सन्धि MCQ Quiz - Objective Question with Answer for सन्धि - Download Free PDF
Last updated on May 7, 2025
Latest सन्धि MCQ Objective Questions
सन्धि Question 1:
'हरी एतौ' इत्यस्य सन्धिरूपमस्ति-
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 1 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - 'हरी एतौ' इसका सन्धिरूप है-
स्पष्टीकरण - हरी एतौ का सन्धिरूप हरी एतौ होता है। यहाँ कोई परिवर्तन नहीं होता है। यह प्रकृतिभाव सन्धि है।
शब्द - हरी एतौ
सन्धि विच्छेद - हरी + एतौ
सूत्र - ईदूदेद्द्विवचनं प्रगृह्यम्।
यदि द्विवचनान्त शब्द के अन्त में ई, ऊ, ए आता है और बाद में यदि कोई स्वर आता है तो ई, ऊ, ए वैसे ही रहते हैं। यह प्रगृह्य संज्ञा विधायक सूत्र हैI इससे प्रकृतिभाव सन्धि सन्धि होती हैI यह अच् सन्धि का प्रकार है। इसमें किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं होता है।
उदाहरण -
- गंगे + अमू - गंगे अमू
- मुनी + इमौ - मुनी इमौ।
- विष्णू + इमौ = विष्णू इमौ
- इसी तरह (हरी + एतौ - हरी एतौ) में प्रकृतिभाव सन्धि है।
अतः इस तरह स्पष्ट है कि हरी एतौ का सन्धिरूप हरी एतौ होता है।
सन्धि Question 2:
'अनु + अयः' इत्यस्य सन्धिरूपमस्ति -
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 2 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - 'अनु + अयः' इसका सन्धि रूप है-
स्पष्टीकरण - 'अनु + अयः' इसका सन्धिरूप होगा - अन्वयः। यहाँ यण सन्धि हुयी है।
- शब्द - अन्वयः
- सन्धिविच्छेद - अनु + अयः।
सूत्र - इको यणचि।
इस सूत्र के अनुसार ‘इक्’ अर्थात् ‘इ/ई’, ‘उ/ऊ’, ‘ऋ/ऋ’ और ‘लृ’ के बाद अगर कोई (विजातीय) स्वर आता है, तो वहाँ क्रमशः यण् अर्थात् य्, व्, र्, ल् आदेश होते हैं।
नियम –
- इ/ई + स्वर = य् + स्वर
- उ/ऊ + स्वर = व् + स्वर
- ऋ/ॠ + स्वर = र् + स्वर
- लृ + स्वर = ल् + स्वर
उदाहरण -
- सुधी + उपास्यः = सुध्युपास्यः
- यद्यपि = यदि + अपि
- इत्यादि = इति + आदि
- अन्वय = अनु + अयः
- स्वागतम् = सु + आगतम्
- पित्रादेश = पितृ + आदेश
स्पष्टीकरण - ‘अनु + अयः’ इस पद में प्रथम पद के अन्त में ‘उ’ और दूसरे पद के प्रारम्भ में ‘अ’ होने से यहाँ 'यण् सन्धि' हुयी।
अतः स्पष्ट है कि यहाँ अन्वयः उचित विकल्प है।
सन्धि Question 3:
'उपैति' इत्यस्य सन्धिः कः?
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 3 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - 'उपैति' का सन्धि क्या है?
स्पष्टीकरण -
पद - 'उपैति'
सन्धिविच्छेद - उप + एति
नियम - अ + ए = ऐ
सन्धि - वृद्धि सन्धि
वृद्धि सन्धि -
सूत्र - वृद्धिरेचि
नियम - अ, आ का ए, ऐ से मेल होने पर ऐ तथा अ, आ का ओ, औ से मेल होने पर औ हो जाता है। इसे वृद्धि संधि कहते हैं। जैसे –
संकेत -
- अ + ए = ऐ
- अ + ऐ = ऐ
- आ + ए = ऐ
- आ + ऐ = ऐ
- अ + ओ = औ
- आ + ओ = औ
- अ + औ = औ
- आ + औ = औ
उदाहरण -
- एक + एक = एकैक
- सदा + एव = सदैव
- मत + ऐक्य = मतैक्य
- वन + औषधि = वनौषधि
- महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
- महा + औषधि = महौषधि
- परम + औषध = परमौषध
- महा + औषध = महौषध
सन्धि Question 4:
'दिक् + नागः' इत्यस्य सन्धिरूपमस्ति-
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 4 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - 'दिक् नागः' इसका सन्धि रूप है-
स्पष्टीकरण - दिक् + नागः इसका सन्धि रूप दिङ्नागः है।
- शब्द - दिङ्नागः
- सन्धिविच्छेद - दिक् + नागः
सूत्र - यरोऽनुनासिकेऽनुनासिको वा।
नियम - जब प्रथम पद के अन्त में वर्ग का प्रथम अक्षर (क, च, ट, त, प) हो और उसके बाद अनुनासिक वर्ण (ञ, म, ङ, ण, न) आया हो तो, वहाँ वर्ग के प्रथम अक्षर को उसी वर्ग का पंचम अक्षर हो जाता है। वहाँ व्यंजन सन्धि होती है।
उदाहरण -
- सन्मतिः - सत् + मति (यहाँ प्रथम पद का अन्तिम वर्ण वर्ग का प्रथम अक्षर त् है। उसके बाद अनुनासिक वर्ण म है, तो यहाँ त् के स्थान पर त वर्ग का पंचम अक्षर न् आदेश हो गया।
- इसी तरह (दिङ्नागः - दिक् + नागः) में अनुनासिक सन्धि है।
अतः स्पष्ट है कि यहाँ दिक् + नागः का सन्धि रूप दिङ्नागः उचित विकल्प है।
सन्धि Question 5:
'अभ्यनुज्ञातः' इत्यत्र कः सन्धिः विद्यते?
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 5 Detailed Solution
- सन्धि - अभ्यनुज्ञातः
- विग्रह - अभि + अनुज्ञातः
- सूत्र - इको यणचि।
- इक् = इ उ ऋ लृ
- यण् = य्, व्, र्, ल्
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'वसन्तर्तुः' मे कौन सन्धि है?
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF'वसन्तर्तुः' का संधि विच्छेद 'वसन्त + ऋतु:' होगा।
सूत्र- आद् गुणः।
नियम- अ/आ + इ/ई = ए, अ/आ + उ/ऊ = ओ, अ/आ + ऋ/ॠ = अर्
यहाँ सन्धि- वसन्त + ऋतु = वसन्तर्तुः
Important Points
विकल्पों का स्पष्टीकरण–
स्वर सन्धि |
सूत्र |
नियम |
उदाहरण |
यण् सन्धि |
इको यणचि |
इ/ई + विजातीय स्वर = य् उ/ऊ + विजातीय स्वर = व् |
नदी + अत्र = नद्यत्र मधु + इति = मध्विति पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा |
गुण सन्धि |
आद् गुणः |
अ/आ + इ/ई = ए अ/आ + उ/ऊ = ओ अ/आ + ऋ/ॠ = अर् |
उप + इन्द्र = उपेन्द्र यथा + उचितम् = यथोचितम् देव + ऋषि = देवर्षि |
वृद्धि सन्धि |
वृद्धिरेचि |
अ/आ + ए/ऐ = 'ऐ अ/आ + ओ/औ = औ |
मम + एक = ममैक जल + ओघः = जलौघः |
Additional Information
विशेष–
दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं।जैसे-
- विद्या + आलय = विद्यालय।
- रमा + ईश = रमेश
- न + एकः = नैकः
- सम्यक् + ज्ञानम् = सम्यग्ज्ञानम्
संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग,
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वर |
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी महा + ईशः = महेशः |
व्यंजन |
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
अहम् + कार = अहंकार उत् + लासः = उल्लास |
विसर्ग |
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के |
दुः + आत्मा = दुरात्मा निः + कपटः = निष्कपटः |
'सुखार्तः' में कौन सी सन्धि है?
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFशब्द - सुखार्तः
सन्धि विच्छेद - सुख + ऋतः
वार्तिक - ऋते च तृतीयासमासे।
स्पष्टीकरण -
'अ' से परे ऋत होने से 'ऋते च तृतीयासमासे' वार्तिक से 'अ' से परे ऋ के गुण का निषेध हो वृद्धि आदेश हो जाता है। (अ + ऋ = आर्)
उदाहरण -
- सुखः + ऋतः → सुख + आर् + तः = सुखार्त∶
अतः स्पष्ट होता है कि सुखार्तः में 'वृद्धि' संधि' होता है।
Confusion Pointsसंस्कृत शब्द 'सुखार्तः' का विग्रह ''सुख + ऋतः" होता है। इसे 'सुख + आर्तः' समझना गलत है। तथा 'ऋते च तृतीयासमासे' इस अपवाद सूत्र से 'अ' से परे ऋ' का 'आर्' वृद्धि होता है यह ध्यान की बात है।
Additional Informationवृद्धि सन्धि के कुछ अन्य अपवाद सूत्र-
- एत्येधत्यूठ्सू - अवर्ण से परे यदि एच् से शुरु होने वाली इण्, एध् आदि धातु तथा ऊठ् के परे होने पर पूर्व और पर के स्थान पर वृद्धि एकादेश होता है। जैसे - प्रष्ठ + ऊहः = प्रष्ठौहः
- अक्षादूहिन्यामुपसंख्यानम् - इस वार्तिक के अनुसार अक्ष से परे ऊहिनी के गुण का निषेध हो वृद्धि आदेश हो जाता है। उदाहरण - अक्ष + ऊहिनी = अक्षौहिणी
'शान्तः' अत्र आदेशः अस्ति-
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का अनुवाद - "शान्तः" यहाँ आदेश है-
स्पष्टीकरण - ''अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः'' ये सूत्र "शान्तः" में व्यंजन के निषेध को निर्धारित करता है।
सूत्र - अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः ।
यदि अनुस्वार के बाद कोई भी वर्गीय व्यंजन आए तो अनुस्वार के स्थान पर आगे वाले वर्ण का उसी वर्ग का पञ्चम वर्ण हो जाता है।
जैसे - संकल्पः/सङ्कल्पः
परसवर्ण सन्धि -
अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः - अनुस्वार के बाद यय् प्रत्याहार (य, र, ल, व, वर्ग के 1, 2, 3, 4, 5) हो, तो अनुस्वार को परसवर्ण आदेश होता है अर्थात् आगे के वर्ण का पञ्चम अक्षर हो जाता है।
उदाहरण - अं + कः= अङ्कः। यहाँ अनुस्वार के बाद यय् प्रत्याहार वाला क् परे हैं। अतः अनुस्वार को क् का सवर्णी ङ् हो गया।
- कं + ठः = कण्ठः।
- शां + तः = शान्तः।
- सं + मानः = सम्मानः।
- गं + गा = गङ्गा।
इस प्रकार ''अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः'' इस सूत्र से "शान्तः" में परसवर्णः आदेश होता है, यह स्पष्ट हुआ।
'तोर्लि' का उदाहरण है
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFसूत्र- तोर्लि
नियम- त्/थ्/द्/ध् + ल् = ल्ल्, न् + ल् = ल्ँल
उदाहरण- तत् + लीनः = तल्लीनः । भवान् + लिखति = भवाल्ँलिखति ।
स्पष्टीकरण- सूत्र के अनुसार 'त्/थ्/द्/ध्' के बाद 'ल्' आनेसे पूर्व पद का 'ल्' और 'न्' के बाद 'ल्' आनेसे पूर्व पद का 'ल्ँ' होता है।
उपर्युक्त पर्यायों में 'तल्लयः' में सन्धि 'तत् + लयः' है इसलिये यह सन्धि 'तोर्लि' इस सूत्र के अनुसार हुई है।
Additional Information
अन्य संधि-
शब्द |
विग्रह |
सूत्र |
शिवेहि |
शिव + एहि |
ओमाङोश्च |
कोऽपि |
को + अपि |
एङः पदान्तादति |
प्रेजते |
प्र + एजते |
एङि पररूपम् |
‘उपोषति’ में सन्धि है
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFशब्द:- ‘उपोषति’
सन्धिविच्छेद:- उप् + ओषति
सूत्र:- ‘एङि पररूपम्’ अर्थात् पूर्वपद उपसर्ग के 'अ' अथवा 'आ' से परे किसी धातु का 'ए' अथवा 'ओ' आए तो पररूप सन्धि होता है।
नियम:- ‘अ + ओ = ओ’ जैसाकि ‘उप + ओषति = उपोषति’ में हुआ है।
विकल्पानुशीलन:-
सन्धि |
परिभाषा |
उदाहरण |
गुण सन्धि |
अ,आ का संयोग इ, उ, ऋ से हो तो क्रमशः इ को ए, उ को ओ तथा ऋ को अर् आदेश हो जाता है। |
गण + ईश = गणेश (अ + ई = ए) एक + ऊन = एकोन (अ + उ = ओ) |
पररूप सन्धि |
पूर्वपद उपसर्ग हो उसके अ अथवा आ से परे किसी धातु का ए अथवा ओ आए तो पररूप सन्धि होता है। |
प्र + एजते = प्रेजते (अ + ए = ए) उप + ओषति = उपोषति (अ + ओ = ओ) |
दीर्घ सन्धि |
दो सवर्ण ह्रस्व दीर्घ स्वरों के संयोग से दीर्घ स्वर प्राप्त हो वहाँ दीर्घ सन्धि होती है। |
राम + अवतार = रामावतार (अ + अ = आ) गुरु + उपदेश = गुरूपदेश (उ + उ = ऊ) |
पूर्वरूप सन्धि |
पदान्त ए,ओ के पश्चात् अ आये तो पूर्वरूपसन्धि होता है। |
हरे + अव = हरेऽव (ए + अ = एऽ) वने + अपि = वनेऽपि (ए + अ = एऽ) |
अतः स्पष्ट है कि ‘उपोषति’ में ‘पररूप सन्धि’ है।
Additional Informationविकल्पों का स्पष्टीकरण –
- गुण सन्धि (आद् गुणः) - इस सन्धि में, यदि 'अ/आ' के बाद 'इ/ई' आए तो दोनों के स्थान पर 'ए' का एकादेश होता है और यदि 'अ/आ' के बाद 'उ/ऊ' आए तो दोनों के स्थान पर 'ओ' का एकादेश होता है। उदा.उप + इन्द्र = उपेन्द्र, यथा + उचितम् = यथोचितम्
- पूर्वरूप सन्धि (एङः पदान्तादति) - इसे अयादि सन्धि का अपवाद कह सकते है। इस सन्धि में 'ए/ओ' के बाद अगर ह्रस्व स्वर 'अ' आए तो दोनोंके स्थान पर पूर्वरूप सन्धि 'ए' या 'ओ' एकादेश होता है। सन्धिरुप में 'अ' का (ऽ) अवग्रह हो जाता है। उदा. ते + अपि = तेऽपि
‘मनीषा’ का सन्धि-विच्छेद होगा
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF‘मनीषा’ का सन्धिविच्छेद ‘मनस् + ईषा’ होगा।
यहाँ ‘शकन्ध्वादिषु पररूपम् वाच्यम्’ इस वार्तिक से शकन्धु आदि के ‘टि’(अन्त्य स्वर और अन्त्य स्वर के साथ जो व्यञ्जन होता है) में पररूप सन्धि एकादेश होता है। जैसे:-
- शक + अन्धुः → शक् अन्धुः = शकन्धुः
- मनस् + ईषा → मन् ईषा = मनीषा
- कर्क + अन्धु → कर्क् अन्धुः = कर्कन्धु
- कुल + अटा → कुल् अटा = कुलटा
- हल + ईषा → हल् ईषा = हलीषा
अतः स्पष्ट है कि ‘मनीषा’ का सन्धि-विच्छेद ‘मनस् + ईषा’ होगा। यहाँ मनस् के अस् की टि संज्ञा होती है और उसके स्थान पर पररूप ई हो जाता है और 'मनीषा' रूप बनता है।
Additional Information
सन्धि- दो वर्णों के संयोग से होने वाले परिवर्तन को सन्धि कहते हैं। जैसे-
- विद्या + आलय = विद्यालय।
- रमा + ईश = रमेश
- न + एकः = नैकः
- सम्यक् + ज्ञानम् = सम्यग्ज्ञानम्
सन्धि के प्रकार- सन्धि के तीन प्रकार होते हैं।
सन्धि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वरसन्धि |
स्वर वर्ण का संयोग स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
विद्या + आलय = विद्यालय महा + औषधि = महौषधि |
व्यंजनसन्धि |
व्यंजन वर्ण का संयोग व्यंजन या स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
उत् + लास = उल्लास तत् + लय = तल्लयः |
विसर्गसन्धि |
विसर्ग का संयोग स्वर या व्यंजन वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
दुः + आत्मा = दुरात्मा मनः + रथः = मनोरथः |
उपर्युक्त तीनों सन्धियों के अनेक उपभेद भी होते है। स्वर सन्धि के प्रायः 8 भेद बताये गये हैं-
- दीर्घ सन्धि
- गुण सन्धि
- यण सन्धि
- वृद्धि सन्धि
- अयादि सन्धि
- पररूप सन्धि
- पूर्वरूप सन्धि
- प्रकृतिभाव सन्धि
'प्रेजते' में सन्धि है
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFसन्धि - प्रेजते
संधि विच्छेद - प्र + एजते
सूत्र स्पष्टीकरण - 'एङ्गि पररुपम्' इस सूत्र के अनुसार जब उपसर्ग के 'अ' के पश्चात् यदि 'ए' या 'ओ' आए तो वहापर उनका पररूप एकादेश हो जाता है। 'प्रेजते' में 'प्र' इस उपसर्ग के पश्चात् 'एजते' है अतः यहाँ पररूप सन्धि है।
इसे वृद्धि सन्धि का अपवाद भी कह सकते है।
Confusion Points
वृद्धि सन्धि (वृद्धिरेचि) - इस सन्धि में, यदि 'अ/आ' के बाद 'ए/ऐ' आए तो दोनों के स्थान पर 'ऐ' का एकादेश होता है और यदि 'अ/आ' के बाद 'ओ/औ' आए तो दोनों के स्थान पर 'औ' का एकादेश होता है।
उदा.- मम + एक = ममैक, जल + ओघः = जलौघः
वृद्धि सन्धि में पररूप सन्धि के तरह उपसर्ग के 'अ' के पश्चात् 'ए/ऐ' या 'ओ/औ' नहीं होता।
Hint
- गुण सन्धि (आद् गुणः) - इस सन्धि में, यदि 'अ/आ' के बाद 'इ/ई' आए तो दोनों के स्थान पर 'ए' का एकादेश होता है और यदि 'अ/आ' के बाद 'उ/ऊ' आए तो दोनों के स्थान पर 'ओ' का एकादेश होता है। उदा.- उप + इन्द्र = उपेन्द्र, यथा + उचितम् = यथोचितम्
- पूर्वरूप सन्धि (एङः पदान्तादति) - इसे अयादि सन्धि का अपवाद कह सकते है। इस सन्धि में 'ए/ओ' के बाद अगर ह्रस्व स्वर 'अ' आए तो दोनों के स्थान पर पूर्वरूप सन्धि 'ए' या 'ओ' एकादेश होता है। सन्धिरुप में 'अ' का (ऽ) अवग्रह हो जाता है। उदा.- ते + अपि = तेऽपि
Additional Information
सन्धि: दो शब्दों के संयोग से होने वाले परिवर्तन को सन्धि कहते हैं। जैसे- विद्या + आलय = विद्यालय।
सन्धि के प्रकार: सन्धि के तीन प्रकार होते हैं-
- स्वरसन्धि
- व्यंजनसन्धि
- विसर्गसन्धि
सन्धि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वरसन्धि |
स्वर वर्ण का संयोग स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
विद्या + आलय = विद्यालय महा + औषधि = महौषधि |
व्यंजनसन्धि |
व्यंजन वर्ण का संयोग व्यंजन या स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
उत् + लास = उल्लास तत् + लय = तल्लयः |
विसर्गसन्धि |
विसर्ग का सन्योग स्वर या व्यंजन वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
दुः + आत्मा = दुरात्मा मनः + रथः = मनोरथः |
"लाकृतिः" इत्यस्य सन्धि-विच्छेदः करणीयः -
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - "लाकृतिः" इसका सन्धि-विच्छेद करें -
स्पष्टीकरण -
शब्द - लाकृतिः
संधिविच्छेद - लृ + आकृतिः
- सूत्र - 'इको यणचि' सूत्र के अनुसार इक् (इ, उ, ऋ और लृ) से परे कोई भी असमान स्वर आए तो क्रमशः (य्, व, र्, ल्) हो जाता है।
- नियम -
- इ + अन्य स्वर = य्
- उ + अन्य स्वर = व्
- ऋ + अन्य स्वर = र्
- लृ + अन्य स्वर = ल्
उदाहरण -
- यद्यपि = यदि + अपि
- इत्यादि = इति + आदि
- अन्वय = अनु + अयः
- स्वागतम् = सु + आगतम्
- पित्रादेश = पितृ + आदेश
- मात्राज्ञा = मातृ + आज्ञा
- लाकृतिः = लृ + आकृतिः
स्पष्टीकरण - लृ + आकृतिः में लृ से परे असमान स्वर आ होने से लृ को ल् होकर लाकृति पद बनता है।
Additional Information
सन्धि - दो वर्णों के संयोग से होने वाले परिवर्तन को सन्धि कहते हैं। जैसे-
- विद्या + आलयः = विद्यालयः
- रमा + ईशः = रमेशः
- न + एकः = नैकः
- सम्यक् + ज्ञानम् = सम्यग्ज्ञानम्
सन्धि के प्रकार -
सन्धि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वरसन्धि |
स्वर वर्ण का संयोग स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
विद्या + आलय = विद्यालय महा + औषधि = महौषधि |
व्यंजनसन्धि |
व्यंजन वर्ण का संयोग व्यंजन या स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
उत् + लास = उल्लास तत् + लय = तल्लयः |
विसर्गसन्धि |
विसर्ग का संयोग स्वर या व्यंजन वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
दुः + आत्मा = दुरात्मा मनः + रथः = मनोरथः |
विसर्ग सन्धि का उदाहरण है
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFशब्द - नमस्ते
सन्धि विच्छेद - नमः + ते
सूत्र - विसर्जनीयस्य सः सूत्र से खर प्रत्याहार के वर्ण परे रहते विसर्ग को स् हो जाता है।
उदाहरण -
नमः + ते = नमस्ते
स्पष्टीकरण : नमस्ते का सन्धिविच्छेद नमः + ते होता है। जिससे स्पष्ट होता है कि नमः के पश्चात् आये विसर्ग में परिवर्तन हुआ है। जो विसर्ग सन्धि के लक्षण से युक्त है। अतः यहाँ विसर्गसन्धि होगी।
Hint
विशेष -
- तल्लयः का विच्छेद होगा- तत्+लयः
- महौषधिः का विच्छेद होगा- महा+औषधिः
- सन्मित्रम् का विच्छेद होगा- सत्+मित्रम्
अतः स्पष्ट है कि 'नमस्ते' विसर्ग सन्धि का उदाहरण है।
Additional Information
सन्धि:- दो शब्दों के संयोग से होने वाले परिवर्तन को सन्धि कहते हैं। जैसे- विद्या + आलय = विद्यालय।
सन्धि के प्रकार: सन्धि के तीन प्रकार होते हैं-
- स्वरसन्धि
- व्यंजनसन्धि
- विसर्गसन्धि
सन्धि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वर सन्धि |
स्वर वर्ण का संयोग स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
विद्या + आलय = विद्यालय महा + औषधि = महौषधि |
व्यंजन सन्धि |
व्यंजन वर्ण का संयोग व्यंजन या स्वर वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
उत् + लास = उल्लास तत् + लय = तल्लयः |
विसर्ग सन्धि |
विसर्ग का सन्योग स्वर या व्यंजन वर्ण से होने पर जो विकार उत्पन्न होता है। |
दुः + आत्मा = दुरात्मा नमः + ते = नमस्ते |
श्चुत्व सन्धि का उदाहरण है
Answer (Detailed Solution Below)
सन्धि Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFनियम:- ‘स्’ या ‘तवर्ग’ से पूर्व या पश्चाद् ‘श्’ या ‘चवर्ग’ आये तो क्रमशः परिवर्तन हो जाता है-
- ‘स्’ को ‘श्’
- ‘त्’ को ‘च्’
- ‘थ्’ को ‘छ्’
- ‘द्’ को ‘ज्’
- ‘ध्’ को ‘झ्’
- ‘न्’ को ‘ञ्’
सूत्र:- ‘स्तोः श्चुना श्चुः’
उदाहरण:-
- मनस् + चलति = मनश्चलति
- तत् + चलचित्रम् = तच्चलचित्रम्
- सद् + जनः = सज्जनः
Important Points
विकल्पानुशीलन:-
शब्द |
सन्धिविच्छेद |
सन्धि |
परिभाषा |
हरिष्टीकते |
हरिस् + टिकटे |
ष्टुत्व सन्धि |
स् या तवर्ग से परे ष् या टवर्ग हो तो स् को ष् तथा तवर्ग को टवर्ग हो जाता है। |
विद्वाञ्जयति |
विद्वान् + जयति |
श्चुत्व सन्धि |
स् या तवर्ग से परे श् या चवर्ग हो तो स् को श् तथा तवर्ग को चवर्ग हो जाता है। |
तट्टिका |
तत् + टिका |
ष्टुत्व सन्धि |
स् या तवर्ग से परे ष् या टवर्ग हो तो स् को ष् तथा तवर्ग को टवर्ग हो जाता है। |
विष्णुस्त्राता |
विष्णुः + त्राता |
विसर्ग सन्धि (सत्व सन्धि) |
विसर्ग के पश्चात् स्वर या व्यञ्जन वर्ण आये तो विसर्ग में परिवर्तन होता है। |
अतः ‘विद्वाञ्जयति’ श्चुत्व सन्धि का उदाहरण है।