शुक्ल युगीन निबन्ध MCQ Quiz - Objective Question with Answer for शुक्ल युगीन निबन्ध - Download Free PDF
Last updated on Jun 6, 2025
Latest शुक्ल युगीन निबन्ध MCQ Objective Questions
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 1:
'विविध प्रसंग' किसकी रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 1 Detailed Solution
'विवध प्रसंग' की रचना है- प्रेमचंद
Key Pointsविवध प्रसंग-
- रचनाकार- प्रेमचंद
- विधा- निबन्ध
- विषय- इसमें छन्द और बाल रचनाओं को संकलित किया गया है।
Mistake Pointsफणीश्वरनाथ रेणु-
- जन्म- 1921-1977 ई.
- एक सुप्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार थे।
- उपन्यास-
- मैला आंचल -1954 ई.
- परती परिकथा -1957 ई.
- जूलूस -1965 ई.
- कितने चौराहे -1966 ई.
- पल्टू बाबू रोड -1979 ई.
हजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म- 1907-1979 ई.
- हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
- निबन्ध संग्रह-
- अशोक के फूल (1948 ई.)
- कल्पलता (1951 ई.)
- मध्यकालीन धर्मसाधना (1952 ई.)
- विचार और वितर्क (1957 ई.)
- विचार-प्रवाह (1959 ई.)
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'-
- जन्म- 1896 -1961 ई.
- हिन्दी के छायावादी कवियों में कई दृष्टियों से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं।
- निराला जी एक कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार और कहानीकार थे।
- निबन्ध संग्रह-
- प्रबंध पद्म (1934 ई.)
- प्रबंध प्रतिमा (1940 ई.)
- चाबुक (1942 ई.)
- चयन (1957 ई.)
- उपन्यास-
- अप्सरा (1931 ई.)
- अलका (1933 ई.)
- प्रभावती (1936 ई.)
- बिल्लेसुर बकरिहा (1942 ई.)
- चोटी की पकड़ (1946 ई.)
Important Pointsमुंशी प्रेमचंद-
- जन्म- 1880-1936 ई.
- हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे।
- निबन्ध संग्रह-
- कुछ विचार
- विविध प्रसंग।
- उपन्यास-
- सेवासदन- 1918 ई.
- रंगभूमि- 1925 ई.
- गबन- 1928 ई.
- कर्मभूमि- 1932 ई.
- गोदान - 1936 ई.
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 2:
रामचंद्र शुक्ल की कृति है
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर है - "चिंतामणि"
- चिंतामणि(भाग-1) सन् 1939 में प्रकाशित आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी का निबंधात्मक(समालोचना) ग्रंथ है।
- चिन्तामणि के प्रमुख निबन्ध हैं - भाव या मनोविकार, उत्साह, श्रद्धा और भक्ति, करुणा, लज्जा और ग्लानि, घृणा, ईर्ष्या, भय, क्रोध, कविता क्या है, काव्य में लोक मंगल की साधनावस्था।
- इस पुस्तक के चार भाग हैं।
- पुस्तक का दूसरा भाग सन् 1945 ई. में विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के संपादन में प्रकाशित हुआ था।
- चिंतामणि का तीसरा भाग नामवर सिंह के संपादन में सन् 1983 में प्रकाशित हुआ था।
- चौथा भाग सन् 2002 में कुसुम चतुर्वेदी एवं ओमप्रकाश सिंह के संपादन में प्रकाशित हुआ जिसमें 47 निबंध हैं।
Key Pointsअन्य विकल्पों का विश्लेषण -
रचना | रचनाकार | प्रकाशन वर्ष |
हिन्दी साहित्य : उद्भव और विकास | आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी | 1952 |
हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास | डॉ रामकुमार वर्मा | 1938 |
पद्मावत | मलिक मोहम्मद जायसी | 1540(लेखन वर्ष) |
Additional Informationआचार्य रामचंद्र शुक्ल -
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है हिन्दी साहित्य का इतिहास, जिसके द्वारा आज भी काल निर्धारण एवं पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता ली जाती है।
- हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात भी उन्हीं के द्वारा हुआ।
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 3:
"क्रोध" निबंध में क्रोध और दया के संबंध को कैसे समझाया गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 3 Detailed Solution
उत्तर- क्रोध दया की सहायता करता है, पर वाहवाही दया को मिलती है
विश्लेषण:
- निबंध में कहा गया है कि क्रोध दया की सहायता करता है, जैसे अत्याचारी को दंडित करने में, लेकिन लोग कहते हैं "दया करके बचा लिया," क्रोध का नाम नहीं लेते।
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 4:
"क्रोध" निबंध में क्रोध के निरोध का उपदेश क्यों दिया जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 4 Detailed Solution
विश्लेषण: निबंध में कहा गया है कि क्रोध शांति-भंग करता है और एक का क्रोध दूसरे में भी क्रोध उत्पन्न करता है, इसलिए धर्म, नीति और शिष्टाचार में इसके निरोध का उपदेश दिया जाता है।
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 5:
"क्रोध" निबंध में चिड़चिड़ाहट को क्रोध का कौन-सा रूप बताया गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 5 Detailed Solution
विश्लेषण: निबंध में चिड़चिड़ाहट को क्रोध का हल्का रूप कहा गया है, जो प्रायः शब्दों तक सीमित रहता है और सामान्य कारणों से उत्पन्न होता है।
Top शुक्ल युगीन निबन्ध MCQ Objective Questions
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का निबंध संग्रह है
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFचिन्तामणि, "रामचंद्र शुक्ल" का निबंध संग्रह है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) चिंतामणी सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- उत्साह रामचंद्र शुक्ल का निबंध है।
- यह निबंध आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध- संग्रह 'चिंतामणि-भाग-1' में है।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (4 अक्टूबर, 1884ईस्वी- 2 फरवरी, 1941ईस्वी)
- हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- आलोचनात्मक ग्रंथ :
- सूर
- तुलसी
- जायसी पर की गई आलोचनाएं
- काव्य में रहस्यवाद
- काव्य में अभिव्यंजनावाद
- रसमीमांसा
- माटी का फूल : रामवृक्ष बेनीपुरी
- क्षण बोले कण मुस्काएं : कन्हैया लाल मिश्र
- आलोक पर्व : हजारी प्रसाद द्विवेदी
- मेरे राम का मुकुट भीग रहा है व तुम चंदन हम पानी , विद्यानिवास मिश्र का निबंध है।
- सदाचार का ताबीज, हरिशंकर परसाई का निबंध है।
''यदि गद्य कवियों या लेखकों की कसौटी है तो निबंध गद्य की कसौंटी है।'' यह कथन किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF- उपरोक्त विचार रामचंद्र शुक्ल का है। अत: सही उत्तर विकल्प 1 आचार्य रामचंद्र शुक्ल है।
Key Points
- रामचंद्र शुक्ल के अनुसार - "गद्य रचना कवियों की कसौटी है, तो निबंध गद्य की कसौटी है।"
- किसी लेखक का भाषा पर कितना अधिकार है, यह निबंध के द्वारा ही जाना जा सकता है ।
- निबंध रचयिता के व्यक्तित्व का परिचायक है ।
अन्य विकल्प-
रचनाकार |
परिचय |
शिवदान सिंह चौहान |
शिवदान सिंह चौहान (1918-2000) हिन्दी साहित्य के प्रथम मार्क्सवादी आलोचक के रूप में ख्यात हैं। लेखक होने के साथ-साथ वे सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता भी थे। |
हजारीप्रसाद द्विवेदी |
हजारीप्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। वे हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत और बाङ्ला भाषाओं के विद्वान थे। भक्तिकालीन साहित्य का उन्हें अच्छा ज्ञान था। उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। आलोक पर्व निबन्ध संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट्. की उपाधि देकर उनका विशेष सम्मान किया था। |
महावीर प्रसाद द्विवेदी |
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864–1938) हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है। उन्होने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन किया। हिन्दी नवजागरण में उनकी महान भूमिका रही। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति व दिशा देने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। |
Additional Information
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का परिचय-
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (11 अक्टूबर, 1884ईस्वी- 2 फरवरी, 1941ईस्वी) हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है हिन्दी साहित्य का इतिहास, जिसके द्वारा आज भी काल निर्धारण एवं पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता ली जाती है। हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात उन्हीं के द्वारा हुआ।
- हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं।
- शुक्ल जी ने इतिहास लेखन में रचनाकार के जीवन और पाठ को समान महत्त्व दिया। उन्होंने प्रासंगिकता के दृष्टिकोण से साहित्यिक प्रत्ययों एवं रस आदि की पुनर्व्याख्या की।
अपने मनोवैज्ञानिक मनोविकार संबंधी निबंध 'करुणा' में रामचन्द्र शुक्ल ने निर्धारित किया है कि:
A. करुणा दुःखात्मक वर्ग में आने वाला मनोविकार है।
B. करुणा पात्र अथवा विषय के दुःख मात्र से उत्पन्न होता है।
C. करुणा का प्रसार सामाजिक जीवन की स्थिति और पुष्टि के लिए आवश्यक नहीं है।
D. करुणा का आलम्बन (विषय) करुणा करनेवाले (आश्रय) के प्रति कृतज्ञ होता है।
उपर्यक्त में से कौन-सा शुक्ल जी का मन्तव्य नहीं है ?Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF- आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपने मनोवैज्ञानिक और मनोविकार सम्बन्धी निबंधों में करुणा को भी स्थान दिया हैI
- उसमें स्पष्ट है कि करुणा का प्रसार सामाजिक जीवन की स्थिति और पुष्टि के लिए आवश्यक नहीं हैI
- शुक्ल जी के अनुभव के अनुसार सुख दुःख की मूल अनुभूतियाँ ही प्रेम, हास, उत्साह, आश्चर्य, करुणा आदि मनोविकारों को उत्पन्न करती हैंI
- करुणा इन्हीं में से एक है और दुःख की अनुभूति का एक प्रकार हैI
- इस निबंध में उन्होंने करुणा और क्रोध को एक दूसरे के विपरीत बताया हैI
- आचार्य शुक्ल ने अपने मनोवैज्ञानिक निबंधों में मुख्यतः तुलनात्मक शैली का प्रयोग किया हैI
- करुणा निबंध चिंतामणि भाग 1 में संकलित हैI
- इस संकलन के अन्य निबंध - भाव या मनोविकार, उत्साह, श्रद्धा और भक्ति, लज्जा और ग्लानि, घृणा, ईर्ष्या, भय, क्रोध, कविता क्या है, काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था आदिI
- चिंतामणि का पहला भाग 1939 में तथा दूसरा भाग 1945 में प्रकाशित हुआI
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल अपनी मौलिक निबंध लेखन शैली के लिए प्रसिद्ध हैंI
- उनके निबंधों की भाषा परिष्कृत साहित्यिक हिन्दी भाषा हैI
- चिंतामणि पर आचार्य शुक्ल को हिन्दी साहित्य सम्मलेन, प्रयाग द्वारा 1200 रूपये का मंगला प्रसाद पारितोषिक प्राप्त हुआ थाI
- इन्होने सैद्धांतिक और व्यावहारिक आलोचना में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैI
- रामविलास शर्मा के अनुसार - ''कथा साहित्य में जो कार्य प्रेमचन्द ने किया है, काव्य क्षेत्र में जो निराला ने किया है, वही कार्य आलोचना के क्षेत्र में रामचंद्र शुक्ल ने किया हैI''
'कविता क्या है' निबंध चिंतामणि के किस भाग में संकलित है ?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF'कविता क्या है' निबंध चिंतामणि के भाग 1 में संकलित है|
Key Points
- कविता क्या है? निबन्ध आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबन्ध संग्रह चिंतामणि(भाग-1) में संकलित है।
- सरस्वती पत्रिका में 1909ई. में सर्वप्रथम प्रकाशित हुआ।
Important Points
- चिंतामणि(भाग-1) में संकलित अन्य निबन्ध-भाव या मनोविकार,उत्साह,श्रद्धा-भक्ति,करुणा,लज्जा और ग्लानि,लोभ और प्रीति,ईर्ष्या, क्रोध,तुलसी का भक्तिमार्ग, काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था आदि।
Additional Information
- चिंतामणि(भाग-1) सर्वप्रथम 'विचार-वीथी' नाम से प्रकाशित हुआ था।
- अन्य भाग व संपादक-
- चिंतामणि(भाग-1)-रामचन्द्र शुक्ल(1939)
- चिंतामणि(भाग-2)-विश्वनाथ प्रसाद मिश्र(1945)
- चिंतामणि(भाग-3)-नामवर सिंह(1983)
- चिंतामणि(भाग-4)-कुसुम चतुर्वेदी और ओमप्रकाश सिंह(2004)
निम्नलिखित में से कौन ललित निबन्धकार नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFरामचन्द्र शुक्ल ललित निबन्धकार नहीं है|
Key Points
- ललित निबन्ध-
- ललित निबन्धों में निबन्धकार अपने भावमात्मक व्यक्तित्व को इस रूप में प्रस्तुत करना चाहता है कि वह सरस्,अनुभूति-जन्य,आत्मीय और रोचक लगे।
- इसमें बल सरस शैली पर दिया जाता है।
- इसकी भाषा मे शुष्कता नही बल्कि कल्पनाशीलता,सहजता व सरसता होती हैं।
- प्रमुख ललित निबन्धकार-हजारीप्रसाद द्विवेदी,विद्यानिवास मिश्र,कुबेरनाथ राय, विवेकी राय आदि।
Important Points
- हजारीप्रसाद द्विवेदी(1907-1979ई.) के निबन्ध-अशोक के फूल(1948),कल्पलता(1951),विचार और वितर्क(1957),कुटज(1964),आलोक पर्व(1972)आदि।
- विद्यानिवास मिश्र(1905-2005ई.) के निबन्ध-छितवन की छाहँ(1953),हल्दी दूब(1955),तुम चन्दन हम पानी(1957),मेरे राम का मुकुट भीग रहा है(1974)आदि।
- कुबेरनाथ राय(1933-1996ई.) के निबन्ध-प्रिया नीलकंठी(1969),रस आखेटक(1970),विषाद योग(1973),निषाद बाँसुरी(1974),पर्ण मुकुट(1978),कामधेनु(1980)आदि।
Additional Information
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल(1884-1941ई.) के आधार पर एक सम्पूर्ण कालखण्ड निबन्ध में विभक्त है।शुक्ल युग मे निबन्ध रचना की भाषा मे सर्जनात्मक प्रयोग हुए।
- शक्ल निबन्ध-चिंतामणि(भाग-1)-भाव या मनोविकार,उत्साह,श्रद्धा-भक्ति,लज्जा और ग्लानि,लोभ और प्रीति,क्रोध,कविता क्या है?,काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था,तुलसी का भक्तिमार्ग आदि।
छायावादयुग के सबसे प्रमुख निबंधकार हैं:
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF"रामचन्द्र शुक्ल" छायावादयुग के सबसे प्रमुख निबंधकार हैं।
Important Points
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (4 अक्टूबर, 1884ईस्वी- 2 फरवरी, 1941ईस्वी)
- हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
- भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं।
- हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- आलोचनात्मक ग्रंथ :
- सूर
- तुलसी
- जायसी पर की गई आलोचनाएं
- काव्य में रहस्यवाद
- काव्य में अभिव्यंजनावाद
- रसमीमांसा
'भाषा की पूर्ण शक्ति का विकास निबंधों में ही सबसे अधिक संभव होता है।' यह कथन किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDF- भाषा की पूर्ण शक्ति का विकास निबंधों में ही सबसे अधिक सम्भव होता है यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है ।
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध क्षेत्र में पदार्पण करने से निबंध - साहित्य को नया आयाम मिला ।
Key Points
- निबंध को परिभाषित करते हुए शुक्ल लिखतें हैं - " यदि गद्य कवियों या लेखकों की कसौटी है तो निबंध गद्य की कसौटी । भाषा की पूर्ण शक्ति का विकास निबंधों में ही सबसे अधिक संभव है । "
- शुक्ल जी के निबंध चिंतामणि (चार भाग) में संकलित हैं ।
- साहित्य शुक्ल जी का पहला निबंध है जो सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुआ ।
- भाषा और शैली के आधार पर आचार्य शुक्ल को कलात्मक निबंध का जन्मदाता माना जाता है ।
- शुक्ल के प्रसिद्ध निबंध - भाव या मनोविकार, उत्साह, श्रद्धा - भक्ति, करुणा, कविता क्या है, काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था, काव्य में रहस्यवाद आदि ।
कौन सा रामचन्द्र शुक्ल के चिंतामणि का सैद्धान्तिक समीक्षा संबंधी निबंध नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "मानस की धर्मभूमि" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- मानस की धर्म भूमि व्यावहारिक आलोचनात्मक निबंध है।,
- यह सैद्धान्तिक समीक्षा संबंधी निबंध नहीं है।
- मानस की धर्म भूमि व्यावहारिक आलोचनात्मक निबंध है।
- रामचंद्र शुक्ल के :- भारतेंदु हरिश्चंद्र, तुलसी का भक्ति मार्ग, मानस की धर्म भूमि आदि निबंध व्यावहारिक आलोचना के अंतर्गत आते हैं।
- मनोवैज्ञानिक निबंधों में करुणा, श्रद्धा, भक्ति, लज्जा, ग्लानि, क्रोध, लोभ और प्रीति आदि भावों तथा मनोविकारों पर लिखे गए निबंध आते हैं।
- चिन्तामणि के प्रमुख निबन्ध हैं- भाव या मनोविकार, उत्साह, श्रद्धा और भक्ति, करुणा, लज्जा और ग्लानि, घृणा, ईर्ष्या, भय, क्रोध, कविता क्या है, काव्य में लोक मंगल की साधनावस्था।
निम्न में से कौन-सा निबंध गुलेरी जी का नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF'अनुप्रास का अन्वेषण' - निबन्ध गुलेरी जी का नही है।
Key Points
- अनुप्रास का अन्वेषण निबन्ध जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी का है।
- अन्य निबन्ध-गद्य माला(1909),निबन्ध-निचय,ब की बहार,पिक्चर की पूजा आदि।
Important Points
- चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी'(1883-1922)-द्विवेदीयुगीन महत्वपूर्ण निबन्धकार।
- मुख्य निबन्ध-अमंगल के स्थान,विक्रमोर्वशी की मूल कथा,शेशुनाक की मूर्तियां,देवकुल,संगीत आदि।
- रामचन्द्र शुक्ल ने 'भारतेंदु हरिश्चंद्र' को हिंदी का पहला निबन्धकार माना है।
'बेकन' के निबंधों का अनुवाद 'बेकन विचार रत्नावली' नाम से किसने किया?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल युगीन निबन्ध Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF'बेकन' के निबंधों का अनुवाद 'बेकन विचार रत्नावली' नाम से महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किया।
- लार्ड बकेन के निबंधों का अनुवाद इन्होंने किया है।
Key Pointsमहावीर प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म-1864-1938ई.
- मुख्य निबंध-
- संपत्तिशास्त्र
- रसज्ञ रंजन
- नाट्य-शास्त्र
- उपन्यास रहस्य
- म्युनिसिपैलिटी के कारनामे
- आत्मनिवेदन आदि।
Important Pointsरामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म-1884-1941ई.
- मुख्य निबंध-
- भाव या मनोविकार
- उत्साह
- श्रद्धा भक्ति
- तुलसी का भक्तिमार्ग
- काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था
- काव्य में रहस्यवाद आदि।
- इनके निबंधों को चिंतामणि के चार भागों में संकलित किया गया हैं।
बालकृष्ण भट्ट-
- जन्म-1844-1914ई.
- शुक्ल जी ने इन्हें 'हिन्दी का स्टील' कहा है।
- मुख्य निबंध-
- संसार महानाटकशाला
- साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है
- साहित्य का सभ्यता से घनिष्ट संबंध है
- आत्मनिर्भरता
- कल्पना
- मेला-ठेला
- देवताओं से हमारी बातचीत
- कालचक्र का चक्कर आदि।
भारतेन्दु हरिश्चंद्र-
- जन्म-1850-1885ई.
- डॉ. शिवदान सिंह चौहान ने भारतेन्दु को हिन्दी का पहला निबंधकार स्वीकार किया है।
- मुख्य निबंध-
- पुरातत्व संबंधी-
- रामायण का समय,मणिकर्णिका आदि।
- इतिहास संबंधी-
- कश्मीर कुसुम,बादशाह दर्पण आदि।
- धर्म संबंधी-
- तदीय सर्वस्व,वैष्णवता और भारतवर्ष आदि।
- कला संबंधी-
- संगीत सार,जातीय संगीत आदि।
- यात्रा संबंधी-
- बैजनाथ की यात्रा आदि।
- राष्ट्रीय भावना संबंधी-
- भारत-वर्षोन्नति कैसे हो सकती है?
- साहित्य संबंधी-
- हिन्दी भाषा,नाटक आदि।
Additional Informationरामस्वरूप चतुर्वेदी ने भारतेन्दु के लिए लिखा हैं-
- "कविता में उनक संसार है,गद्य में विचार।"
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- इन्होंने महावीरप्रसाद द्विवेदी के निबंधों को 'बातों का संग्रह' कहा है।
आचार्य शुक्ल-
- "श्रद्धा और प्रेम के योग का नाम भक्ति है।"