वाक्य विचार MCQ Quiz - Objective Question with Answer for वाक्य विचार - Download Free PDF
Last updated on Apr 8, 2025
Latest वाक्य विचार MCQ Objective Questions
वाक्य विचार Question 1:
'महाभारते शतसहस्रं श्लोकाः सन्ति' अस्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 1 Detailed Solution
प्रश्न की हिन्दी - 'महाभारते शतसहस्रं श्लोकाः सन्ति' इसका प्रश्न निर्माण करें-
स्पष्टीकरण -
- महाभारते शतसहस्रं श्लोकाः सन्ति। (महाभारत में सौ हजार (एक लाख) श्लोक हैं।)
- इस वाक्य को प्रश्नवाचक वाक्य बनाने पर - महाभारते कति श्लोकाः सन्ति? (महाभारत में कितने श्लोक हैं?) वाक्य बनेगा।
- सामान्य वाक्य को प्रश्नवाचक वाक्य में परिवर्तन करते समय, जिस शब्द के स्थान पर प्रश्नवाचक शब्द आना है, उसमें समान विभक्ति और वचन होता है।
- जैसे - रामः पुस्तकम् पठति। प्रश्नवाचक में रामः कम् पठति ? (पुस्तकम् में द्वितीया एकवचन है, इसी तरह कम् शब्द भी द्वितीया विभक्ति-एकवचन का है।)
- संख्यावाची शब्द को प्रश्नवाचक शब्द के साथ परिवर्तित करने पर कति शब्द का प्रयोग किया जाता है।
- कति शब्द का अर्थ होता है - कितना।
- इस तरह प्रश्नवाचक वाक्य महाभारते कति श्लोकाः सन्ति सही उत्तर होगा।
Additional Information
- कति (कितना) शब्द तीनों लिंगों में प्रयुक्त होते हैं तथा नित्य बहुवचन में होते हैं।
- प्रथमा व द्वितीया विभक्ति में कति रूप बनता है। अन्य विभक्तियों में विभक्ति के अनुसार रूप बनते हैं।
विभक्ति |
बहुवचन |
प्रथमा |
कति |
द्वितीया |
कति |
तृतीया |
कतिभिः |
चतुर्थी |
कतिभ्यः |
पंचमी |
कतिभ्यः |
षष्ठी |
कतीनाम् |
सप्तमी |
कतिषु |
वाक्य विचार Question 2:
"वयं सर्वे स्वप्स्यामः" - वाक्यस्य भाववाच्यं भवति
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 2 Detailed Solution
प्रश्नार्थ- "वयं सर्वे स्वप्स्यामः" इस वाक्य का भाववाच्य है-
उत्तर- अस्माभिः सर्वैः सुप्यते
Important Points
- "वयं सर्वे स्वप्स्यामः" वाक्य का भाववाच्य में परिवर्तन करते समय हमें वाक्य का ऐसा रूप ढूँढना होता है जिसमें क्रिया अज्ञात कर्ता द्वारा की जा रही हो।
- प्रस्तुत वाक्य में "वयं सर्वे" (हम सभी) कर्ता हैं और "स्वप्स्यामः" भविष्यत् काल की क्रिया है। भाववाच्य में, क्रिया के साथ कर्ता का उल्लेख नहीं होता या उसे एक अलग रूप में प्रकट किया जाता है।
- सही उत्तर "अस्माभिः सर्वैः सुप्यते" है, जिसका विस्तृत विश्लेषण इस प्रकार है:
- "वयं सर्वे" को "अस्माभिः सर्वैः" में परिवर्तित किया गया है, जो तृतीया विभक्ति बहुवचन में है। भाववाच्यं में, कर्तृवाची शब्द अक्सर तृतीया विभक्ति में परिवर्तित हो जाता है, जो यहां "अस्माभिः" में देखा गया। "सर्वे" को "सर्वैः" में रूपांतरित किया गया है ताकि यह भी तृतीया विभक्ति में समरूप हो सके।
- "स्वप्स्यामः" (भविष्यत् काल की क्रिया) को "सुप्यते" में बदला गया है। भाववाच्य में क्रिया अक्सर वर्तमान काल में परिवर्तित हो जाती है और यहाँ "सुप्यते" ऐसी क्रिया है जो वर्तमान काल में भाववाच्य का प्रतिनिधित्व करती है।
- इस प्रकार "वयं सर्वे स्वप्स्यामः" का भाववाच्य रूप "अस्माभिः सर्वैः सुप्यते" होता है, जिसका अर्थ है "हम सभी द्वारा सोया जाता है" या अधिक संक्षिप्त रूप में "हम सभी सोते हैं" की भाववाच्य अभिव्यक्ति।
- यह वाक्य भाववाच्य में कर्ता को परोक्ष रूप से व्यक्त करते हुए क्रिया पर ध्यान केंद्रित करता है।
वाक्य विचार Question 3:
“सः मह्यं धनम् अददात् " - वाक्यस्य कर्मवाच्यं भवति
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 3 Detailed Solution
प्रश्नार्थ- “सः मह्यं धनम् अददात् "- इस वाक्य का कर्मवाच्य है-
उत्तर- तेन मह्यं धनम् अदीयत
Important Points
- "सः मह्यं धनम् अददात्" वाक्य का सही कर्मवाच्य रूप विकल्प 3) "तेन मह्यं धनं अदीयत्" होगा। इसे सही ढंग से समझाते हुए, आइए देखते हैं कैसे:
- "सः" (स:): यह वाक्य का कर्ता है, जिसे कर्मवाच्य में बदलने पर तृतीया विभक्ति में परिवर्तित करना पड़ता है। स: ➔ तेन
- "मह्यं" (मह्यम्): यह पहले से ही चतुर्थी विभक्ति में है, जो लाभार्थी (जिसे लाभ होता है) को दर्शाता है। कर्मवाच्य में इसे कोई परिवर्तन नहीं होता।
- "धनम्" (धनम्): यह वाक्य का कर्म है, जिसे कर्मवाच्य में विषय (subject) बनाना होता है, लेकिन यह पहले से ही प्रथमा विभक्ति में है, अतः इसमें परिवर्तन नहीं होता।
- "अददात्" (आदान क्रिया- देना): क्रिया कर्मवाच्य में बदलने पर, "अदीयत" (प्रेरणार्थक क्रिया या Passive voice) का रूप ले लेती है।
- अतः, "सः मह्यं धनम् अददात्" का सही कर्मवाच्य रूप होता है, "तेन मह्यं धनं अदीयत्"। इसमें, कर्ता "सः" (स:) "तेन" के रूप में तृतीया विभक्ति में परिवर्तित होता है, "धनम्" कर्म के रूप में यथावत रहता है, और क्रिया "अददात्" "अदीयत्" में परिवर्तित होकर कर्मवाच्य रूप दर्शाता है।
वाक्य विचार Question 4:
शुद्ध वाक्यं चिनुत -
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 4 Detailed Solution
प्रश्नार्थ- शुद्ध वाक्य चुनिए-
उत्तर- अह्ना अनुवाकोऽधीतः
Important Points
- "अह्ना" शब्द "अहन्" का तृतीया विभक्ति एकवचन रूप है, जिसका अर्थ होता है "दिन के द्वारा" या "दिन में"। यहाँ पर, यह विभक्ति कार्य को काल की दृष्टि से संबोधित करती है, यानी यह क्रिया कब की गई इसका संकेत देती है।
- "अनुवाकोऽधीतः" में "अनुवाकः" एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "एक वेदिक खंड" या "एक अध्याय" और "अधीतः" क्रियापद है जिसका अर्थ है "पढ़ा गया"।
- यहाँ "अधीतः" पुरुषवाचक संज्ञा "अनुवाकः" के साथ क्रिया के कर्म का संकेत दे रहा है और एक सम्पूर्णतावाचक क्रिया (पारस्मैपदी) के रूप में है, जिससे यह पता चलता है कि क्रिया संपन्न हो चुकी है।
- इस प्रकार, "अह्ना अनुवाकोऽधीतः" का सीधा अर्थ है "अनुवाक (अध्याय) दिन में पढ़ा गया था"।
- यह वाक्य एक सही व्याकरणिक संरचना को दर्शाता है जहां तृतीया विभक्ति का उपयोग समय का संकेत देने के लिए किया गया है और क्रियापद का उपयोग संपन्न हो चुकी क्रिया को प्रकट करता है।
वाक्य विचार Question 5:
“गवा तृणानि भक्ष्यन्ते” - वाक्यस्य कर्तृवाच्यं भवति
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 5 Detailed Solution
प्रश्नार्थ- “गवा तृणानि भक्ष्यन्ते” - इस वाक्य का कर्तृवाच्य है-
उत्तर- गौः तृणानि भक्षयति
Important Points
- वाक्य “गवा तृणानि भक्ष्यन्ते” में क्रिया कर्मवाच्य में है, जिसका मतलब है कि क्रिया (भक्षण) गाय द्वारा की जा रही है, लेकिन वाक्य में गाय को क्रिया का कर्ता के रूप में स्पष्ट रूप से नहीं दिखाया गया है।
- कर्तृवाच्य में परिवर्तन करने का अर्थ है कि वाक्य को इस तरह से बदलना है कि क्रिया का कर्ता स्पष्ट हो और क्रिया सक्रिय रूप में प्रस्तुत की जाती है।
- इस परिप्रेक्ष्य में, चयनित उत्तर "2) गौः तृणानि भक्षयति" है, जो इस प्रश्न के लिए सही उत्तर है। इस विकल्प का विस्तृत विश्लेषण निम्नलिखित है:
- गौः: यह शब्द "गौ" (गाय) से बना है, और यहाँ एकवचन में प्रयोग किया गया है, जो सूचित करता है कि क्रिया का कर्ता एक ही गाय है। "गौः" शब्द प्रथमा विभक्ति, एकवचन में होने से कर्ता के रूप में पहचाना जाता है।
- तृणानि: यह "तृण" (घास) का बहुवचन रूप है, जिसका प्रयोग कर्म के रूप में किया गया है, यानी वह चीज जिसे खाया जा रहा है।
- भक्षयति: यह क्रिया "भक्ष" का वर्तमानकालीन, एकवचन रूप है, जो 'खाती है' या 'खा रही है' के अर्थ में प्रयोग किया गया है। यह क्रिया कर्तृवाच्य (active voice) में है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा जा रहा है कि गाय घास खा रही है।
- इस प्रकार, वाक्य “गवा तृणानि भक्ष्यन्ते” का कर्तृवाच्य रूप “गौः तृणानि भक्षयति” है, जिसका अर्थ है कि गाय घास खा रही है। यह परिवर्तन वाक्य को एक सक्रिय क्रिया के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसमें क्रिया के कर्ता को स्पष्ट रूप से पहचाना जाता है।
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'शिशुः रोदिति' इत्यस्य वाच्यपरिवर्तनं कुरुत -
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न की हिन्दी - 'शिशुः रोदिति' इसका वाच्य परिवर्तन करें-
स्पष्टीकरण -
- वाक्य - 'शिशुः रोदिति।' अर्थात् शिशु रोता है। (यह कर्तृवाच्य वाक्य है, जहाँ क्रिया कर्ता के अनुसार एकवचन में है।)
- यह वाक्य भाववाच्य में परिवर्तित होगा, क्योंकि यहाँ कोई कर्म नहीं है, इसलिए यह कर्मवाच्य में परिवर्तित नहीं होगा।
- इस वाक्य को भाववाच्य में परिवर्तित करने पर - शिशुना रुद्यते वाक्य बनेगा। (जहाँ कर्ता तृतीया विभक्ति-एकवचन में होता है और क्रिया सदैव प्रथम पुरुष-एकवचन में होती है। क्रिया पद आत्मनेपद में होता है।)
अतः वाच्य परिवर्तन करने पर शिशुना रुद्यते सही उत्तर होगा।
Additional Information
संस्कृत में तीन वाच्य होते हैं। 1. कर्तृवाच्य, 2. कर्मवाच्य, 3. भाववाच्य
अधोलिखितवाक्यस्य वाच्यपरिवर्तनं कुरुत∶
अहं ग्रामं गच्छामि।
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिन्दी अनुवाद - अधोलिखित वाक्य का वाच्यपरिवर्तन करे -
'अहं ग्रामं गच्छामि।'
स्पष्टीकरण -
वाच्य - किसी वाक्य के वाच्य से ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव प्रधान है। संस्कृत में तीन वाच्य होते हैं-
१. कर्तृवाच्य २. कर्मवाच्य ३. भाववाच्य
वाच्य |
विशेष |
उदाहरण |
कर्तृवाच्य |
प्रधान- कर्ता कर्ता- प्रथमा में कर्म- द्वितीया में क्रियापद- कर्तानुसार (धातु + प.प./आ.प.) |
अहं विद्यालयं गच्छामि। |
कर्मवाच्य |
प्रधान- कर्म कर्ता- तृतीया में कर्म- प्रथमा में क्रियापद- कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.) |
तेन ग्रन्थः पठ्यते। |
भाववाच्य |
प्रधान- भाव कर्ता- तृतीया में कर्म- नहीं होता क्रियापद- कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.), नित्य प्र.पु. ए.व |
बालकेन क्रीडयते। |
Important Points
'अहं ग्रामं गच्छामि ।' इस वाक्य में 'अहं' कर्ता, ‘ग्रामं’ कर्म है और क्रिया कर्ता के अनुसार है, इसलिए यह वाक्य कर्तृवाच्य है।
वाच्यपरिवर्तन-
|
कर्तृवाच्य |
कर्मवाच्य |
कर्ता |
अहम् (प्रथमा) |
मया (तृतीया) |
कर्म |
ग्रामम् (द्वितीया) |
ग्रामः (प्रथमा) |
क्रिया |
गच्छामि। [कर्तानुसार (धातु + प.प./आ.प.)] |
गम्यते। [कर्मानुसार, (धातु + य + आ.प.)] |
इससे यह स्पष्ट होता है कि 'अहं ग्रामं गच्छामि।' इस वाक्य का वाच्य परिवर्तन ‘मया ग्रामः गम्यते।’ होगा।
"सः तस्य अनुगच्छति" इति वाक्यमिदं संशोधयत
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिन्दी अनुवाद - "सः तस्य अनुगच्छति" इस वाक्य को संशोधित करें -
स्पष्टीकरण - "सः तस्य अनुगच्छति" इस वाक्य को ध्यान से देखें तो वाक्य कर्तृवाच्य में है, ऐसा ज्ञात होता है, क्योंकि क्रिया कर्ता के अनुसार है।
Important Points
कर्तृवाच्य -
- कर्ता में एकवचन होता है, जैसाकि यहाँ 'सः' है।
- क्रिया कर्ता के अनुसार होती है, यहाँ कर्ता प्रथम पुरुष एकवचन है तदनुसार क्रिया भी प्रथमपुरुष एकवचन है - अनुगच्छति।
- कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है - 'अनुक्ते कर्मणि द्वितीया' से। यहाँ कर्म में षष्ठी विभक्ति है जो अशुद्ध है।
- शुद्ध करने पर होगा - तम्।
अतः स्पष्ट है कि शुद्ध वाक्य होगा - सः तम् अनुगच्छति।
'वे सब संस्कृत पढ़ें।' अस्य वाक्यस्य संस्कृतानुवादः अस्ति
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'वे सब संस्कृत पढ़ें।' इस वाक्य का संस्कृत अनुवाद है -
स्पष्टीकरण -
'वे सब संस्कृत पढ़ें।' इस वाक्य से ज्ञात होता है, वाक्य कर्तृवाच्य है, इसका विश्लेषण यहाँ आगे है-
- कर्ता 'वे सब' है जिसका संस्कृत अनुवाद 'ते' होता है।
- कर्म संस्कृत का 'संस्कृतं' इस द्वितीया रूप मे अनुवाद होगा।
- क्रियापद 'पढ़ें' यह क्रियापद 'आज्ञा' रूप में है, इसलिये कर्ता के अनुसार लोट्लकार का 'पठन्तु' रूप उचित होगा।
अतः 'वे सब संस्कृत पढ़ें।' का उचित संस्कृत अनुवाद 'ते संस्कृतं पठन्तु' होगा।
'छात्र अध्यापक से पढ़ते हैं।' इत्यस्य संस्कृतेन अनुवादं कुरुत -
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिंदी अनुवाद - 'छात्र अध्यापक से पढ़ते हैं।' इस का संस्कृत में अनुवाद करिए-
स्पष्टीकरण - 'छात्र अध्यापक से पढ़ते हैं।' इस वाक्य का कर्ता 'छात्र' है और 'पढ़ते हैं' क्रियापद से ज्ञात होता है कि यह बहुवचन और वर्तमानकाल है। प्रस्तुत वाक्य कर्तृवाच्य में है -
- छात्र कर्ता है और कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है। अतः अकारान्त छात्र से प्रथमा बहुवचन में रूप 'छात्राः' बनता है।
- 'अध्यापक से' में 'आख्यातोपयोगे' सूत्र से नियम पूर्वक शिक्षा प्राप्त करने के अर्थ में गुरु वाचक शब्द अध्यापक में पञ्चमी विभक्ति होती है। अतः अध्यापकात् यह उचित रूप होगा।
- 'छात्राः' इस कर्ता के अनुसार क्रियापद 'पठन्ति' यह सही होगा।
अतः 'छात्र अध्यापक से पढ़ते हैं।' इस का संस्कृत में अनुवाद 'छात्रा: अध्यापकात् पठन्ति।' होता है।
''नदी कोश भर टेढ़ी है'' - का संस्कृत-अनुवाद होगा
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFस्पष्टीकरण-
- कालवाचक और मार्गवाचक शब्दों से यहा अत्यन्त संयोग में द्वितीया विभक्ति होती हैI
सूत्र = "कालाध्वनोरत्यन्तसंयोगे"
- अर्थात् कालवाची और मार्गवाची शब्दों में निरन्तर संयोग गम्यमान होने पर कालवाची और मार्गवाची शब्द की कर्मसंज्ञा होती हैI
उदाहरण-
- "नदी क्रोशं कुटिला" अर्थात् नदी कोश भर टेढ़ी हैI
- मार्गवाची (क्रोश) शब्द के साथ गुण (कुटिल) का अत्यन्त संयोग होने से द्वितीया विभक्ति का प्रयोग हुआ हैI
- क्रोशं अधीते = यहा मार्गवाची (क्रोश) शब्द का क्रिया के साथ संयोग हैI
- मासं अधीते = यहा कालवाची (मासं) शब्द का क्रिया के साथ संयोग हैI
'पिता पुत्र के साथ गया' अस्य संस्कृतानुवादः कर्तव्यः -
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का अनुवाद - 'पिता पुत्र के साथ गया' इसका संस्कृत अनुवाद करें -
स्पष्टीकरण -
'सहयुक्तेऽप्रधाने' सूत्र के अनुसार वाक्य में 'साथ' को अर्थ रखने वाले 'सह, साकम्, समम्' और 'सार्धम् शब्दों के योग में अप्रधान शब्दों में तृतीया विभक्ति होती है।
उदाहरण- पुत्रेण सह आगतः पिता। यहाँ आगतः क्रिया का कर्ता 'पिता' है और क्रिया से संबन्ध न होने के कारण पुत्र अप्रधान शब्द है।
अतः 'पिता पुत्र के साथ गया।' का संस्कृत अनुवाद होगा - पिता पुत्रेण सह अगच्छत्।
रेखाङ्कित पदम् अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं करणीयम् -
जना∶ लोभिनः वर्तन्ते।
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिंदी अनुवाद - रेखाङ्कित पद के अनुसार प्रश्न निर्माण करे - 'जना∶ लोभिनः वर्तन्ते।'
स्पष्टीकरण -
वाक्य 'जना∶ लोभिनः वर्तन्ते।' का अर्थ होता है, 'लोग लोभी है।' अर्थात् 'जनाः' का अर्थ 'लोग' है, जो पुल्लिंग प्रथमा विभक्ति बहुवचन का रूप है।
‘किम्’ सर्वनाम के तीनों लिंगों में प्रयोग होते हैं, अतः पुल्लिंग में प्रयोग निम्नलिखित है -
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
कः |
कौ |
के |
द्वितीया |
कम् |
कौ |
कान् |
तृतीया |
केन |
काभ्याम् |
कैः |
चर्तुथी |
कस्मै |
काभ्याम् |
केभ्यः |
पन्चमी |
कस्मात् |
काभ्याम् |
केभ्यः |
षष्ठी |
कस्य |
कयोः |
केषाम् |
सप्तमी |
कस्मिन् |
कयोः |
केषु |
‘किम्’ सर्वनाम का पुल्लिंग में पुल्लिंग प्रथमा बहुवचन 'के' है, अतः 'जना∶ लोभिनः वर्तन्ते।' इस वाक्य के रेखाङ्कित पद के अनुसार प्रश्न निर्माण करने पर प्रश्न होगा - 'के लोभिनः वर्तन्ते?'
'सः ग्रामस्य निकषा तिष्ठति' इति वाक्यं संशोधयत
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'सः ग्रामस्य निकषा तिष्ठति' इस वाक्य को संशोधित करें -
स्पष्टीकरण- यहाँ वाक्य में निकषा का प्रयोग हुआ है, जिसके प्रयोग होने पर द्वितीया विभक्ति के प्रयोग का विधान है। इस वाक्य में द्वितीया के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग हुआ है। अतः वाक्य अशुद्ध है।
Hint
'उपान्वध्याङ्वसः' के वार्तिक ‘अभितःपरितःसमयानिकषाहाप्रतियोगेऽपि’ के अनुसार ‘अभितः’, ‘परितः’, ‘समया’, ‘निकषा’ और ‘हा’ इन अव्यय के योग में आने वाले पदों में द्वितीया विभक्ति होती है -
जैसे –
- कृष्णम् अभितः ग्वालाः सन्ति।
- मीनं परितः मीनाः सन्ति।
- गृहं परितः बालाः सन्ति।
- शिक्षकं परितः छात्राः सन्ति।
- समुद्रं निकषा लङ्का अस्ति।
- सः ग्रामं निकषा तिष्ठति।
- हा कृष्णभक्तम्।
- सः विद्यालयं प्रति गच्छति।
- जनः सम्मर्दं प्रति गच्छति।
अतः स्पष्ट है कि निकषा के योग में ग्रामस्य न होकर ग्रामं होगा, और शुद्ध वाक्य होगा - 'सः ग्रामं निकषा तिष्ठति।'
'दरिद्र को दान देता है' इत्यस्य संस्कृतानुवादः करणीयः -
Answer (Detailed Solution Below)
वाक्य विचार Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का अर्थ - 'दरिद्र को दान देता है' इस वाक्य का संस्कृत अनुवाद करें-
स्पष्टीकरण -
वाक्य - 'दरिद्र को दान देता है' यहाँ दरिद्र को दान देने का उल्लेख है और जिसे दान देते हैं, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है।
सूत्र - कर्मणा यमभिप्रैती स सम्प्रदानम्।
- व्याख्या:- जिसके लिए कोई दान की क्रिया की जाती है, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं।
- 'सम्प्रदाने चतुर्थी' से सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है।
अतः उचित अनुवाद होगा - 'दरिद्राय दानं ददाति'।