Question
Download Solution PDFयथोचितं मेलनं कुरुत-
चतुर्षुचरणेषु वर्णसंख्या |
छन्दः |
||
(क) |
60 |
(I) |
वसन्ततिलका |
(ख) |
56 |
(II) |
मन्दाक्रान्ता |
(ग) |
76 |
(III) |
मालिनी |
(घ) |
68 |
(IV) |
शार्दूलविक्रीडितम् |
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिंदी भाषांतर : समुचित मेलन कीजिए।
वसन्ततिलका
- (चौदह अक्षरों वाला समवृत्त)
- जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश: तगण, भगण, जगण एवं दो गुरु वर्ण हों तथा 14 अक्षर हों, वह वसन्ततिलका छन्द कहलाता है।
- संस्कृत में लक्षण - ज्ञेया (उक्ता) वसन्ततिलका तभजा जगौ गः।
उदाहरण -
पापान्निवारयति योजयते हिताय
गुह्यान् निगृहति गुणान् प्रकटीकरोति।
आपद्गतं च न जहाति ददाति काले
सन्मित्र लक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः। ।
मालिनी
- (पन्द्रह अक्षरों वाला समवृत्त)
- जिस छन्द के प्रत्येक चरण (पाद) में क्रमश: दो नगण, एक मगण तथा दो यगण हों और पन्द्रह अक्षर हों वह छन्द मालिनी कहलाता है। इसमें पहली यति (विराम) आठवें वर्ण के बाद और दूसरी यति पन्द्रहवें वर्ण के बाद होती है।
- संस्कृत में लक्षण - नन मयययु तेयं मालिनी भोगिलोकैः।
उदाहरण -
जयतु जयतु देशः सर्वतन्त्रस्स्वतन्त्रः
प्रतिदिनमिह वृद्धिं यातु देशस्य रागः।
व्रजतु पुनरयं नोदासतामन्ययदीयाम्
भवतु धन समृद्धिः सर्वतो भावसिद्धिः।।
शार्दूलविक्रीडितम्
(म, स, ज, स, त, त, ग)
- (उन्नीस वर्गों वाला समवृत्त)
- लक्षण - सूर्याश्वैर्यदि मः सजौ सततगाः शार्दूलविक्रीडितम्।
- जिस छंद के प्रत्येक पाद में क्रमशः मगण, सगण, जगण, सगण, दो तगण एवं एक गुरु वर्ण हों, वह शार्दूलविक्रीडित छन्द कहलाता है। इसमें बारहवें वर्ण के बाद पहली यति और उन्नीसवें अक्षर के बाद दूसरा यति होती है।
उदाहरण -
यास्यत्यद्य शंकुन्तलेति हृदयं संस्पृष्टमुत्कण्ठया,
कण्ठः स्तम्भितवाष्पवृत्तिकलषश्चिन्ताजडं दर्शनम्
वैक्लव्यं मम तावदीदृशमिदं स्नेहादरण्यौकसः,
पीड्यन्ते गृहिणः कथं न तनयाविश्लेषदुःखैर्नवैः॥
मन्दाक्रान्ता
(म, भ, न, त, त, ग, ग)
- (सत्रह अक्षरों वाला समवृत्त) मगण, भगण, नगण, दो तगणों और दो गुरुओं से मन्दाक्रान्ता छंद होता है। इसमें चौथे अक्षर के बाद पहली यति, छठे अक्षर के बाद दूसरी यति तथा आठवें अक्षर के बाद तीसरी यति होती है।
- संस्कृत में लक्षण एवं उदाहरण - मन्दाक्रान्ताम्बुधिरसनगैः मो भनौ तौ गयुग्यम्
उदाहरण -
'पश्चात्पुच्छं वहति विपुलं तच्च धूनोत्यजस्त्रम्
दीर्घग्रीवः स भवति, खुरास्तस्य चत्वार एव।
शष्याण्यत्ति, प्रकिरति शकृत्-पिण्डकानाम्र-मात्रान्।
किं व्याख्यानैव्रजति स पुनर्दूरमेयेहि याम॥
चतुर्षुचरणेषु वर्णसंख्या |
छन्दः |
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(क) |
60 |
(III) |
मालिनी |
(ख) |
56 |
(I) |
वसन्ततिलका |
(ग) |
76 |
(IV) |
मालिनी शार्दूलविक्रीडितम् |
(घ) |
68 |
(II) |
मन्दाक्रान्ता |
अतः स्पष्ट है, '(क) - (III), (ख) - (I), (ग) - (IV), (घ) - (II)' यह इस प्रश्न का सही उत्तर है।
Last updated on Jun 6, 2025
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