काव्य MCQ Quiz - Objective Question with Answer for काव्य - Download Free PDF

Last updated on Jun 23, 2025

Latest काव्य MCQ Objective Questions

काव्य Question 1:

दण्डिनः रचना अस्ति -

  1. काव्यादर्शः
  2. काव्यालंकारः 
  3. दशरूपकम् 
  4. उपर्युक्तेषु एकस्मात् अधिकम्
  5. उपर्युक्तेषु कश्चन अपि नास्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : काव्यादर्शः

काव्य Question 1 Detailed Solution

प्रश्न का अनुवाद - दण्डी की रचना है -

दण्डी की रचनायें - 

  • दशकुमारचरितम् - दशकुमार चरित गद्यकाव्य है। इसमें दस कुमारों ने अपनी-अपनी यात्राओं के विचित्र अनुभवों तथा पराक्रमों का मनोरंजक वर्णन किया है। विनोद और व्यंग्य के माध्यम से इसमें तत्कालीन समाज का भी चित्रण किया गया है। दशकुमार रचना को दंडी की प्रारम्भिक रचना माना जाता है। लेकिन इसी के बल पर दंडी को संस्कृत का पहला गद्यकार भी कहा जाता है। 
  • अवन्तिसुन्दरी - अवंतिसुंदरी कथा संस्कृतसाहित्य के गद्यकाव्य के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कथाप्रबंध है। विद्वानों ने इसे आचार्य दण्डी की कृति माना है और इनकी तीसरी रचना के रूप में इसी प्रबंध को मान्यता दी है। दंडी के काव्यादर्श की टीका में जंघाल ने इसे दंडी की रचना कहा है।
  • काव्यादर्श - अलंकारशास्त्राचार्य दंडी (६ठी - ७वीं शती ई.) द्वारा रचित संस्कृत काव्यशास्त्र संबंधी प्रसिद्ध ग्रंथ है। 

अतः उचित पर्याय 'काव्यादर्श' है यहाँ स्पष्ट है।

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • काव्यालंकारः - भामह की कृति है।
  • दशरूपकम् - धनञ्जय की कृति है।
  • साहित्यदर्पणः - आचार्य विश्वनाथ की कृति है।

काव्य Question 2:

ध्वनि सिद्धान्तस्य प्रवर्तकः कः?

  1. मम्मटः 
  2. आनन्दवर्धनः 
  3. वाचस्पति मिश्रः 
  4. उपर्युक्तेषु एकस्मात् अधिकम्
  5. उपर्युक्तेषु कश्चन अपि नास्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : आनन्दवर्धनः 

काव्य Question 2 Detailed Solution

प्रश्न अनुवाद - ध्वनि सिद्धान्त के प्रवर्तक कौन है ?

ध्वनि सिद्धान्त भारतीय काव्यशास्त्र का एक सम्प्रदाय है। भारतीय काव्यशास्त्र के विभिन्न सिद्धान्तों में यह सबसे प्रबल एवं महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है। ध्वनि सिद्धान्त का आधार अर्थ 'ध्वनि' को माना गया है।

स्पष्टीकरण -

ध्वनि सिद्धान्त के प्रवर्तक 'आनंदवर्धन' है।

Important Pointsध्वनि सिद्धान्त की स्थापना का श्रेय 'आनंदवर्धन' को है, किन्तु अन्य सम्प्रदायों की तरह ध्वनि सिद्धान्त का जन्म आनंदवर्धन से पूर्व हो चुका था। स्वयं आनन्दवर्धन ने अपने पूर्ववर्ती विद्वानों का मतोल्लेख करते हुए कहा है कि -
"काव्यस्यात्मा ध्वनिरिति बुधैर्यः समाम्नातपूर्वः" अर्थात् काव्य की आत्मा ध्वनि है ऐसा मेरे पूर्ववर्ती विद्वानों का भी मत है।

अतः 'आनन्दवर्धनः' उचित विकल्प है।

Additional Informationअन्य विकल्प -

1.मम्मटः - 

  • आचार्य मम्मट संस्कृत काव्यशास्त्र के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में से एक समझे जाते है। वे अपने शास्त्रग्रंथ काव्यप्रकाश के कारण प्रसिद्ध हुए।

2.वाचस्पति मिश्रः -

  • वाचस्पति मिश्र भारत के दार्शनिक थे। जिन्होने अद्वैत वेदान्त का भामती नामक सम्प्रदाय स्थापित किया। वाचस्पति मिश्र ने नव्य-न्याय दर्शन पर आरम्भिक कार्य भी किया।

3.आचार्य विश्वनाथः -

  • आचार्य विश्वनाथ संस्कृत काव्य शास्त्र के मर्मज्ञ और आचार्य थे। वे साहित्य दर्पण सहित अनेक साहित्यसम्बन्धी संस्कृत ग्रन्थों के रचयिता हैं। उन्होंने आचार्य मम्मट के ग्रंथ काव्य प्रकाश की टीका भी की है जिसका नाम 'काव्यप्रकाश दर्पण' है।

काव्य Question 3:

भवभूति का मूल नाम क्या था?

  1. श्रीपति
  2. दामोदर
  3. श्रीकंठ
  4. नीलकंठ
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : श्रीकंठ

काव्य Question 3 Detailed Solution

भवभूति का मूल नाम श्रीकंठ था -

प्रसिद्धी  मूलनाम
श्रीपति विष्णु

दामोदर

 गणेशजी

भवभूति श्रीकंठ

नीलकंठ

शिवजी

Additional Information

  • नीलकंठ - भवभुतिके पिता का भी नाम था
  • दामोदर - भारवी का मूलनाम था

काव्य Question 4:

'भवितव्यानां द्वाराणि भवन्ति सर्वत्र।' इत्यादिकं पद्यं कुतः गृहीतम्?

  1. उत्तररामचरितम्
  2. मालविकाग्निमित्रम्
  3. अभिज्ञानशाकुन्तलम्
  4. उपर्युक्तेषु एकस्मात् अधिकम्
  5. उपर्युक्तेषु कश्चन अपि नास्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अभिज्ञानशाकुन्तलम्

काव्य Question 4 Detailed Solution

प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'भवितव्यानां द्वाराणि भवन्ति सर्वत्र।' इत्यादि पद्य कहाँ से लिया गया है?

स्पष्टीकरण -

महाकवि कालिदास विरचित अभिज्ञानशाकुन्तलम् नाटक में राजा दुष्यन्त प्रथम अङ्क में आश्रम में प्रविष्ट होने पर होने वाले शुभ शकुन पर चिन्तन करते हुए कहते हैं - 

'भवितव्यानां द्वाराणि भवन्ति सर्वत्र।'

अर्थ - होनी के लिए सब जगह द्वार खुले रहते हैं।

अतः स्पष्ट है कि 'भवितव्यानां द्वाराणि भवन्ति सर्वत्र।' यह पद्य महाकवि कालिदास के 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' इस नाटक से लिया गया है

काव्य Question 5:

‘अन्तर्हिते शशिनि सैव कुमुद्वती मे’ इतीयं पंक्तिः कालिदासस्य कस्मिन् ग्रन्थे विद्यते?

  1. मेघदूते
  2. रघुवंशे
  3. अभिज्ञानशाकुन्तले
  4. उपर्युक्तेषु एकस्मात् अधिकम्
  5. उपर्युक्तेषु कश्चन अपि नास्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अभिज्ञानशाकुन्तले

काव्य Question 5 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - ‘अन्तर्हिते शशिनि सैव कुमुद्वती मे’ यह पंक्ति कालिदास के किस ग्रन्थ में है?

स्पष्टीकरण - अन्तर्हिते शशिनि सैव कुमुद्वती मे - यह पंक्ति कालिदास द्वारा विरचित अभिज्ञानशाकुन्तलम् नाटक के चतुर्थ अंक में उल्लिखित है।

अभिज्ञानशाकुन्तलम् नाटक में सात अंक है, जिसमें दुष्यन्त और शकुन्तला के परिणय की कथा है।

उपरोक्त पंक्ति एक श्लोक में उल्लिखित है। श्लोक इस प्रकार है - 

श्लोक-

अन्तर्हिते शशिनि सैव कुमुद्वती मे दृष्टिं न नन्दयति संस्मरणयीशोभा।
इष्टप्रवासजनितान्यबलाजनस्य दुःखानि नूनमतिमात्रसुदुःसहानि।।

अर्थ - चन्द्रमा के के अस्त होने पर वही कुमुदिनी स्मरणीय शोभायुक्त होने से मेरी दृष्टि को अब आह्लादित नहीं कर रही है, क्योंकि स्त्रियों को अपने इष्ट व्यक्ति के प्रवास से उत्पन्न दुख अत्यंत कष्टकारी होता है।

इस तरह श्लोक से स्पष्ट है कि उपरोक्त पंक्ति अभिज्ञानशाकुन्तलम् नाटक में उल्लिखित है।

Top काव्य MCQ Objective Questions

निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रन्थ ‘चतुर्विंशतिसाहस्रीसंहिता’ के नाम से ख्यात है?

  1. रामायण
  2. महाभारत
  3. ब्रह्माण्डपुराण
  4. बृहदारण्यकोपनिषद्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रामायण

काव्य Question 6 Detailed Solution

Download Solution PDF

‘चतुर्विंशतिसाहस्रीसंहिता’ को तोड़कर देखें तो ‘चतुर्विंशति + साहस्री + संहिता’ प्राप्त होता है। जिनके अर्थ इस प्रकार है-

  • चतुर्विंशति- चौबीस
  • साहस्री- हजार
  • संहिता- एक साथ हो।

अर्थात् चौबीस हजार श्लोक जहाँ हो, रामायण में चौबीस हजार श्लोक है, अतःउसे ‘चतुर्विंशतिसाहस्रीसंहिता’ कहेंगे। 

Key Points

  • विद्वानों में एक और प्रसिद्धी है कि प्रत्येक एक हजार श्लोक के पश्चात् इसमें गायित्री मन्त्र का एक वर्ण आता है।
  • रामायण का विभाजन सात काण्डों में हुआ है-
  1. बालकाण्ड- 77 सर्ग
  2. अयोद्ध्याकाण्ड- 129 सर्ग
  3. अरण्यकाण्ड- 75 सर्ग
  4. किष्किन्धाकाण्ड- 67 सर्ग
  5. सुन्दरकाण्ड- 68 सर्ग
  6. लङ्काकाण्ड (युद्धकाण्ड)- 128 सर्ग
  7. उत्तरकाण्ड- 111 सर्ग

Additional Information

  • महाभारत में एक लाख श्लोक हैं इसलिये इसे ‘शत्साहस्रीसंहिता’ भी कहते हैं।

"काव्यादर्श" के रचयिता हैँ

  1. भास
  2. भारवि
  3. शुद्रक
  4. दण्डी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : दण्डी

काव्य Question 7 Detailed Solution

Download Solution PDF
'काव्यादर्श' अलंकारशास्त्राचार्य दंडी द्वारा रचित संस्कृत काव्यशास्त्र संबंधी प्रसिद्ध ग्रंथ है।
काव्यादर्श
  • काव्यादर्श एक रीतिसम्प्रदाय का साहित्यशास्त्र सम्बन्धी ग्रन्थ है।
  • काव्यादर्श मे तीन परिच्छेद मिलते है।
  • प्रथम परिच्छेद - काव्य परिभाषा, काव्यभेद, महाकाव्यादि के लक्षण आदि।
  • द्वितीय परिच्छेद - 35 अर्थालङ्कारो के भेद - प्रभेद के साथ लक्षण उदाहरनादि।
  • तृतीय परिच्छेद - यमक का विवेचन है।साथ ही, चित्रकाव्य, स्वरनियम, स्थाननियम, वर्णनियम तथा प्रहेलिका इत्यादि के लक्षण एवं उदाहरण भी दे दिए गए हैं।
  • ग्रंथ के अन्त में काव्यदोषों का परिचय है।

दण्डी 

  • दंडी संस्कृत के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।
  • जो छ्ठी शताब्दी के अंत और सातवीं शताब्दी के प्रारंभ में सक्रिय थे।
  • दंडी की की तीन रचनाएँ प्रसिद्ध हैं- 1. ‘काव्यादर्श’, 2. ‘दशकुमार चरित’ और 3. ‘अवंतिसुन्दरी कथा’

‘श्रीमद्भगवद्गीता’ में कुल कितने अध्याय हैं?

  1. 15 (पन्द्रह)
  2. 18 (अठारह)
  3. 20 (बीस)
  4. 16 (सोलह)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : 18 (अठारह)

काव्य Question 8 Detailed Solution

Download Solution PDF

श्रीमद्भगवद्गीता’ महाभारत के भीष्मपर्व में युद्ध के पूर्व कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। जो कुल अठारह (18)’ अध्याय में वर्णित है।

Additional Information

विशेष:- महाभारत में अठारह संख्या अत्यंत महत्वपूर्ण है-

  • महाभारत के अद्ध्यायों की संख्या- 18
  • युद्ध के दिनों की सन्ख्या- 18
  • श्रीमद्भगवद्गीता के अद्ध्यायों की संख्या- 18
  • उपगीता के अद्ध्यायों की संख्या- 18

अतः स्पष्ट है कि ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ में कुल ‘अठारह (18)’ अध्याय में वर्णित है।

निम्नलिखित में से कौन सी कृति महाकवि कालिदास विरचित नहीं है?

  1. अभिज्ञानशाकुन्तलम्
  2. विक्रमोर्वशीयम् 
  3. उरुभङ्गम् 
  4. मालविकाग्निमित्रम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : उरुभङ्गम् 

काव्य Question 9 Detailed Solution

Download Solution PDF

कालिदास विरचित कृतियों की तालिका:–

रचना

विधा 

रघुवंशम्, कुमारसंभवम्

महाकाव्य

मेघदूतम्

खण्डकाव्य

ऋतुसंहारम्

मुक्तककाव्य

मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् 

नाटक

 

अतः स्पष्ट है, कि `उरुभङ्गम्' कालिदास विरचित नाटक नहीं है।

निम्न में से कौन-सा ग्रन्थ ‘महाभारत’ पर आश्रित नहीं है?

  1. ‘वेणीसंहारम्’
  2. ‘नैषधीयचरितम्’
  3. ‘स्वप्नवासदत्तम्’
  4. ‘शिशुपालवधम्’

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : ‘स्वप्नवासदत्तम्’

काव्य Question 10 Detailed Solution

Download Solution PDF

‘महाभारत’ के कथानक के अनुसार ‘स्वप्नवासदत्तम्’ का कथानक किसी भी प्रकार महाभारत से सम्बन्धित नहीं है।

उपर्युक्त ग्रन्थों के कथानक इस प्रकार से है- 

वेणीसंहारम्

द्रोपदी के वेणी संहार से सम्बन्धित कथानक का वर्णन है।

नैषधीयचरितम्

‘वनपर्व’ में वर्णित ‘नल-दमयन्ती’ की कथानक का वर्णन है।

स्वप्नवासदत्तम्

उदयन और वासवदत्ता की प्रणयकथा है।

शिशुपालवधम्

इन्द्रप्रस्थ में वर्णित शिशुपाल के वध का कथानक वर्णित है।

'स्‍वप्नवासवदत्तम्' का नायक है

  1. दुष्यन्त
  2. चारुदत्त
  3. चन्द्रापीड
  4. उदयन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उदयन

काव्य Question 11 Detailed Solution

Download Solution PDF

स्पष्टीकरण-

स्वप्नवासवदत्तम् 

  • महाकवि भास का प्रसिद्ध संस्कृत नाटक है
  • यह छः अंकों का नाटक है।
  • भास के नाटकों में यह सबसे उत्कृष्ट है।
  • क्षेमेन्द्र के बृहत्कथामंजरी तथा सोमदेव के कथासरित्सागर पर आधारित यह नाटक समग्र संस्कृतवाङ्मय के दृश्यकाव्यों में आदर्श कृति माना जाता है।
  • इस नाटक का नामकरण राजा उदयन के द्वारा स्वप्न में वासवदत्ता के दर्शन पर आधारित है। 
  • नाटक का प्रधान रस शृंगार है तथा हास्य की भी सुन्दर उद्भावना हुई है।
  • स्वप्नवासवदत्तम् के नायक पुरुवंशीय राजा उदयन हैं।
उदयन
  • पुरुवंशीय उदयन वत्स राज्य के राजा थे।
  • पुरुवंशीय उदयन धीरललित नायक की श्रेणी में आते है।
  • राजा उदयन वीर, कला प्रेमी, व्यवहार कुशल है।

इनमें से कौन-सी कालिदास की दूसरी रचना है

  1. रघुवंशम्
  2. अभिज्ञानशाकुन्तलम्
  3. दशरूपक
  4. प्रतिभानाटकम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अभिज्ञानशाकुन्तलम्

काव्य Question 12 Detailed Solution

Download Solution PDF

कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं को आधार बनाकर रचनाएं की, जिसमें भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्त्व निरूपित हैं। कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं संस्कृत साहित्य में ही नहीं अपितु समग्र साहित्यिक संसार में उन्हें कविकुलश्रेष्ठ तथा कविशिरोमणि माना जाता है।

कालिदास की रचनायें –

  • नाटक – अभिज्ञानशाकुन्तलम्, विक्रमोर्वशीयम् और मालविकाग्निमित्रम्।
  • महाकाव्य - रघुवंशम् और कुमारसंभवम्।
  • खण्डकाव्य - मेघदूतम् और ऋतुसंहार।

Important Points

नाटक –

  1. मालविकाग्निमित्रम् कालिदास की पहली रचना है, जिसमें राजा अग्निमित्र और मालविका की प्रणय कथा वर्णित है।
  2. अभिज्ञानशाकुन्तलम् कालिदास की दूसरी रचना है, जिसमें हास्तिनपुर के राजा दुष्यन्त और कण्व की पालिता पुत्री शकुन्तला की प्रणय कथा का वर्णन हुआ है।
  3. कालिदास विरचित नाटक विक्रमोर्वशीयम् अनेक रहस्यों से युक्त है, जिसमें राजा पुरूरवा तथा इंद्रलोक की अप्सरा उर्वशी की प्रेमकथा हैं।

महाकाव्य -

इन नाटकों के अलावा कालिदास ने दो महाकाव्यों और दो गीतिकाव्यों की भी रचना की। रघुवंशम् और कुमारसंभवम् उनके महाकाव्यों के नाम है।

  1. रघुवंशम् में सम्पूर्ण रघुवंश के राजाओं की गाथाएँ हैं।
  2. कुमारसंभवम् में शिव-पार्वती की प्रेमकथा और कार्तिकेय के जन्म की कहानी है।

खण्डकाव्य -

  1. मेघदूतम् में एक विरह-पीड़ित निर्वासित यक्ष के द्वारा अपनी यक्षिणी के लिए संदेश प्रेषित करने के लिए दूत के रूप में मेघ को भेजा जाता है।
  2. ऋतुसंहारम् में सभी ऋतुओं में प्रकृति के विभिन्न रूपों का विस्तार से वर्णन किया गया है।

अतः स्पष्ट है कि अभिज्ञानशाकुन्तलम् कालिदास की दूसरी रचना है।

'पदलालित्य' के लिए प्रसिद्ध है

  1. महाकवि दण्डी 
  2. महाकवि भारवि 
  3. महाकवि हर्षः 
  4. महाकवि कालिदासः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : महाकवि दण्डी 

काव्य Question 13 Detailed Solution

Download Solution PDF

उपर्युक्त कवि एवं उनकी प्रसिद्धियां -

कवि

प्रसिद्धि

दण्डी

पदलालित्य

भारवि

अर्थगौरव

हर्षः

कविपण्डित

कालिदासः

उपमा

 

अतः, स्पष्ट है कि 'पदलालित्य' के लिए `महाकवि दण्डी' प्रसिद्ध है।

................. भवभूति की रचना का नाम है। 

  1. उत्तररामचरितम्
  2. उत्तररामायण
  3. रामचरित
  4. हर्षचरितदर्शन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : उत्तररामचरितम्

काव्य Question 14 Detailed Solution

Download Solution PDF

भवभूति की रचना का नाम उत्तररामचरितम् है -

रचनाए

रचनाकार

उत्तररामचरितम्

भवभूति

उत्तररामायण

तुलसीदास

रामचरित

तुलसीदास

हर्षचरितदर्शन

कालीदास

Additional Information

उत्तररामचरितम् महाकवि भवभूति का प्रसिद्ध संस्कृत नाटक है, जिसके सात अंकों में राम के उत्तर जीवन की कथा है। भवभूति एक सफल नाटककार हैं। उत्तररामचरितम् में उन्होने ऐसे नायक से संबंधित इतिवृत्त का चयन किया है जो भारतीय संस्कृति की आत्मा है। 

''अविमारकम्'' नाटक के प्रणेता है-

  1. कालिदास
  2. श्रीहर्ष
  3. भास
  4. शूद्रक

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भास

काव्य Question 15 Detailed Solution

Download Solution PDF

स्पष्टीकरण- 

  • संस्कृतकाव्य में सर्वश्रेष्ठ नाट्यकारों की शृंखला में भास भी अग्रगण्य कवि है। इनके द्वारा रचित तेरह नाटक हैं। 
  • इनके इन तेरह नाटकों में अविमारक नामक भी एक रूपक है। 
  • इस रूपक में छः अंक है।
  • इस नाटक में राजकुमार अविमारक और राजकुमारी कुरंगी की प्रणयकथा है। 
  • अतः उपर्युक्त प्रश्न के अनुसार अविमारक के प्रणेता महाकवि भास है।

Important Points 

 भास के तेरह नाटक -

  1. ​स्वप्नवासवदत्ता
  2. प्रतिज्ञायौगंधरायण
  3. दरिद्र चारुदत्त
  4. अविमारकनाटक
  5. प्रतिमानाटक
  6. अभिषेकनाटक
  7. बालचरित 
  8. पञ्चरात्र
  9. मध्यमव्यायोग
  10. दूतवाक्य
  11. दूतघटोत्कच
  12. कर्णभार
  13. उरुभङ्ग

 

  • इन तेरह नाटकों में रामायण आधारित केवल दो नाटक हैं- प्रतिमानाटक और अभिषेकनाटक
  • महाभारत आधारित केवल छः नाटक हैं - पञ्चरात्र, मध्यमव्यायोग, दूतवाक्य, दूतघटोत्कच, कर्णभार और उरुभङ्ग।
Get Free Access Now
Hot Links: real teen patti teen patti master purana teen patti app online teen patti real money teen patti wala game