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Download Solution PDFस्वयंभू ने पद्धड़िया बंध का प्रवर्तक किसे कहा है ?
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MPPSC Assistant Prof 2022 (Hindi) Official Paper-II (Held On: 28 Jan, 2024)
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Option 2 : चतुर्मुख
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MPPSC Assistant Professor UT 1: MP History, Culture and Literature
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Detailed Solution
Download Solution PDFस्वयंभू ने पद्धड़िया बंध का प्रवर्तक किसे कहा है- चतुर्मुख
Key Pointsस्वयंभू -
- आठवीं शती (783 ई.) के कवि है।
- स्वयंभू को जैन परंपरा तथा अपभ्रशं का प्रथम कवि माना जाता है।
- स्वयंभू को अपभ्रशं भाषा का वाल्मीकि तथा व्यास कहा जाता है।
- डॉ. भयाणी ने स्वयंभू का अपभ्रशंस का कालिदास कहा है।
- स्वयंभू ने स्वयं कुकवि कहा है।
Important Points
- डॉ रामकुमार वर्मा ने इन हिंदी का प्रथम कवि माना है।
- स्वयंभू की कृतियां –
- पउम चरिउ
- स्वयंभू छंद
- रिटठणेमि चरिउ
- पउम चरिउ –
- यह रामकथा से संबंधित ग्रंथ है।
- इसे अपभ्रशं की रामायण का जाता है और अपभ्रशं में रचित रामकथा से संबंधित प्रथम ग्रंथ है।
- पउम चरिउ में 90 संधिया है।
- इसमें आठ 8 पंक्तियों के बाद दोहा रखा गया यह अपभ्रशं में रचित प्रथम कड़वक रचना है।
- पउम चरिउ को उसके पुत्र त्रिभुवन ने पूरा किया।
- रिटठणेमि चरिउ –
- कृष्ण कथा से संबंधित ग्रंथ है।
- स्वयंभू ने अपनी भाषा को 'देशी भाषा' कहा है।
Additional Informationपुष्पदंत-
- समय-10 वीं शती (इनके समय को लेकर विवाद है सामान्यतः 972 ई. माना जाता है)
- रचनाएँ-
- महापुराण
- णयकुमारचरिउ
- जसहर-चरिउ आदि।
- यह स्वयं को अभिमान मेरु, काव्य रत्नाकार, कविकुल तिलक आदि कहते थे।
- इन्हें अपभ्रंश का भवभूति कहा जाता है।
- शिवसिंह सेंगर ने इन्हें 'भाखा की जड़' कहा है।
धनपाल-
- मुंज ने सरस्वती की उपाधि दी।
- रचनाएँ-
- भविसयत्त कहा(10 वीं शती)।
जोइंदु -
- समय - छठी शती
- जोइंदु से दोहा छंद का आरंभ माना गया है।
- अपभ्रशं से दोहे की शुरुआत मिलती है।
Last updated on Feb 10, 2025
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