आदिकाल पंक्तियाँ MCQ Quiz in తెలుగు - Objective Question with Answer for आदिकाल पंक्तियाँ - ముఫ్త్ [PDF] డౌన్‌లోడ్ కరెన్

Last updated on Mar 21, 2025

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Latest आदिकाल पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

Top आदिकाल पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

आदिकाल पंक्तियाँ Question 1:

गोरी सोवै सेज पर, मुख पर डारे केस।

चल खुसरो घर आपने, रैन भई चहुँ देस।।

अमीर खुसरो ने किसके देहांत पर यह दोहा कहा था?

  1. निज़ामुद्दीन औलिया
  2. मुईनुद्दीन चिश्ती
  3. शेख फरीद
  4. बुल्ले शाह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : निज़ामुद्दीन औलिया

आदिकाल पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution

गोरी सोवै सेज पर, मुख पर डारे केस। चल खुसरो घर आपने, रैन भई चहुँ देस।। अमीर खुसरो ने निज़ामुद्दीन औलिया के देहांत पर यह दोहा कहा था। 

निज़ामुद्दीन औलिया-

  • जन्म-1238-1325 ई.
  • पुरा नाम-हज़रत ख्वाज़ा निज़ामुद्दीन औलिया
  • चिश्ती सम्प्रदाय के चौथे संत थे।
  • सूफी कवि थे। 
  • गुरु-बाबा फ़रीद  
  • शिष्य-अमीर खुसरो 
  • इस्लामी कैलेण्डर के अनुसार प्रति वर्ष चौथे महीने की 17वीं तारीख़ को उनकी याद में उनकी दरगाह पर एक मेला लगता है जिसमें हिंदू और मुसलमान दोनों भाग लेते हैं।

Key Pointsपंक्तियों का अर्थ-

  • ख़ुसरो कहते हैं कि आत्मा रूपी गोरी सेज पर सो रही है, उसने अपने मुख पर केश डाल लिए हैं, अर्थात वह दिखाई नहीं दे रही है।
  • तब ख़ुसरो ने मन में निश्चय किया कि अब चारों ओर अँधेरा हो गया है, रात्रि की व्याप्ति दिखाई दे रही है। 
  • अतः उसे भी अपने घर अर्थात परमात्मा के घर चलना चाहिए।

Important Pointsअमीर खुसरो-

  • जन्म-1255-1325 ई. 
  • नाम-अबुल हसन 
  • गुरु-निज़ामुद्दीन औलिया
  • खड़ी बोली हिंदी के प्रथम कवि माने जाते है। 
  • रचनाएँ-
    • खालिक बारी 
    • पहेलियाँ 
    • मुकरियाँ 
    • दो सुखने 
    • गज़ल आदि। 

Additional Informationमुईनुद्दीन चिश्ती-

  • जन्म-1143-1236 ई. 
  • पुरा नाम-ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती
  • चिश्ती संप्रदाय के प्रवर्तक है। 
  • भारत में सूफी काव्य के प्रवर्तक के रूप में जाने जाते है। 

शेख फरीद-

  • जन्म-1172 ई. 
  • पुरा नाम-फरीद मसऊद शकर गंज
  • गुरु ग्रंथ साहिब में इनकी वाणी संकलित है। 

बुल्ले शाह-

  • जन्म-1680 ई. 
  • जन्म नाम-अब्दुल्ला शाह
  • बुल्ले शाह ने पंजाबी में कविताएँ लिखीं जिन्हें "काफ़ियाँ" कहा जाता है।

आदिकाल पंक्तियाँ Question 2:

कि आरे ! नव जौवन अभिरामा।

जत देखल तत कहए न पारिअ, छओ अनुपम एक ठामा।।

उक्‍त काव्‍य-पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि वह -

  1. रूप - वर्णन करने मे संभ्रम की स्थिति में है।
  2. आंशिक रूप से रूप- वर्णन करने में समर्थ है।
  3. रूप - वर्णन करने में समर्थ है।
  4. रूप - वर्णन करने में असमर्थ है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : रूप - वर्णन करने में असमर्थ है।

आदिकाल पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution

उपर्युक्त पंक्ति में कवि कहना चाहते हैं कि वह रूप वर्णन करने में असमर्थ हैं अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "रूप वर्णन करने में असमर्थ है" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points
  • उपर्युक्त पंक्ति में कवि रूप वर्णन करने में असमर्थ हैं।
  • यह पंक्तियां महाकवि विद्यापति की है।
  • यह पद नखशि‍ख वर्णन का है। 
  • नखशि‍ख का अर्थ हुआ नीचे पैर के अंगूठे के नाखून से लेकर ऊपर शि‍खर तक के अंग-प्रत्‍यंग का सौन्‍दर्य वर्णन।
Additional Information
  • विद्यापति भारतीय साहित्य की 'शृंगार-परम्परा' के साथ-साथ 'भक्ति-परम्परा' के प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं। 
  • इनके काव्यों में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है।
  • इन्हें वैष्णव , शैव और शाक्त भक्ति के सेतु के रूप में भी स्वीकार किया गया है।
  • मिथिला के लोगों को 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा' का सूत्र दे कर इन्होंने उत्तरी-बिहार में लोकभाषा की जनचेतना को जीवित करने का महान् प्रयास किया है।
  • विद्यापति की कृतियाँ :-    
    • संस्कृत में    
      • भूपरिक्रमा ,पुरुषपरीक्षा ,लिखनावली, विभागसार ,शैवसर्वस्वसार, दानवाक्यावली, गंगावाक्यावली,दुर्गाभक्तितरंगिणी, गयापत्तलक, वर्षकृत्य, मणिमञ्जरी नाटक , गोरक्षविजय नाटक 
    • अवहट्ठ में    
      • कीर्तिलता 
      • कीर्तिपताका 

आदिकाल पंक्तियाँ Question 3:

निम्नलिखित पंक्तियों को उनके रचयिताओं से सुमेलित कीजिए:

सूची – I

सूची – II

(a) नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुडिया छाइ

(i) लूहिपा

(b) काआ तरुवर पंच बिडाल

(ii) कण्ह्पा

(c) कडुवा बोल न बोलिस नारि

(iii) खुसरो

(d) मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल

(iv) नरपति नाल्ह

 

(v) सरहपा

  1. (a) - (ii), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (iii)
  2. (a) - (i), (b) - (ii), (c) - (iii), (d) - (iv)
  3. (a) - (iv), (b) - (iii), (c) - (ii), (d) - (i)
  4. (a) - (iii), (b) - (ii), (c) - (v), (d) - (iv)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (a) - (ii), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (iii)

आदिकाल पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution

उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "(a) - (ii), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (iii)" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points

पंक्ति

कवि

नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुडिया छाइ

कण्ह्पा

काआ तरुवर पंच बिडाल

लूहिपा

कडुवा बोल न बोलिस नारि

नरपति नाल्ह

मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल

खुसरो

Important Points

  • लुइपा (773 ई. लगभग) :- लुइपादगीतिका
  • कण्हपा (820 ई. लगभग):-  चर्याचर्यविनिश्चय। कण्हपादगीतिका
  • अमीर खुसरो
    • अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।
    • सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था।
    • अमीर खुसरो को हिन्द का तोता कहा जाता है।
  • नरपतिनाल्ह
    • नरपति नाल्ह पुरानी पश्चमी राजस्थानी की सुप्रसिद्ध रचना "वीसलदेव रासो" के कवि हैं।
    • अजमेर शासक बीसलदेव के आश्रय में “बीसलदेव रासौ'' का सृजन वि. सं. 1212 में किया था।

आदिकाल पंक्तियाँ Question 4:

'सखी पिया को जो मैं न देखूं

कैसे काटूं अंधेरी रतिया'

किस कवि की काव्य पंक्तियां हैं-

  1. मुल्ला दाऊद
  2. आमीर खुसरो
  3. कुतबन
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : आमीर खुसरो

आदिकाल पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution

सखी पिया को जो मैं न देखूं, कैसे काटूं अंधेरी रतिया... पंक्तियाँ अमीर खुसरो की लिखीं हुई हैं।

Key Points

  • अमीर खुसरो हिन्दी खड़ी बोली, अरबी फ़ारसी के प्रसिद्ध विद्वान थे।
  • आदिकाल के प्रमुख कवियों में इनको स्थान दिया है।
  • आदिकाल में इनके अलावा: विद्यापति को भे प्रमुख स्थान मिला है।

Additional Information

  • अमीर खुसरो
    • अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।
    • सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था।
    • अमीर खुसरो को हिन्द का तोता कहा जाता है।
Important Points 
  • अमीर खुसरो की पहेलियाँ :-
    • तरवर से इक तिरिया उतरी उसने बहुत रिझाया 
    • बाप का उससे नाम जो पूछा आधा नाम बताया 
    • आधा नाम पिता पर प्यारा बूझ पहेली मोरी 
    • अमीर ख़ुसरो यूँ कहेम अपना नाम नबोली 
      • उत्तर :- निम्बोली 
    • फ़ारसी बोली आईना, 
    • तुर्की सोच न पाईना 
    • हिन्दी बोलते आरसी, 
    • आए मुँह देखे जो उसे बताए 
      • उत्तर :- दर्पण 
    • बीसों का सर काट लिया 
    • ना मारा ना ख़ून किया 
      • उत्तर :- नाखून 
    • एक गुनी ने ये गुन कीना, हरियल पिंजरे में दे दीना। 
    • देखो जादूगर का कमाल, डारे हरा निकाले लाल।। 
      • उत्तर :- पान 
    • एक परख है सुंदर मूरत, जो देखे वो उसी की सूरत। 
    • फिक्र पहेली पायी ना, बोझन लागा आयी ना।। 
      • उत्तर :- आईना    
    • बाला था जब सबको भाया, बड़ा हुआ कुछ काम न आया। 
    • खुसरो कह दिया उसका नाँव, अर्थ कहो नहीं छाड़ो गाँव।। 
      • उत्तर :- दिया 
    • घूम घुमेला लहँगा पहिने, 
    • एक पाँव से रहे खड़ी 
    • आठ हात हैं उस नारी के, 
    • सूरत उसकी लगे परी । 
    • सब कोई उसकी चाह करे है, 
    • मुसलमान हिन्दू छत्री । 
    • खुसरो ने यह कही पहेली, 
    • दिल में अपने सोच जरी । 
      • उत्तर :- छतरी 
    • खडा भी लोटा पडा पडा भी लोटा। 
    • है बैठा और कहे हैं लोटा। 
    • खुसरो कहे समझ का टोटा॥ 
      • उत्तर :- लोटा 
    • घूस घुमेला लहँगा पहिने, एक पाँव से रहे खडी। 
    • आठ हाथ हैं उस नारी के, सूरत उसकी लगे परी। 
    • सब कोई उसकी चाह करे, मुसलमान, हिंदू छतरी। 
    • खुसरो ने यही कही पहेली, दिल में अपने सोच जरी। 
      • उत्तर :- छतरी 
    • आदि कटे से सबको पारे। मध्य कटे से सबको मारे। 
    • अन्त कटे से सबको मीठा। खुसरो वाको ऑंखो दीठा॥ 
      • उत्तर :- काजल 

आदिकाल पंक्तियाँ Question 5:

“पहली ताव न अनुहरइ गोरी मुहकमलस्स।

अद्दिट्ठी पुनि उन्नमइ पडिपयली चंदस्स॥"

प्रस्तुत काव्य पंक्ति किस कवि की है ?

  1. स्वयंभू
  2. हेमचंद्र
  3. पुष्पदंत
  4. धनपाल 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : हेमचंद्र

आदिकाल पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution

उपर्युक्त काव्य पंक्ति हेमचंद्र की है। 
 Key Pointsहेमचंद्र सूरी -
  • समय - (1085 - 1172 ई.)
  • उपाधि - प्राकृत का पाणिनि कलिकाल का सर्वज्ञ।
  • मुख्य - अपने समय के प्रसिद्ध जैनाचार्य थे।
  • गुजरात के सिद्ध राजा जय सिंह के आश्रय में थे।
  • संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश तीनों भाषाओं में इन्होंने अपनी रचनाएं लिखी।
Important Pointsहेमचंद्र सूरी की प्रमुख कृतियां
  • सिद्ध हेमचंद्र शब्दानुशासन
  • कुमारपाल चरित्र 
  • देशीनाममाला
  • छंदानुशासन
  • योगशास्त्र
  • दयाश्रय काव्य
Additional Informationराजा सिद्धराज के समय में रचित 'सिद्धहेमशब्दानुशासन' प्राकृत व्याकरण इनका प्रसिद्ध ग्रंथ है।
  • इसमें संस्कृत,प्राकृत और अपभ्रशं के उदाहरण के रूप में समावेश किया गया।

आदिकाल पंक्तियाँ Question 6:

"जनम अवधि हम रूप निहारल

नयन न तिरपित भेल l"

इन काव्य - पंक्तियों के रचयिता हैं

  1. विद्यापति
  2. हितहरिवंश
  3. रसखान
  4. मीराबाई 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विद्यापति

आदिकाल पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution

"जनम अबधि हम रूप निहारल नयन न तिरपित भेल" पंक्ति विद्यापति की है।

विद्यापति को मैथिल का कोकिल कहा जाता है।

उपर्युक्त पंक्ति का हिंदी अनुवाद बाबा नागार्जुन ने जानकी पुल नामक कविता में किया है।

Important Points

विद्यापति

  • 'कीर्तिलता' और 'कीर्तिपताका' इनकी अवहट्ट रचनाएँ हैं
  • जिनमें इनके आश्रयदाता कीर्ति सिंह की वीरता, उदारता और गुण ग्राहकता का वर्णन कीर्ति कीर्तन किया है।
  • कीर्तिलता विद्यापति की ऐतिहासिक रचना है।
  • कीर्तिलता को विद्यापति ने कहाणी कहा है।
Additional Information

गोस्वामी हितहरिवंश

  • राधावल्लभ सम्प्रदाय के प्रवर्तक एवं भक्त कवि थे।
  • रचनाएँ-
    • राधासुधानिधि :- संस्कृत भाषा में राधाप्रशस्ति
    • स्फुट पदावली :- ब्रजभाषा में
    • हित चौरासी :- ब्रजभाषा में

रसखान (1548)

  • वे विट्ठलनाथ के शिष्य थे एवं वल्लभ संप्रदाय के सदस्य थे।
  • कृष्ण के निर्गुण और सगुण उपासक।
  • रसखान को 'रस की खान' कहा गया है।

मीरा

  • रैदास की शिष्या है।
  • इनकी रचनाएँ मीरा की पदावली नाम से है।

आदिकाल पंक्तियाँ Question 7:

"मनहुं कला ससभान कला सोलह सौ बन्निय" किस रासो ग्रंथ की पंक्ति हैं ?

  1. बीसलदेव रासो
  2. पृथ्वीराज रासो
  3. खुमाण रासो
  4. परमाल रासो

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : पृथ्वीराज रासो

आदिकाल पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution

"मनहुं कला ससभान कला सोलह सौ बन्निय"- पृथ्वीराज रासो ग्रंथ की पंक्ति है

Key Pointsपृथ्वीराज रासो-

  • रचनाकार-
    • चंदबरदाई 
  • काव्य रूप-
    • प्रबंध  
  • रचनाकाल-12वीं शती 
  • सर्ग-
    • 69 समय(खंड)
  • छंद-
    • 68 प्रकार के छंदों का प्रयोग किया गया हैं। 
  • विषय-
    • पृथ्वीराज चौहान के शौर्य और वीरता के अलावा,संयोगिता के साथ उनकी प्रेम-कहानी का भी सुंदर वर्णन किया गया है। 
    • इसका 'कयमास' नामक खंड बहुत प्रसिद्ध है। 
  • रामचन्द्र शुक्ल-
    • "ये हिंदी के प्रथम महाकवि माने जाते हैं और इनका 'पृथ्वीराज रासो' हिंदी का प्रथम महाकाव्य है।"
  • बच्चन सिंह-
    • "यह एक राजनीतिक महाकाव्य है,दूसरे शब्दों में राजनीति की महाकाव्यात्मक त्रासदी है।"

Important Pointsनरपति नाल्ह-

  • हिन्दी साहित्य के आदिकालीन कवि है। 
  • रचना-बीसलदेव रासो 
    • रचनाकाल-12 वीं शती 
    • काव्य रूप- वीरगीत 
    • मुख्य-
      • यह एक विरहपरक संदेश काव्य है। 
      • इसमें अजमेर के राजा चौहान बीसलदेव तथा राजा भोज की पुत्री राजमती के विवाह, वियोग और पुनर्मिलन की कथा वर्णित है। 
      • हिंदी में सर्वप्रथम बारहमासा का उल्लेख इसी काव्य में मिलता है। 

जगनिक-

  • आदिकाल में रासो परंपरा के कवि है। 
  • रचना-परमाल रासो 
    • समय-13 वीं शती 
    • काव्य रूप-वीरगीत 
    • विषय-महोबा के राजा परमाल देव के दो वीरों आल्हा और ऊदल की वीरता का वर्णन है। 
  • परमाल रासो को 'आल्हा खंड' के नाम से भी जाना जाता है। 
  • यह गीत मुख्यतः बैसवाड़ा में गायें जाते है। 

दलपत विजय -

  • रचनाकार- खुमान रासो 
  • रचनाकाल- 9 वीं शती 
  • काव्य रूप- प्रबंध काव्य 
  • विषय-
    • चित्तौड़ नरेश खुमाण की वीरता का वर्णन मिलता है। 
    • मेवाड़ के परवर्ती शासकों(महाराणा प्रताप सिंह, राज सिंह) का भी वर्णन है। 
    • यह 5000 छंदों का विशाल ग्रंथ है।

आदिकाल पंक्तियाँ Question 8:

"आसा जीवै जग मरे, लोग मरे मरि जाइ।

सोइ मूवे धन संचते, सो उबरे जे खाइ ॥"

किस कवि की पंक्तियाँ हैं ?

  1. रहीमदास
  2. रविदास
  3. गरीबदास
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 5 : उपर्युक्त में से कोई नहीं

आदिकाल पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution

"आसा जीवै जग मरे, लोग मरे मरि जाइ।
सोइ मूवे धन संचते, सो उबरे जे खाइ ॥"

यह  कबीर की पंक्तियाँ हैं

 Key Pointsकबीर-
  • जन्म - 1398 ई.
  • जन्म स्थान - काशी में 
  • मृत्यु - 1518 ई. मगहर में हुई
  • माता-पिता- नीरू और नीमा
  • गुरु - रामानंद
  • मुख्य - यह सिकंदर लोदी के समकालीन थे
    • उनके पुत्र कमाल - कमाली और पत्नी लोई थी
    • कबीर की वाणी का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास ने बीजक (1464 ई.) में संकलित किया
    • इसके तीन भाग है - साखी, सबद, रमैनी
 Important Pointsकबीर की पंक्ति का अर्थ-
  • जग नश्वर मरता है परंतु आशा जीती रहती है, लोग मरकर फिर मरते चले जाते हैं। 
  • जो धन का अत्यधिक संग्रह करते हैं वह भी मारते हैं और जो कुछ समय के लिए बचे रह जाते हैं वह उसे धन को खाते - भोगते हैं
Additional Informationरहीम (1556 - 1627 ई.)रचनाएं -
  • नगरशोभा
  • बरवे नायिका भेद
  • मदनाष्टक
  • खेट कोतुक जातकम 
  • दोहावली
  • रहीम काव्य
  • श्रृंगार सोरठा
  • रास पंचाध्यायी
रविदास / रैदास
  • इनके गुरु ग्रंथ साहिब में 40 पद संग्रहित है
  • रैदास की वाणी
गरीबदास (1717 - 1778 ई.)-रचना -
  • गरीब ग्रंथ/ रत्न सागर

आदिकाल पंक्तियाँ Question 9:

एक नार नौरंगी चंगी।  वह भी नार कहावे।। 
भांति-भांति के कपड़े पहिने। लोगों को तरसावे।। 

इस पहेली का उत्तर बताएं?

  1. औरत 
  2. बिजली 
  3. चुनरी 
  4. बदली 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : बदली 

आदिकाल पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution

एक नार नौरंगी चंगी।  वह भी नार कहावे।। 
भांति-भांति के कपड़े पहिने। लोगों को तरसावे।। 

इस पहेली का उत्तर है-बदली

Key Pointsअमीर खुसरो-

  • जन्म-1255-1325 ई. 
  • नाम-अबुल हसन 
  • गुरु-निज़ामुद्दीन औलिया
  • खड़ी बोली हिंदी के प्रथम कवि माने जाते है। 
  • रचनाएँ-
    • खालिक बारी 
    • पहेलियाँ 
    • मुकरियाँ 
    • दो सुखने 
    • गज़ल आदि। 

आदिकाल पंक्तियाँ Question 10:

“संदेसडउ सवित्थरउ पइ मइ कहनु  न जाइ।

जे कालांगुलि मृंदडऊ सो बाँहडी समाइ।’’

इन काव्य पंक्तियों के रचनाकार हैं

  1. विमलसूरि
  2. अद्दहमाण
  3. हेमचन्द्र
  4. दामोदर शर्मा 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अद्दहमाण

आदिकाल पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution

उपर्युक्त पंक्ति 'अद्दहमाण'(अब्दुल रहमान) द्वारा रचित है। 

Key Points

  • इन्होने 'संदेश रासक'(11-12वीं सदी) नामक खंडकाव्य की रचना की। 
  • यह मध्यकालीन शृंगारी परंपरा पर लिखे विरह साहित्य का प्रतिनिधि काव्य है।  
  • इसके तीन काव्यखंड है। 
  • अन्य पंक्तियाँ:
  1. सुरहि गंधु रमणीउ सरउ इम बोलियउ। 

    पावासुय अइधिट्ठि ण वलि घरु संभरिउ॥ 

Additional Informationअन्य कवि :-

कवि  जानकारी 
विमलसूरि
  1. जैन रामकथा के आदि कवि। । 
  2. प्रमुख रचना:पउमचरियं(विक्रम संवत् 60)
  3. प्राकृत में रचित महाकाव्य। 
हेमचन्द्र(1088 ई.)
  1. जैन कवि 
  2. हिंदी के पाणिनि माने जाते है। 
  3. प्रमुख रचना: 'सिद्धहेमशब्दानुशासन(12वीं सदी)
दामोदर शर्मा 
  1. प्रमुख रचना: उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण(12वीं सदी)
  2. व्याकरण ग्रंथ 
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