सृजनात्मकपठनस्य उदाहरणम्

This question was previously asked in
CTET November 2012 Paper- 1 (L - I/II: Hindi/English/Sanskrit)
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  1. सम्बद्धसूचनार्थं अन्तर्जालदर्शनम्
  2. भिन्नदृष्टिकोणेन नाटकीकरणं भूमिका-निर्वहणम् पुनर्लेखनं च
  3. अर्थप्राप्‍त्‍यर्थं वाचनम्
  4. परामर्शनकार्यं ग्रन्थालये अधिकं करणीयम्

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Option 2 : भिन्नदृष्टिकोणेन नाटकीकरणं भूमिका-निर्वहणम् पुनर्लेखनं च
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प्रश्न का अनुवाद - सृजनात्मक पठन का उदाहरण है - 

स्पष्टीकरण - भिन्न दृष्टिकोन से एवं नाट्यीकरण भूमिका का निर्वहन और पुनर्लेखन यह सृजनात्मक पठन का उदाहरण है। 

Key Pointsसृजनात्मकता - 

  • सृजनात्मकता व्यक्ति की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह उन वस्तुओं या विचारों का उत्पादन करता है जो अनिवार्य रूप से नए हों और जिन्हें वह पहले से न जानता हो ।
  • जो व्यक्ति इस प्रकार का नवीन कार्य करते हैं उन्हें सृजनशील या सृजनकर्ता कहा जाता है और जिस प्रातिभा के आधार पर वह नई कृति, नवीन रचना या नवीन आविष्कार करते हैं उसे सृजनात्मकता कहा जाता है।
  • गिलफोर्ड (1986) ने सृजनात्मक चिंतन को अपसारी चिंतन के रूप में शामिल किया, जो प्रवाह, लचीलापन, मौलिकता और विस्तार पर जोर देती है ।
  • अपसारी चिंतन सृजनात्मकता और मौलिकता के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है और इसमें किसी समस्या को हल करने के लिए कई तरीकों की कल्पना करने की क्षमता शामिल है।
  • यह अलग-अलग दिशाओं में चिंतन के साथ, कभी-कभी खोज, कभी-कभी विभिन्न प्रकार के अन्वेषण से संबंधित है।
  • सृजनात्मक चिंतन में एक अपेक्षाकृत अलग समूह शामिल होता है जो सामान्य बुद्धि की पारंपरिक अवधारणा से अलग होता है।

सृजनात्मकता के लक्षण-

  • यह कल्पना से संबंधित कल्पना है क्योंकि यह कुछ मूल उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
  • यह उद्देश्यपूर्ण है, अर्थात् सृजनात्मकता एक कल्पना है जो अंत की ओर ले जाती है।
  • सृजनात्मकता में विचारों की पीढ़ी शामिल है और यह भी मूल्यांकन करती है और यह तय करना कि कौन सा सबसे पर्याप्त है।

अत: यह स्पष्ट है की भिन्न दृष्टिकोन से एवं नाट्यीकरण भूमिका का निर्वहन और पुनर्लेखन यह सृजनात्मक पठन का उदाहरण है। क्योकि साधारण पाठ पढ़ाने के बजाय कुछ नया करना सिखाने से बच्चों में रचनात्मकता का विकास होता है।

Additional Information

  • सम्बद्धसूचनार्थं अन्तर्जालदर्शनम् - संबंधित सूचना के लिए अन्तर्जाल (internet) दिखाना। इसमे केवल प्रौद्योगिकी (technology) तकनीकी का विकास होगा।  
  • अर्थप्राप्‍त्‍यर्थं वाचनम् - अर्थ प्राप्ति के लिए वाचन। अत: इसमे वाचन कौशल का विकास होगा। 
  • परामर्शनकार्यं ग्रन्थालये अधिकं करणीयम् - परामर्श कार्य के लिए ग्रन्थालय में अधिक समय बीतना चाहिए। पठन कौशल का विकास होगा।  

अत: स्पष्ट है की उपर्युक्त विकल्प बच्चों में रचनात्मकता का विकास नहीं कर पाएंगे, अत: यह असंगत विकल्प है। 

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