'मातृभाषाश्रितं बहुभाषाज्ञानम्' किमस्ति?

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CTET Paper 2 Maths & Science 21st Jan 2022 (English-Hindi-Sanskrit)
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  1. प्रारम्भे विद्यालये छात्राः मातृभाषामाध्यमेन पठन्ति, तदनु न्यूनतमे द्वे अन्ये भाषे गृह्णन्ति।
  2. छात्राः मातृभाषां, राज्यभाषां, हिन्दीभाषां, संस्कृतभाषां च शिक्षन्ति।
  3. छात्राः प्रारम्भे विद्यालये राज्यभाषामाध्यमेन पठन्ति तदनु आङ्ग्लभाषा, हिन्दीभाषां, एकां विदेशीभाषां च गृह्णन्ति।
  4. छात्राः प्रारम्भे विद्यालये आङ्ग्लभाषामाध्यमेन पठन्ति, तदनु राज्यभाषां, हिन्दीभाषां आङ्ग्लभाषां च गृह्णन्ति। 

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Option 1 : प्रारम्भे विद्यालये छात्राः मातृभाषामाध्यमेन पठन्ति, तदनु न्यूनतमे द्वे अन्ये भाषे गृह्णन्ति।
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प्रश्नानुवाद - 'मातृभाषाश्रित बहुभाषाज्ञान' क्या है?

स्पष्टीकरण - मातृभाषा पर आधारित बहुभाषा का ज्ञान (बहुभाषिकता) प्रारम्भ में विद्यालय में छात्र मातृभाषा/गृहभाषा के माध्यम से पढ़ते हैं, उसके बाद कम से कम दो अन्य भाषाओं को सीखते हैं इससे हैं। बालक की प्रथम भाषा उसकी मातृभाषा होती है, जिसमें वह बोलना, पढ़ना व लिखना आरम्भ करता है। मातृभाषा के माध्यम से बालक शीघ्र ही किसी विषय को सीख जाता है। फिर वह विद्यालय में अन्य दो भाषाओं को भाषा अधिगम के माध्यम से सीखता है।

विद्यालयीय शिक्षा में बहुभाषीयता यह समर्थन करती है कि सभी बालक विद्यालयीय शिक्षा को मातृभाषा या गृहभाषा में आरम्भ करते हैं, फिर अन्य भाषाओं को सीखते हैं। जिससे वे विषय को सरलता से समझ सकें।Important Points

बहुभाषिकवाद/बहुभाषीयता - भाषा के विविधता को 'बहुभाषिकवाद' कहते हैं। ऐसा हो सकता है कि कक्षा में कुछ विद्यार्थियों को कोई अलग भाषा का ज्ञान हो। अतः अलग भाषिक पृष्ठभूमि से होने के कारण विद्यार्थियों के उच्चारण और उनके बात करने की शैली में विभिन्नता होती है। ऐसे भिन्न भाषिक पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को साथ लेकर उन्हें कक्षा के रचनात्मक कार्य नीति का भाग बनाना भाषा शिक्षक का महत्त्वपूर्ण कार्य है।

  • बहुभाषिकवाद को प्रोत्साहन देने से हर विद्यार्थी स्वयं को स्वीकार्य और संरक्षित महसूस करेगा।
  • बहुभाषिकवाद से सामाजिक सहिष्णुता, विस्तृत चिंतन तथा बौद्धिक उपलब्धियाँ इत्यादि का विकास होता है।
  • भिन्न भाषिक पृष्ठभूमि से होने के कारण यदि विद्यार्थियों के उच्चारण में भिन्नता आती है, तो उसके आधार पर किसी विद्यार्थी को पीछे नहीं छोड़ सकते।
  • यदि कक्षा में बहुभाषिकवाद को प्रोत्साहन दिया जाये तो विद्यालय छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में कमी, अकादमिक उपलब्धि में सुधार तथा विद्यार्थियों के आत्मसम्मान में वृद्धि जैसे कई फायदे देखने मिल सकते हैं।
  • विभिन्न भाषाओं का प्रयोग होने के कारण सांस्कृतिक आदान​-प्रदान भी होता है। 
  • मातृभाषा के द्वारा छात्र शीघ्र विषय को ग्रहण करते हैं।
  • कक्षा में यदि विद्यार्थियों की मातृभाषा का प्रयोग होता है, तो वह अपने विचार सहजता से रखते हैं। इससे भाषा अधिगम प्रक्रिया भी अच्छे तरीके से चलती रहती है।

 

अतः कहा जा सकता है कि मातृभाषा पर आधारित बहुभाषा का ज्ञान (बहुभाषिकता) प्रारम्भ में विद्यालय में छात्र मातृभाषा/गृहभाषा के माध्यम से पढ़ते हैं, उसके बाद कम से कम दो अन्य भाषाओं को सीखने से हैं। (अन्य विकल्प यहाँ गौण अर्थ में हैं।)

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