आदिकाल पंक्तियाँ MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for आदिकाल पंक्तियाँ - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்
Last updated on Mar 17, 2025
Latest आदिकाल पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
Top आदिकाल पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
आदिकाल पंक्तियाँ Question 1:
निम्नलिखित पंक्तियों को उनके रचयिताओं से सुमेलित कीजिए:
सूची – I |
सूची – II |
(a) नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुडिया छाइ |
(i) लूहिपा |
(b) काआ तरुवर पंच बिडाल |
(ii) कण्ह्पा |
(c) कडुवा बोल न बोलिस नारि |
(iii) खुसरो |
(d) मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल |
(iv) नरपति नाल्ह |
|
(v) सरहपा |
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "(a) - (ii), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (iii)" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
Important Points
- लुइपा (773 ई. लगभग) :- लुइपादगीतिका
- कण्हपा (820 ई. लगभग):- चर्याचर्यविनिश्चय। कण्हपादगीतिका
- अमीर खुसरो
- अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।
- सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था।
- अमीर खुसरो को हिन्द का तोता कहा जाता है।
- नरपतिनाल्ह
- नरपति नाल्ह पुरानी पश्चमी राजस्थानी की सुप्रसिद्ध रचना "वीसलदेव रासो" के कवि हैं।
- अजमेर शासक बीसलदेव के आश्रय में “बीसलदेव रासौ'' का सृजन वि. सं. 1212 में किया था।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 2:
'सखी पिया को जो मैं न देखूं
कैसे काटूं अंधेरी रतिया'
किस कवि की काव्य पंक्तियां हैं-
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution
सखी पिया को जो मैं न देखूं, कैसे काटूं अंधेरी रतिया... पंक्तियाँ अमीर खुसरो की लिखीं हुई हैं।
Key Points
- अमीर खुसरो हिन्दी खड़ी बोली, अरबी फ़ारसी के प्रसिद्ध विद्वान थे।
- आदिकाल के प्रमुख कवियों में इनको स्थान दिया है।
- आदिकाल में इनके अलावा: विद्यापति को भे प्रमुख स्थान मिला है।
Additional Information
- अमीर खुसरो
- अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।
- सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था।
- अमीर खुसरो को हिन्द का तोता कहा जाता है।
- अमीर खुसरो की पहेलियाँ :-
- तरवर से इक तिरिया उतरी उसने बहुत रिझाया
- बाप का उससे नाम जो पूछा आधा नाम बताया
- आधा नाम पिता पर प्यारा बूझ पहेली मोरी
- अमीर ख़ुसरो यूँ कहेम अपना नाम नबोली
- उत्तर :- निम्बोली
- फ़ारसी बोली आईना,
- तुर्की सोच न पाईना
- हिन्दी बोलते आरसी,
- आए मुँह देखे जो उसे बताए
- उत्तर :- दर्पण
- बीसों का सर काट लिया
- ना मारा ना ख़ून किया
- उत्तर :- नाखून
- एक गुनी ने ये गुन कीना, हरियल पिंजरे में दे दीना।
- देखो जादूगर का कमाल, डारे हरा निकाले लाल।।
- उत्तर :- पान
- एक परख है सुंदर मूरत, जो देखे वो उसी की सूरत।
- फिक्र पहेली पायी ना, बोझन लागा आयी ना।।
- उत्तर :- आईना
- बाला था जब सबको भाया, बड़ा हुआ कुछ काम न आया।
- खुसरो कह दिया उसका नाँव, अर्थ कहो नहीं छाड़ो गाँव।।
- उत्तर :- दिया
- घूम घुमेला लहँगा पहिने,
- एक पाँव से रहे खड़ी
- आठ हात हैं उस नारी के,
- सूरत उसकी लगे परी ।
- सब कोई उसकी चाह करे है,
- मुसलमान हिन्दू छत्री ।
- खुसरो ने यह कही पहेली,
- दिल में अपने सोच जरी ।
- उत्तर :- छतरी
- खडा भी लोटा पडा पडा भी लोटा।
- है बैठा और कहे हैं लोटा।
- खुसरो कहे समझ का टोटा॥
- उत्तर :- लोटा
- घूस घुमेला लहँगा पहिने, एक पाँव से रहे खडी।
- आठ हाथ हैं उस नारी के, सूरत उसकी लगे परी।
- सब कोई उसकी चाह करे, मुसलमान, हिंदू छतरी।
- खुसरो ने यही कही पहेली, दिल में अपने सोच जरी।
- उत्तर :- छतरी
- आदि कटे से सबको पारे। मध्य कटे से सबको मारे।
- अन्त कटे से सबको मीठा। खुसरो वाको ऑंखो दीठा॥
- उत्तर :- काजल
आदिकाल पंक्तियाँ Question 3:
“पहली ताव न अनुहरइ गोरी मुहकमलस्स।
अद्दिट्ठी पुनि उन्नमइ पडिपयली चंदस्स॥"
प्रस्तुत काव्य पंक्ति किस कवि की है ?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution
- समय - (1085 - 1172 ई.)
- उपाधि - प्राकृत का पाणिनि कलिकाल का सर्वज्ञ।
- मुख्य - अपने समय के प्रसिद्ध जैनाचार्य थे।
- गुजरात के सिद्ध राजा जय सिंह के आश्रय में थे।
- संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश तीनों भाषाओं में इन्होंने अपनी रचनाएं लिखी।
- सिद्ध हेमचंद्र शब्दानुशासन
- कुमारपाल चरित्र
- देशीनाममाला
- छंदानुशासन
- योगशास्त्र
- दयाश्रय काव्य
- इसमें संस्कृत,प्राकृत और अपभ्रशं के उदाहरण के रूप में समावेश किया गया।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 4:
"गोरी सुन्दर पातली, केसर काले रंग।
ग्यारह देवर छोड़ के, चली जेठ के संग।।"
इस पहेली का सही उत्तर है-
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution
इस पहेली का सही उत्तर अरहर है।
- यह पंक्तियाँ खड़ी बोली के कवि अमीर खुसरो की है।
Key Pointsअमीर खुसरो-
- जन्म-1253-1325ई.
- अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो चौदहवीं सदी के प्रसिद्ध कवि थे।
- यह प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- खालिकबारी
- खुसरो की पहेलियाँ
- मुकरियां
- श्रृंगारी
- दो सूखने आदि।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 5:
"जनम अवधि हम रूप निहारल
नयन न तिरपित भेल l"
इन काव्य - पंक्तियों के रचयिता हैं
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution
"जनम अबधि हम रूप निहारल नयन न तिरपित भेल" पंक्ति विद्यापति की है।
विद्यापति को मैथिल का कोकिल कहा जाता है।
उपर्युक्त पंक्ति का हिंदी अनुवाद बाबा नागार्जुन ने जानकी पुल नामक कविता में किया है।
विद्यापति
- 'कीर्तिलता' और 'कीर्तिपताका' इनकी अवहट्ट रचनाएँ हैं।
- जिनमें इनके आश्रयदाता कीर्ति सिंह की वीरता, उदारता और गुण ग्राहकता का वर्णन कीर्ति कीर्तन किया है।
- कीर्तिलता विद्यापति की ऐतिहासिक रचना है।
- कीर्तिलता को विद्यापति ने कहाणी कहा है।
गोस्वामी हितहरिवंश
- राधावल्लभ सम्प्रदाय के प्रवर्तक एवं भक्त कवि थे।
- रचनाएँ-
- राधासुधानिधि :- संस्कृत भाषा में राधाप्रशस्ति
- स्फुट पदावली :- ब्रजभाषा में
- हित चौरासी :- ब्रजभाषा में
रसखान (1548)
- वे विट्ठलनाथ के शिष्य थे एवं वल्लभ संप्रदाय के सदस्य थे।
- कृष्ण के निर्गुण और सगुण उपासक।
- रसखान को 'रस की खान' कहा गया है।
मीरा
- रैदास की शिष्या है।
- इनकी रचनाएँ मीरा की पदावली नाम से है।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 6:
"मनहुं कला ससभान कला सोलह सौ बन्निय" किस रासो ग्रंथ की पंक्ति हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution
"मनहुं कला ससभान कला सोलह सौ बन्निय"- पृथ्वीराज रासो ग्रंथ की पंक्ति है
Key Pointsपृथ्वीराज रासो-
- रचनाकार-
- चंदबरदाई
- काव्य रूप-
- प्रबंध
- रचनाकाल-12वीं शती
- सर्ग-
- 69 समय(खंड)
- छंद-
- 68 प्रकार के छंदों का प्रयोग किया गया हैं।
- विषय-
- पृथ्वीराज चौहान के शौर्य और वीरता के अलावा,संयोगिता के साथ उनकी प्रेम-कहानी का भी सुंदर वर्णन किया गया है।
- इसका 'कयमास' नामक खंड बहुत प्रसिद्ध है।
- रामचन्द्र शुक्ल-
- "ये हिंदी के प्रथम महाकवि माने जाते हैं और इनका 'पृथ्वीराज रासो' हिंदी का प्रथम महाकाव्य है।"
- बच्चन सिंह-
- "यह एक राजनीतिक महाकाव्य है,दूसरे शब्दों में राजनीति की महाकाव्यात्मक त्रासदी है।"
Important Pointsनरपति नाल्ह-
- हिन्दी साहित्य के आदिकालीन कवि है।
- रचना-बीसलदेव रासो
- रचनाकाल-12 वीं शती
- काव्य रूप- वीरगीत
- मुख्य-
- यह एक विरहपरक संदेश काव्य है।
- इसमें अजमेर के राजा चौहान बीसलदेव तथा राजा भोज की पुत्री राजमती के विवाह, वियोग और पुनर्मिलन की कथा वर्णित है।
- हिंदी में सर्वप्रथम बारहमासा का उल्लेख इसी काव्य में मिलता है।
जगनिक-
- आदिकाल में रासो परंपरा के कवि है।
- रचना-परमाल रासो
- समय-13 वीं शती
- काव्य रूप-वीरगीत
- विषय-महोबा के राजा परमाल देव के दो वीरों आल्हा और ऊदल की वीरता का वर्णन है।
- परमाल रासो को 'आल्हा खंड' के नाम से भी जाना जाता है।
- यह गीत मुख्यतः बैसवाड़ा में गायें जाते है।
दलपत विजय -
- रचनाकार- खुमान रासो
- रचनाकाल- 9 वीं शती
- काव्य रूप- प्रबंध काव्य
- विषय-
- चित्तौड़ नरेश खुमाण की वीरता का वर्णन मिलता है।
- मेवाड़ के परवर्ती शासकों(महाराणा प्रताप सिंह, राज सिंह) का भी वर्णन है।
- यह 5000 छंदों का विशाल ग्रंथ है।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 7:
"आसा जीवै जग मरे, लोग मरे मरि जाइ।
सोइ मूवे धन संचते, सो उबरे जे खाइ ॥"
किस कवि की पंक्तियाँ हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution
"आसा जीवै जग मरे, लोग मरे मरि जाइ।
सोइ मूवे धन संचते, सो उबरे जे खाइ ॥"
यह कबीर की पंक्तियाँ हैं।
- जन्म - 1398 ई.
- जन्म स्थान - काशी में
- मृत्यु - 1518 ई. मगहर में हुई
- माता-पिता- नीरू और नीमा
- गुरु - रामानंद
- मुख्य - यह सिकंदर लोदी के समकालीन थे।
- उनके पुत्र कमाल - कमाली और पत्नी लोई थी।
- कबीर की वाणी का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास ने बीजक (1464 ई.) में संकलित किया।
- इसके तीन भाग है - साखी, सबद, रमैनी
- जग नश्वर मरता है परंतु आशा जीती रहती है, लोग मरकर फिर मरते चले जाते हैं।
- जो धन का अत्यधिक संग्रह करते हैं वह भी मारते हैं और जो कुछ समय के लिए बचे रह जाते हैं वह उसे धन को खाते - भोगते हैं।
- नगरशोभा
- बरवे नायिका भेद
- मदनाष्टक
- खेट कोतुक जातकम
- दोहावली
- रहीम काव्य
- श्रृंगार सोरठा
- रास पंचाध्यायी
- इनके गुरु ग्रंथ साहिब में 40 पद संग्रहित है।
- रैदास की वाणी
- गरीब ग्रंथ/ रत्न सागर
आदिकाल पंक्तियाँ Question 8:
एक नार नौरंगी चंगी। वह भी नार कहावे।।
भांति-भांति के कपड़े पहिने। लोगों को तरसावे।।
इस पहेली का उत्तर बताएं?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution
एक नार नौरंगी चंगी। वह भी नार कहावे।।
भांति-भांति के कपड़े पहिने। लोगों को तरसावे।।
इस पहेली का उत्तर है-बदली
Key Pointsअमीर खुसरो-
- जन्म-1255-1325 ई.
- नाम-अबुल हसन
- गुरु-निज़ामुद्दीन औलिया
- खड़ी बोली हिंदी के प्रथम कवि माने जाते है।
- रचनाएँ-
- खालिक बारी
- पहेलियाँ
- मुकरियाँ
- दो सुखने
- गज़ल आदि।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 9:
"हिंदुआन-थान उत्तम सुदेस। तहँ उदित द्रुग्ग दिल्ली सुदेस" प्रस्तुत पंक्ति का संबंध किस रासो ग्रंथ से है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution
"हिंदुआन-थान उत्तम सुदेस। तहँ उदित द्रुग्ग दिल्ली सुदेस" प्रस्तुत पंक्ति का संबंध पृथ्वीराज़ रासो रासो ग्रंथ से है।
Key Pointsपृथ्वीराज रासो -
- लेखक - चंदबरदाई
- अध्याय - 69 समय / सर्ग
- भाषा - डिंगल
- 68 छंदों का प्रयोग
- हिन्दी भाषा में लिखा प्रथम महाकाव्य है।
- सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है।
'पृथ्वीराज रासो' की की प्रमाणिकता-अप्रमाणिकता में विद्वानों के मत -
प्रामाणिक | अप्रामाणिक | अर्ध प्रामाणिक |
श्याम सुंदर दास | आचार्य रामचंद्र शुक्ल | मुनिजन विजय |
मिश्र बन्धु | देवी प्रसाद | आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी |
मोहनलाल विष्णु लाल पांड्या | कविराज शयामलदास | डॉ सुनीति कुमार चटर्जी |
कर्नल टाड | गौरी शंकर हीराचंद ओझा | डॉ दशरथ ओझा |
- | बुल्हर | - |
- | मुरारिदान | - |
Important Pointsबीसलदेव रासो -
- लेखक - नरपति नाल्ह
- अध्याय - 4 खण्ड
- प्रथम खंड - मालवा के परमार भोज की पुत्री राजमती से शाकम्भरी-नरेश बीसलदेव के विवाह का वर्णन है।
- द्वितीय खंड- बीसलदेव का राजमती से रूठकर उड़ीसा जाना।
- तृतीय खंड -राजमती का विरह वेदना का वर्णन
- चतुर्थ खंड - भोजराज द्वारा अपनी पुत्री को वापस ले आना, बीसलदेव का वहा से वापिस चितौड़ लाने का प्रसंग है।
- काव्यरूप - वीरगीत
हम्मीर रासो -
- लेखक - शार्ङ्गधर
खुम्माण रासो -
- लेखक - दलपति विजय
- खुमान रासो नवीं शताब्दी की रचना मानी जाती है।
- इसमें नवीं शती के चित्तौड़ नरेश खुमाण के युद्धों का चित्रण है।
- वीर रस के साथ-साथ शृंगार रस की भी प्रधानता है।
- इसमें दोहा, सवैया, कवित्त आदि छंद प्रयुक्त हुए है
- इसकी भाषा राजस्थानी हिंदी है।
आदिकाल पंक्तियाँ Question 10:
“संदेसडउ सवित्थरउ पइ मइ कहनु न जाइ।
जे कालांगुलि मृंदडऊ सो बाँहडी समाइ।’’
इन काव्य पंक्तियों के रचनाकार हैंAnswer (Detailed Solution Below)
आदिकाल पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्ति 'अद्दहमाण'(अब्दुल रहमान) द्वारा रचित है।
Key Points
- इन्होने 'संदेश रासक'(11-12वीं सदी) नामक खंडकाव्य की रचना की।
- यह मध्यकालीन शृंगारी परंपरा पर लिखे विरह साहित्य का प्रतिनिधि काव्य है।
- इसके तीन काव्यखंड है।
- अन्य पंक्तियाँ:
-
सुरहि गंधु रमणीउ सरउ इम बोलियउ।
पावासुय अइधिट्ठि ण वलि घरु संभरिउ॥
Additional Informationअन्य कवि :-
कवि | जानकारी |
विमलसूरि |
|
हेमचन्द्र(1088 ई.) |
|
दामोदर शर्मा |
|