आदिकाल पंक्तियाँ MCQ Quiz - Objective Question with Answer for आदिकाल पंक्तियाँ - Download Free PDF
Last updated on Jun 11, 2025
Latest आदिकाल पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
आदिकाल पंक्तियाँ Question 1:
“जाके मुँह माथे न सचरई, रवि ससि नहीं प्रवेश।” – यह उक्ति किस रचनाकार की है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution
“जाके मुँह माथे न सचरई, रवि ससि नहीं प्रवेश।” – यह उक्ति सरहपा रचनाकार की है।
Key Pointsसरहपा-
- जन्म-9 वीं शती
- सरहपा हिन्दी के पहले कवि माने जाते हैं।
- इन्होने मैथिलि, उड़ीया ,बंगाली में भी रचनाएँ की हैं।
- इनको बौद्ध धर्म की वज्रयान और सहजयान शाखा का प्रवर्तक तथा आदि सिद्ध माना जाता है।
- उनका मूल नाम ‘राहुलभद्र’ था और उनके ‘सरोजवज्र’, ‘शरोरुहवज्र’, ‘पद्म‘ तथा ‘पद्मवज्र’ नाम भी मिलते हैं।
- प्रमुख रचनाएँ-
- श्रीबुद्धकपालतन्त्रपञ्जिका
- श्रीबुद्धकपालसाधनानाम
- सर्वभूतबलिबिद्धि
- श्रीबुद्धकपालमण्डलबिद्धिक्रम प्रद्योत्ननामा
- दोहाकोषगीति
- दोहाकोषनाम चर्यागीति
- दोहाकोषोपदेशगीतिनाम
- कखस्यदोहनाम आदि।
Important Pointsस्वयंभू-
- जन्म-783 ई.
- जैन परंपरा का प्रथम कवि है।
- रचनाएँ-
- पउम चरिउ
- रिट् ठेमणि चरिउ
- स्वयंभू छंद आदि।
- स्वयंभू को अपभ्रंश का वाल्मीकि और व्यास कहा जाता है।
- इन्होंने अपनी भाषा को देशी भाषा कहा है।
गोरखनाथ-
- यह मत्स्येंद्रनाथ के शिष्य थे।
- इनका समय राहुल सांकृत्यायन के अनुसार 845 ई. है।
- डॉ. पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल ने गोरख के 14 ग्रंथों को प्रमाणिक मानकर उनका सम्पादन 'गोरखबानी' के नाम से किया।
- वे ग्रंथ हैं -
- शब्द
- पद
- शिष्या दर्शन
- प्राणसंकली
- आत्मबोध
- पंचमात्र आदि।
- इनके द्वारा लिखित संस्कृत ग्रंथ हैं-
- शक्ति संगम तंत्र
- गोरक्ष शतक
- योगसिद्धांत पद्धति
- योग चिंतामणि आदि।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 2:
बिन्द ललाट प्रसेद, कर्यौ संकर गजरांज।
अैरा पति धरि नाम, दियौ चढ़नै सुरराजं।।
उपर्युक्त पंक्तियाँ किस रचना से संबंधित है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर है- पृथ्वीराज रासो
Key Pointsपृथ्वीराज रासो-
- रचनाकार-चंदबरदाई
- रचनाकाल- 12 वीं शती
- काव्य रूप- प्रबंध
- मुख्य-
- यह रासो काव्य है।
- इसमें पृथ्वीराज चौहान के शौर्य और वीरता के साथ-साथ संयोगिता के साथ उनके प्रेम प्रसंग को भी चित्रित किया गया है।
- इसमें 69 समय(सर्ग) है।
- 68 प्रकार के छंदों का इसमें प्रयोग किया गया है।
- इसके उत्तरार्द्ध को चंदबरदाई के पुत्र जल्हण ने रचा था।
Important Pointsपद्मावत-
- रचनाकार-जायसी
- समय-1520 ई.
- भाषा-अवधी
- प्रयुक्त छंद-दोहा-चौपाई
- विषय-
- इसमें लौकिक प्रेम के माध्यम से अलौकिक प्रेम को दर्शाया गया है।
- विरह परक प्रेमाख्यान काव्य है।
- इसमें 57 खंड है।
- नागमती वियोग खंड इसका सबसे प्रसिद्ध खंड है।
सूरसागर-
- सूरसागर में भ्रमरगीत की योजना की गयी है।
- हिंदी में भ्रमरगीत काव्य परम्परा की शुरुआत सूरदास सूरदास ने की।
- शुक्ल जी ने इसे 'उपालम्भ काव्य' व 'ध्वनि काव्य' कहा है।
- भ्रमरगीत सार की रचना 1535 ई. में हुई थी।
Additional Informationसूरदास-
- जन्म - 1478-1583 ई.
- भक्तिकाल के मुख्य कवि रहे है।
- वल्लभाचार्य के शिष्य थे।
- मुख्य रचनाएँ-
- सूरसागर
- सूरसारावली
- साहित्य लहरी आदि।
कबीरदास-
- जन्म-1398-1518 ई.
- गुरु-रामानंद
- इनसे कबीर ने राम नाम ग्रहण किया था।
- ये सिकंदर लोदी के समकालीन थे।
- कबीर की वाणी का सनगढ़ उनके शिष्य धर्मदास ने 'बीजक'(1464 ई.) में किया।
- बीजक के 3 भाग हैं-
- रमैनी,सबद और साखी।
- भाषा-सधुक्कड़ी,पंचमेल खिचड़ी।
- हजारीप्रसाद द्विवेदी में इन्हें 'वाणी का डिक्टैटर' कहा है।
जायसी-
- जन्म-1446-1542 ई.
- भक्तिकाल की सूफी काव्यधारा के मुख्य कवि है।
- रचनाएँ-
- अखरावट
- आखिरी कलाम
- कहरनामा
- चित्ररेखा
- कान्हावत आदि।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 3:
"देसिल बअना सब जन मिट्ठा ते तैसन जपओ अवहठI।" यह किसका प्रसिद्ध कथन है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution
“देसिल बअना सब जन मिट्ठा। तें तैसन जंपओं अवहट्ठा।” यह प्रसिद्ध कथन है - विद्यापति
- पंक्ति का अर्थ -
- अपने देश या अपनी भाषा सबको मीठी लगती है।
- यही जानकर मैंने इसकी रचना की है।
Key Pointsविद्यापति-
- विद्यापति बिहार प्रान्त के दरभंगा जिले के 'विपसी' नामक गाँव के निवासी थे।
- विद्यापति शैव संप्रदाय के कवि थे।
- विद्यापति राजा शिवसिंह और कीर्ति सिंह के राजदरबारी कवि थे।
- विद्यापति के गुरु का नाम पंडित हरि मिश्र था।
- प्रमुख रचनाएँ -
- कीर्तिलता
- गोरक्ष विजय
- शैव सर्वस्व सार
- गंगा वाक्यावली
- कीर्ति पताका
- भू परिक्रमा आदि।
Important Pointsस्वयंभू-
- जन्म-783 ई.
- जैन परंपरा का प्रथम कवि है।
- रचनाएँ-
- पउम चरिउ
- रिट् ठेमणि चरिउ
- स्वयंभू छंद आदि।
- स्वयंभू को अपभ्रंश का वाल्मीकि और व्यास कहा जाता है।
- इन्होंने अपनी भाषा को देशी भाषा कहा है।
सरहपा-
- जन्म-9 वीं शती
- सरहपा हिन्दी के पहले कवि माने जाते हैं।
- इन्होने मैथिलि, उड़ीया ,बंगाली में भी रचनाएँ की हैं।
- इनको बौद्ध धर्म की वज्रयान और सहजयान शाखा का प्रवर्तक तथा आदि सिद्ध माना जाता है।
- उनका मूल नाम ‘राहुलभद्र’ था और उनके ‘सरोजवज्र’, ‘शरोरुहवज्र’, ‘पद्म‘ तथा ‘पद्मवज्र’ नाम भी मिलते हैं।
- प्रमुख रचनाएँ-
- श्रीबुद्धकपालतन्त्रपञ्जिका
- श्रीबुद्धकपालसाधनानाम
- सर्वभूतबलिबिद्धि
- श्रीबुद्धकपालमण्डलबिद्धिक्रम प्रद्योत्ननामा
- दोहाकोषगीति
- दोहाकोषनाम चर्यागीति
- दोहाकोषोपदेशगीतिनाम
- कखस्यदोहनाम आदि।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 4:
"गोरी सोवै सेज पर मुख पर डारे केस" यह किसका प्रसिद्ध कथन है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution
"गोरी सोवै सेज पर मुख पर डारे केस" यह प्रसिद्ध कथन है- अमीर खुसरों
Key Pointsअमीर खुसरो-
- जन्म-1253-1325ई.
- अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।
- खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय अमीर खुसरो को ही जाता है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- किरान-उस-सादेन
- खालिकबारी
- मिफता-उल-फुतूह
- तुगलकनामा आदि।
Additional Informationविद्यापति-
- (1352–1448)
- मैथिली और संस्कृत कवि, संगीतकार, लेखक, दरबारी और राज पुरोहित थे।
- वह शिव के भक्त थे, लेकिन उन्होंने प्रेम गीत और भक्ति वैष्णव गीत भी लिखे।
- विद्यापति की रचनाएँ संस्कृत, अवहट्ट, एवं मैथिली तीनों में मिलती हैं।
- मुख्य रचनाएँ -
- कीर्तिलता,
- मणिमंजरा नाटिका,
- गंगावाक्यावली,
- भूपरिक्रमा आदि।
जगनिक-
- आदिकाल में रासो परंपरा के कवि है।
- रचना-परमाल रासो
- समय-13 वीं शती
- काव्य रूप-वीरगीत
- विषय-महोबा के राजा परमाल देव के दो वीरों आल्हा और ऊदल की वीरता का वर्णन है।
- परमाल रासो को 'आल्हा खंड' के नाम से भी जाना जाता है।
- यह गीत मुख्यतः बैसवाड़ा में गायें जाते है।
चन्दबरदाई-
- रचना-पृथ्वीराज रासो
- काव्य रूप-प्रबंध
- विषय-
- पृथ्वीराज चौहान के शौर्य और वीरता के अलावा,संयोगिता के साथ उनकी प्रेम-कहानी का भी सुंदर वर्णन है।
- 69 समय(सर्ग) है।
- 68 छंदों का प्रयोग किया गया है।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 5:
"बालचन्द विज्जावड भासा ।।
दुह नहि लग्गई दुज्जन हासा ।।"
पंक्तियाँ किस ग्रन्थ से उद्धृत हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution
उत्तर है- कीर्तिलता
Key Pointsकीर्तिलता-
- रचनाकार- विद्यापति
- भाषा- अवहट्ट
- विषय - राजा कीर्ति सिंह की वीरता व उदारता का चित्रण।
Important Pointsविद्यापति-
- जन्म- 1350 - 1450 ईo
- विद्यापति आदिकाल के कवि हैं।
- विद्यापति के गुरु का नाम पण्डित हरि मिश्र था ।
- विद्यापति तिरहुत के राजा शिव सिंह और कीर्ति सिंह के दरबारी कवि थे।
- भाषा की दृष्टि से विद्यापति द्वारा रचित ग्रन्थ निम्न हैं-
- संस्कृत-
- शैव सर्वस्व सार
- गंगा वाक्यावली
- भू परिक्रमा
- दान -वाक्यावली
- पुरुष परीक्षा
- अवहट्ट-
- कीर्तिलता
- कीर्ति पताका
- मैथिली-
- पदावली
- गोरक्ष विजय (नाटक)
Top आदिकाल पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
'सखी पिया को जो मैं न देखूं
कैसे काटूं अंधेरी रतिया'
किस कवि की काव्य पंक्तियां हैं-
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFसखी पिया को जो मैं न देखूं, कैसे काटूं अंधेरी रतिया... पंक्तियाँ अमीर खुसरो की लिखीं हुई हैं।
Key Points
- अमीर खुसरो हिन्दी खड़ी बोली, अरबी फ़ारसी के प्रसिद्ध विद्वान थे।
- आदिकाल के प्रमुख कवियों में इनको स्थान दिया है।
- आदिकाल में इनके अलावा: विद्यापति को भे प्रमुख स्थान मिला है।
Additional Information
- अमीर खुसरो
- अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।
- सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था।
- अमीर खुसरो को हिन्द का तोता कहा जाता है।
- अमीर खुसरो की पहेलियाँ :-
- तरवर से इक तिरिया उतरी उसने बहुत रिझाया
- बाप का उससे नाम जो पूछा आधा नाम बताया
- आधा नाम पिता पर प्यारा बूझ पहेली मोरी
- अमीर ख़ुसरो यूँ कहेम अपना नाम नबोली
- उत्तर :- निम्बोली
- फ़ारसी बोली आईना,
- तुर्की सोच न पाईना
- हिन्दी बोलते आरसी,
- आए मुँह देखे जो उसे बताए
- उत्तर :- दर्पण
- बीसों का सर काट लिया
- ना मारा ना ख़ून किया
- उत्तर :- नाखून
- एक गुनी ने ये गुन कीना, हरियल पिंजरे में दे दीना।
- देखो जादूगर का कमाल, डारे हरा निकाले लाल।।
- उत्तर :- पान
- एक परख है सुंदर मूरत, जो देखे वो उसी की सूरत।
- फिक्र पहेली पायी ना, बोझन लागा आयी ना।।
- उत्तर :- आईना
- बाला था जब सबको भाया, बड़ा हुआ कुछ काम न आया।
- खुसरो कह दिया उसका नाँव, अर्थ कहो नहीं छाड़ो गाँव।।
- उत्तर :- दिया
- घूम घुमेला लहँगा पहिने,
- एक पाँव से रहे खड़ी
- आठ हात हैं उस नारी के,
- सूरत उसकी लगे परी ।
- सब कोई उसकी चाह करे है,
- मुसलमान हिन्दू छत्री ।
- खुसरो ने यह कही पहेली,
- दिल में अपने सोच जरी ।
- उत्तर :- छतरी
- खडा भी लोटा पडा पडा भी लोटा।
- है बैठा और कहे हैं लोटा।
- खुसरो कहे समझ का टोटा॥
- उत्तर :- लोटा
- घूस घुमेला लहँगा पहिने, एक पाँव से रहे खडी।
- आठ हाथ हैं उस नारी के, सूरत उसकी लगे परी।
- सब कोई उसकी चाह करे, मुसलमान, हिंदू छतरी।
- खुसरो ने यही कही पहेली, दिल में अपने सोच जरी।
- उत्तर :- छतरी
- आदि कटे से सबको पारे। मध्य कटे से सबको मारे।
- अन्त कटे से सबको मीठा। खुसरो वाको ऑंखो दीठा॥
- उत्तर :- काजल
'सखि। पिया को जो मैं न देखूँ,
तो कैसे काटूँ अंधेरी रितयॉं।'
उपर्युक्त काव्य पंक्तियाँ किस कवि की हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प 3 है।
- यह पंक्तियां अमीर खुसरो की हैं।
- अमीर खुसरो आदिकाल के कवि हैं।
- खड़ी बोली के आदि कवि
- गुरु - निजामुद्दीन औलिया
- बृज भाषा, खड़ी बोली आदि में रचना
- वास्तविक नाम ए अबुल हसन
- प्रमुख रचनाएं -
- खालिकबारी
- दो सुखने
- ग़ज़ल
- पहेलियां, मुकरियां आदि
- महत्वपूर्ण पंक्ति - "मैं हिंदुस्तान की तूती हूं, अगर तुम वास्तव में मुझसे कुछ पूछना चाहते हो तो हिंदवी में पूछो जिसमें की मैं कुछ अद्भुत बातें बता सकूं।"
गोरी सौबे सेज पर, मुख पर डारै केस।
चल खुसरो घर आपने, रैन भई चहुं देस।।
उपर्युक्त दोहा अमीर खुसरो ने किस संदर्भ में कहा है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFगोरी सौबे सेज पर, मुख पर डारै केस।चल खुसरो घर आपने, रैन भई चहुं देस।।-यह दोहा अमीर खुसरो ने हजरत निजामुद्दीन औलिया की मृत्यु पर कहा है|
Key Points
- यह दोहा अमीर खुसरो ने अपने गुरु निजाम की मृत्यु पर बोला था,जिसमे उन्हें काल का ज्ञान भी हुआ और गुरु की मृत्यु की पीड़ा भी महसूस हुई।
- अमीर खुसरो(1253-1325ई.)-आदिकाल के खड़ी बोली के महत्त्वपूर्ण कवि रहे है।
Important Points
- खुसरो द्वारा रचित ग्रन्थों की संख्या 100 बताई जाती हैं जिनमें महत्त्वपूर्ण हैं-खालिक बारी, पहेलियाँ, मुकरिया,दो सूखने,ग़ज़ल आदि।
- खुसरो की पहेलियों और मुकरियों में 'उक्तिवैचित्र्य' की प्रधानता है।
Additional Information
- दोहा अर्थ- खुसरो अपने प्रियतम की मृत्यु-शय्या पर बैठ कर बोले मेरे निजाम ऐसे लग रहे हैं जैसे कोई गोरी सुख की सेज पर अपने मुख पर केस राशि डालें सो रही हो अर्थात उनका अपने प्रियतम से मिलन हो गया है। इस दशा को देखकर स्वयं को कहते हैं,खुसरो वह अपना भी अपने प्रियतम के घर चलने का समय आ गया है। बहुत रात हो गई है। इस संसार में बहुत समय बीत गया है,अब चलने का समय है।
- 'सोवे सेज' में अनुप्रास अलंकार है।
- दोहा छंद व प्रसाद गुण प्रयुक्त हुआ है।
'गोरी सोवै सेज पर, मुख पर डारै केस' पंक्ति किसके द्वारा रचित है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF- अमीर खुसरो की ही उपयुक्त पहेली है। अतः सभी विकल्पों में से विकल्प (1) अमीर सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- अमीर खुसरो
- अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।
- सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था।
- अमीर खुसरो को हिन्द का तोता कहा जाता है।
- अमीर खुसरो की पहेलियाँ :-
- तरवर से इक तिरिया उतरी उसने बहुत रिझाया
- बाप का उससे नाम जो पूछा आधा नाम बताया
- आधा नाम पिता पर प्यारा बूझ पहेली मोरी
- अमीर ख़ुसरो यूँ कहेम अपना नाम नबोली
- उत्तर :- निम्बोली
- फ़ारसी बोली आईना,
- तुर्की सोच न पाईना
- हिन्दी बोलते आरसी,
- आए मुँह देखे जो उसे बताए
- उत्तर :- दर्पण
- बीसों का सर काट लिया
- ना मारा ना ख़ून किया
- उत्तर :- नाखून
- एक गुनी ने ये गुन कीना, हरियल पिंजरे में दे दीना।
- देखो जादूगर का कमाल, डारे हरा निकाले लाल।।
- उत्तर :- पान
- एक परख है सुंदर मूरत, जो देखे वो उसी की सूरत।
- फिक्र पहेली पायी ना, बोझन लागा आयी ना।।
- उत्तर :- आईना
- बाला था जब सबको भाया, बड़ा हुआ कुछ काम न आया।
- खुसरो कह दिया उसका नाँव, अर्थ कहो नहीं छाड़ो गाँव।।
- उत्तर :- दिया
- घूम घुमेला लहँगा पहिने,
- एक पाँव से रहे खड़ी
- आठ हात हैं उस नारी के,
- सूरत उसकी लगे परी ।
- सब कोई उसकी चाह करे है,
- मुसलमान हिन्दू छत्री ।
- खुसरो ने यह कही पहेली,
- दिल में अपने सोच जरी ।
- उत्तर :- छतरी
- खडा भी लोटा पडा पडा भी लोटा।
- है बैठा और कहे हैं लोटा।
- खुसरो कहे समझ का टोटा॥
- उत्तर :- लोटा
- घूस घुमेला लहँगा पहिने, एक पाँव से रहे खडी।
- आठ हाथ हैं उस नारी के, सूरत उसकी लगे परी।
- सब कोई उसकी चाह करे, मुसलमान, हिंदू छतरी।
- खुसरो ने यही कही पहेली, दिल में अपने सोच जरी।
- उत्तर :- छतरी
- आदि कटे से सबको पारे। मध्य कटे से सबको मारे।
- अन्त कटे से सबको मीठा। खुसरो वाको ऑंखो दीठा॥
- उत्तर :- काजल
'नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुड़िया छई।
छोइ जाइ सो बाह्य नाड़िया।।'
उपर्युक्त काव्य पंक्तियांँ किसकी हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF'नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुड़िया छई।छोइ जाइ सो बाह्य नाड़िया।।'यह काव्य पंक्तियांँ कण्हपा की हैं।
Key Points
- कण्हपा का जन्म सन 820ई. माना जाता है।
- ये जलंधरपा के शिष्य थे।
- राहुल सांकृत्यायन-"कण्हपा पांडित्य और कवित्त्व में बेजोड़ थे."
Important Points
- सरहपा को सरोजवज्र,राहुल भद्र आदि नामों से भी जाना जाता है।
- राहुल सांकृत्यायन ने इनका समय 769ई. स्वीकार किया है।
- इनके 32 ग्रन्थ बताये जाते हैं, जिनमें 'दोहाकोश' प्रसिद्ध है।
- बच्चन सिंह-"आक्रोश की भाषा का पहला प्रयोग सरहपा में ही दिखाई देता है।"
- लुइपा का जन्म 773ई.है।
- ये शबरपा के शिष्य थे।
- सिद्ध साहित्य में इनका स्थान सबसे ऊंचा माना जाता है।
- डोम्भीपा(जन्म 840ई.) विरूपा के शिष्य थे।
- इनके 21 ग्रन्थ बताये जाते है,जिनमें डोम्बि-गीतिका,योगचर्या,अक्षरद्विकोपदेश प्रसिद्ध हैं।
Additional Information
- सरहपा-"पंडिअ सअल सत्त बक्खाणई"
- लुइपा-"काआ तरुवर पंच विडाल"
कि आरे ! नव जौवन अभिरामा।
जत देखल तत कहए न पारिअ, छओ अनुपम एक ठामा।।
उक्त काव्य-पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि वह -
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्ति में कवि कहना चाहते हैं कि वह रूप वर्णन करने में असमर्थ हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "रूप वर्णन करने में असमर्थ है" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- उपर्युक्त पंक्ति में कवि रूप वर्णन करने में असमर्थ हैं।
- यह पंक्तियां महाकवि विद्यापति की है।
- यह पद नखशिख वर्णन का है।
- नखशिख का अर्थ हुआ नीचे पैर के अंगूठे के नाखून से लेकर ऊपर शिखर तक के अंग-प्रत्यंग का सौन्दर्य वर्णन।
- विद्यापति भारतीय साहित्य की 'शृंगार-परम्परा' के साथ-साथ 'भक्ति-परम्परा' के प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं।
- इनके काव्यों में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है।
- इन्हें वैष्णव , शैव और शाक्त भक्ति के सेतु के रूप में भी स्वीकार किया गया है।
- मिथिला के लोगों को 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा' का सूत्र दे कर इन्होंने उत्तरी-बिहार में लोकभाषा की जनचेतना को जीवित करने का महान् प्रयास किया है।
- विद्यापति की कृतियाँ :-
- संस्कृत में
- भूपरिक्रमा ,पुरुषपरीक्षा ,लिखनावली, विभागसार ,शैवसर्वस्वसार, दानवाक्यावली, गंगावाक्यावली,दुर्गाभक्तितरंगिणी, गयापत्तलक, वर्षकृत्य, मणिमञ्जरी नाटक , गोरक्षविजय नाटक
- अवहट्ठ में
- कीर्तिलता
- कीर्तिपताका
- संस्कृत में
निम्नलिखित पंक्तियों को उनके रचयिताओं से सुमेलित कीजिए:
सूची – I |
सूची – II |
(a) नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुडिया छाइ |
(i) लूहिपा |
(b) काआ तरुवर पंच बिडाल |
(ii) कण्ह्पा |
(c) कडुवा बोल न बोलिस नारि |
(iii) खुसरो |
(d) मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल |
(iv) नरपति नाल्ह |
|
(v) सरहपा |
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "(a) - (ii), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (iii)" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
Important Points
- लुइपा (773 ई. लगभग) :- लुइपादगीतिका
- कण्हपा (820 ई. लगभग):- चर्याचर्यविनिश्चय। कण्हपादगीतिका
- अमीर खुसरो
- अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।
- सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था।
- अमीर खुसरो को हिन्द का तोता कहा जाता है।
- नरपतिनाल्ह
- नरपति नाल्ह पुरानी पश्चमी राजस्थानी की सुप्रसिद्ध रचना "वीसलदेव रासो" के कवि हैं।
- अजमेर शासक बीसलदेव के आश्रय में “बीसलदेव रासौ'' का सृजन वि. सं. 1212 में किया था।
निम्नलिखित काव्यपंक्तियो को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
|
सूची – I (काव्यपंक्तियाँ) |
|
सूची – II (रचनाकार) |
(a) |
पंडिअ सअल सत्त बक्खाणई I |
(i) |
कण्हपा |
(b) |
बारह बरिस लै कूकर जीएँ तो |
(ii) |
सरहपा |
(c) |
बड कौसल तूअ किनल कन्हाई |
(iii) |
जगनिक |
(d) |
जाती ओछा पाती ओछा ओछा |
(iv) |
विद्यापति |
|
|
(v) |
रैदास |
निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प 1 है।
Key Points
सूची – I (काव्यपंक्तियाँ) |
|
सूची – II (रचनाकार) |
|
(a) |
पंडिअ सअल सत्त बक्खाणई I |
(ii) |
सरहपा |
(b) |
बारह बरिस लै कूकर जीएँ तो |
(iii) |
जगनिक |
(c) |
बड कौसल तूअ किनल कन्हाई |
(iv) |
विद्यापति |
(d) |
जाती ओछा पाती ओछा ओछा |
(v) |
रैदास |
|
|
(i) |
कण्हपा |
Important Points
- सरहपा और कण्हपा 84 सिद्धों में से हैं। ये आदिकाल के अंतर्गत आते हैं।
- विद्यापति भी आदिकाल के कवि हैं। इन्हें श्रृंगारिक कवि माना जाता है। उन्होंने भक्ति पद भी लिखे हैं
- मैथिली, संस्कृत और अवहट्ट में रचना की है।
Additional Information
- विद्यापति की रचनाएं -
कीर्तिलता, कीर्तिपताका, पुरुष परीक्षा, भू परिक्रमा, गोरक्ष विजय
- रैदास - भक्तिकाल की निर्गुण शाखा के ज्ञान मार्गी कवि।
"जय-जय शकंर जय त्रिपुरारि। जय अध पुरुष जयति अध नारी।
आध धवल तनु आधा गोरा। आध सहज कुच आधा कटोरा।"
ये पंक्तियाँ कहाँ से आई है?
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आदिकाल पंक्तियाँ Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFजय-जय शकंर कर जय त्रिपुरारि.... पंक्तियाँ विद्यापति पदावली से ली गई है।
- विद्यापति पदावली आदिकाल के प्रमुख कवि 'विद्यापति' द्वारा रचित है।
Key Points
- विद्यापति भारतीय साहित्य की 'शृंगार-परम्परा' के साथ-साथ 'भक्ति-परम्परा' के प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं।
- इनके काव्यों में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है।
- इन्हें वैष्णव , शैव और शाक्त भक्ति के सेतु के रूप में भी स्वीकार किया गया है।
- मिथिला के लोगों को 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा' का सूत्र दे कर इन्होंने उत्तरी-बिहार में लोकभाषा की जनचेतना को जीवित करने का महान् प्रयास किया है।
Important Points
- विद्यापति की कृतियाँ :-
- संस्कृत में
- भूपरिक्रमा ,पुरुषपरीक्षा ,लिखनावली , विभागसार ,शैवसर्वस्वसार, दानवाक्यावली, गंगावाक्यावली,दुर्गाभक्तितरंगिणी, गयापत्तलक, वर्षकृत्य, मणिमञ्जरी नाटक , गोरक्षविजय नाटक
- अवहट्ठ में
- कीर्तिलता
- कीर्तिपताका
Additional Information
- नागमती वियोग : पद्मावत (जायसी)
- कवितावली : तुलसीदास
- पृथ्वीराज रासो : चन्द्रवरदाई
'पुस्तक जल्हण हाथ दै चलि गज्जन नूप काज' यह पंक्ति किस कवि से संबंधित है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF- 'पुस्तक जल्हण हाथ दै चलि गज्जन नूप काज' यह पंक्ति 'चन्दवरदाई' कवि से संबंधित है।
- यह पंक्तियाँ पृथ्वी राज रासो में लिखी हुई है।
- इसका अर्थ अहि की मै अपनी पुस्तक अपने पुत्र जल्हण को देकर जा रहा हूँ जो आगे रचना करेगा।
Key Points
- पृथ्वीराज रासो की रचना चंद्रवरदाई ने की है।
- इसकी रचना 12 वीं शताब्दी में हुई थी।
- पृथ्वीराज रासो में 69 सर्ग हैं|
- पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा एक महाकाव्य है जिसमें पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है। इसके रचयिता चंदबरदाई पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे और उनकी युद्ध यात्राओं के समय वीर रस की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे।
Additional Information
चंदबरदाई
- जन्म: 1148 ई० लाहौर वर्तमान पाकिस्तान में
- मृत्यु: 1192 ई० गज़नी में
- पृथ्वीराज रासो हिंदी का सबसे बड़ा काव्य-ग्रंथ है। इसमें 10,000 से अधिक छंद हैं और तत्कालीन प्रचलित 6 भाषाओं का प्रयोग किया गया है।