काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - मोफत PDF डाउनलोड करा
Last updated on Mar 23, 2025
Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
Top काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
काव्य पंक्तियाँ Question 1:
"विद्या की खेती करने को, पूरा हिंदुस्तान मिलेगा" इससे कवि क्या समझाना चाहते है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution
"विद्या की खेती करने को, पूरा हिंदुस्तान मिलेगा" इससे कवि शिक्षा का महत्त्व समझाना चाहते है।
- इसका मतलब है कि जिन्होंने अपने ज्ञान का दीपक बुझाया है, वे हिंदुस्तान के हर कोने में शिक्षा पाने के लिए जा सकते हैं।
- इसका उद्देश्य यह बताना है कि शिक्षा का महत्त्व बहुत अधिक है और हर व्यक्ति को अपनी शिक्षा को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
Key Points
अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
- खेती की ताकत: यह विकल्प इसलिए सही नहीं है क्योंकि कविता में खेती का उपयोग विद्या को वर्णन करने के लिए किया गया है, न कि खेती की ताकत को बताने के लिए।
- हिंदुस्तान की भूमि: यह विकल्प इसलिए सही नहीं है क्योंकि कविता में हिंदुस्तान का उल्लेख शिक्षा की पहुंच और सामर्थ्य को बताने के लिए किया गया है, न कि भूमि के बारे में।
- व्यापार का महत्व: यह विकल्प इसलिए सहीनहीं है क्योंकि कविता में व्यापार या कोई अन्य आर्थिक गतिविधि का उल्लेख नहीं है। इसका उद्देश्य शिक्षा के महत्त्व को समझाना है।
काव्य पंक्तियाँ Question 2:
"भाषा में_____________"- 'आओ, मिलकर बचाएँ' कविता के आधार पर रिक्त स्थान की पूर्ति करे?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution
"भाषा में झारखंडीपन"-'आओ, मिलकर बचाएँ' कविता के आधार पर रिक्त स्थान की पूर्ति है।
आओ, मिलकर बचाएँ-
- रचनाकार-निर्मला पुतुल
- विधा-कविता
- भाषा-संथाली
Key Pointsझारखंडीपन-
- भाषा में झारखंडीपन से अभिप्राय यह है कि भाषा के स्थानीय स्वरुप की रक्षा करना।
- यह स्वरुप वहां की बोली में झलकता है। यह यहाँ की मौलिक पहचान है।
Additional Informationसंथालीपन-
- संथालीपन का अभिप्राय है समाज में संथाली भाषा को बचाए रचना।
- संथाली मुंडा परिवार की प्रमुख भाषा है।
भाखापन-
- भाखापन इसका हिंदी अर्थ (भाषा या उपभाषा होने की क्रिया या भाषात्व)।
- इससे तात्पर्य यह है की भाषा का मूल स्वरुप बचा रहे।
सादापन-
- सादापन अर्थात मूल स्वरुप,सदा होने का गुण भाव, सरलता।
काव्य पंक्तियाँ Question 3:
'एक तनी हुई रस्सी है जिस पर में नाचता हूँ।'
पंक्ति के रचनाकार हैं।
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution
एक तनी हुई रस्सी है जिसके आगे मैं नाचता हूँ पंक्ति के रचनाकार अज्ञेय हैं।
- कविता शीर्षक :- नाच
- काव्य संग्रह :- महावृक्ष के नीचे
- प्रकाशन वर्ष :- 1977
अज्ञेय के प्रमुख कविता संग्रह-
- भग्नदूत (1933), चिन्ता (1942), इत्यलम् (1946), हरी घास पर क्षण भर (1949)
- आँगन के पार द्वार 1961, कितनी नावों में कितनी बार (1967), पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974)
- महावृक्ष के नीचे (1977), नदी की बाँक पर छाया (1981)
केदारनाथ अग्रवाल की पुकार कविता की पंक्तियाँ-
- "आँधी के झूले पर झूलो / आग बबूला बन कर फूलो / कुरबानी करने को झूमो / लाल सवेरे का मूँह चूमो / ऐ इन्सानों ओस न चाटो / अपने हाथों पर्वत काटो"
- कविता संग्रह :- गुलमेहँदी
त्रिलोचन की कविता की पंक्ति-
- ताप के ताए हुए दिन ये / क्षण के लघु मान से / मौन नपा किए ।
- चौंध के अक्षर / पल्लव-पल्लव के उर में / चुपचाप छपा किए।
सर्वश्वर दयाल सक्सेना की कविता की पंक्ति-
- चूल्हे में लकड़ी की तरह मैं जल रहा हूँ, / मुझे जंगल की याद मत दिलाओ!
काव्य पंक्तियाँ Question 4:
“लीक पर वे चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं,
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने
ऐसे अनिर्मित पंथ प्यारे हैं"
इन पंक्तियों के सृजेता हैं
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "सर्वेश्वर दयाल सक्सेना" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- उपर्युक्त काव्य पंक्तियां सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की है।
- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचनाएं
- तीसरा सप्तक – सं. अज्ञेय, (1959), काठ की घंटियां (1959), बांस का पुल (1963), एक सूनी नाव (1966), गर्म हवाएं (1966), कुआनो नदी (1973), जंगल का दर्द (1976), खूंटियों पर टंगे लोग (1982), क्या कह कर पुकारूं – प्रेम कविताएं, कविताएं (1), कविताएं (2), कोई मेरे साथ चले, मेघ आये,काला कोयल
- भारत भूषण अग्रवाल
- छवि के बंधन, जागते रहो, ओ अप्रस्तुत मन, अनुपस्थित लोग, मुक्तिमार्ग, एक उठा हुआ हाथ, उतना वह सूरज है कविता-संग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार, एक उठा हुआ हाथ, उतना वह सूरज है, अहिंसा, चलते-चलते, परिणति, प्रश्नचिह्न, फूटा प्रभात, भारतत्व, मिलन, विदा बेला, विदेह, समाधि लेख
- देवताले जी की प्रमुख कृतियाँ हैं
- हड्डियों में छिपा ज्वर, दीवारों पर खून से, लकड़बग्घा हँस रहा है, रोशनी के मैदान की तरफ़, भूखंड तप रहा है, हर चीज़ आग में बताई गई थी, पत्थर की बैंच, इतनी पत्थर रोशनी, उजाड़ में संग्रहालय आदि।
- भवानी प्रसाद मिश्र के कविता संग्रह
- गीत फरोश, चकित है दुख, गान्धी पंचशती, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, त्रिकाल सन्ध्या, व्यक्तिगत, परिवर्तन जिए, तुम आते हो, इदम् न मम, शरीर कविता: फसलें और फूल, मानसरोवर दिन, सम्प्रति, अँधेरी कविताएँ, तूस की आग, कालजयी, अनाम, नीली रेखा तक और सन्नाटा।
काव्य पंक्तियाँ Question 5:
न वह अच्छा है न बुरा
न वह कोमल है न सख्त
वह है सिर्फ शुद्ध वक्त | किसने कहा?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर - भवानी प्रसाद मिश्र
Key Points\
- दूसरे सप्तक के प्रथम कवि
- गांधीवादी विचारक
- कविताओं पर गांधी दर्शन का प्रभाव
- प्रथम संग्रह - गीत फ़रोश
- बुनी हुई रस्सी पर साहित्य अकादमी पुरस्कार
- इनको सहजता का कवि कहा जाता हैI
Additional Information
- हरिवंश राय बच्चन हालावाद के प्रवर्तक रहेI
- मुक्तिबोध गहन अनुभूति और तीव्र इन्द्रियबोध के कवि हैंI
काव्य पंक्तियाँ Question 6:
'नक्सलबाड़ी' कविता में धूमिल किसकी तलाश में है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution
'नक्सलबाड़ी' कविता में धूमिल "दूसरे प्रजातन्त्र" की तलाश में है। Key Pointsनक्सलबाड़ी-
- रचनाकार- सुदामा पांडेय धूमिल।
- विधा- कविता
- प्रकाशन वर्ष- 1972 ई.
- काव्य संग्रह- संसद से सड़क तक।
- महत्वपूर्ण तथ्य-
- धूमिल’ की यह कविता उनके पहले काव्य संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ में संग्रहित है।
- संग्रह से पहले 1967 में यह बनारस से निकलने वाली पत्रिका ‘आमुख’ में छपी थी।
- धूमिल के काव्य में तत्कालीन राजनीति के प्रति काफी असन्तोष देखने को मिलता है।
- उसी के फलस्वरूप उन्होंने अपनी कविताओं में नक्सलबाड़ी आन्दोलन के प्रति समर्थन मुखर किया।
- धूमिल नक्सलबाड़ी के पक्ष में लोगों को खड़ा करना चाहते हैं।
- नक्सलबाड़ी बंगाल का रेल स्टेशन है।
- वह छोटा सा स्टेशन अचानक देश में विक्षोभ को एक व्यवस्थित दिशा देने वाले केन्द्र का नाम बन गया।
Important Pointsसुदामा पाण्डेय धूमिल-
- जन्म- 1936 - 1975 ई.
- हिंदी की समकालीन कविता के प्रमुख कवि है।
- इनकी कविताओं में आजादी के सपनों के मोहभंग की पीड़ा और आक्रोश की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति मिलती है।
- धूमिल की कविताओं का परम लक्ष्य व्यवस्था जिसने जनता को छला है, उसको आइना दिखाना है।
- काव्य संग्रह-
- संसद से सड़क तक (1972 ई.)
- कल सुनना मुझे (1976 ई.)
- सुदामा पांडे का प्रजातंत्र (1984 ई.)।
- मरणोपरांत 1971 में 'कल सुनना मुझे' काव्य संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- धूमिल की सबसे लोकप्रिय कविताएँ हैं-
- मोचीराम
- बीस साल बाद
- पटकथा
- रोटी और संसद
- लोहे का स्वाद
काव्य पंक्तियाँ Question 7:
"अब आप इस बसन्त को ही लो,
यह दिन को ताँत की तरह तानता है
पेड़ों पर लाल - लाल पत्तों के हजारों सुखतल्ले
धूप में, सीझने के लिए
लटकाता है"
उपर्युक्त पंक्तियों से ध्वनित होता है कि:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियों से ध्वनित होता है कि:-
- मोचीराम बसंत का बयान अपने पेशे की भाषा में करता है।
Key Pointsमोचीराम-
- प्रकाशन वर्ष-1972ई.
- विधा-कविता
- रचनाकार-सुदामा पाण्डेय 'धूमिल'
Important Points
- यह पंक्तियाँ मोचीराम कविता से ली गयीं है।
- इसमें अनुप्रास अलंकार है।
- मोचीराम के माध्यम से कवि उस बनिए की हरकत और बेशर्मी का यथार्थ वर्णन करता है।
- कवि ने मोचीराम केे दुख को व्यक्त किया है क्योंकि बनिया उसको उसकी मेहनत के पूरे पैसे नहीं देता है, और उसकी अभद्र भाषा भी सुनता है मोचीराम दुखी है।
- कवि का मानना है की पेशा एक व्यक्ति का बोध कराता है, जबकि भाषा पर किसी भी जाति का हक है।
Additional Informationसुदामा पाण्डेय 'धूमिल'-
- जन्म-1936-1975ई.
- सुदामा पाण्डेय धूमिल हिंदी की समकालीन कविता के दौर के मील के पत्थर कवियों में एक है।
- उनकी कविताओं में आजादी के सपनों के मोहभंग की पीड़ा और आक्रोश की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति मिलती है।
- व्यवस्था जिसने जनता को छला है, उसको आइना दिखाना मानों धूमिल की कविताओं का परम लक्ष्य है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- संसद से सड़क तक-(1972ई.)
- कल सुनना मुझे-(1976ई.)
- सुदामा पांडे का प्रजातंत्र- (1984ई.) आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 8:
"कहाँ जाऊँ / हर दिशा में / मृत्यु से भी बहुत आगे की / अपरिमित दूरियाँ हैं I" कविता की ये पंक्तियाँ कुँवर नारायण की किस रचना से हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियां कुंवर नारायण की रचना आत्मजयी से है।
यह एक खंडकाव्य है।
इसका रचना वर्ष 1965 ईस्वी है।
'आत्मजयी’ का मूल कथासूत्र कठोपनिषद् में नचिकेता के प्रसंग पर आधारित है।
अन्य खंडकाव्य :- वाजश्रवा के बहाने (2008)।
कुंवर नारायण के कविता संग्रह-
चक्रव्यूह (1956), तीसरा सप्तक (1959), परिवेश : हम-तुम(1961), अपने सामने (1979),
कोई दूसरा नहीं(1993),इन दिनों(2002), हाशिए के बहाने (2009), कविता के बहाने(1993)।
चक्रव्यूह की प्रमुख कविताएँ-
- वरासत
- अस्तित्व के घेरे में
- उत्सर्ग
- सम्भावनाए
- कवि का सृजन मंत्र
- सूना कैनवस
- चित्र की चेतना
- सवेरा
- कुछ ऐसे भी यह दुनिया जानी जाती है।
"कुछ तो फर्क बचता...धर्मयुद्ध और कीट युद्ध में...कोई तो हार जीत के नियमों में...स्वाभिमान के अर्थ को फिर से ईजाद करता।"
उपर्युक्त पंक्तियों का-
कविता शीर्षक :- अजीब वक्त है
कविता संग्रह :- कोई दूसरा नहीं (1993)
कविता संग्रह "कोई दूसरा नहीं" के लिये 1995 का साहित्य अकादमी प्राप्त किया।
काव्य पंक्तियाँ Question 9:
'दो बाते कही, दो बात सुनी;
कुछ हँसे और फिर कुछ रोए।
छककर सुख-दुख के घूँटो को,
हम एक भाव से पिए चले।'
प्रस्तुत पंक्तियाँ किस कवि की हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution
'दो बाते कही, दो बात सुनी; कुछ हँसे और फिर कुछ रोए। छककर सुख-दुख के घूँटो को, हम एक भाव से पिए चले।' प्रस्तुत पंक्तियाँ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कवि की हैं।
- रचनाकार-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
- विधा-काव्य
- पंक्तियों का आशय-
- इसमें कवि कहता है कि हमने एक दूसरे से बातचीत की, कुछ देर तक हँसे और कुछ देर तक रोये, सुख दुख को एक समान समझकर हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए।
Key Pointsसर्वेश्वर दयाल सक्सेना -
- जन्म-1927-1983 ई.
- यह तीसरा सप्तक के कवि है।
- रचनाएँ-
- काठ की घंटियाँ(1959 ई.)
- बाँस का पुल(1963 ई.)
- एक सुनी नाव(1966 ई.)
- कुआनो नदी(1973 ई.) आदि।
Important Pointsभगवतीचरण वर्मा-
- जन्म-1903-1981 ई.
- रचनाएँ-
- मधुकण(1932 ई.)
- प्रेम-संगीत(1937 ई.)
- मानव(1940 ई.) आदि।
नरेश मेहता-
- जन्म-1922-2000 ई.
- यह दूसरा सप्तक के कवि है।
- रचनाएँ-
- बनपाखी सुनो(1957 ई.)
- बोलने दो चीड़ को(1961 ई.)
- उत्सवा(1979 ई.)
- अरण्या(1985 ई.) आदि।
कुँवर नारायण-
- जन्म-1927-2918 ई.
- यह तीसरा सप्तक के कवि है।
- रचनाएँ-
- अभी बिल्कुल अभी(1960 ई.)
- जमीन पक रही है(1980 ई.)
- अकाल में सारस(1988 ई.)
- बाघ(1996 ई.) आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 10:
कविता में पंक्ति "जूता क्या है—चकतियों की थैली है" का क्या अर्थ है?
(A) जूता केवल एक फैशनेबल वस्तु है।
(B) जूता टूटा-फूटा और बेकार हो चुका है, जो व्यक्ति की गरीबी को दर्शाता है।
(C) जूता एक महँगा और मूल्यवान सामान है।
(D) जूता व्यक्ति की सामाजिक स्थिति को परिभाषित करता है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution
सही उत्तर है- (B) जूता टूटा-फूटा और बेकार हो चुका है, जो व्यक्ति की गरीबी को दर्शाता है।
Key Points
भाव-
- पंक्ति "जूता क्या है—चकतियों की थैली है" एक ऐसे जूते का वर्णन करती है जो पूरी तरह से घिसा हुआ और टुकड़ों में बँटा है, जिसे "चेचक ने चुग लिया" व्यक्ति पहनता है।
- यह गरीबी, अभाव, और कठिन जीवन की स्थिति को दर्शाता है, जैसा कि कविता में व्यक्ति की "उम्मीद को तरह देती हुई हँसी" से स्पष्ट है।
Important Pointsमोचीराम -
- रचनाकार - सुदामा पाण्डेय 'धूमिल'
- विधा - कविता
- कविता - संग्रह - संसद से सड़क तक
- प्रमुख पंक्ति -
- मुझे हर वक्त यह खयाल रहता है कि
जूते और पेशे के बीच
कहीं-न-कहीं एक अदद आदमी है
- मुझे हर वक्त यह खयाल रहता है कि
- जो वह सोचता कि पेशा एक जाति है
और भाषा पर
आदमी का नहीं,किसी जाति का अधिकार है
Additional Informationसुदामा पांडेय धूमिल-
- जीवनकाल- 1936-1975 ई.
- जन्मस्थान- वाराणसी
- धूमिल के तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हैं-
- संसद से सड़क तक-1972
- कल सुनना मुझे-1976
- सुदामा पांडे का प्रजातंत्र- 1984