भाषा-शिक्षण-अधिगमन-सन्‍दर्भे त्रुटय: अपि भवन्ति एव। तदर्थम् अध्‍यापकेन/अध्‍यापिकया किं करणीयम् ?

This question was previously asked in
CTET Feb 2014 Paper 1 (L - I/II: Hindi/English/Sanskrit) (Hinglish Solution)
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  1. त्रुटीनां शीघ्रमेव पुन: पुन: संशोधनम्
  2. त्रुटीन् सङ्गृह्य त्रुट्यनुगुणं त्रुटिं दूरीकर्तुं योजना प्रक्रिया च
  3. किमपि न। एषा स्‍वाभाविकी प्रक्रिया
  4. दुर्बलछात्राणां कृते विशिष्‍ट-कक्ष्‍या-आयोजनम्

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Option 2 : त्रुटीन् सङ्गृह्य त्रुट्यनुगुणं त्रुटिं दूरीकर्तुं योजना प्रक्रिया च
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प्रश्न अनुवाद  - भाषा शिक्षण अधिगम सन्दर्भ में त्रुटियाँ होने पर अध्यापक/ अध्‍यापिकाओं ने क्या करना चाहिए ?

स्पष्टीकरण - भाषा शिक्षण अधिगम सन्दर्भ में त्रुटियाँ होने पर अध्यापक/ अध्‍यापिकाओं ने समान त्रुटियों को इकठ्ठा करके त्रुटियों को दूर करने के लिए योजना तथा प्रक्रियों का आयोजन करना चाहिए

 

भाषा शिक्षण की प्रक्रिया में त्रुटि के कारण बाधा उत्पन्न होती है। इन बाधाओं को दूर करने के लिए त्रुटियों और उनके विश्लेषण पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। तथा त्रुटियों की पहचान उनके कारणों तथा उनके निदान और उपचार के मार्ग सुझाने चाहिए  ताकि भाषा शिक्षण अपने महती उद्देश्यों की और अपेक्षित लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकें। त्रुटियों पर विचार करते समय यह खोजने का प्रयास करना चाहिए कि त्रुटियों के मूल स्रोत क्या हैं? स्रोतों की पहचान के बाद इनके विश्लेषण और मूल्यांकन की पद्धति भी  निर्धारित करनी चाहिए।

सामान्यत: भाषा शिक्षण के संदर्भ में त्रुटियों के निम्नलिखित स्रोत रेखांकित किए गए है -

  • भाषा का व्याघात
  • भाषा, के विशिष्ट तत्व
  • नियमों का सामान्यीकरण
  • त्रुटिपूर्ण शिक्षण किसी अन्य भाषा का व्याघात जो अध्येता ने मातृभाषा के अतिरिक्त सीखी हो।
  • मनोवैज्ञानिक कारण

इन सभी स्तरों पर भाषा सीखते समय जो कठिनाईयाँ आती है उसे 'व्यतिरेकी विश्लेषण' के अन्तर्गत रखा जाता है। अर्थात् इस पद्धति के द्वारा असमानताओं का अध्ययन किया जाता है और भाषा सीखने में होनेवाली भाषागत कठिनाईयों का पूर्वानुमान लगाया जाता है।

अत: उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है की भाषा शिक्षण अधिगम सन्दर्भ में त्रुटियाँ होने पर समान त्रुटियों को इकठ्ठा करके त्रुटियों को दूर करने के लिए योजना तथा प्रक्रियों का आयोजन करना चाहिए
Additional Information
अन्य विकल्पों का विश्लेषण :

  • त्रुटीनां शीघ्रमेव पुन: पुन: संशोधनम् - त्रुटियों का शीघ्र तरीके से बार-बार संशोधन करना  यह विकल्प शिक्षाशास्त्र की दृष्टि से धीमी प्रक्रिया ही सकती है
  • किमपि न। एषा स्‍वाभाविकी प्रक्रिया - कुछ नहीं क्योंकि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। परन्तु यह उचित नहीं होगा, बच्चो को सीखने की दृष्टि से उसमे बदलाव जरुरी है।
  • दुर्बलछात्राणां कृते विशिष्‍ट-कक्ष्‍या-आयोजनम् - दुर्बल छात्रों के लिए विशेष कक्षा का आयोजन करना । परन्तु यह उचित नहीं होगा क्योंकि दुर्बल छात्रों को अलग से देने की प्रक्रिया समावेशी शिक्षा के अंतर्गत स्वीकार्य नही है।
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