Question
Download Solution PDFकश्चिद् छात्रः विद्यालयीयशिक्षां स्वमातृभाषायां प्रारभते। तत्पश्चात् उच्चविद्यालयीयशिक्षायाः समाप्तिपर्यन्तं स अनेकाः भाषाः जानाति। भाषाशिक्षणस्य इयं पद्धतिः का कथ्यते ?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - कोई छात्र विद्यालयीय शिक्षा को अपनी मातृभाषा में प्रारम्भ करता है। उसके बाद उच्च विद्यालयीय शिक्षा की समाप्ति तक वह अनेक भाषाएं जानता है। भाषा शिक्षण की इस पद्धति को कहा जाता है ?
स्पष्टीकरण - उपरोक्त प्रश्न के सन्दर्भ में भाषा शिक्षण की इस पद्धति को मातृभाषाधारित बहुभाषीयता कहा जाता है।
विद्यालयीय शिक्षा में बहुभाषीयता का अर्थ मातृभाषा/गृहभाषा का अध्ययन अध्यापन करना, उसके बाद अन्य भाषाओं को सीखना है। बालक की प्रथम भाषा उसकी मातृभाषा होती है, जिसमें वह बोलना, पढ़ना व लिखना आरम्भ करता है। मातृभाषा के माध्यम से बालक शीघ्र ही किसी विषय को सीख जाता है।
विद्यालयीय शिक्षा में बहुभाषीयता यह समर्थन करती है कि सभी बालक विद्यालयीय शिक्षा को मातृभाषा या गृहभाषा में आरम्भ करते है, फिर अन्य भाषाओं को सीखते हैं। जिससे वे विषय को सरलता से समझ सकें।Important Points
बहुभाषिकवाद/बहुभाषीयता - भाषा के विविधता को 'बहुभाषिकवाद' कहते हैं। ऐसा हो सकता है कि कक्षा में कुछ विद्यार्थियों को कोई अलग भाषा का ज्ञान हो। अतः अलग भाषिक पृष्ठभूमि से होने के कारण विद्यार्थियों के उच्चारण और उनके बात करने की शैली में विभिन्नता होती है। ऐसे भिन्न भाषिक पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को साथ लेकर उन्हें कक्षा के रचनात्मक कार्य नीति का भाग बनाना भाषा शिक्षक का महत्त्वपूर्ण कार्य है।
- बहुभाषिकवाद को प्रोत्साहन देने से हर विद्यार्थी स्वयं को स्वीकार्य और संरक्षित महसूस करेगा।
- बहुभाषिकवाद से सामाजिक सहिष्णुता, विस्तृत चिंतन तथा बौद्धिक उपलब्धियाँ इत्यादि का विकास होता है।
- भिन्न भाषिक पृष्ठभूमि से होने के कारण यदि विद्यार्थियों के उच्चारण में भिन्नता आती है, तो उसके आधार पर किसी विद्यार्थी को पीछे नहीं छोड़ सकते।
- यदि कक्षा में बहुभाषिकवाद को प्रोत्साहन दिया जाये तो विद्यालय छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में कमी, अकादमिक उपलब्धि में सुधार तथा विद्यार्थियों के आत्मसम्मान में वृद्धि जैसे कई फायदे देखने मिल सकते हैं।
- विभिन्न भाषाओं का प्रयोग होने के कारण सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी होता है।
- मातृभाषा के द्वारा छात्र शीघ्र विषय को ग्रहण करते हैं।
- कक्षा में यदि विद्यार्थियों की मातृभाषा का प्रयोग होता है, तो वह अपने विचार सहजता से रखते हैं। इससे भाषा अधिगम प्रक्रिया भी अच्छे तरीके से चलती रहती है।
अतः कहा जा सकता है कि उपरोक्त प्रश्न के सन्दर्भ में भाषा शिक्षण की इस पद्धति को मातृभाषाधारित बहुभाषीयता कहा जाता है। (अन्य विकल्प यहाँ गौण अर्थ में हैं।)
Last updated on Apr 30, 2025
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