लेवी-स्ट्रॉस संरचनावाद (Levi-Strauss Structuralism in Hindi) संस्कृति का एक सिद्धांत है जिसकी शुरुआत क्लाउड लेवी-स्ट्रॉस ने की थी। वे एक फ्रांसीसी मानवविज्ञानी थे। संरचनावाद उन संरचनाओं को देखता है जो समाज और संस्कृति का निर्माण करती हैं। लेवी-स्ट्रॉस ने कहा कि संस्कृति एक भाषा की तरह काम करती है। उन्होंने द्विआधारी विपरीतताओं के माध्यम से संस्कृति के "व्याकरण" का अध्ययन किया। द्विआधारी विपरीतताएं दो भाग हैं जो अलग-अलग लगते हैं लेकिन एक साथ चलते हैं।
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संरचनावाद संस्कृति के विभिन्न पहलुओं जैसे मिथकों, अनुष्ठानों, सामाजिक संरचना और भाषा का अध्ययन करने का एक तरीका है। संरचनावाद उन रिश्तों और संरचनाओं पर ध्यान केंद्रित करता है जो इन सांस्कृतिक घटनाओं की सतह के नीचे स्थित हैं।
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लेवी-स्ट्रॉस ने मिथकों और अनुष्ठानों को देखा। उन्होंने कहा कि उनमें एक छिपी हुई संरचना होती है, जैसे वाक्य का व्याकरण। मिथक संस्कृति के बारे में संदेश देते हैं। अनुष्ठान दर्शाते हैं कि लोग कैसे सोचते हैं। लेवी-स्ट्रॉस ने मिथकों और अनुष्ठानों को द्विआधारी विपरीत में विभाजित किया। उन्होंने कहा कि इससे संस्कृति के "व्याकरण" नियमों का पता चलता है।
लेवी-स्ट्रॉस ने मानवविज्ञानियों के संस्कृति के विश्लेषण के तरीके को बदल दिया। उन्होंने सिद्धांत के एक प्रमुख स्कूल के रूप में संरचनावाद को विकसित किया। उनके द्विआधारी विश्लेषण का उद्देश्य संस्कृति के अमूर्त "व्याकरण" को उजागर करना था। लेवी-स्ट्रॉस ने मानवविज्ञान को सांस्कृतिक प्रणालियों और अर्थ के अधिक वैज्ञानिक विश्लेषण की ओर ले जाने में मदद की। उनका प्रभाव मानवविज्ञान से कहीं आगे तक फैला।
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