सापेक्षता का विशेष सिद्धांत शामिल समस्याओं का इलाज करता है

  1. संदर्भ का जड़त्वीय ढांचा
  2. संदर्भ के गैर-जड़त्वीय फ्रेम
  3. संदर्भ का गैर-त्वरित फ्रेम
  4. संदर्भ का त्वरित फ्रेम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : संदर्भ का जड़त्वीय ढांचा

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अवधारणा:

सापेक्षता का विशेष सिद्धांत:

  • विशेष सापेक्षता दिक्स्थान-समय की संरचना का एक सिद्धांत है।
  • सापेक्षता का विशेष सिद्धांत अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा प्रतिपादित किया गया है।
  • इस सिद्धांत के अनुसार, सभी भौतिक नियम जड़त्वीय निर्देश तंत्र (गैर-त्वरित या विश्राम में तंत्र या एक समान गति के अधीन, इसे त्वरित निर्देश तंत्र कहा जाता है) में समान होने चाहिए।
  • इस सिद्धांत की दूसरी अभिधारणा के अनुसार प्रकाश की गति c स्थिर है,स्रोत की सापेक्ष गति से स्वतंत्र है।

                (c = 3 x 10m/s)

 

  • निर्देश तंत्र: यदि हम किसी गतिशील निकाय अथवा विश्राम अवस्था मे निकाय को एक अन्य निकाय जो विश्राम मे है अथवा गति मे है,के संदर्भ मे अवलोकन कर रहे तो यह निकाय निर्देश तंत्र कहलाता है। 

निर्देश तंत्र के दो प्रकार हैं:

  • जड़त्व निर्देश तंत्र: वह निर्देश तंत्र जिसका त्वरण शून्य हो, उसे जड़त्व निर्देश तंत्र कहा जाता है।
    • निर्देश तंत्र या तो विश्राम में होगा या स्थिर वेग के साथ गतिमान होगा ।
    • निर्देश तंत्र में न्यूटन का नियम मान्य है।
  • गैर-जड़त्व निर्देश तंत्र: वह निर्देश तंत्र जिसका त्वरण गैर-शून्य हो, उसे गैर-जड़त्व निर्देश तंत्र कहा जाता है।
    • निर्देश तंत्र में न्यूटन का नियम मान्य नही है।
    • उदाहरण के लिए: यदि हम किसी निकाय को स्वतंत्र रूप से गिरने वाली वस्तु से देख रहे हैं तो यह गैर-जड़त्व निर्देश तंत्र होगा क्योंकि स्वतंत्र रूप से गिरने वाले निकाय में कुछ त्वरण होता है।

    व्याख्या:

    अभिधारणा के अनुसार, सापेक्षता का विशेष सिद्धांत केवल जड़त्व निर्देश तंत्र पर लागू होता है। 

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