. महाकाव्य) ,आँसू (1925) नाटक - चंद्रगुप्त (1931), स्कंदगुप्त (1928) ,ध्रुवस्वामिनी (1933) आदि।
|
'किन्तु, उस दिन यह सिद्ध हुआ
जब कोई भी मनुष्य
अनासक्त होकर चुनौती देता है इतिहास को
उस दिन नक्षत्रों की दिशा बदल जाती है।'
इन पंक्तियों के सृजेता तथा कृति का नाम बताइये
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "अंधा युग-धर्मवीर भारती" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- उपर्युक्त पंक्तियां अंधा युग से ली गई है।
- अंधा युग नाटक धर्मवीर भारती का नाटक है।
- इसका रचना वर्ष 1955 ईस्वी है।
- प्रमुख पात्र:- अश्वत्थामा, धृतराष्ट्र, कृतवर्मा, संजय, वृद्धयाचक, व्यास, कृष्ण, युधिष्ठिर, विदुर, कृपाचार्य, युयुत्सु, गूंगा, भिखारी, बलराम।
- धर्मवीर भारती की काव्य रचनाएँ निम्नलिखित हैं :-
- ठंडा लोहा(1952)
- सात गीत वर्ष(1959)
- कनुप्रिया(1959)
- सपना अभी भी(1993)
- आद्यन्त(1999)
- देशांतर(1960)
- दुष्यंत कुमार
- एक कंठ विषपायी 1963(काव्य नाटक)
- और मसीहा मर गया (नाटक)
- रघुवीर सहाय
- दूसरा सप्तक, सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो हँसो जल्दी हँसो (कविता संग्रह), रास्ता इधर से है (कहानी संग्रह), दिल्ली मेरा परदेश और लिखने का कारण(निबंध संग्रह)
'नेफा की एक शाम' किसकी नाट्यकृति है
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF'नेफा की एक शाम'- ज्ञानदेव अग्निहोत्री की नाट्यकृति है।
- भारत चीन युद्ध पर आधारित कृति नेफा की एक शाम की विधा है।
- शुतुरमुर्ग ज्ञानदेव अग्निहोत्री जी का प्रमुख नाटक है।
Additional Information
- भीष्म साहनी के नाटक :- हानूश(1977),कबीरा खड़ा बाजार में(1981),माधवी(1984),मुआवजे(1993),रंग दे बसंती चोला(1996),आलमगीर(1999)।
- हबीब तनवीर के नाटक :- आगरा बाज़ार इनका प्रसिद्ध नाटक है।
- नरेन्द्र कोहली के नाटक :- शंबूक की हत्या, निर्णय रुका हुआ, हत्यारे, गारे की दीवार, किष्किंधा
''इतिहास के गड़े मुर्दे उख़ाड़ने का काम इस युग के साहित्य में वांछनीय नहीं है।' अपने किस नाटक की भूमिका में लक्ष्मीनारायण मिश्र ने जयशंकर प्रसाद के ऐतिहासिक - सांस्कृतिक नाटकों की प्रतिक्रिया में यह बात कही ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसादोत्तर नाटक Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFलक्ष्मीनारायण मिश्र ने-1)संन्यासी नाटक की भूमिका में जयशंकर प्रसाद के ऐतिहासिक-सांस्कृतिक नाटकों की प्रतिक्रिया में यह बात कही।
Important Points
- संन्यासी नाटक की रचना 1930 में हुई।
- लक्ष्मी नारायण मिश्र जी का जन्म सन 1903 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ ज़िले के बस्ती नामक ग्राम में हुआ था।
- 'अशोक' उनका पहला नाटक है।
- इन्होंने 1930 से 1934 तक नए ढंग से समस्या प्रधान नाटकों का लेखन किया।
- इनके समस्त नाट्य साहित्य के दो वर्ग हैं-
- सांस्कृतिक अथवा ऐतिहासिक
- सामाजिक
Additional Information
- 'संन्यासी','राक्षस का मन्दिर','मुक्ति का रहस्य', 'राजयोग' तथा 'सिन्दूर की होली' लक्ष्मी नारायण मिश्र जी के प्रसिद्ध समस्या सामाजिक नाटक हैं।
- 'प्रलय के पंख पर' और 'अशोक वन' मिश्रजी के दो एकांकी संग्रह हैं।
Hint
- 'संन्यासी'(1930) नाटक में विदेशी शाषकों की छलकपटपूर्ण नीति,गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन आदि की कथावस्तु का चित्रण किया है।
- 'मुक्ति का रहस्य'(1932) में स्त्री-पुरुष की सनातन काम-वासना का चित्रण है।
- 'सिन्दूर की होली'(1934) में विधवा विवाह और नारी उद्धार का समर्थन किया है।
- 'राजयोग'(1933) नाटक में बौद्धिकता है।