स्थायी भाव MCQ Quiz - Objective Question with Answer for स्थायी भाव - Download Free PDF
Last updated on Jun 19, 2025
Latest स्थायी भाव MCQ Objective Questions
स्थायी भाव Question 1:
'एक ओर अजगरहि लखि एक ओर मृगराय ।'
बिकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय ।। में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 1 Detailed Solution
एक ओर अजगरहि लखि एक ओर मृगराय ।'बिकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय ।। में भयानक रस हैKey Points
- उक्त पंक्ति से भयानक रस के प्रभाव उत्पन्न हो रहे है,
- क्योंकि यहाँ एक तरफ अजगर और एक तरफ शेर का भाव दिया हुआ है।
- अत: यहाँ सही विकल्प भयानक रस ही होगा।
- भयानक रस का स्थायी भाव- भय होता है।
स्थायी भाव Question 2:
केसव कहि न जाय का कहिये।
देखत तब रचना विचित्र अति, समुझि मनहि मन रहिए।- में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 2 Detailed Solution
केसव कहि न जाय का कहिये।
देखत तब रचना विचित्र अति, समुझि मनहि मन रहिए।- में 'अद्भुत रस' है।
Hint
- पंक्ति में आए "विचित्र" शब्द से भी पता चल रहा है की यहाँ अद्भुत रस है।
Key Points
- अद्भुत रस: आश्चर्य या विस्मय भाव उत्पन्न होना।
जैसे:
- हे केशव! क्या कहूँ? कुछ कहा नहीं जाता! हे हरे! आपकी यह विचित्र रचना देखकर मन-ही-मन आपकी लीला समझकर रह जाता हूँ।
- कैसी अद्भुत लीला है कि इस संसार-रूपी चित्र को निराकार चित्रकार ने शून्य की दीवार पर बिना रंग के संकल्प से ही बना दिया।
Additional Information
- शृंगार रस : परिभाषा- जब पति-पत्नी / प्रेमी-प्रेमिका / नायक-नायिका के मन में स्थाई भाव रति जागृत होकर आस्वादन के योग्य हो जाता है, तो इसे शृंगार रस कहा जाता है।
स्थायी भाव Question 3:
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा रस है?
सखियाँ हरि दरसन की भूखी।
कैसे रहें रूप रस राँची, ए बतियाँ सुनि रूखी।
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 3 Detailed Solution
दी गयी पंक्तियों में वियोग श्रृंगार रस है। ‘वियोग श्रृंगार रस’ अर्थात ‘जहां जहां नायक-नायिका की वियोगावस्था (विरह) का वर्णन होता है वहां वियोग श्रृंगार होता है। यहाँ गोपियों की व्यथा का चित्रण है जिसमें वियोग रस का भाव व्यक्त हो रहा है। अतः सही विकल्प वियोग श्रृंगार रस है।
अन्य विकल्प
रस |
परिभाषा |
वीर रस |
जहां विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है वहां वीर रस होता है। |
शांत रस |
तत्वज्ञान और वैराग्य से शांत रस की उत्पत्ति मानी गई है , इसका स्थाई भाव ‘ निर्वेद ‘ या शम है। जो अपने अनुरूप विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयुक्त होकर आस्वाद का रूप धारण करके शांत रस रूप में परिणत हो जाता है। |
संयोग श्रृंगार रस |
संयोग श्रृंगार के अंतर्गत नायक – नायिका के परस्पर मिलन प्रेमपूर्ण कार्यकलाप एवं सुखद अनुभूतियों का वर्णन होता है। |
विशेष
श्रृंगार रस ‘ रसों का राजा ‘ एवं महत्वपूर्ण प्रथम रस माना गया है। विद्वानों के मतानुसार श्रृंगार रस की उत्पत्ति ‘ श्रृंग + आर ‘ से हुई है। इसमें ‘श्रृंग’ का अर्थ है – काम की वृद्धि तथा ‘आर’ का अर्थ है प्राप्ति। अर्थात कामवासना की वृद्धि एवं प्राप्ति ही श्रृंगार है इसका स्थाई भाव ‘रति’ है। इसके दो भेद हैं – संयोग श्रृंगार रस, वियोग श्रृंगार रस |
स्थायी भाव Question 4:
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा रस है?
सखियाँ हरि दरसन की भूखी।
कैसे रहें रूप रस राँची, ए बतियाँ सुनि रूखी।
(A) वीर रस
(B) वियोग श्रृंगार रस
(C) शान्त रस
(D) संयोग श्रृंगार रस
(E) वात्सल्य रस
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए।
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 4 Detailed Solution
इसका सही उत्तर " वियोग श्रृंगार रस" है।
Key Points दी गयी पंक्तियों में वियोग श्रृंगार रस है।
‘वियोग श्रृंगार रस’ अर्थात ‘जहां जहां नायक-नायिका की वियोगावस्था (विरह) का वर्णन होता है वहां वियोग श्रृंगार होता है।
यहाँ गोपियों की व्यथा का चित्रण है जिसमें वियोग रस का भाव व्यक्त हो रहा है। अतः सही विकल्प वियोग श्रृंगार रस है।
Additional Information
अन्य विकल्प
रस |
परिभाषा |
वीर रस |
जहां विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है वहां वीर रस होता है। |
शांत रस |
तत्वज्ञान और वैराग्य से शांत रस की उत्पत्ति मानी गई है , इसका स्थाई भाव ‘ निर्वेद ‘ या शम है। जो अपने अनुरूप विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयुक्त होकर आस्वाद का रूप धारण करके शांत रस रूप में परिणत हो जाता है। |
संयोग श्रृंगार रस |
संयोग श्रृंगार के अंतर्गत नायक – नायिका के परस्पर मिलन प्रेमपूर्ण कार्यकलाप एवं सुखद अनुभूतियों का वर्णन होता है। |
विशेष
श्रृंगार रस ‘ रसों का राजा ‘ एवं महत्वपूर्ण प्रथम रस माना गया है। विद्वानों के मतानुसार श्रृंगार रस की उत्पत्ति ‘ श्रृंग + आर ‘ से हुई है। इसमें ‘श्रृंग’ का अर्थ है – काम की वृद्धि तथा ‘आर’ का अर्थ है प्राप्ति। अर्थात कामवासना की वृद्धि एवं प्राप्ति ही श्रृंगार है इसका स्थाई भाव ‘रति’ है। इसके दो भेद हैं – संयोग श्रृंगार रस, वियोग श्रृंगार रस |
स्थायी भाव Question 5:
इनमें से किसे उज्जवल रस या मधुर रस भी कहते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 5 Detailed Solution
इनमें से भक्ति उज्जवल रस या मधुर रस भी कहते हैं।
Key Points
- उज्जवल रस और मधुर रस विशेष रूप से उस भक्ति को दर्शाते हैं जिसमें प्रेम, आकर्षण, और मिठास होती है।
- यह रस भक्त और ईश्वर के बीच के गहन भावनात्मक और प्रेममय संबंध को चित्रित करता है।
- जब काव्य में ईश्वर की भक्ति एवं महिमा का वर्णन किया जाए तो वहाँ पर भक्ति रस होता है।
- इसका स्थायी भाव 'देव रति' है।
- उदाहरण -
- प्रभु जी तुम चंदन हम पानी
- जाकी अंग-अंग बास समानी।
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
श्रृंगार रस-
उदाहरण -
हास्य रस-
उदाहरण -
वात्सल्य रस -
उदाहरण-
|
Top स्थायी भाव MCQ Objective Questions
हिन्दी साहित्य में वात्सल्य रस को मिलाकर कुल कितने काव्य रस हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFहिन्दी साहित्य में वात्सल्य रस को मिलाकर कुल कितने काव्य रस हैं - 10
- आचार्य विश्वनाथ ने प्रस्फुट चमत्कार के कारण वत्सल रस का स्वतंत्र अस्तित्व निरूपित किया है।
- आचार्य मम्मट ने इस रस को स्वीकार नहीं किया है।
Key Points वात्सल्य रस-
- माता-पिता का अपने पुत्रादि पर जो नैसर्गिक स्नेह होता है, उसे ‘वात्सल्य’ कहते हैं।
- संचारी भाव- हर्ष, मद, मोह, उत्सुकता आदि।
- स्थायी भाव- स्नेह
- आलंबन- पुत्र, पुत्री आदि।
- उद्दीपन- आलंबन की चेष्टाएँ।
- गुण- माधुर्य।
उदाहरण-
- ‘चलत देखि जसुमति सुख पावै।
ठुमुकि ठुमुकि पग धरनी रेंगत, जननी देखि दिखावै’
Additional Information
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो बताता है कि संयोग और वियोग किस रस के रूप है ?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFसंयोग और वियोग शृंगार रस के रूप है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प 3 शृंगार होगा ।
Additional Information
रस |
||
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनंद'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है, |
||
रस के चार अंग है- |
||
वस्तुतः रस के ग्यारह भेद होते है- |
||
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
शृंगार रस |
आचार्य भोजराज ने 'श्रृंगार' को 'रसराज' कहा है। जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से रति स्थायी भाव आस्वाद्य हो जाता है तो उसे श्रृंगार रस कहते हैं। |
'चितवत चकित चहूँ दिसि सीता। |
वत्सल रस |
वात्सल्य रस का सम्बन्ध छोटे बालक-बालिकाओं के प्रति माता-पिता एवं सगे-सम्बन्धियों का प्रेम एवं ममता के भाव से है। |
किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत। |
भयानक रस |
भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है। |
एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय। |
अदभुत रस |
अलौकिक, आश्चर्यजनक दृश्य या वस्तु को देखकर सहसा विश्वास नहीं होता और मन में स्थायी भाव विस्मय उत्पन्न होता हैं। |
अम्बर में कुन्तल जाल देख, |
रस एवं स्थायी भाव की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है - वीभत्स - जुगुप्सा
Key Points
- वीभत्स रस का स्थायी भाव है जुगुप्सा।
- अन्य विकल्प:-
- शांत रस - निर्वेद
- हास्य रस - हास
- श्रृंगार रस - रति।
Additional Information
रस- रस एक प्रकार का आनन्द है, काव्य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनन्द प्राप्त होता है। उसे रस कहा जाता है। हिन्दी में 'स्थायी भाव' के आधार पर काव्य में नौ रस बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:- |
क्रम संख्या | रस | स्थायी भाव |
1. | श्रृंगार रस | रति |
2. | हास्य रस | हास |
3. | करूण रस | शोक |
4. | रौद्र रस | क्रोध |
5. | वीर रस | उत्साह |
6. | भयानक रस | भय |
7. | वीभत्स रस | जुगुप्सा |
8. | अद्भुत रस | विस्मय |
9. | शांत रस | निर्वेद |
'क्रोध' किस रस का स्थायी भाव है ?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर ‘रौद्र रस’ है।
Key Points
- दिए गए विकल्पों में से 'क्रोध' रौद्र रस का स्थायी भाव है।
- जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं।
- इसमें क्रोध के कारण मुख लाल हो जाना, दाँत पिसना, शास्त्र चलाना, भौहे चढ़ाना आदि के भाव उत्पन्न होते हैं।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
'विस्मय' किस रस का स्थायी भाव है
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 'अद्भुत' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। Key Points
- 'विस्मय' नामक स्थायी भाव 'अद्भुत' रस का है।
- जब व्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होता है उसे ही अदभुत रस कहा जाता है।
- उदाहारण -
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रस कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
“रक्त मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है।
महा घोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।”
उपर्युक्त पंक्तियों में इनमें से कौन सा रस है ?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF"रक्त मास के सड़े पंक से उमड़ रही है,महा घोर दुर्गंध रुद्ध हो उठती श्वासा।" में वीभत्स रस है।
- उपर्युक्त पंक्तियों से घृणा एवं जुगुप्सा का भाव उत्पन्न हो रहा है।
- अतः इस वजह से यहां पर वीभत्स रस है।
- वीभत्स रस का स्थायी भाव घृणा एवं जुगुप्सा है।
भावार्थ
- खून और रक्त से सने हुए कीचड़ से बहुत तीव्र दुर्गंध आ रही है जिससे श्वास तक रुद्ध हो रही है।
- रस :- वीभत्स रस
- स्थायी भाव :- जुगुप्सा
रस एवं उनके स्थायी भाव-
- शृंगार - रति
- करुण - शोक
- हास्य - हास
- वीर - उत्साह
- भयानव - भय
- रौद्र - क्रोध
- अद्भुत - आश्चर्य , विस्मय
- शांत – निर्वेद या निवृत्ति
- वीभत्स - जुगुप्सा
- वात्सल्य - रति
- भक्ति रस - अनुराग
अद्भुत रस का उदाहरण
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
- चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।
रौद्र रस के उदाहरण
- सुनहूँ राम जेहि शिवधनु तोरा सहसबाहु सम सो रिपु, मोरा सो बिलगाउ बिहाइ समाजा न त मारे जइहें सब राजा।
करुण रस के उदाहरण
- सीस पगा न झगा तन में प्रभु, जानै को आहि बसै केहि ग्रामा।
- धोति फटी-सी लटी दुपटी अरु, पाँय उपानह की नहिं सामा॥
वीर रस का स्थायी भाव है-
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFवीर रस का स्थायी भाव 'उत्साह' होता है . सही उत्तर विकल्प 4 'उत्साह' है. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं.
- वीर रस - वीर रस, नौ रसों में से एक प्रमुख रस है। जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
- वीर रस का स्थायी भाव 'उत्साह' होता है
अन्य विकल्प
- क्रोध - रोद्र
- भय - भयानक
- विस्मय - अद्भुत
Additional Information
रस के चार तत्व हैं-
- विभाव :- जो व्यक्ति, पदार्थ अथवा ब्राह्य विकार अन्य व्यक्ति के हृदय में भावोद्रेक करता है, उन कारणों को 'विभाव' कहा जाता है।
- अनुभाव :- आलम्बन और उद्यीपन विभावों के कारण उत्पत्र भावों को बाहर प्रकाशित करनेवाले कार्य 'अनुभाव' कहलाते है।
- व्यभिचारी या संचारी भाव :- मन में संचरण करनेवाले (आने-जाने वाले) भावों को 'संचारी' या 'व्यभिचारी' भाव कहते है।
- स्थायी भाव :- रस के मूलभूत कारण को स्थायी भाव कहते हैं।
“बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह करे भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाय।।”
इन पंक्तियों में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF“बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। सौंह करे भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाय।।” इन पंक्तियों में शृंगार रस है।
श्रृंगार रस-
- नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह श्रृंगार रस कहलाता है।
- इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है।
- इसके दो भेद है-
- संयोग श्रृंगार रस
- वियोग श्रृंगार रस
Key Points“बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। सौंह करे भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाय।।”
- पंक्तियों का अर्थ है-
- गोपियाँ अपने परम प्रिय कृष्ण से बातें करने का अवसर खोजती रहती हैं।
- इसी बतरस (बातों के आनंद) को पाने के प्रयास में उन्होंने कृष्ण की वंशी को छिपा दिया है।
- कृष्ण वंशी के खो जाने पर बड़े व्याकुल हैं।
- वे गोपियों से वंशी के बारे में पूछते हैं तो गोपियाँ (झूठी) सौगंध खाकर कहती हैं कि उन्हें वंशी के बारे में कुछ पता नहीं।
- साथ ही वे भौंहों के संकेतों में मुसकराती भी जाती हैं कृष्ण को लगता है कि वंशी इन्हीं के पास है।
- किन्तु जब वह वंशी लौटाने को कहते हैं तो गोपियाँ साफ मना कर देती हैं।
- यह दोहा बिहारी द्वारा रचित है।
Important Pointsबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- रचना - सतसई
- दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य।
- 719 दोहों में रचना का वर्णन।
Additional Informationवीर रस-
- जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता का अनुभव होता है,वहाँ वीर रस होता है।
- इसका स्थायी भाव उत्साह है।
- उदाहरण-
- बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
करुण रस-
- किसी अपने के विनाश या उससे हमेशा के लिए बिछड़ने के भाव से उत्त्पन होने वाला दुःख,पीड़ा करुण रस कहलाता है।
- उदाहरण-
- राम राम कही राम कहि राम राम कहि राम ।
तनु परिहरि रघुबर बिरह राउ गयऊ सुरधाम ।।
- राम राम कही राम कहि राम राम कहि राम ।
हास्य रस-
- किसी पदार्थ या व्यक्ति की असाधारण आकृति,वेशभूषा,चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो विनोद का भाव जाग्रत होता है,उसे हास कहा जाता है।
- यही हास जब विभाव,अनुभाव तथा संचारी भावों से पुष्ट हो जाता है तो उसे ‘हास्य रस’ कहते है।
- हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
- उदाहरण-
- “नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥
कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू बिन पद कर कोड बहु पदबाहू॥’
- “नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥
'हाथ-पैर का काँपना, स्तंभ, रोमांच, मुखवैवर्ण्य, स्वर-परिवर्तन' इत्यादि किस रस के अनुभाव हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF'हाथ-पैर का काँपना, स्तंभ, रोमांच, मुखवैवर्ण्य, स्वर-परिवर्तन' इत्यादि भयानक रस के अनुभाव हैं।
भयानक रस-
- स्थायी भाव-भय
- मुख्य-
- हिंस्त्र स्वभाव वाले जीव तथा उग्र स्वभाव और आचरण वाले व्यक्ति इसके आलम्बन हैं।
- विकृत और उग्र ध्वनि तथा भयावह चेष्टाएँ, निर्जनता आदि उद्दीपन हैं।
- संचारी भाव-
- शंका, मोह, दैन्य, आवेग, चिन्ता, त्रास, चपलता, मरण, जुगुप्सा आदि।
- उदाहरण-
- हाहाकार हुआ क्रन्दनमय कठिन वज्र होते थे चूर,
हुए दिगन्त बधिर भीषण रव बार-बार होता था क्रूर।
- हाहाकार हुआ क्रन्दनमय कठिन वज्र होते थे चूर,
Key Pointsरस-
- रस काव्य का मूल आधार प्राणतत्व अथवा आत्मा है।
- आचार्य भरतमुनि-
- "विभावानुभावव्यभिचारि संयोगाद्रसनिष्पत्ति।"
Important Pointsवीर रस-
- स्थायी भाव-उत्साह
- मुख्य-
- इसका आलम्बन शत्रु, ऐश्वर्य, साहसिक कार्य, यश आदि हैं।
- उद्दीपन चेष्टा, प्रदर्शन, ललकार, आदि।
- अनुभव आँखों का लाल होना, भुजाओं या अंगों का संचालन, सैन्य को प्रेरित करना आदि हैं।
- संचारी भाव-
- गर्व, उग्रता, धैर्य, तर्क, असूया, मति आदि।
- इसके चार भेद हैं-
- युद्धवीर
- दानवीर
- दयावीर
- धर्मवीर।
- उदाहरण-
- तृण के समान धन धाम राज त्याग करि,
पाल्यौ पितु वचन जो जानत जनैया है।
- तृण के समान धन धाम राज त्याग करि,
हास्य रस-
- स्थायी भाव-हास
- मुख्य-
- इसका आलम्बन विकृत रूप, आकार, वेशभूषा, विचित्र अनर्गल वचन, विलक्षण चेष्टाएँ हैं।
- विचित्र अंगभंगिमा, क्रियाकलाप आदि उद्दीपन हैं।
- आँखों और मुख का विकसित होना, खिलखिलाना आदि अनुभाव है। च
- संचारी भाव-
- पलता, हर्ष, गर्व आदि।
- हास्य के भेद-
- स्वनिष्ठ, परनिष्ठ तथा स्मित, हसित, विहसित, अवहसित, अपहसित और अपिहसित।
- उदाहरण-
- हँसि-हँसि भाजैं देखि दूलह दिगम्बर को,
पाहुनी जे आवैं हिमाचल के उछाह मैं।
- हँसि-हँसि भाजैं देखि दूलह दिगम्बर को,
करुण रस-
- स्थायी भाव-शोक
- मुख्य-
- इसका आलम्बन प्रिय व्यक्ति या वस्तु का अनिष्ट, हानि या विनाश है।
- उद्दीपन दुःखपूर्ण, अस्त-व्यस्त दशा का वर्णन या श्रवण है।
- अनुभाव रुदन, वैवण्र्य, विलाप, भाग्य या दैव को कोसना, शरीर का शिथिल हो जाना आदि हैं।
- संचारी भाव-
- चिन्ता, ग्लानि, विषाद, स्मृति, व्याधि, निर्वेद आदि।
- उदाहरण-
- बस यहीं दीप निर्वाण हुआ।
सुत विरह वायु का बाण हुआ।।
- बस यहीं दीप निर्वाण हुआ।
करुण रस का स्थाई भाव क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर ‘शोक’ है।
Key Points
दिए गए विकल्पों में से करुण रस का स्थायी भाव 'शोक' है।
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
करुण रस |
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |