Question
Download Solution PDFअधोलिखितेषु शिशु-वाक्सम्बद्धं पदम् अस्ति-
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - अधोलिखित में से शिशु के वाक् (भाषण) से सम्बद्ध पद है-
स्पष्टीकरण - दिये गये विकल्पों में जल्पनम् (babbling) शिशु के वाक् (भाषण) से सम्बद्ध है। जहाँ बालक जन्म के बाद कुछ महीनों तक स्पष्टतया नहीं बोल पाता है, जिसे बड़बड़ाना (जल्पनम्) कहा गया है, जहाँ बालक कुछ बोलने का प्रयास करता है।
Important Points
जन्म होते ही बालक बोलना आरम्भ नहीं करता है अपितु वह रोकर या बड़बड़ाकर अपने संवेगों को अभिव्यक्त करता है। मनोवैज्ञानिकों द्वारा बालकों के भाषा विकास की प्रक्रिया को दो सोपानों में अभिव्यक्त किया गया है। पूर्व वाक् भाषा विकास और पश्च भाषा विकास।
पूर्व वाक् भाषा विकास - जन्म से लेकर 15 महीनों तक होने वाले विकास को पूर्व वाक् भाषा विकास कहा गया है। पश्च भाषा विकास 15 महीने के बाद होने वाले भाषा विकास को कहा जाता है।
पूर्व वाक् भाषा विकास को चार अवस्थाओं में बाँटा गया है। जो निम्नलिखित है-
- रुदन - रुदन नवजात शिशु का सबसे पहला ध्वनीय वाचक होता है। रुदन द्वारा बालक अपनी जरुरतो, परेशानियों व इच्छाओं की जानकारी दूसरों को देते हैं।
- बड़बड़ाना - बड़बड़ाना भाषा विकास की दूसरी अवस्था है। प्रथम दो महीनों में शिशु रोने के अलावा कुछ अन्य अस्पष्ट ध्वनियों को उत्पन्न करने लगता है। जिसे बड़बड़ाना (Babbling) कहा जाता है।
- हाव-भाव - हाव-भाव से तात्पर्य शरीर के अंगों द्वारा की गयी सार्थक क्रियाओं से होता है।
- सांवेगिक अभिव्यक्ति - शिशु अपने विभिन्न संवेगों को तरह-तरह के हाव-भाव, रुदन, मुस्कान, खिलखिलाने के रूप में अभिव्यक्त करता है।
अतः कहा जा सकता है कि दिये गये विकल्पों में जल्पनम् (babbling) शिशु के वाक् (भाषण) से सम्बद्ध है। इसे बालजल्पनम् (Babbling) (बड़बड़ाना) कहा जाता है।
Last updated on Apr 30, 2025
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