Question
Download Solution PDFसंस्कृतशिक्षणस्य श्रव्यसाधनेषु कः परिगणितः?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - संस्कृत शिक्षण के श्रव्य साधनों में कौनसा परिगणित है?
स्पष्टीकरण - शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को सरल एवं प्रभावी बनाने हेतु शिक्षक द्वारा विभिन्न सहायक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। संस्कृत शिक्षण हेतु श्रव्य साधनों में ध्वनि अभिलेख (टेपरिकार्डर) परिगणित होता है।
Important Points
शिक्षण सहायक सामग्री -
- शिक्षण सहायक सामग्री का उपयोग शिक्षण अधिगम को सहज एवं सुगम बनाने के लिए किया जाता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार किसी चीज को सीखने में हमारी ज्ञानेन्द्रियों (आँख, नाक, कान, त्वचा, जीभ) का जितना अधिक उपयोग होता है, वो ज्ञान उतना ही अधिक स्थायी होता है।
- सहायक सामग्री हमारी ज्ञानेद्रियों के माध्यम से शिक्षण को स्थायी बनाने का कार्य करती हैं।
इनमें निम्नलिखित सामग्रियों का समावेश होता है -
- दृश्य सामग्री (आँखों का प्रयोग) - श्यामपट्ट, छायाचित्र, ग्लोब, मानचित्र, चित्र, रेखाचित्र, प्रतिरूप माॅडल, पोस्टर, सिनेमा, स्लाइड आदि।
- श्रव्य सामग्री (कानों का प्रयोग) - मौखिक उदाहरण, (लिंग्वाफोन) ग्रामोफोन, (रेडियो) वेतारयन्त्र, (टेप रिकाॅर्डर) ध्वनि-अभिलेख आदि।
- श्रव्य-दृश्य सामग्री (आँखों-कानों दोनों का प्रयोग) - चलचित्र, दूरदर्शन, ड्रामा, कठपुतली, टेलिविजन, इंटरनेट, कम्प्युटर आदि।
श्रव्य अधिगम साधन-
- इनका सम्बन्ध श्रवणेन्द्रियों (कान) से होता है। इनके द्वारा सुनकर छात्र ज्ञान प्राप्त करते हैं।
- प्राथमिक कक्षाओं में विशेषतः भाषा अधिगम में विभिन्न श्रवण क्रियाकलापों द्वारा छात्रों में संप्रेषण कौशल का विकास किया जाता है।
- इसके अतिरिक्त वर्णों और शब्दों के शुद्ध उच्चारण के लिए आवश्यक है कि उन्हें शुद्ध उच्चारण सुनने के पर्याप्त अवसर प्राप्त हों।
- इनका प्रयोग अधिकांशतः गीतों, कविताओं, समूह गीतों, प्रार्थना इत्यादि को सुनने के लिए किया जाता है। विभिन्न ध्वनि प्रभावों को उत्पन्न करके छात्रों में शिक्षण के प्रति रुचि उत्पन्न की जाती है।
टेप रिकॉर्डर-
- टेप रिकॉर्डर या ध्वनि-अभिलेख एक प्रकार का श्रव्य साधन है, जिसका प्रयोग उच्चारण, बोलने की गति, आरोह-अवरोह, विराम-चिन्हों का प्रयोग अपने वक्तव्य तथा उच्चारण सम्बन्धी त्रुटियों को समझने और उनमें सुधार करने के लिए किया जाता है।
- इसमें छात्र अपनी वाणी रिकॉर्ड करके अपना उच्चारण अभ्यास करते हैं तथा त्रुटियों का संशोधन करते हैं।
- अपनी वाणी सुनना अत्यंत रोचक होता है, इसलिए छात्रों द्वारा इसका प्रयोग रुचि से किया जाता है। टेपरिकार्डर का प्रयोग बार-बार किया जा सकता है।
- शिक्षक शिक्षार्थियों के मौखिक अभिव्यक्ति का मूल्यांकन भी इसकी सहायता से कर सकता है।
- इसकी सहायता से सुनने के कौशल का विकास होता है।जैसे- शिक्षक छात्रों को किसी संस्कृत अनुच्छेद का उच्चारण कराना चाहता है तो वह छात्रों को उस अनुच्छेद को रिकॉर्ड करके अथवा छात्रों द्वारा रिकॉर्ड करवाकर उन्हें छात्रों को सुनने के लिए कह सकता है।
- छात्र इस रिकार्डेड टेप को बार-बार सुनकर अनुच्छेद का उच्चारण करते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिक्षण के श्रव्य साधनों में ध्वनि अभिलेख की गणना की जाती है।
Last updated on May 8, 2025
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