शब्दविचार MCQ Quiz - Objective Question with Answer for शब्दविचार - Download Free PDF
Last updated on Jun 9, 2025
Latest शब्दविचार MCQ Objective Questions
शब्दविचार Question 1:
कथयिष्यति इत्यस्य लुट् लकारे रुपं किम्?
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 1 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - कथयिष्यति इसका लुट् लकार के रूप क्या है?
स्पष्टीकरण -
'कथयिष्यति' इत्यस्य लुट् लकारे रुपं भवति कथयिता।
'कथयिष्यति' इसका लुट् लकार के रूप है कथयिता।
Hint'कथ्' धातु परस्मैपदी 'लुट् लकार' का सम्पूर्ण रूप है -
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमपुरुष | कथयिता | कथयितारौ | कथयितारः |
मध्यमपुरुष | कथयितासि | कथयितास्थः | कथयितास्थ |
उत्तम पुरुष | कथयितास्मि | कथयितास्वः | कथयितास्मः |
शब्दविचार Question 2:
एधाम्बभूव इति कस्मिन् पुरुषे अस्ति?
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 2 Detailed Solution
प्रश्न का हिंदी भाषांतर : एधाम्बभूव यह रूप किस पुरुष में होता है?
स्पष्टीकरण :
- परोक्षेलिट् इस सूत्र से 'परोक्ष भूत काल' में लिट् लकार का प्रयोग होता है। जो कार्य आँखों के सामने पारित होता है, उसे परोक्ष भूतकाल कहते हैं।
- लिट् लकार के दो प्रकार होतें है -
- आमन्त/आमयुक्त
- अभ्यस्त
- आमन्त लिट् लकार में यह प्रक्रिया होती है -
- धातु + आम् + अस्/कृ/भू धातु + लिट् लकार प्रत्यय
एध् धातु के लिट् लकार में रूप इस प्रकार होंगे -
|
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमपुरुष |
एधाञ्चक्रे / एधाम्बभूव / एधामास |
एधाञ्चक्राते / एधाम्बभूवतुः / एधामासतुः |
एधाञ्चक्रिरे / एधाम्बभूवुः / एधामासुः |
मध्यमपुरुष |
एधाञ्चकृषे / एधाम्बभूविथ / एधामासिथ |
एधाञ्चक्राथे / एधाम्बभूवथुः / एधामासथुः |
एधाञ्चकृढ्वे / एधाम्बभूव / एधामास |
उत्तमपुरुष |
एधाञ्चक्रे / एधाम्बभूव / एधामास |
एधाञ्चकृवहे / एधाम्बभूविव / एधामासिव |
एधाञ्चकृमहे / एधाम्बभूविम / एधामासिम |
अतः स्पष्ट है, 'प्रथमउत्तमे' यह इस प्रश्न का सही उत्तर है।
शब्दविचार Question 3:
'लृट्' इति लकारः कस्मिन् काले प्रयुज्यते ?
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 3 Detailed Solution
प्रश्नार्थ - 'लृट्' यह लकार किस लकार में योजित है?
लृट् लकार - 'लृट् शेषे च' सामान्य भविष्य काल के लिए लृट् लकार प्रयुक्त होता है।
'गम्-गच्छ' - लृट् लकार भविष्यकाल के रूप
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष |
गमिष्यति (जाएगा) |
गमिष्यतः (वह दो जाएंगे) |
गमिष्यन्ति (वह सब जाएंगे) |
मध्यम पुरुष |
गमिष्यसि (जाओगे) |
गमिष्यथः (तुम दो जाओंगे) |
गमिष्यथ (तुम सब जाओंगे) |
उत्तम पुरुष |
गमिष्यामि (मैं जाऊंगा) |
गमिष्यावः (हम दो जाएंगे) |
गमिष्यामः (हम सब जाएंगे) |
Additional Information
इन धातुओं से दस लकारों में रूप बनते है-
लकारों के नाम तथा अर्थ -
i)- लट् लकार - 'वर्तमाने लट्' लट् लकार वर्तमान काल अर्थ में होता है। यथा - राम जाता है - रामः गच्छति।
ii)- लोट् लकार - 'आशिषि लिङ् लोटौ' लोट् लकार का प्रयोग विविध अर्थों में होता है -
- आज्ञा - तुम जाओ - त्वं गच्छ।
- प्रार्थना - आप आईये - भवान् आगच्छ।
- अनुमति - मै क्या करू - अहं किं करवाणि।
- आशीर्वाद - दीर्घायु हो - दीर्घायु भव।
iii)- लङ् लकार - 'अनद्यतने लङ्' अनद्यतन भूत काल अर्थ में लङ् लकार का प्रयोग होता है। उसने लिखा - सः अलिखत्।
iv)- विधिलिङ्ग लकार - 'विधिनिमन्त्रणामन्त्रणाधीष्टसंप्रश्नप्रार्थनेषु लिङ्' विधिलिङ् लकार का निम्न अर्थों में प्रयोग होता है -
- विधि - सत्य बोलना चाहिए - सत्यं ब्रूयात्।
- छात्राओं को पढना चाहिए - छात्राः पठेयुः।
- निमन्त्रण - आप आज यहाँ भोजन करें - भवान् अद्य अत्र भक्षयेत्।
- आदेश - तुम पुस्तक पढो - त्वं पुस्तकं पठे।
- प्रश्न - मुझे क्या पढना चाहिए - अहं किम् पठेयम्।
- इच्छा अथवा प्रार्थना - तुम सुखी रखो - यूयं सुखी भवेत।
v)- लृट् लकार - 'लृट् शेषे च' सामान्य भविष्य काल के लिए लृट् लकार प्रयुक्त होता है। यथा - वह पढे़गा - सः पठिष्यति।
vi)- लुट् लकार - 'अनद्यतने लुट्' लुट् लकार का प्रयोग अनद्यतन भविष्य के लिए होता है। यथा - वह पढे़गा - सः पठिता।
vii)- लृङ्लकार - जहाँ एक क्रिया दूसरी क्रिया पर आश्रित होता है वहाँ हेतुमत् भूत काल अर्थात् लृङ् लकार होता है। यथा - यदि वह पढता तो विद्वान् हो जाता - यदि सः अपठिष्यत् तर्हि विद्वान् अभविष्यत्।
viii)- आशीर्लिङ् लकार - आशीर्वाद अर्थ में आशीर्लिङ् लकार का प्रयोग होता है। यथा - वह पढे - सः पठ्यात्।
ix)- लुङ् लकार - सामान्य भूत काल में लुङ् लकार का प्रयोग होता है। यथा - उसने पढा - सः अपाठीत्।
x)- लिट् लकार - 'परोक्षेलिट्' लोट् लकार परोक्ष भूत काल अर्थ में होता है। यथा - उसने पढा - सः पपाठ।
व्याकरण के दृष्टि से धातु शब्द का अर्थ है - "शब्द योनि"
शब्दविचार Question 4:
नर्द धातोः लोट्-उत्तमपुरुष-बहुचनरुपं किम्?
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 4 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - नर्द् धातु लोट् लकर उत्तमपुरुष-बहुचन का रुप क्या होगा?
स्पष्टीकरण -
'नर्द्' धातोः लोट्-उत्तमपुरुष-बहुचनरुपं - नर्दाम।
'नर्द्' धातु लोट् लकर उत्तमपुरुष-बहुचन का रुप - नर्दाम।
Hint'नर्द' धातु के लोट् लकार का रुप-
शब्दविचार Question 5:
स्पर्ध-धातोः मध्यमपुरुषैकवचनं किम्?
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 5 Detailed Solution
प्रश्नार्थ - ‘स्पर्ध’ धातु का मध्यम-पुरुष, एकवचन में क्या रूप है?
उत्तर - स्पर्धसे ।
स्पष्टीकरण - ‘स्पर्ध संघर्षे’ धातुः अयम् आत्मनेपदी। यस्य मध्यमपुरुषस्य एकवचने रूपं ‘स्पर्धसे’ इति भवति।
Hint स्पर्ध धातोः रूपाणि –
Important Points
धातु रूपेषु सर्वदा तिङ् प्रत्ययों की संख्या 18 है, उनमें से 9 प्रत्यय परस्मैपद तथा 9 प्रत्यय आत्मनेपद है।
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मातृ शब्द का पंचमी विभक्ति का एकवचन रूप है-
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF'मातृ' यह प्रातिपदिक 'ऋकारान्त स्त्रीलिंग शब्द है। इसके विभिन्न विभक्ति-वचन में रूप निम्नलिखित हैं-
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
माता |
मातरौ |
मातरः |
द्वितीया |
मातरम् |
मातरौ |
मातृ |
तृतीया |
मात्रा |
मातृभ्याम् |
मातृभिः |
चतुर्थी |
मात्रे |
मातृभ्याम् |
मातृभ्यः |
पन्चमी |
मातुः |
मातृभ्याम् |
मातृभ्यः |
षष्ठी |
मातुः |
मात्रोः |
मातृणाम् |
सप्तमी |
मातरि |
मात्रोः |
मातृषु |
सम्बोधन |
हे माता! |
हे मातरौ! |
हे मातरः! |
उपर्युक्त सारणी के अनुसार यह स्पष्ट होता है कि 'मातृ' शब्द की पञ्चमी विभक्ति एकवचन में 'मातुः' रूप होता है।
Additional Information
मातृ की तरह दुहितृ, स्वसृ, ननादृ यह कुछ अन्य 'ऋकारान्त' स्त्रीलिंग पद है।
'नदी' शब्द का सप्तमी, एकवचन रूप है
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF‘नदी’ का अर्थ ‘नदी’ या 'सरिता' होता है। ‘नद्याम्’ शब्द रूप – ईकारान्त स्त्रीलिङ्ग सप्तमी एकवचन’ है।
‘नदी’ शब्द का प्रयोग निम्नलिखित है:-
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
नदी |
नद्यौ |
नद्यः |
द्वितीया |
नदीम् |
नद्यौ |
नदीः |
तृतीया |
नद्या |
नदीभ्याम् |
नदीभिः |
चर्तुथी |
नद्यै |
नदीभ्याम् |
नदीभ्यः |
पन्चमी |
नद्याः |
नदीभ्याम् |
नदीभ्यः |
षष्ठी |
नद्याः |
नद्योः |
नदीनाम् |
सप्तमी |
नद्याम् |
नद्योः |
नदीषु |
सम्बोधन |
हे नदि! |
हे नद्यौ! |
हे नद्यः! |
'दास्यति' क्रियापद में लकार है
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFस्पष्टीकरण - 'दास्यति' का अर्थ होता है, 'देगा/देगी' जो भविष्यकाल है।
‘दा’ धातु से ‘लृट् लकार’ के विविध वचनों और पुरूषों में प्राप्त रूप इस प्रकार है-
पुरूष |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमपुरूष |
दास्यति |
दास्यतः |
दास्यन्ति |
मध्यमपुरूष |
दास्यसि |
दास्यथः |
दास्यथ |
उत्तमपुरूष |
दास्यामि |
दास्यावः |
दास्यामः |
अतः स्पष्ट है कि 'दास्यामि' इस पद में मूलधातु 'दा' धातु का 'लृट् लकार' प्रथम पुरुष एकवचन है।
Hint
लृट् लकार - 'लृट् शेषे च' सामान्य भविष्य काल के लिए लृट् लकार प्रयुक्त होता है।
जैसे - वह पढेगा - सः पठिष्यति।
लृट् लकार क सूत्र = धातु + स्य + लट्लकार प्रत्यय
उदा.
- पठिष्यति = पठ् + स्य + ति
- लेखिष्यति = लिख् + स्य + ति
- भविष्यति = भू-भव् + स्य + ति
- दास्यत्ति = दा + स्य + ति
Additional Information
लकार - संस्कृत में दस लकारों का वर्णन मिलता है -
लकारों के नाम तथा अर्थ -
i)- लट् लकार - 'वर्तमाने लट्' लट् लकार वर्तमान काल अर्थ में होता है। यथा - राम जाता है - रामः गच्छति।
ii)- लोट् लकार - 'आशिषि लिङ् लोटौ' लोट् लकार का प्रयोग विविध अर्थों में होता है -
- आज्ञा - तुम जाओ - त्वं गच्छ।
- प्रार्थना - आप आईये - भवान् आगच्छ।
- अनुमति - मै क्या करू - अहं किं करवाणि।
- आशीर्वाद - दीर्घायु हो - दीर्घायु भव।
iii)- लङ् लकार - 'अनद्यतने लङ्' अनद्यतन भूत काल अर्थ में लङ् लकार का प्रयोग होता है। उसने लिखा - सः अलिखत्।
iv)- विधिलिङ्ग लकार - 'विधिनिमन्त्रणामन्त्रणाधीष्टसंप्रश्नप्रार्थनेषु लिङ्' विधिलिङ्ग लकार का निम्न अर्थों में प्रयोग होता है -
- विधि - सत्य बोलना चाहिए - सत्यं ब्रूयात्।
- छात्राओं को पढना चाहिए - छात्राः पठेयुः।
- निमन्त्रण - आप आज यहाँ भोजन करें - भवान् अद्य अत्र भक्षयेत्।
- आदेश - तुम पुस्तक पढो - त्वं पुस्तकं पठे।
- प्रश्न - मुझे क्या पढना चाहिए - अहं किम् पठेयम्।
- इच्छा अथवा प्रार्थना - तुम सुखी रखो - यूयं सुखी भवेत।
v)- लृट् लकार - 'लृट् शेषे च' सामान्य भविष्य काल के लिए लृट् लकार प्रयुक्त होता है। यथा - वह पढेगा - सः पठिष्यति।
vi)- लुट् लकार - 'अनद्यतने लुट्' लुट् लकार का प्रयोग अनद्यतन भविष्य के लिए होता है। यथा - वह पढेगा - सः पठिता।
vii)- लृङ्लकार - जहाँ एक क्रिया दूसरी क्रिया पर आश्रित होता है वहाँ हेतुमत् भूत काल अर्थात् लृङ् लकार होता है। यथा - यदि वह पढता तो विद्वान् हो जाता - यदि सः अपठिष्यत् तर्हि विद्वान् अभविष्यत्।
viii)- आशीर्लिङ् लकार - आशीर्वाद अर्थ में आशीर्लिङ् लकार का प्रयोग होता है। यथा - वह पढे - सः पठ्यात्।
ix)- लुङ् लकार - सामान्य भूत काल में लुङ् लकार का प्रयोग होता है। यथा - उसने पढा - सः अपाठीत्।
x)- लिट् लकार - 'परोक्षेलिट्' लोट् लकार परोक्ष भूत काल अर्थ में होता है। यथा - उसने पढा - सः पपाठ।
'दा' धातु के लृट लकार, मध्यम पुरुष, एकवचन में रूप बनता है-
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF‘दा’ धातु से ‘लृट् लकार’ के विविध वचनों और पुरूषों में प्राप्त रूप इस प्रकार है-
पुरूष |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमपुरूष |
दास्यति |
दास्यतः |
दास्यन्ति |
मध्यमपुरूष |
दास्यसि |
दास्यथः |
दास्यथ |
उत्तमपुरूष |
दास्यामि |
दास्यावः |
दास्यामः |
अतः स्पष्ट है कि 'दास्यसि' इस पद में मूलधातु 'दा' धातु का 'लृट् लकार' मध्यम पुरुष एकवचन है।
'गाः' पद में विभक्ति वचन है
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF‘गाः’ का अर्थ होता है गायों को, ओकारान्त 'गो' शब्द का यह द्विवचन रूप है।
ओकारान्त ‘गो’ शब्द का विभिन्न विभक्तियों और वचनों में रूप चलता है -
ओकारान्त ‘गो’ शब्द | |||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
गौः |
गावौ |
गावः |
द्वितीया |
गाम् |
गावौ |
गाः |
तृतीया |
गवा |
गोभ्याम् |
गोभिः |
चर्तुथी |
गवे |
गोभ्याम् |
गोभ्यः |
पन्चमी |
गोः |
गोभ्याम् |
गोभ्यः |
षष्ठी |
गोः |
गवोः |
गवाम् |
सप्तमी |
गवि |
गवोः |
गोषु |
सम्बोधन |
हे गौः! |
हे गावौ! |
हे गावः! |
'पठ्' धातोः लङ् लकारस्य उत्तमपुरुषैकवचने रूपम् अस्ति-
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - 'पठ्' धातु का लङ् लकार के उत्तमपुरुष एकवचन में रूप होता है-
स्पष्टीकरण -
- पठ् (पढ़ना) धातु का लङ् लकार के उत्तमपुरुष-एकवचन में अपठम् रूप बनता है।
Additional Information
'पठ्' धातु का ‘लङ् लकार’ के विविध वचनों और पुरूषों में प्राप्त रूप इस प्रकार है-
पुरूष |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमपुरूष |
अपठत् |
अपठताम् |
अपठन् |
मध्यमपुरूष |
अपठः |
अपठतम् |
अपठत |
उत्तमपुरूष |
अपठम् |
अपठाव |
अपठाम |
अतः स्पष्ट है कि पठ् धातु ‘लङ् लकार, उत्तम पुरूष, एकवचन’ में ‘अपठम्’ रूप बनता है।
'कुञ्जर' शब्द का अर्थ है
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से सही विकल्प 'हाथी' है।
जानवरों के नाम:–
हिन्दी |
संस्कृत |
सर्प |
भुजङ्गः |
हिरण |
मृगः |
हाथी |
कुञ्जरः |
सुअर |
वराहः |
उदाहरण: महाभारत मे एक प्रसिद्ध वाक्य है 'अश्वत्थामा हतो। नरो वा कुञ्जरो वा।' जिसका अर्थ है, अश्वत्थामा मारा गया (पर) मनुष्य या हाथी (पता नहीं)।
Additional Information
हाथी को संस्कृत में ४००० से ज्यादा समानार्थी शब्द है। उसमे से कुछ प्रमुख निम्न हैं – कुञ्जरः, गजः, हस्तिन्, हस्तिपकः, द्विपः, द्विरदः, वारणः, करिन्, मतङ्गः, सुचिकाधरः, सुप्रतीकः, अङ्गूषः, अन्तेःस्वेदः, इभः, कञ्जरः, कञ्जारः, कटिन्, कम्बुः, करिकः, कालिङ्गः, कूचः, गर्जः, चदिरः, चक्रपादः, चन्दिरः, जलकाङ्क्षः, जर्तुः, दण्डवलधिः, दन्तावलः, दीर्घपवनः, दीर्घवक्त्रः, द्रुमारिः, द्विदन्तः, द्विरापः, नगजः, नगरघातः, नर्तकः, निर्झरः, पञ्चनखः, पिचिलः, पीलुः, पिण्डपादः, पिण्डपाद्यः, पृदाकुः, पृष्टहायनः, पुण्ड्रकेलिः, बृहदङ्गः, प्रस्वेदः, मदकलः, मदारः, महाकायः, महामृगः, महानादः, मातंगः, मतंगजः, मत्तकीशः, राजिलः, राजीवः, रक्तपादः, रणमत्तः, रसिकः, लम्बकर्णः, लतालकः, लतारदः, वनजः, वराङ्गः, वारीटः, वितण्डः, षष्टिहायनः, वेदण्डः, वेगदण्डः, वेतण्डः, विलोमजिह्वः, विलोमरसनः, विषाणकः, इत्यादि।
'बालक' शब्द तृतीया विभक्ति, बहुवचन का रूप है
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF‘बालक’ का अर्थ ‘लडका’ होता है, यह नाम है। ‘बालकैः’ शब्द रूप – अकारान्त पुल्लिङ्ग तृतीया बहुवचन’ है।
‘बालक’ शब्द का प्रयोग निम्नलिखित है-
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
बालकः |
बालकौ |
बालकाः |
द्वितीया |
बालकम् |
बालकौ |
बालकान |
तृतीया |
बालकेन |
बालकाभ्याम् |
बालकैः |
चर्तुथी |
बालकाय |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्यः |
पन्चमी |
बालकात् |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्यः |
षष्ठी |
बालकस्य |
बालकयोः |
बालकानाम् |
सप्तमी |
बालके |
बालकयोः |
बालकेषु |
सम्बोधन |
हे बालक! |
हे बालकौ! |
हे बालकाः |
'महिमा' शब्द का लिङ्ग है -
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFमहिमा शब्द का अर्थ है - वैभव।
हिंदी में महिमा शब्द का प्रयोग स्त्रीलिङ्ग में होता है।
परन्तु संस्कृत में इसका प्रयोग पुल्लिंग होता है।
इसलिए उचित पर्याय पुल्लिङ्ग है।
'पितृस्वसा' का अर्थ है
Answer (Detailed Solution Below)
शब्दविचार Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFसंस्कृत मे 'बुआ' को 'पितृस्वसा' कहते है।
'पितृस्वसा' का अर्थ होता है पिता कि बहन अर्थात् 'फुफू' या 'बुआ'।
Additional Information
संस्कृत में कुछ अन्य रिश्तेदार -
- चाचा - पितृव्यः
- चाची - पितृव्या
- मामा - मातुलः
- मामी - मातुला
- फूफा - पितृस्वसृपतिः
- बुआ - पितृस्वसा
- मौसा - मातृसृपतिः
- मौसी - मातृस्वसा