भक्तिकाल MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for भक्तिकाल - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Mar 18, 2025
Latest भक्तिकाल MCQ Objective Questions
Top भक्तिकाल MCQ Objective Questions
भक्तिकाल Question 1:
इनमें से कौन-सा कवि अष्टछाप का नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल Question 1 Detailed Solution
- अष्टछाप, महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित 8 भक्तिकालीन कवियों का एक समूह था,
- जिन्होंने अपने विभिन्न पद एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया। अष्टछाप की स्थापना 1565 ई० में हुई थी।
- अष्टछाप के आठ कवियों में चार वल्लभ के शिष्य हैं, जबकि चार विट्ठलनाथ के।
- कुम्भनदास
- परमानन्द दास
- कृष्ण दास
- सूरदास
- गोविंद स्वामी
- छीत स्वामी
- चतुर्भुज दास
- नंददास
भक्तिकाल Question 2:
कबीर की रचना का नाम क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल Question 2 Detailed Solution
कबीर की रचना का नाम बीजक है।
Key Pointsकबीर-
- जन्म-1398-1518 ई.
- भक्तिकाल की संत काव्यधारा के प्रमुख कवि है।
- गुरु-रमानंद
- शिष्य-धर्मदास
- रचना-बीजक
- इसका संकलन धर्मदास ने 1464 ई. में किया।
- इसके तीन भाग हैं- साखी, सबद और रमैनी।
भक्तिकाल Question 3:
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने तुलसी के प्रामाणिक ग्रंथों की संख्या कितनी मानी?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल Question 3 Detailed Solution
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने तुलसी के प्रामाणिक ग्रंथों की संख्या 12 (बारह) मानी है।
Key Pointsआचार्य रामचंद्र शुक्ल ने तुलसी के प्रामाणिक 12 ग्रंथ---->
(1)रामचरितमानस (2)रामललानहछू (3)वैराग्य-संदीपनी (4)पार्वती-मंगल (5) बरवै रामायण (6) जानकी-मंगल (7) रामाज्ञाप्रश्न (8) दोहावली (9) कवितावली (10)गीतावली (11) श्रीकृष्ण-गीतावली (12) विनयपत्रिका |
Additional Informationआचार्य रामचंद्र शुक्ल:
- रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 4 अक्टूबर 1884 को बस्ती अगोना गाँव, ज़िला बस्ती, उत्तरप्रदेश में हुआ था।
- हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं।
- शुक्ल जी ने इतिहास लेखन में रचनाकार के जीवन और पाठ को समान महत्त्व दिया। उन्होंने प्रासंगिकता के दृष्टिकोण से साहित्यिक प्रत्ययों एवं रस आदि की पुनर्व्याख्या की।
- शुक्ल जी की कृतियाँ तीन प्रकार की हैं।
- आलोचनात्मक ग्रंथ : सूर, तुलसी, जायसी पर की गई आलोचनाएं, काव्य में रहस्यवाद, काव्य में अभिव्यंजनावाद, रस मीमांसा आदि शुक्ल जी की आलोचनात्मक रचनाएं हैं। निबंधात्मक ग्रंथ : उनके निबंध चिंतामणि नामक ग्रंथ के दो भागों में संग्रहीत हैं।
भक्तिकाल Question 4:
कबीरदास की भाषा कौन-सी थी?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल Question 4 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 'सधुक्कड़ी’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
- कबीरदास की भाषा सधुक्कड़ी एवं पंचमेल खिचड़ी है।
- इनकी भाषा में हिंदी भाषा की सभी बोलियों के शब्द सम्मिलित हैं।
- राजस्थानी, हरयाणवी, पंजाबी, खड़ी बोली, अवधी, ब्रजभाषा के शब्दों की बहुलता है।
- अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
- कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।
- वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।
- वे हिन्दू धर्म व इस्लाम को न मानते हुए धर्म निरपेक्ष थे।
- उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की थी
भक्तिकाल Question 5:
'रत्नखान' के रचयिता हैं:
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल Question 5 Detailed Solution
'रत्नखान' के रचयिता मलूकदास हैं।
- विधा-काव्य
- रचनाकार-मलूकदास
Key Pointsमलूकदास-
- जन्म-1572-1682ई.
- गुरु-पुरुषोत्तम
- भक्तिकाल की निर्गुण शाखा के संत कवि थे।
- रचनाएँ-
- ज्ञानबोध
- ज्ञान परोक्षी
- रत्नखान
- भक्ति विवेक
- सुख सागर
- धुवचरित आदि।
Additional Informationरसखान-
- जन्म-1548-1628ई.
- रसखान कृष्ण भक्त मुस्लिम कवि थे।
- उनका जन्म पिहानी, भारत में हुआ था।
- हिन्दी के कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन रीतिमुक्त कवियों में रसखान का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- सुजान रसखान
- प्रेमवाटिका।
नंददास-
- जन्म-1572
- नन्ददास ब्रजभाषा के एक सन्त कवि थे। वे वल्लभ संप्रदाय के आठ कवियों में से एक प्रमुख कवि थे।
- ये गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- रास पंचाध्यायी
- सिद्धान्त पंचाध्यायी
- अनेकार्थ मंजरी
- मान मंजरी आदि।
सुंदरदास-
- जन्म-1596-1689ई.
- सुन्दरदास भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि थे।
- वे निर्गुण भक्त कवियों में सबसे अधिक शास्त्र निष्णात और सुशिक्षित संत कवि थे।
- सास्त्रज्ञानसंपन्न और काव्य कला निपुण कवि के रूप में सुंदरदास का हिंदी संत-काव्य-धारा के कवियों में विशिष्ट स्थान है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- ज्ञान समुद्र
- सुंदर विलास
- सर्वांगयोगप्रदीपिका
- पंचेंद्रिय चरित्र
- सुख समाधि
- अद्भुत उपदेश
- स्वप्न प्रबो ध आदि।
भक्तिकाल Question 6:
मीराबाई की भक्ति किस भाव की है ?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल Question 6 Detailed Solution
- मीराबाई की भक्ति माधुर्य भाव की थी।
- मीराबाई के गुरु का नाम रैदास था।
- मीराबाई की भाषा राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा है।
- मीराबाई के स्फुट पद मीराबाई की पदावली नाम से प्रकाशित है।
Key Points
- मीराबाई का जन्म 1516 ई. मई कुड़की नाम गाँव में हुआ।
- माधुर्य भक्ति में भक्त अपने भगवान को प्रेमी मानता है, यह आत्म समर्पण है।
Important Points
- मीराबाई की प्रमुख रचनाएं - गीत गोविन्द की टीका, नरसीजी का मायरा, राग सोरठा, राग गोविन्द, मलार राग आदि।
- शुक्ल का कथन - "मीराबाई ने कवित्त और सवैयों में अपने सच्चे प्रेम की व्यंजना की है।"
भक्तिकाल Question 7:
निम्नलिखित में से किसने पुष्टिमार्ग की स्थापना की?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल Question 7 Detailed Solution
वल्लभाचार्य यहाँ सही विकल्प है। पुष्टिमार्ग की स्थापना वल्लभाचार्य ने किया है।
अत: सही विकल्प 2) वल्लभाचार्य ही होगा।
पुष्टिमार्ग का अर्थ - पुष्टि का अर्थ होता है पोषण, वृद्धि। पुष्टि मार्ग एक वैष्णव संप्रदाय है। इसे वल्लभ सम्प्रदाय भी कहते हैं।
पुष्टिमार्ग का जहाज - सूरदास
पुष्टिमार्ग का वाद - शुद्धाद्वेतवाद
भक्तिकाल Question 8:
प्रेमवाटिका किसकी रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल Question 8 Detailed Solution
सही उत्तर है - रसखान की
Key Points
- प्रेम वाटिका भक्तिकालीन कवि रसखान द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध कृति है।
- इस कृति की रचना संवत 1671 में की गई थी।
- रसखान की इस कृति में कुल 53 दोहे हैं।
Additional Information कवि परिचय - रसखान
- रसखान का जन्म सन् 1548 में हुआ माना जाता है।
- उनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था और वे दिल्ली के आस-पास के रहने वाले थे।
- कृष्ण-भक्ति ने उन्हें ऐसा मुग्ध कर दिया कि गोस्वामी विट्ठलनाथ से दीक्षा ली
- और ब्रजभूमि में जा बसे। सन् 1628 के लगभग उनकी मृत्यु हुई।
- रसखान की दो पुस्तकें प्रसिद्ध हैं, 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'।
- 'सुजान रसखान' की रचना कवित्त और सवैया छन्दों में हुई है तथा 'प्रेमवाटिका' की दोहा छन्द में।
Important Points
- 'सुजान रसखान' भक्ति और प्रेम-विषयक मुक्तक काव्य है
भक्तिकाल Question 9:
इनमें से कौन भक्तिकालीन कवि नहीं हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल Question 9 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से "बिहारी" भक्तिकालीन कवि नहीं हैं।
Key Points
- सूरदास, कबीरदास, तुलसीदास भक्तिकालीन कवि है।
- बिहारी लाल जयपुर नरेश जयसिंह के दरबार में रहकर काव्य रचना करने वाले रीति काल के कवि थे।
- बिहारीलाल की एकमात्र रचना 'बिहारी सतसई' है।
- यह मुक्तक काव्य है। इसमें 719 दोहे संकलित हैं।
- 'बिहारी सतसई' श्रृंगार रस की अत्यंत प्रसिद्ध और अनूठी कृति है।
Important Points
आदिकाल के प्रमुख कवि- - अब्दुर्रहमान, नरपति नाल्ह, चंदबरदायी , दलपति विजय, जगनिक , जल्ह कवि, शालिभद्रसूरि , अमीर खुसरो, विद्यापति , स्वयंभू , लक्ष्मीधर, जोइन्दु, केदार आदि |
भक्तिकाल के प्रमुख कवि- कबीर, रैदास, नानक, दादूदयाल, सुंदर दास, मलूकदास, कुतबन, मंझन, जायसी, उसमान, सूरदास, परमानंददास, कुंभनदास, नंददास, हितहरिवंश, हरिदास, रसखान, ध्रुवदास, मीराबाई, तुलसीदास, अग्रदास, नाभादास आदि ने अपनी भक्तिपूर्ण रचनाओं से हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि की। |
रीतिकाल के प्रमुख कवि- केशवदास, बिहारीलाल, चिन्तामणि त्रिपाठी, भूषण, मतिराम, देव, भिखारीदास, पद्माकर,घनानन्द आदि |
आधुनिक काल के प्रमुख कवि - मैथिलीशरण गुप्त, रामचरित उपाध्याय, नाथूराम शर्मा शंकर, ला. भगवान दीन, रामनरेश त्रिपाठी, जयशंकर प्रसाद, गोपाल शरण सिंह, माखन लाल चतुर्वेदी, अनूप शर्मा, रामकुमार वर्मा, श्याम नारायण पांडेय, दिनकर, सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा आदि का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। |
Additional Information
- व्यवस्थित और वैज्ञानिक दृष्टि से आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने सन 1929 में “हिंदी साहित्य का इतिहास लिखा”।
- इसमें साहित्यिक प्रवृत्तियों के आधार पर काल विभाजन कालों का नामकरण तथा विभिन्न कवियों,
- और उनकी साहित्यिक प्रवृत्तियों का विस्तृत विवेचन किया गया है।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ’काल-विभाजन’ को चार भागों में बांटा है-
- (1)आदिकाल (संवत 1050 से 1375 तक)-
- (2) पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल संवत 1375 से 1700 तक)-
- ज्ञानमार्गी शाखा, प्रेममार्गी शाखा (निर्गुण साहित्य),रामभक्ति शाखा, कृष्णभक्ति शाखा (सगुण साहित्य)
- (3) उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल-संवत 1700-1900)-
- रीतिबद्ध ( केशव, देव, चिंतामणि, मतिराम आदि कवि हैं।)
- रीतिमुक्त (घनानंद, ठाकुर, बोधा तथा आलम आदि कवि हैं।)
- रीतिसिद्ध (महाकवि बिहारी)
- (4) आधुनिक काल (गद्यकाल संवत 1900 से अब तक)-
- (1)भारतेंदु युग , (2)द्विवेदी युग (3)छायावादी युग,(4)प्रगतिवादी युग, (5)प्रयोगवादी युग
भक्तिकाल Question 10:
"मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे मैं तो तेरे पास में" - यह उक्ति किस संत कवि की है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्तिकाल Question 10 Detailed Solution
"मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे मैं तो तेरे पास में" - यह उक्ति संत कबीर की है।
- "मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे मैं तो तेरे पास में" - संत कबीर
- कबीर के अनुसार ईश्वर हमारे पास में ही हैं इसलिए उन्हें कहीं ढूँढने की आवश्यकता नहीं है।
पूर्ण पंक्ति -
- मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे , मैं तो तेरे पास में ।
ना मैं देवल ना मैं मसजिद , ना काबे कैलास में ।
ना तो कौने क्रिया - कर्म में , नहीं योग वैराग में ।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं , पलभर की तलास में ।
कहैं कबीर सुनो भई साधो , सब स्वासों की स्वास में॥ -
कबीर
- निर्गुण काव्यधारा के संत थे।
- जन्म - सन 1398
- मृत्यु - सन 1519
- मुख्य रचनाएँ - सबद, रमैनी, बीजक, कबीर दोहावली, कबीर शब्दावली, अनुराग सागर, अमर मूल
Key Pointsअन्य विकल्प -
नानक देव
- जन्म - 15 अप्रैल 1469
- मृत्यु - 22 सितंबर 1539
- मुख्य रचनाएँ - जपु जी, झूठी देखी प्रीत, सूरा एक न आँखिए, मुरसिद मेरा मरहमी, अब मैं कौन उपाय करूँ आदि।
रैदास
- जन्म -1377 से 1398 सन्
- मृत्यु - 1540 सन्
- मुख्य रचनाएँ - रैदास के दोहे, भाई रे भ्रम भगति सुजांनि, राम जन हूँ उंन भगत कहाऊँ, गौब्यंदे भौ जल, रथ कौ चतुर चलावन हारौ आदि।
दादू दयाल
- जन्म - 1544 सन्
- मृत्यु - 1603 सन्
- मुख्य रचनाएँ - साखी, पद्य, हरडेवानी, अंगवधू।