काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz in తెలుగు - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - ముఫ్త్ [PDF] డౌన్లోడ్ కరెన్
Last updated on Mar 21, 2025
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काव्य पंक्तियाँ Question 1:
'कर्म का भोग भोग का कर्म, यही जड का चेतन आनन्द' - पंक्तियाँ किस काव्य-कृति से उद्धृत है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "कामायनी" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- उपर्युक्त पंक्तियां कामायनी की है।
- कामायनी हिंदी भाषा का एक महाकाव्य है।
- यह आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है।
- 'प्रसाद' जी की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई।
- कामायनी एक प्रतीकात्मक काव्य है जिसमेंं मनु,श्रद्धा,इड़ा,किलात-आकुलि,श्वेत वृषभ आदि क्रमशः मन, बुद्धि,मानव,आसुरी भाव,धर्म के प्रतीक हैं।
- कामायनी 15 सर्ग (अध्यायों) का महाकाव्य है। ये सर्ग निम्नलिखित हैं-
- 1. चिन्ता 2. आशा 3. श्रद्धा 4. काम 5. वासना 6. लज्जा 7. कर्म 8. ईर्ष्या 9. इडा (तर्क, बुद्धि) 10. स्वप्न 11. संघर्ष 12. निर्वेद (त्याग) 13. दर्शन 14. रहस्य 15. आनन्द सूत्र :- (1) चिंता की आशा से श्रद्धा ने काम वासना को लज्जित किया। (2) कर्म की ईर्ष्या से इड़ा ने स्वप्न में संघर्ष किया। (3) निदरआ (निद्रा)
- यशोधरा (1933 ईस्वी) :- मैथिलीशरण गुप्त
- उर्वशी (1961 ईस्वी) :- रामधारी सिंह दिनकर
- साकेत (1931 ईस्वी) :- मैथिलीशरण गुप्त
काव्य पंक्तियाँ Question 2:
'मैं नीर भरी दुख की बदली' का प्रतिपाद्य है -
(A) इसमें रहस्यवादी ढंग से जीवन की नश्वरता की बात की गई है।
(B) इसमें स्त्री के सामाजिक प्रदेय और श्रेय को रेखांकित किया गया है।
(C) स्त्री का जीवन दुख में ही बीतता रहा है।
(D) स्त्री अपने आँसुओं को व्यर्थ नहीं जाने देती है। वह उसी से नया सृजन करती रही है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution
विकल्प (C) और (D) सही है।
- इसमें महादेवी वर्मा ने यह भी बताया है कि स्त्री जीवन दुख में ही बीतता रहता है।
- तथा स्त्री अपने आँसुओं को व्यर्थ नहीं जाने देती है। वह उसी से नया सृजन करती रही है।
यह कविता महादेवी वर्मा की कविता हैं जिसका अर्थ यह है कि एक लड़की माटी की गुड़िया के समान है जिसे अपनी जिंदगी के हर मोड़ पर टूटने और बिखरने का डर है।
उसकी जिंदगी में परेशानियों का सफर हमेशा चलता रहता है।
लड़की के पैदा होने पर परिवार दुखित होता है और यदि पहले ही पता चल जाए कि गर्भ में लड़की है तो उसे गर्भ में ही मार दिया जाता है।
महादेवीवर्मा के कविता संग्रह:-
- नीहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), सांध्यगीत (1936) , दीपशिखा (1942)
- सप्तपर्णा (अनूदित-1949), प्रथम आयाम (1974),.अग्निरेखा (1990)
काव्य पंक्तियाँ Question 3:
निम्नलिखित में से कौन - सी जयशंकर प्रसाद की कविताएं हैं-
A. करुणामय को भाता है, तम के परदे में आना
B. मधुप गुनगुनाकर कह जाता कौन कहानी यह अपनी
C. मेरी आंखों की पुतली में तू बनकर प्रान समा जा रे
D. गा, कोकिल बरसा पावक कण ! नष्ट भ्रष्ट हो जीर्ण पुरातन
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) B और C सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- "मधुप गुनगुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी" :- लहर
- "मेरी आंखों की पुतली में तू बनकर प्रान समा जा रे" :-
- जयशंकर प्रसाद की कविताएं हैं।
Important Points
- जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 - 15 नवंबर 1937)
- वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
- वे नागरीप्रचारिणी सभा के उपाध्यक्ष भी थे।
- उनकी सर्वप्रथम छायावादी रचना 'खोलो द्वार' 1914 ई. में इंदु में प्रकाशित हुई।
- सन् 1912 ई. में 'इंदु' में उनकी पहली कहानी 'ग्राम' प्रकाशित हुई।
- हिंदी में 'करुणालय' द्वारा गीत नाट्य का भी आरंभ किया।
- सुमित्रानंदन पंत कामायनी को 'हिंदी में ताजमहल के समान' मानते हैं।
Additional Information
जयशंकर प्रसाद की रचनाएं निम्नलिखितहैं :-
अन्य विकल्प:-
काव्य पंक्तियाँ Question 4:
‘द्रुत झरो जगत के जीर्णपत्र’ काव्यपंक्ति में ‘जीर्णपत्र’ से क्या अभिप्राय है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution
‘द्रुत झरो जगत के जीर्णपत्र’ काव्यपंक्ति में ‘जीर्णपत्र’ का अभिप्राय ‘सड़ी-गली परंपराएँ’ हैं, अन्य विकल्प असंगत है ।अत: सही विकल्प 2) ‘सड़ी-गली परंपराएँ’ सही उत्तर होगा।
Key Points
स्पष्टीकरण:
कवि की एकांत अभिलाषा है कि जीर्ण पत्रों के झर जाने के बाद अस्थिपंजर सदृश नग्न वृक्ष में नया रक्त बहे, पल्लवों की लालिमा छा जाए, प्राणों की मर्मर ध्वनि के साथ हरियाली मांसलता बनकर शोभित हो जाय। |
Additional Information
विशेष
- उपरोक्त पंक्तियाँ सुमित्रानंदन पन्त द्वारा रचित "युगांत पल्लविनी" से ली गई हैं।
काव्य पंक्तियाँ Question 5:
"सब का निचोड़ लेकर तुम
सुख से सूखे जीवन में
बरसो प्रभात हिमकन - सा
आँसू इस विश्व - सदन में I"
उक्त काव्य पंक्तियों के रचयिता हैं :
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution
"सब का निचोड़ लेकर तुम,सुख से सूखे जीवन में|बरसो प्रभात हिमकन - सा,आँसू इस विश्व - सदन में I"-इन पंक्तियों के रचयिता है-जयशंकर प्रसाद
Key Points
- यह पंक्तिया प्रसाद के काव्य-संग्रह "आँसू" से अवतरित है|
- इसका प्रकाशन 1925ई. में हुआ|
- यह विरह प्रधान स्मृति काव्य है|
- इसे 'हिंदी का मेघदूत' भी कहा जाता है|
- कुछ पंक्तिया-आती हैं शून्य क्षितिज से,क्यों लौट प्रतिध्वनि मेरी|
टकराती बिलखाती-सी,पगली-सी देती फेरी?
Important Pointsजयशंकर प्रसाद
- जन्म-1889-1937ई.
- बचपन का नाम-झारखंडी
- ब्रजभाषा काव्य नाम-कलाधर
- हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे।
- मुख्य रचनाएं-उर्वशी(1909ई.),वन मिलन (1909ई.),झरना(1918ई.),आँसू(1925ई.),लहर(1933ई.),कामायनी(1936ई.) आदि|
Additional Information सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
- जन्म-1899-1961ई.
- इन्होंने कई कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है।
- मुख्य रचनाएं-अनामिका(1923ई.),परिमल(1930ई.),तुलसीदास(1938ई.),नये पत्ते(1946ई.) आदि|
- जन्म-1900-1977ई.
- हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
- पहली कविता-गिरजे का घंटा(1916ई.)
- मुख्य रचनाएं-ग्रन्थि(1920ई.),गुंजन(1932ई.),युगांत(1936ई.),युगवाणी(1939ई.),स्वर्ण किरण(1947ई.),कला और बूढ़ा चाँद(1959ई.),चिदम्बरा(1968ई.) आदि|
महादेवी वर्मा
- जन्म-1907-1987ई.
- छायावादी कवियों में रहस्यभावना की मुख्य कवयित्री है|
- मुख्य रचनाएं-निहार(1930ई.),रश्मि(1932ई.),नीरजा(1935ई.),सांध्यगीत(1936ई.),यामा(1940ई.) आदि|
काव्य पंक्तियाँ Question 6:
'प्रथम रश्मि का आना रंगिणि, तूने कैसे पहचाना?' पंक्ति किसके द्वारा लिखित है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution
उपरोक्त पंक्तियाँ सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित है।
- उपरोक्त पंक्तियाँ प्रथम रश्मि (कविता) से ली गयी है।
- प्रथम रश्मि का आना रंगिणि!
तूने कैसे पहचाना?
- प्रथम रश्मि का आना रंगिणि!
- पंक्तियों का अर्थ:
- प्रथम रश्मि के आने से पहले जैसे पूरा विश्व स्तब्ध था। जड़ चेतन सब एकाकार थे, एक जैसे थे। विश्व में जैसे शुन्यावाकाश था
Key Points
- सुमित्रानंदन पंत (1900-1977)
- सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
- इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है
- उनका व्यक्तित्व भी आकर्षण का केंद्र बिंदु था।
- गौर वर्ण, सुंदर सौम्य मुखाकृति, लंबे घुंघराले बाल, सुगठित शारीरिक सौष्ठव उन्हें सभी से अलग मुखरित करता था।
- सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित काव्य:
- स्वर्णधूलि
- ग्रन्थि
- गुंजन
- ग्राम्या
- युगांत
- स्वर्णकिरण
Additional Information
कवि | रचनाएँ |
निराला(1899-1961) | अप्सरा (1931)-उपन्यास अलका (1933)-उपन्यास प्रभावती (1936)-उपन्यास निरुपमा (1936)-उपन्यास |
महादेवी (1907 —1987) | नीहार (1930)-कविता संग्रह रश्मि (1932)-कविता संग्रह नीरजा (1934)-कविता संग्रह सांध्यगीत (1936)-कविता संग्रह |
प्रसाद (1889 - 1937) | प्रेम-पथिक' कविता संग्रह कंकाल-उपन्यास तितली -उपन्यास इरावती -उपन्यास |
काव्य पंक्तियाँ Question 7:
"जो घनीभूत पीड़ा थी, मस्तक में स्मृति - सी छाई,
दुर्दिन में आँसू बनकर, वह आज बरसने आई।"
उपर्युक्त काव्य पंक्तियाँ किस कवि की हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution
उपर्युक्त काव्य पंक्तियाँ जयशंकर प्रसाद कवि की है।
आँसू-
- रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
- काव्य रूप-खंड काव्य
- विषय-
- विरह प्रधान स्मृति काव्य है।
- इसके प्रथम संस्करण में 133 छंद थे।
- इसके संशोधित संस्करण में 190 छंद हो गए।
- इसे 'हिंदी का मेघदूत' कहा जाता है।
Additional Informationजयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937 ई.
- छायावादी युग के महत्त्वपूर्ण कवि है।
- रचनाएँ-
- उर्वशी(1909 ई.)
- वन मिलन(1909 ई.)
- कानन कुसुम(1913 ई.)
- प्रेमपथिक(1913 ई.)
- चित्राधार(1918 ई.)
- झरना(1918 ई.)
काव्य पंक्तियाँ Question 8:
"स्नेह-निर्झर बह गया है। रेत ज्यों तन रह गया है।"
उपरोक्त गीत किस कवि का है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution
"स्नेह-निर्झर बह गया है।रेत ज्यों तन रह गया है।"-गीत सूर्यकांत त्रिपाठी का है।
Key Points
- यह गीत सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के अणिमा(1943ई.) काव्य-संग्रह में संग्रहित है।
- इस काव्य-संग्रह में निराला ने स्वानुभूतिमयी गीत लिखे है।
- 'अणिमा' काव्य संग्रह में संग्रहित कविताएँ-
- नूपुर के सुर मंद रहे बादल छाये,जन-जन के जीवन के सुंदर,उन चरणों मे मुझे दो शरण,स्नेह निर्झर बह गया आदि।
Additional Information
- सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'(1899-1971ई.) छायावाद के प्रमुख कवि है व इन्हें छायावाद का 'शलाका पुरुष' भी कहा जाता है।
- काव्य-संग्रह-
- अनामिका(1923ई.),परिमल(1930ई.),गीतिका(1936ई.),तुलसीदास(1938ई.),कुकुरमुत्ता(1942ई.),सांध्यकाकली (1969ई.) आदि।
- 'जूही की कली'(1916ई.) इनकी पहली कविता है।★
Important Points
- जयशंकर प्रसाद(1889-1937ई.) की रचनाएँ-
- उर्वशी(1909ई.)★,वन मिलन(1909ई.),कानन कुसुम(1913ई.),★,प्रेम पथिक (1913ई.),झरना(1918ई.),आँसू(1925ई.), लहर(1933ई.),कामायनी(1936ई.) आदि।
- नरेंद्र शर्मा(1913-1989ई.) की रचनाएँ-
- प्रभातफेरी(1938ई.)★,प्रवासी के गीत(1939ई.)★,पलाश वन(1940ई.),सुवर्णा(1971ई.) आदि।
- रामकुमार वर्मा(1905-1990ई.) की रचनाएँ-
- रूपराशि(1931ई.),निशीथ★,चित्ररेखा(1935ई.) आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 9:
“किन्तु पाऊँगा नहीं कर आज अपने पर नियंत्रण तीर पर कैसे रूकूँ मैं आज लहरों में निमन्त्रण।”
प्रस्तुत पंक्तियाँ किसके द्वारा रचित हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution
उक्त पंक्तियाँ 'हरिवंश राय बच्चन' जी द्वारा रचित है।
- लहरों का निमंत्रण कविता से ली गई यह पंक्तियाँ,
- मधुकलश काव्य संग्रह में संकलित है।
- प्रमुख कृतियां-
- मधुशाला(1935)
- निशा निमंत्रण(1938)
- नीड़ का निर्माण फिर(1970)
- बसेरे से दूर(1977)
- दशद्वार से सोपान तक(1985)
- हलाहल(1946)आदि हैं।
काव्य पंक्तियाँ Question 10:
'राम की शक्ति पूजा की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-
A. इसका मूल स्रोत कृतिवास का बंगला रामायण है।
B. शक्तिपूजा के प्रसंगों में राम की पराजय का कहीं भी उल्लेख नहीं है ।
C. अन्याय जिधर है, शक्ति को भी उधर ही होना चाहिए।
D. पूरी कविता में अंधकार - प्रकाश का द्वंद्वयुद्ध निरंतर चलता रहता है।
E. यह कविता निराशा का महिमामंडन नहीं करती है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution
सही उत्तर है - केवल A, D, E
Key Points'राम की शक्ति पूजा की विशेषताएं हैं-
- A. इसका मूल स्रोत कृतिवास का बंगला रामायण है।
- D. पूरी कविता में अंधकार - प्रकाश का द्वंद्वयुद्ध निरंतर चलता रहता है।
- E. यह कविता निराशा का महिमामंडन नहीं करती है।
Important Points
- ‘राम की शक्तिपूजा’ सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जी की महानतम रचनाओं में से है।
- यह एक लघु पौराणिक आख्यान काव्य है। इसकी रचना 1936 में की गई थी।
- यह एक लम्बी कविता है। जो राम-रावण युद्ध की पौराणिक घटना पर आधारित है।
- राम की शक्तिपूजा काव्य के तीन आधारभूत ग्रंथ हैं-
- संस्कृत में विरचित ‘देवू भागवत’, ‘शिव महिम्न स्त्रोत’ और बांग्ला में कृत्तिवास ओझा कृत ‘कृत्तिवास रामायण’।
Additional Informationसूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' -
- जन्म- 1899 -1961 ई.
- हिन्दी के छायावादी कवियों में कई दृष्टियों से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं।
- निराला जी एक कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार और कहानीकार थे।
- कविता संग्रह -
- अनामिका (1923 ई.)
- परिमल (1930 ई.)
- तुलसीदास (1939 ई.)
- कुकुरमुत्ता (1942 ई.)
- अणिमा’ (1943 ई.)
- नए पत्ते (1946 ई.) आदि।