प्रसाद युगीन नाटक MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for प्रसाद युगीन नाटक - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்
Last updated on Mar 22, 2025
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प्रसाद युगीन नाटक Question 1:
ध्रुवस्वामिनी नाटक में कितने अंक हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर है - तीन।
Key Points
- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा कृत है।
- प्रकाशन वर्ष-1933 ई.
- यह नाटक 3 अंकों में विभक्त है तथा इसमें स्त्री-पुनर्विवाह का चित्रण किया गया है।
- साथ ही स्त्री-पात्रों की सशक्तिकरण का चित्रण भी किया गया है।
- पात्र:
- पुरुष पात्र-चन्द्रगुप्त,रामगुप्त,शिखरस्वामी,शकराज आदि।
- स्त्री पात्र-ध्रुवस्वामिनी,मन्दाकिनी,कोमा आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 2:
प्रसाद की किस कृति का अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 2 Detailed Solution
प्रसाद की स्कंदगुप्त कृति का अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है।
- स्कंदगुप्त प्रसाद द्वारा रचित एक नाटक है।
Key Pointsस्कंदगुप्त-
- रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
- प्रकाशन वर्ष- 1928 ई.
- विधा- नाटक
- विषय-
- भारतीय व यूरोपीय नाटकों का समन्वय किया गया है।
- कुमारगुप्त के विलासी साम्राज्य की आंतरिक स्थिति का चित्रण किया है।
- पात्र-
- स्कंदगुप्त, कुमारगुप्त, पर्णदत्त, चक्रपालित, देवकी, आनंतदेवी, देवसेना, विजया आदि।
लहर-
- रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
- विधा- काव्य
- प्रकाशन वर्ष- 1933 ई.
- यह गीतिकाव्य है।
कामायनी-
- रचनाकार - जयशंकर प्रसाद
- प्रकाशन वर्ष -1935 ई.
- मुख्य पात्र -
- मनु, श्रद्धा, इड़ा और कुमार।
- कामायनी में कुल 15 सर्ग हैं-
- चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा, कर्म, ईर्ष्या, इड़ा ,स्वप्न, संघर्ष, निर्वेद, दर्शन, रहस्य और आनंद।
- मुख्य रस - निर्वेद(शांत रस)
- मुख्य छंद - ताटंक
- विषय-
- इनकी कथावस्तु का आधार ऋग्वेद, छंदोग्य उपनिषद, शतपथ ब्राह्मण और श्रीमद्भागवात है।
- इसमें मनोभावों को पात्रों के रूप में रूपांतरित किया है।
Important Points
जयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937 ई.
- बाल्य नाम-झारखंडी
- छायावादी युग के महत्त्वपूर्ण कवि व प्रसिद्ध नाटककार है।
- नाटक-
- सज्जन(1910 ई.)
- कल्याणी परिणय(1912 ई.)
- करुणालय(1912 ई.)
- विशाख(1921 ई.)
- कामना(1927 ई.) आदि।
- काव्य रचनाएँ-
- उर्वशी(1909 ई.)
- वन मिलन(1909 ई.)
- प्रेमराज्य(1909 ई.)
- कानन कुसुम(1913 ई.)
- प्रेमपथिक(1913 ई.)
- चित्राधार(1918 ई.)
- झरना(1918 ई.)
- आँसू(1925 ई.)
- लहर(1933 ई.)
- कामायनी(1935 ई.) आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 3:
'स्कंदगुप्त' नाटक के प्रथम अंक में आए संवादों को पहले से बाद के क्रम में लगाइये:
A. कविता करना अनंत पुण्य का फल है।
B. अधिकार-सुख कितना मादक और सारहीन है।
C. केवल संधि-नियम से ही हम लोग बाध्य नहीं हैं -शरणागत की रक्षा भी क्षत्रिय का धर्म है।
D. राष्ट्रनीति, दार्शनिकता और कल्पना का लोक नहीं है।
E. पुरुष है कुतूहल और प्रश्र, और स्त्री है विश्लेषण, उत्तर और सब बातों का समाधान।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 3 Detailed Solution
'स्कंदगुप्त' नाटक के प्रथम अंक में आए संवादों का पहले से बाद का सही क्रम है-
- B. अधिकार-सुख कितना मादक और सारहीन है।- स्कंदगुप्त
- D. राष्ट्रनीति, दार्शनिकता और कल्पना का लोक नहीं है।- पर्णदत्त स्कंदगुप्त से
- C. केवल संधि-नियम से ही हम लोग बाध्य नहीं हैं -शरणागत की रक्षा भी क्षत्रिय का धर्म है।- स्कंदगुप्त दूत से
- A. कविता करना अनंत पुण्य का फल है।- मातृगुप्त
- E. पुरुष है कुतूहल और प्रश्र, और स्त्री है विश्लेषण, उत्तर और सब बातों का समाधान।- धातुसेन मातृगुप्त से
Important Pointsस्कंदगुप्त-
- रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
- विधा- नाटक
- प्रकाशन वर्ष- 1928 ई.
- विषय-
- भारतीय व यूरोपीय नाटकों का समन्वय किया गया है।
- कुमारगुप्त के विलासी साम्राज्य की आंतरिक स्थिति का चित्रण किया है
- पुरुष पात्र-
- स्कंदगुप्त-- युवराज (विक्रमादित्य)
- कुमारगुप्त-- मगध का सम्राट
- गोविन्दगुप्त-- कुमारगुप्त का भाई
- पर्णदत्त-- मगध का महानायक
- चक्रपालित-- पर्णदत्त का पुत्र
- बन्धुवर्मा-- मालव का राजा
- भीमवर्मा-- उसका भाई
- मातृगुप्त-- काव्यकर्ता (कालिदास)
- प्रपंचबुद्धि-- बौद्ध कापालिक
- शर्वनाग-- अन्तर्वेद का विषयपति
- कुमारदास (धातुसेन)-- सिंहल का राजकुमार
- पुरगुप्त-- कुमारगुप्त का छोटा पुत्र
- भटार्क-- नवीन महाबलाधिकृत
- पृथ्वीसेन-- मंत्री कुमारामात्य
- खिगिल-- हूण आक्रमणकारी
- मुगल-- विदूषक
- प्रख्यातकीर्ति-- लंकाराज-कुल का श्रमण, महा-बोधिबिहार-स्थविर
- अन्य-- महाप्रतिहार, महादंडनायक, नन्दी-ग्राम का दंडनायक, प्रहरी, सैनिक इत्यादि।
- नारी पात्र-
- देवकी-- कुमारगुप्त की बड़ी रानी, (स्कंद की माता)
- अनन्तदेवी-- कुमारगुप्त की छोटी रानी (पुरगुप्त की माता)
- जयमाला-- बंधुवर्मा की स्त्री, (मालव की रानी)
- देवसेना-- बंधुवर्मा की बहिन
- विजया-- मालव के धनकुबेर की कन्या
- कमला-- भटार्क की जननी
- रामा-- शर्वनाग की स्त्री
- मालिनी-- मातृगुप्त की प्रणयिनी
- अन्य-- सखी, दासी इत्यादि।
Additional Informationजयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937 ई.
- छायावाद के महत्तवपूर्ण कवि रहे है।
- इन्हें प्रेम और मस्ती का कवि कहा जाता है।
- रचनाएँ-
- काव्य संग्रह-
- उर्वशी(1909 ई.)
- वन मिलन(1909 ई.)
- कानन कुसुम(1913 ई.)
- प्रेमपथिक(1913 ई.) आदि।
- नाटक-
- सज्जन(1910 ई.)
- कल्याणी परिणय(1912 ई.)
- करुणालय(1912 ई.)
- अजात शत्रु(1922 ई.)
- चन्द्रगुप्त(1931 ई.) आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 4:
निम्नलिखित में से कौन-सा पात्र 'चन्द्रगुप्त' नाटक से संबंधित नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 4 Detailed Solution
'चन्द्रगुप्त' नाटक से संबंधित पात्र नहीं है- जयमाला
- 'जयमाला' जयशंकर प्रसाद कृत स्कंदगुप्त नाटक की स्त्री पात्र है।
Key Pointsचन्द्रगुप्त-
- रचनाकार-जयशंकर प्रसाद
- प्रकाशन वर्ष-1931ई.
- विषय-
- इसमें विदेशियों से भारत का संघर्ष और उस संघर्ष में भारत की विजय की बात उठायी गयी है।
- चन्द्रगुप्त नाटक चाणक्य के प्रतिशोध और विश्वास की कहानी कहता है।
- पात्र-
- चाणक्य, चन्द्रगुप्त, सिंहरण, दाण्ड्यायन, नन्द, वररुचि, कार्नेलिया, अलका, सुवासिनी आदि।
Important Pointsजयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937 ई.
- छायावादी प्रमुख स्तम्भ है।
- काव्य संग्रह-
- उर्वशी(1909 ई.)
- वन मिलन(1909 ई.)
- कानन कुसुम(1913 ई.)
- प्रेम पथिक(1913 ई.)
- चित्राधार(1918 ई.)
- झरना(1918 ई.)
- आँसू(1925 ई.) आदि।
- उपन्यास-
- कंकाल(1929 ई.)
- तितली(1934 ई.)
- इरावती(1936 ई.) आदि।
- नाटक-
- सज्जन(1910 ई.)
- कल्याणी परिणय(1912 ई.)
- करुणालय(1912 ई.)
- विशाख(1921 ई.)
- अजातशत्रु(1922 ई.)
- स्कंदगुप्त(1928 ई.)
- ध्रुवस्वामिनी(1933 ई.) आदि।
- निबंध-
- काव्य और कला तथा अन्य निबंध(1959 ई.)
- यथार्थवाद और छायावाद
- रहस्यवाद
- नाटकों का आरंभ आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 5:
कौन-सा नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 5 Detailed Solution
मत्स्यगंधा नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नहीं है।
- मत्स्यगंधा नाटक उदयशंकर भट्ट द्वारा रचित है।
- उदयशंकर भट्ट का जन्म वर्ष 1898 मे उत्तर प्रदेश के इटावा जिले मे हुआ था।
- 1931 मे इनका पहला काव्य संग्रह तक्षशिला प्रकाशित हुआ था
- उदयशंकर भट्ट के अन्य नाटक -
- नहुष निपात, एकला चलो रे, आदिम युग, धूमशिखा आदि है।
Key Pointsअन्य सभी विकल्प के नाटक स्कंदगुप्त(1928), चंद्रगुप्त(1931) तथा कामना(1924) जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित है।
जयशंकर प्रसाद की अन्य कृतियाँ तथा उनके प्रकाशन वर्ष -
कामायनी (1936), छाया (1912), लहर (1933), आंधी (1931) आदि।
Additional Informationउदयशंकर भट्ट एक सुप्रसिद्ध लेखक व कवि थे।
- उदयशंकर भट्ट द्वारा रचित उपन्यास -
- वह जो मैंने देखा, नए मोड़, सागर, लहरें आदि है।
प्रसाद युगीन नाटक Question 6:
प्रकाशन वर्ष के अनुसार जयशंकर प्रसाद के नाटकों का सही अनुक्रम है -
(A) अजातशत्रु
(B) ध्रुवस्वामिनी
(C) राज्यश्री
(D) स्कन्दगुप्त
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन चुनिए -
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 6 Detailed Solution
प्रकाशन वर्ष के अनुसार जयशंकर प्रसाद के नाटकों का सही अनुक्रम हैं-(C)राज्यश्री,(A)अजातशत्रु,(D)स्कन्दगुप्त,(B)ध्रुवस्वामिनी।
Key Points
- जयशंकर प्रसाद के नाम से ही नाटकों में प्रसाद युग की शुरूआत मानी जाती है।
Important Points
- राज्यश्री(1915) नाटक 'हर्षचरित' तथा चीनी यात्री ह्वेनसांग की कथा को आधार बनाकर लिखा गया है।
- अजातशत्रु(1922) नाटक मगध,काशी,कौशाम्बी व कोशल राज्यों को केंद्र बनाकर लिखा गया है।
- स्कन्दगुप्त(1928) नाटक भारतीय व यूरोपीय नाटकों का समन्वय है तथा इसमें कुमारगुप्त के विलासी साम्राज्य की आंतरिक स्थिति का चित्रण है।
- ध्रुवस्वामिनी(1933) नाटक 'स्त्री पुनर्विवाह' की ऐतिहासिक घटना पर आधारित है।
Additional Information
- अन्य नाटक-
नाटक | विषय |
सज्जन(1910) | महाभारत के कथानक पर आधारित। |
एक घूँट(1930) | आनंदवादी दर्शन का व्यवहारिक रूप। |
चन्द्रगुप्त(1931) | चन्द्रगुप्त के साहस व चाणक्य की राजनीति का सशक्त उदाहरण पेश है। |
प्रसाद युगीन नाटक Question 7:
ध्रुवस्वामिनी के प्रथम अंक में कितने गीत हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 7 Detailed Solution
सही उत्तर है - दो।
Key Points
- धुवस्वामिनी नाटक में कुल चार गीत हैं।
- दो गीत प्रथम अंक में जिन्हे मन्दाकिनी गाती है।
- एक गीत द्वितीय अंक में कोमा गाती है।
- आखिरी गीत द्वितीय अंक में नर्तकियां गाती हैं।
Additional Informationध्रुवस्वामिनी:-
- लेखक:- जयशंकर प्रसाद।
- विधा:- नाटक।
- मूल विषय:- नारी समस्या।
- प्रमुख पात्र:- ध्रुवस्वामिनी, चन्द्रगुप्त, रामगुप्त, शिखरस्वामी, शकराज, मिहिरदेव, कोमा, मन्दाकिनी।
प्रसाद युगीन नाटक Question 8:
इनमे से जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक कौनसा नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 8 Detailed Solution
"दुखिनी बाला", "जयशंकर प्रसाद" द्वारा रचित नाटक नहीं है। अतः उपयुक्त विकल्पों में से विकल्प (3) दुखिनी वाला सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- दुखिनी बाला राधा कृष्ण दास की रचना है।
- इसका रचना वर्ष 1880 ईसवी है।
- जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 - 15 नवंबर 1937)
- वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
- वे नागरीप्रचारिणी सभा के उपाध्यक्ष भी थे।
- उनकी सर्वप्रथम छायावादी रचना 'खोलो द्वार' 1914 ई. में इंदु में प्रकाशित हुई।
- सन् 1912 ई. में 'इंदु' में उनकी पहली कहानी 'ग्राम' प्रकाशित हुई।
- हिंदी में 'करुणालय' द्वारा गीत नाट्य का भी आरंभ किया।
- सुमित्रानंदन पंत, कामायनी को 'हिंदी में ताजमहल के समान' मानते हैं।
जयशंकर प्रसाद के नाटक एवं एकांकी निम्नलिखित है:-
प्रसाद युगीन नाटक Question 9:
"त्रस्त प्रजा की रक्षा के लिए, सतीत्व के सम्मान के लिए, देवता-ब्राह्मण और गो की मर्यादा में विश्वास के लिए, आतंक से प्रकृति को आश्वासन देने के लिए- आपको अपने अधिकार का उपयोग करना होगा।" 'स्कंदगुप्त' नाटक में यह संवाद किसके द्वारा कहा गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 9 Detailed Solution
"त्रस्त प्रजा की रक्षा के लिए, सतीत्व के सम्मान के लिए, देवता-ब्राह्मण और गो की मर्यादा में विश्वास के लिए, आतंक से प्रकृति को आश्वासन देने के लिए- आपको अपने अधिकार का उपयोग करना होगा।" 'स्कंदगुप्त' नाटक में यह संवाद पर्णदत्त द्वारा कहा गया है।
Key Pointsस्कंदगुप्त-
- रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
- प्रकाशन वर्ष- 1928 ई.
- विधा- नाटक
- विषय-
- भारतीय व यूरोपीय नाटकों का समन्वय किया गया है।
- कुमारगुप्त के विलासी साम्राज्य की आंतरिक स्थिति का चित्रण किया है।
- पात्र-
- स्कंदगुप्त, कुमारगुप्त, पर्णदत्त, चक्रपालित, देवकी, आनंतदेवी, देवसेना, विजया आदि।
Important Pointsजयशंकर प्रसाद-
- जन्म- 1889 ई.
- प्रसिद्ध नाटककार है।
- नाटक-
- सज्जन(1910 ई.)
- कल्याणी परिणय(1912 ई.)
- करुणालय(1912 ई.)
- विशाख(1921 ई.)
- कामना(1927 ई.) आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 10:
निम्नलिखित में से देवसेना के कथन हैं:
A. विजय का क्षणिक उल्लास ह्रदय की भूख मिटा देगा? कभी नहीं। वीरों का भी क्या ही व्यवसाय है, क्या ही उन्मत्त भावना है।
B. पवित्रता की माप है मलिनता, सुख का आलोचक है दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप। विजया! आकाश के सुन्दर नक्षत्र आँखों से केवल देखे ही जाते हैं।
C. नये ढंग के आभूषण, सुन्दर वसन, भरा हुआ यौवन- यह सब तो चाहिए ही; परन्तु एक वस्तु और चाहिए पुरुष को वशीभूत करने के पहले - धोखे की टट्टी !
D. ऐसा जीवन तो विडंबना है, जिसके लिए दिन - रात लड़ना पड़े।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 10 Detailed Solution
विकल्प 3 सही उत्तर है।
देवसेना के कथन हैं:-
- पवित्रता की माप है मलिनता, सुख का आलोचक है दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप। विजया! आकाश के सुन्दर नक्षत्र आँखों से केवल देखे ही जाते हैं।
-
नये ढंग के आभूषण, सुन्दर वसन, भरा हुआ यौवन- यह सब तो चाहिए ही; परन्तु एक वस्तु और चाहिए पुरुष को वशीभूत करने के पहले - धोखे की टट्टी !
Key Pointsस्कन्दगुप्त-
- जयशंकर प्रसाद द्वारा 1928ई. में रचित नाटक।
- पुरुष पात्र-पृथ्वीसेन,स्कंदगुप्त,भट्टार्क,महादंड नायक,पुरु गुप्त,कुमार गुप्त।
- स्त्री पात्र-देवसेना,विजय,अंत देवकी।
- कुमारगुप्त के विलासी साम्राज्य का चित्रण।
- आंतरिक कलह,विदेशी आक्रमण का प्रभाव।
Important Pointsजयशंकर प्रसाद के अन्य नाटक-.
- सज्जन-1910ई.
- कल्याणी परिणय – 1912ई.
- प्रायश्चित्त 1914ई.
- राज्यश्री – 1915ई.
- विशाख – 1921ई.
- अजातशत्रु – 1922ई.
- जनमेजय का नाग-यज्ञ 1926ई.
- कामना – 1927ई.
- स्कन्दगुप्त विक्रमादित्य-1928ई.
- एक घूँट-1930ई.
- चन्द्रगुप्त – 1931ई.
- ध्रुवस्वामिनी – 1933ई.