शुक्ल पूर्व युग निबन्ध MCQ Quiz in తెలుగు - Objective Question with Answer for शुक्ल पूर्व युग निबन्ध - ముఫ్త్ [PDF] డౌన్లోడ్ కరెన్
Last updated on Mar 20, 2025
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शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 1:
निम्न में से कौन 'मजदूरी और प्रेम' निबंध के उपशीर्षक हैं?
A. मजदूर की मजदूरी
B. मजदूर की मजबूती
C. प्रेम मजदूरी
D. मजदूरी और कला
E. मजदूरी और जीवन
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 1 Detailed Solution
'मजदूरी और प्रेम' निबंध के उपशीर्षक है - A, C और D
A. मजदूर की मजदूरी
B. प्रेम मजदूरी
D. मजदूरी और कला
Key Points
मजदूरी और प्रेम निबंध-
- रचनाकार - सरदार पूर्ण सिंह
- अन्य - इस निबंध में पूर्ण सिंह जी ने निरंतर कर्म करने करते रहने की प्रेरणा दी है।
- यह प्रेम परक निबंध है।
मजदूरी और प्रेम निबंध 8 भागों में बंटा है।
1. हल चलाने वाले का जीवन
2. गडरिये का जीवन
3. मजदूर की मजदूरी
4. प्रेम मजदूरी
5. मजदूरी और कला
6. मजदूरी और फकीरी
7. समाज का पालन करने वाली दूध की धारा
8. पश्चिमी सभ्यता का नया आदर्श
Important Points
सरदार पूर्ण सिंह ने छह निबंध लिखे हैं।
- सच्ची वीरता
- कन्यादान
- पवित्रता
- आचरण की सभ्यता
- मजदूरी और प्रेम
- अमेरिका का मस्त योगी वाल्ट व्हिटमैन
Additional Information
सरदार पूर्ण सिंह –
- जन्म - 1881 ई.
- जन्म स्थान - इटावा जिले का सलहद गाव
- सरदार पूर्ण सिंह की भाषा शुद्ध खड़ी बोली है किंतु संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ-साथ फारसी अंग्रेजी के शब्द प्रयुक्त है।
- इनके निबंध भावुकता से लिपटे हुए हैं।
- पूर्ण सिंह के निबंध 'सरस्वती' पत्रिका में प्रकाशित होते थे।
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 2:
“किसी देश में भी सभी पेट भरे हुए नहीं होते, किंतु वे लोग जहाँ खेत जोतते-बोते हैं वहीं उसके साथ यह भी सोचते हैं कि ऐसी कौन नई कल व मसाला बनावें जिससे इस खेत में आगे से दून अनाज उपजे।” उपर्युक्त पंक्ति किस निबंध से उद्धृत है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 2 Detailed Solution
“किसी देश में भी सभी पेट भरे हुए नहीं होते, किंतु वे लोग जहाँ खेत जोतते-बोते हैं वहीं उसके साथ यह भी सोचते हैं कि ऐसी कौन नई कल व मसाला बनावें जिससे इस खेत में आगे से दून अनाज उपजे।” उपर्युक्त पंक्ति भारतवर्षोंन्नति कैसे हो सकती है निबंध से उद्धृत है।
भारतवर्षोंन्नति कैसे हो सकती है-
- रचनाकार- भारतेंदु हरिश्चंद
- विधा - निबंध
- विषय -
- यह भारतेन्दु द्वारा दिया गया भाषण का अंश है।
- यह भाषण बलिया जिले(1884ई.) में दिया गया था, उस समय रोर्बट साहब बहादुर बलिया जिले के कलेक्टर थे। इस निबंध में भारतेन्दु ने भारतीय के आलसी होने पर व्यंग्य किया है।
- इस निबंध में अंग्रेजों के परिश्रम के प्रति आदर भाव भी व्यक्त किया गया है।
- भारतेन्दु ने भारतीय लोगों को रेल की गाड़ी कहा है।
- भाषण में ब्रिटिश शासन की मनमानी पर व्यंग्य किया गया है।
- भारतेन्दु ने भारतीय समाज की रूढ़ियों और गलत जीवनशैली पर प्रहार किया है।
- जनसंख्या नियंत्रण, श्रम की महत्ता, आत्मबल और त्याग भावना को भारतेन्दु ने उन्नति के लिए अनिवार्य माना है।
- लेखक ने हमारे देश में निकम्मा रहने को अमीरी का सूचक बताया है।
- भारतेन्दु ने देश की उन्नति के लिए निम्न उपाय बताए है-
- जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण।
- नागरिकों की कर्मठता।
- आपसी एकता और भाईचारा
Key Pointsभारतेंदु हरिश्चंद्र-
- जन्म-1850-1885 ई.
- भारतेंदु हरिश्चंद्र आधुनिक हिंदी के पितामह कहे जाते हैं।
- प्रमुख रचनाएँ-
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति(1873 ई.)
- सत्य हरिश्चन्द्र(1874 ई.)
- विषस्य विषमौषधम्(1876 ई.)
- भारत दुर्दशा(1880 ई.)
- नीलदेवी(1881ई.)आदि।
Important Pointsमजदूरी और प्रेम-
- रचनाकार- अध्यापक पूर्ण सिंह
- निबंध में निम्न वर्ग के लोगों के जीवन तथ्यों को उजागर किया गया है।
- निबंध के उपशीर्षक हैं-
- हल चलाने वाले का जीवन
- गड़रिये का जीवन
- मजदूर की मजदूरी
- मजूरी और कला आदि।
शिवशंभु के चिट्ठे-
- रचनाकार- बालमुकुन्द गुप्त
- विधा- निबंध
- प्रकाशन वर्ष- 1903-1905ई. के मध्य
- यह चिट्ठे भारत मित्र पत्र में प्रकाशित हुए थे।
- विषय-
- यह लार्ड कर्जन को संबोधित करके लिखा गया है।
- इसमें 'भारतीयों' की राजनीतिक विवशता को दिखाया गया है।
- अंग्रेजी शासन व्यवस्था की आलोचना की गई है।
- यह निबन्ध प्रतीकात्मक शैली में लिखा गया है।
- इसकी शुरुआत स्वप्न के जरिए होती है।
- इसमें उस समय के कलकत्ता में हो रहे शासन का वर्णन है।
उठ जाग मुसाफिर-
- रचनाकार- विवेकी राय
- विधा- निबंध
- विषय-
- इस निबंध में गाँवों में शहरी संस्कृति के अनुचित हस्तक्षेप को लेकर लेखक की व्यथित चित्रित की गई है।
- गाँवों के आर्थिक विकास पर सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का विघटन दिखाया गया है।
Additional Informationसरदार पूर्ण सिंह-
- जन्म-1 881-1931 ई.
- द्विवेदी युगीन मुख्य निबंधकार है।
- निबंध-
- आचरण की सभ्यता
- सच्ची वीरता
- पवित्रता
- कन्यादान
- अमेरिका का मस्त कवि वाल्ट व्हिटमैन आदि।
बालमुकुन्द गुप्त-
- जन्म- 1865-1907 ई.
- ये हिन्दी के निबंधकार और पत्रकार थे।
- प्रमुख रचनाएँ हैं-
- हरिदास
- खिलौना
- खेलतमाशा
- स्फुट कविता
- सन्निपात चिकित्सा आदि।
विवेकी राय-
- जन्म- 1924-2016 ई.
- निबंध-
- किसानों के देश(1956 ई.)
- त्रिधारा(1958 ई.)
- फिर बैतलवा डाल पर(1962 ई.)
- आम रास्ता नहीं है(1988 ई.) आदि।
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 3:
"आजकल की कविता में नयापन नहीं। उसमें पुराने ज़माने की कविता की पुनरावृत्ति मात्र है। इस नक़ल में असल की पवित्रता और कुँवारेपन का अभाव है।" - उपर्युक्त कथन निम्नलिखित में से किस निबंध से उद्धृत है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 3 Detailed Solution
"आजकल की कविता में नयापन नहीं। उसमें पुराने ज़माने की कविता की पुनरावृत्ति मात्र है। इस नक़ल में असल की पवित्रता और कुँवारेपन का अभाव है।" - उपर्युक्त कथन मजदूरी और प्रेम निबंध से उद्धृत है।
मजदूरी और प्रेम-
- रचनाकार- अध्यापक पूर्ण सिंह
- निबंध में निम्न वर्ग के लोगों के जीवन तथ्यों को उजागर किया गया है।
- निबंध के उपशीर्षक हैं-
- हल चलाने वाले का जीवन
- गड़रिये का जीवन
- मजदूर की मजदूरी
- मजूरी और कला आदि।
Key Pointsसरदार पूर्ण सिंह-
- जन्म-1881-1931 ई.
- द्विवेदी युगीन मुख्य निबंधकार है।
- निबंध-
- आचरण की सभ्यता
- सच्ची वीरता
- पवित्रता
- कन्यादान
- अमेरिका का मस्त कवि वाल्ट व्हिटमैन आदि।
Important Pointsउठ जाग मुसाफिर-
- रचनाकार- विवेकी राय
- विधा- निबंध
- विषय-
- इसमें गाँवों में शहरी हस्तक्षेप को दिखाया गया है।
- गाँवों में आर्थिक विकास के कारण मूल्यों के विघटन को दर्शाया गया है।
संस्कृति और सौंदर्य-
- रचनाकार- नामवर सिंह
- विधा- निबंध
- प्रकाशन वर्ष-1982 ई.
- विषय-
- इसमें हजारीप्रसाद द्विवेदी की सौंदर्यात्मक दृष्टि का मूल्यांकन किया गया है।
कविता क्या है-
- रचनाकार-रामचन्द्र शुक्ल
- विधा-निबंध
- प्रकाशन वर्ष-1909 ई.
- मुख्य-
- यह चिंतामणि भगा-1 में संकलित है।
- सर्वप्रथम सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
Additional Informationनामवर सिंह-
- जन्म-1926-2019 ई.
- निबंध-
- बकलम खुद(1951 ई.)
- वाद विवाद संवाद(1989 ई.) आदि।
विवेकी राय-
- जन्म-1924-2016 ई.
- निबंध-
- किसानों के देश(1956 ई.)
- त्रिधारा(1958 ई.)
- फिर बैतलवा डाल पर(1962 ई.)
- आम रास्ता नहीं है(1988 ई.) आदि।
रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म-1884-1941 ई.
- इनके निबंधों का संग्रह चार भागों में संकलित है-
- चिंतामणि भाग-1 1939 ई. में रामचन्द्र शुक्ल द्वारा ही संपादित हुआ था।
- चिन्तामणि भाग-2 1945 ई. में विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के संपादन में प्रकाशित हुआ था।
- चिन्तामणि भाग-3 नामवर सिंह के संपादन में 1983 ई. में प्रकाशित हुआ था।
- चिन्तामणि भाग-4 2002 ई. में कुसुम चतुर्वेदी एवं ओमप्रकाश सिंह के संपादन में प्रकाशित हुआ था।
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 4:
आध्यात्मिक धर्म के स्वप्नों की शोभा तभी भली लगती है जब आदमी अपने जीवन का धर्म पालन करे" यह पंक्ति किस निबंध से ली गयी है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- "आचरण की सभ्यता"। अन्य विकल्प असंगत है।
- आध्यात्मिक धर्म के स्वप्नों की शोभा तभी भली लगती है जब आदमी अपने जीवन का धर्म पालन करे"।
- यह पंक्ति आचरण की सभ्यता निबंध से ली गयी है।
Key Pointsआचरण की सभ्यता-
- रचनाकार- सरदार पूर्ण सिंह।
- प्रकाशन वर्ष- 1912 ईo
- विधा- निबंध।
- विषय-
- मनुष्य का जीवन इतना विशाल है कि उसमें आचरण को रूप देने के लिए नाना प्रकार के ऊँच-नीच और भले-बुरे विचार, अमीरी और ग़रीबी, उन्नति और अवनति इत्यादि सहायता पहुँचाते हैं।
- पवित्रता अपवित्रता उतनी ही बलवती है, जितनी कि पवित्र और पवित्रता।
- जो कुछ जगत् में हो रहा है वह केवल आचरण के विकास के अर्थ में हो रहा है।
- विद्या कला, कविता साहित्यब, धन और राजत्व से भी आचरण की सभ्यता अधिक ज्योतिषमति है।
- आचरण की सभ्यता को प्राप्त करने करके कंगाल आदमी राजाओं के दिलों पर भी अपना प्रभुत्व जमा सकता है।
Important Pointsसरदार पूर्ण सिंह-
- जन्म- 1881 - 1931 ईo
- द्विवेदी युगीन निबंधकार हैं।
- निबंध-
- सच्ची वीरता (1909 ईo)
- कन्यादान (1909 ईo)
- पवित्रता (1909 ईo)
- आचरण की सभ्यता (1912 ईo)
- मजदूरी और प्रेम (1912 ईo)
- अमेरिका का मस्ताना योगी वाल्ट हिवट मैंन (1913 ईo)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 5:
'शिवशंभु के चिट्ठे' से संबंधित निम्न कथनों पर विचार कीजिए:
A. 'शिवशंभु शर्मा' एक कल्पित चरित्र है।
B. 'श्रीमान् का स्वागत' में शिवशंभु लार्ड मिंटो के बारे में लिखते हैं।
C. इन निबंधों में वे व्यंग्य-विनोद भाव का बड़ी सहजता से प्रयोग करते हैं।
D. ‘बनाम लार्ड कर्जन' नामक चिठ्ठे का प्रकाशन वर्ष 1901 है।
E. शिवशंभु अपने को वायसराय के समक्ष 'गूंगी प्रजा का एक वकील' (एक दुराशा) मानता है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए।
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 5 Detailed Solution
'शिवशंभु के चिट्ठे' से संबंधित सही कथन हैं-
- A. 'शिवशंभु शर्मा' एक कल्पित चरित्र है।
- C. इन निबंधों में वे व्यंग्य-विनोद भाव का बड़ी सहजता से प्रयोग करते हैं।
- E. शिवशंभु अपने को वायसराय के समक्ष 'गूंगी प्रजा का एक वकील' (एक दुराशा) मानता है।
Key Pointsशिवशंभु के चिट्ठे-
- रचनाकार-बालमुकुन्द गुप्त
- प्रकाशन वर्ष- 1904-1905 ई.
- विधा- निबन्ध
- विषय-
- यह निबन्ध 'भारत मित्र' पत्रिका में प्रकाशित हुए थे।
- इनमें तत्कालीन गवर्नर जर्नल लार्ड कर्जन पर व्यंग किया गया है।
- मुख्य-
- 'श्रीमान् का स्वागत' में शिवशंभु लार्ड कर्जन के बारे में लिखते हैं।
- ‘बनाम लार्ड कर्जन' नामक चिठ्ठे का प्रकाशन वर्ष 1904 ई. में हुआ है।
Important Pointsबालमुकुन्द गुप्त-
- जन्म-1865-1907 ई.
- द्विवेदी युगीन प्रमुख निबंधकार थे।
- इनके निबन्धों की आत्मा भारतेंदु युगीन थी और शरीर द्विवेदी युगीन।
- रचनाएँ-
- शिवशम्भु के चिट्ठे, चिट्ठे औए खत आदि।
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 6:
'शिवशंभु के चिट्ठे' से संबंधित हैं:
A. आनंदकादंबिनी
B. कलकत्ता
C. चुनार
D. भारत मित्र
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 6 Detailed Solution
'शिवशंभु के चिट्ठे' से संबंधित हैं:-
- कलकत्ता
- भारत मित्र
Confusion Points
- प्रश्न के अनुसार कलकत्ता शहर का नाम है और अन्य सभी पत्रिकाओं के नाम है।
- कलकत्ता और भारत मित्र ही 'शिवशंभु के चिट्ठे' से संबंधित है।
Key Pointsशिवशंभु के चिट्ठे-
- रचनाकार-बालमुकुन्द गुप्त
- विधा-निबंध
- प्रकाशन वर्ष-1903-1905ई. के मध्य
- यह चिट्ठे भारत मित्र पत्र में प्रकाशित हुए थे।
- विषय-
- यह लार्ड कर्जन को संबोधित करके लिखा गया है।
- इसमें 'भारतीयों' की राजनीतिक विवशता को दिखाया गया है।
- अंग्रेजी शासन व्यवस्था की आलोचना की गई है।
- यह निबन्ध प्रतीकात्मक शैली में लिखा गया है।
- इसकी शुरुआत स्वप्न के जरिए होती है।
- इसमें उस समय के कलकत्ता में हो रहे शासन का वर्णन है।
Additional Informationआनंदकादंबिनी-
- प्रकाशन वर्ष-1938ई.
- यह मासिक पत्रिका है।
- संपादक- बद्रीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
चुनार-
- प्रकाशन वर्ष-1866ई.
- संपादक-बालमुकुन्द गुप्त
- यह उर्दू पत्रिका है।
भारत मित्र-
- प्रकाशन वर्ष-1878ई.
- संपादक-हरमुकुंद शास्त्री
- यह हिंदी समाचार पत्र है।
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 7:
द्विवेदी युग के निबन्धकारों का कौनसा वर्ग संगत है ?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 7 Detailed Solution
द्विवेदी युग के निबन्धकारों का संगत वर्ग है- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी, श्यामसुन्दर दास, सरदार पूर्णसिंह, गणेश शंकर विद्यार्थी
Key Pointsचन्द्रधर शर्मा गुलेरी-
- जन्म-1883-1922 ई.
- निबंध-
- कछुआ धर्म
- मारेसि मोहिं कुठाँव
- अमंगल के स्थान आदि।
श्यामसुन्दर दास-
- जन्म-1875-1944 ई.
- निबंध-
- साहित्य की विशेषताएं
- समाज और साहित्य
- साहित्य लोचन आदि।
सरदार पूर्णसिंह-
- जन्म-1881-1931 ई.
- निबंध-
- आचरण की सभ्यता
- मजदूरी और प्रेम
- सच्ची वीरता
- कन्यादान आदि।
गणेश शंकर विद्यार्थी-
- जन्म-1890-1931 ई.
- रचना-
- शेखचिल्ली की कहानियाँ आदि।
Important Pointsशिवपूजन सहाय-
- जन्म-1893-1963 ई.
- शुक्लयुगीन निबंधकार है।
- निबंध-
- कुछ।
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 8:
निम्नलिखित में से किस निबन्धकार ने 'शिवशम्भु का चिट्ठा' नाम से निबंध लिखे?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 8 Detailed Solution
बालमुकुन्द गुप्त निबन्धकार ने 'शिवशम्भु का चिट्ठा' नाम से निबंध लिखा।
बालमुकुन्द गुप्त-
- जन्म - 1865-1907 ई.
- भारत मित्र पत्रिका के संपादक रहे है।
- इनके निबन्धों की आत्मा भारतेंदु युगीन है तो शरीर द्विवेदी युगीन।
- रचनाएँ-
- हरिदास, खिलौना, खेलतमाशा, स्फुट कविता आदि।
Key Pointsशिवशम्भु का चिट्ठा-
- प्रकाशन वर्ष - 1904-1905 ई.
- विधा-निबन्ध
- इस निबन्ध में 8 चिट्टे लार्ड कर्जन, 2 चिट्ठे लार्ड मिंटो तथा भारत सचिव मिस्टर मार्ली के नाम लिखे गये है।
- प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
- विषय-
- तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड कर्जन को संबोधित करके ये चिट्ठे लिखे गये है।
- चिट्ठे हैं - बनाम लार्ड कर्जन, श्रीमान का स्वागत, पीछे मत फेकिये, आशा का अंत, विदाई संभाषण आदि।
Important Pointsचंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'-
- जन्म-1883-1922 ई.
- निबन्ध-
- कछुवा धर्म, मारेसि मोहि कुठाँव, अमंगल के स्थान आदि।
सरदार पूर्ण सिंह -
- जन्म -1881-1931 ई.
- इनके निबन्ध भावात्मक होते थे।
- निबन्ध -
- आचरण की सभ्यता, मजदूरी और प्रेम, सच्ची वीरता, पवित्रता, कन्यादान आदि।
महावीरप्रसाद द्विवेदी-
- जन्म -1864-1938 ई.
- आचार्य शुक्ल ने इनके निबन्धों को 'बातों का संग्रह' कहा है।
- निबन्ध -
- सम्पत्तिशास्त्र, रसज्ञ रंजन, नाट्य-शास्त्र, भाषा और व्याकरण, कवि और कविता, आत्मनिवेदन, म्युनिसिपैलिटी के कारनामे आदि।
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 9:
"सरदार पूर्ण सिंह'' का निबंध हैः
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 9 Detailed Solution
- मजदूरी और प्रेम, सरदार पूर्ण सिंह का प्रसिद्ध निबंध है।
- इसके लेखक ने मजदूरों के श्रम तथा उसके सच्चे मूल्य का विवेचन किया है।
Additional Information
- कछुआ धर्म : - चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
- कुटज : - हजारी प्रसाद द्विवेदी
- शिव शम्भू के चिट्ठे : - बालमुकुन्द गुप्त
- सरदार पूर्ण सिंह जी के सिर्फ 6 निबन्ध मिलते हैं।
- 1-सच्ची वीरता
- 2-कन्यादान
- 3-पवित्रता
- 4-आचरण की सभ्यता
- 5-“मजदूरी और प्रेम”
- 6-अमेरिका का मस्त योगी वाल्ट व्हिटमैन।
उनकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगाने वाले ‘मज़दूरी और प्रेम’ निबन्ध की समीक्षा यहाँ प्रस्तुत है-
- निबन्ध 8 भागों में बंटा है-
- 1-हल चलाने वाले का जीवन
- 2-गड़रिये का जीवन
- 3-मजदूर की मजदूरी
- 4-प्रेम-मजदूरी
- 5-मजदूरी और कला
- 6-मजदूरी और फ़क़ीरी
- 7-समाज का पालन करनेवाली दूध की धारा
- 8-पश्चिमी सभ्यता का नया आदर्श
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 10:
निम्नलिखित में से अध्यापक पूर्णसिंह के निबंध हैं -
(A) कन्यादान
(B) परीक्षा
(C) सच्ची वीरता
(D) बसंत की हवा
नीचे दिये गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए -
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्ल पूर्व युग निबन्ध Question 10 Detailed Solution
अध्यापक पूर्णसिंह के निबंध हैं-(A)कन्यादान और (C)सच्ची वीरता।
- परीक्षा निबन्ध के लेखक: प्रतापनारायण मिश्र
Key Points
- अध्यापक पूर्णसिंह(1881-1831ई.)-द्विवेदी युग के श्रेष्ठ निबन्धकार है।
- आधुनिक पंजाबी काव्य के संस्थापकों में इनकी गणना होती है।
- इनके सभी निबन्ध सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुए।
Additional Information
- प्रमुख निबन्ध-सच्ची वीरता,आचरण की सभ्यता,मजदूरी और प्रेम,कन्यादान,पवित्रता आदि|