Question
Download Solution PDFशरत् के संबंध में उपयुक्त कथन हैं।
A. शरत् बचपन में डरपोक स्वभाव के थे।
B. गृहस्थी से शरत का कभी लगाव नहीं रहा।
C. शरत् बाबू की रचनाओं पर 'बिरजबहू' और 'विजया' नाटक का रूपांतरण हुआ।
D. अपने भाई की समाधि शरत् के घर के पास नदी के तट पर बनवाई थी।
E. शरत् ने कोई वसीयतनामा नहीं लिखा था।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFशरत संबंध में उपयुक्त कथन - केवल B, C और D सही है
B.गृहस्थी से शरत का कभी लगाव नहीं रहा।
C. शरत् बाबू की रचनाओं पर 'बिरजबहू' और 'विजया' नाटक का रूपांतरण हुआ।
D. अपने भाई की समाधि शरत् के घर के पास नदी के तट पर बनवाई थी।
Key Pointsआवारा मसीहा
- जीवनी विष्णु प्रभाकर की है जो उन्होंने प्रसिद्ध रचनाकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के जीवन पर लिखी।
- आवारा मसीहा का प्रकाशन 1973 ई. में पूरा हुआ।
- आवारा मसीहा लिखकर प्रभाकर जी ने हिंदी और बांग्ला साहित्य के बीच एक सेतु का निर्माण किया जो समूचे राष्ट्र की एकता का प्रतीक है।
- शरत् यायावर परवर्ती के व्यक्ति थे उन्हें एक जगह बंध कर रहना पसंद नहीं था उन्हें गृहस्थी से भी कभी लगाव नहीं रहा।
- आवारा मसीहा पुस्तक की सामग्री के तीन प्रमुख स्रोत है।
- प्रथम उन व्यक्तियों का साक्षात्कार जो किसी न किसी रूप से शरत बाबू से संबंधित है।
- दूसरे उन समकालीन मित्रों के लेख संस्मरण आदि।
- तीसरा उनकी अपनी रचनाओं में इधर-उधर बिखरे हुए प्रसंग जिनका उनके जीवन से सीधा संबंध रहा।
- आवारा मसीहा के लिए विष्णु प्रभाकर को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है
Important Points
- विष्णु प्रभाकर की आवारा मसीहा जीवनी 3 पर्वों में विभाजित है।
- दिशाहारा दिशा की खोज और दिशांत ये तीनों पर्व उपशीर्षक में विभाजित है।
- दिशाहारा’ (18 उप-शीर्षक हैं) 75 पृष्ठों में
- ‘दिशा की खोज’ (18 उप-शीर्षक हैं) 91 पृष्ठों में
- दिशांत में (30 उप-शीर्षक हैं) 271 पृष्ठों में
- दिशाहारा – यह प्रथम पर्व है। इसमें शरदचंद्र की बाल्यावस्था से किशोरावस्था तक की घटनाओं का वर्णन है। उनके बचपन के शरारतों में भी एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर व्यक्तित्व के दर्शन होते है।
- दिशा की खोज – साहित्यिक जीवन और दिशा की खोज है। द्वितीय पर्व में शरद के लेखन, विकास के प्रेरणा के स्त्रोत, रचनाओं की पृष्ठभूमि और पात्रों से समरसता, रंगून प्रवास, गृहदाह, सृजन का आवेग, चरित्रहीन, आरोप, बिराज बहू और आवारा, श्रीकांत की चर्चा है।
- दिशांत – इसमें रंगून से स्वदेश लौटने का वर्णन है। सामाजिक कार्य साहित्यिक विधाओं में रचनाशीलता आदि।
- विष्णु प्रभाकर की प्रमुख रचनाएं-
- उपन्यास-
- ढलती रात
- स्वप्नमयी
- अर्धनारीश्वर
- धरती अब भी घूम रही है
- क्षमादान
- दो मित्र
- पाप का घड़ा
- होरी,
- नाटक-
- हत्या के बाद
- नव प्रभात
- डॉक्टर
- प्रकाश और परछाइयाँ
- बारह एकांकी
- अशोक
- अब और नही
टूट्ते परिवेश,
- कहानी संग्रह-
- संघर्ष के बाद
- धरती अब भी धूम रही है
- मेरा वतन
- खिलोने
- आदि और अन्त्,
- आत्मकथा-
- पंखहीन नाम से उनकी आत्मकथा तीन भागों में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।
- जीवनी-
- आवारा मसीहा,
- यात्रा वृतान्त्-
- ज्योतिपुन्ज हिमालय, जमुना गन्गा के नैहर मै।
Additional Information
- शरतचंद्र की बहुत-सी बाल सुलभ चंचलताओं और शरारतों से भरा पड़ा है। उनका तितली पकड़ना, तालाब में नहाना, उपवन लगाना, पशु-पक्षी पालना, पिता के पुस्तकालय से पुस्तकें पढ़ना और पुस्तकों में दी गई जानकारी का प्रयोग करना। एक बार तो उन्होंने पुस्तक में साँप के वश में करने का मंत्र तक पढ़कर उसका प्रयोग कर डाला।
- शरत् ने अपने समय में वसीयतनामा लिखा था
Last updated on Jun 22, 2025
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