ऐसे मामले में, जहां अभियुक्त अभिरक्षा में है, विचारण न्यायालय साक्ष्य लेखबद्ध करते समय, अभियुक्त की उपस्थिति न्यायालय में सुनिश्चित किये बिना साक्षियों की साक्ष्य लेखबद्ध करता है, निम्न में से कौन-सा कथन सही होगा?

  1. धारा 273 (1) दण्ड प्रक्रिया संहिता के आधार पर ऐसी कार्यवाहियों में विचारण न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दूषित होगा।
  2. धारा 460 दण्ड प्रक्रिया संहिता के आधार पर ऐसी कार्यवाहियों में विचारण न्यायालय द्वारा पारित निर्णय संरक्षित होगा।
  3. धारा 465 दण्ड प्रक्रिया संहिता के आधार पर ऐसी कार्यवाहियों में विचारण न्यायालय द्वारा पारित निर्णय संरक्षित होगा।
  4. धारा 317 दण्ड प्रक्रिया संहिता के आधार पर ऐसी कार्यवाहियों में विचारण न्यायालय द्वारा पारित निर्णय संरक्षित होगा।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : धारा 273 (1) दण्ड प्रक्रिया संहिता के आधार पर ऐसी कार्यवाहियों में विचारण न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दूषित होगा।

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सही उत्तर विकल्प 1 है। Key Points

  • दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 273 के अनुसार साक्ष्य अभियुक्त की उपस्थिति में लिया जाएगा।
  • उपधारा 1 में कहा गया है कि जब तक अन्यथा स्पष्ट रूप से प्रावधान न किया गया हो, परीक्षण या अन्य कार्यवाही के दौरान लिया गया समस्त साक्ष्य अभियुक्त की उपस्थिति में लिया जाएगा, या जब उसकी व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट हो, तो उसके अभियोक्ता की उपस्थिति में लिया जाएगा :
  • परंतु जहां अठारह वर्ष से कम आयु की किसी महिला का साक्ष्य, जिसके साथ बलात्कार या किसी अन्य लैंगिक अपराध का आरोप है, रिकार्ड किया जाना है, वहां न्यायालय यह सुनिश्चित करने के लिए समुचित उपाय कर सकता है कि ऐसी महिला का अभियुक्त द्वारा सामना न किया जाए, तथा साथ ही अभियुक्त के प्रति-परीक्षा के अधिकार को भी सुनिश्चित किया जा सके।
  • स्पष्टीकरण --इस धारा में, "अभियुक्त" के अंतर्गत ऐसा व्यक्ति है जिसके संबंध में इस संहिता के अधीन अध्याय 8 के अधीन कोई कार्यवाही प्रारंभ की गई है।

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