पठनक्रमे एकः छात्रः कानिचिद् अनुबोधनानि (Prompts) गृह्णाति यतः अर्थबोधनं सुकरं भवति एतत् किं कथ्यते?

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CTET Paper 2 Maths & Science 17th Jan 2022 (English-Hindi-Sanskrit)
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  1. द्रुतपठनम् (Skimming)
  2. लयबद्धपठनम् (Scanning)
  3. अर्थसङ्केतकानि (Semantic cues)
  4. सूत्र-सङ्केतकानि (Formulaic cues)

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Option 3 : अर्थसङ्केतकानि (Semantic cues)
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प्रश्नानुवाद - पठन क्रम में एक छात्र कुछ अनुबोधनों को (Prompts) ग्रहण करता है, जिससे अर्थबोधन सरल होता है, इसे क्या कहते हैं ?

स्पष्टीकरण - भाषा कौशलों में पठन कौशल एक महत्वपूर्ण कौशल है। जिसमें पढ़कर अर्थग्रहण किया जाता है। पठन कौशल को दो अर्थों में ग्रहण किया जाता है। पढ़कर अर्थ करना और पढ़ने के साथ-साथ दूसरों को अर्थबोध कराना।

  • पठन कौशल चार भाषायी कौशलों में से एक है। पढ़ते हुए जब एक छात्र कुछ अनुबोधनों को ग्रहण करता है, तो इसे अर्थ संकेत कहा जाता है। अर्थात् उसने उन अनुबोधनों के द्वारा उस पाठ के अर्थ को ग्रहण किया।
  • अनुबोधन - अनुबोधन शब्द का अर्थ है, बंध या सातत्य अथवा संबंध जोड़ने वाला। व्याकरण में एक संकेतक अक्षर जो किसी शब्द के स्वर या विभक्ति में किसी विशेषता का द्योतक हो, जिसके साथ वह जुड़ा हुआ हो। किसी वर्ण या वर्ण समूह को अनुबोधन/अनुबन्ध कहा जाता है।
  • इसमें छात्र कुछ अनुबोधनों को स्वीकार/ग्रहण करता है, तो वह कुछ वाक्यों को ग्रहण करता है या समझता है, जिसका मतलब है कि उसने अर्थ को ग्रहण किया। यह अर्थ संकेतक है अर्थात् उसने उन अनुबोधनों के अर्थ को समझा है।
  • किसी पाठ को पढ़ते हुए छात्र ने पाठ में दिये गये संकेतों को समझा है तो यह बताता है कि उसने उन संकेतों के अर्थ को समझा है।
  • यह पठन कौशल से सम्बद्ध है, जिसमें किसी विषयवस्तु को पढ़ते हुए उसका अर्थ ग्रहण किया जाता है।

Important Points

पठन कौशल -

  • लिखित भाषा को पढ़ने की क्रिया को पठन कौशल कहा जाता है। जैसे पुस्तकों को पढ़ना, समाचार पत्रों को पढ़ना आदि।
  • भाषा के संदर्भ में पढ़ने का अर्थ कुछ भिन्न होता है। भाव और विचारों को लिखित भाषा के माध्यम से पढ़कर समझने को पठन कहा जाता है।

पठन कौशल के उद्देश्य -

  • वर्णों, ध्वनियों एवं शब्दों का ज्ञान करवाना, जिससे छात्र पढ़ते समय शब्दों का उच्चारण शुद्ध रूप में कर सकें।  
  • पठन के माध्यम से शब्दों पर उचित बल दिया जाना। 
  • पढ़कर पठित वस्तु का भाव समझना तथा दूसरों को भी समझाना।
  • पठित वस्तु का भाव ग्रहण करने की क्षमता विकसित करना। 
  • छात्रों के शब्दकोश में वृद्धि करना। जहाँ वे नये-नये शब्दों से परिचित होते हैं।

पठन कौशल का मुख्य उद्देश्य  है - अर्थग्रहण करना।

  • पढ़ने का अर्थ केवल सार्थक ध्वनि के प्रतीक लिपि चिह्नों को पहचानना मात्र नहीं है अपितु पूर्वश्रुत सार्थक ध्वनियों के प्रतीक चिह्नों को पढ़कर उनका संदर्भानुसार अर्थग्रहण करना है।
  • पठन एक सोद्देश्य प्रक्रिया है, जैसे-जैसे पाठक शब्दों को पढ़ता है, वैसे-वैसे उन शब्दों के निहित अर्थों को ग्रहण करता है।
  • अर्थग्रहण के अंतर्गत शब्दों तथा वाक्यों के अर्थों को समझना, विचारों को क्रमबद्ध रूप से ग्रहण करना, पठन सामग्री के केन्द्रीय भाव को समझना तथा विश्लेषण करना एवं सामान्यीकरण करना निहित है।

 

अतः कहा जा सकता है कि पढ़ते हुए जब छात्र कुछ अनुबोधनों/संकेतों को ग्रहण करता है, तो इसे अर्थ संकेतक कहा जाता है। (अन्य सभी विकल्प यहाँ असंगत हैं।)

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