पद्यांश आधारित MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for पद्यांश आधारित - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]

Last updated on Mar 19, 2025

পাওয়া पद्यांश आधारित उत्तरे आणि तपशीलवार उपायांसह एकाधिक निवड प्रश्न (MCQ क्विझ). এই বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন पद्यांश आधारित MCQ কুইজ পিডিএফ এবং আপনার আসন্ন পরীক্ষার জন্য প্রস্তুত করুন যেমন ব্যাঙ্কিং, এসএসসি, রেলওয়ে, ইউপিএসসি, রাজ্য পিএসসি।

Latest पद्यांश आधारित MCQ Objective Questions

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पद्यांश आधारित Question 1:

Comprehension:

निम्नलिखिथ पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

आज कज्जल-अश्रुओं में रिमझिमा ले यह घिरा घन,

और होंगे नयन सूखे,

तिल बुझे औ' पलक रूखे,

आर्द्र-चितवन में यहाँ शत-विद्युतों में दीप खेला!

अन्य होंगे चरण हारे,

और हैं जो लौटते, दे शूल को संकल्प सारे;

दुखव्रती निर्माण-उन्मद;

यह अमरता नापते पद,

बाँध देंगे अंक-संसृति-से तिभिर में स्वर्ण-वेला !

दूसरी होगी कहानी,

शून्य में जिस के मिटे स्वर, धूलि में खोई निशानी,

आज जिस पर प्रलय विस्मित,

मैं लगाती चल रही नित,

मोतियों की हाट औ' चिनगारियों का एक मेला !

पद्यांश के अनुसार 'अंक' शब्द का अनेकार्थी नहीं है:

  1. संख्या
  2. गोद
  3. भाग्य रेखा
  4. अंश

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अंश

पद्यांश आधारित Question 1 Detailed Solution

'अंक' शब्द का अनेकार्थी "अंश" नहीं है
Key Pointsअन्य विकल्पों का अर्थ :

संख्या :

  • यह शब्द गिनती या मात्रा को दर्शाता है, जैसे कि 1, 2, 3... इसे परीक्षा में मिले अंकों के संदर्भ में भी उपयोग किया जाता है।

गोद :

  • इस अर्थ में 'अंक' आलिंगन या किसी को प्यार से अपनी बाहों में लेने को दर्शाता है। यह भावनात्मक स्नेह या सुरक्षा का प्रतीक होता है।

भाग्य रेखा :

  • ज्योतिष या हस्तरेखा विज्ञान में, 'अंक' का प्रयोग भाग्य या जीवन की दिशा दर्शाने वाली रेखाओं को लेकर किया जाता है।

अंश :

  • यह एक बड़े पूरे का हिस्सा या भाग होता है। यह गणितीय, वैज्ञानिक या साहित्यिक संदर्भ में किसी वस्तु, विचार या भूखंड के घटक को इंगित कर सकता है।
  •  

इस आधार पर, 'अंक' शब्द के 'अंश' के अर्थ में पद्यांश का संदर्भ होने के बजाय, बाकी तीन विकल्प (संख्या, गोद, भाग्य रेखा) अधिक संभावित और विविध साहित्यिक, भावनात्मक या ज्योतिषीय अर्थ रखते हैं। 
Additional Information

अनेकार्थी शब्द 

जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें 'अनेकार्थी शब्द' कहते है।

काक- कौआ, लँगड़ा आदमी, अतिधृष्ट।

पद्यांश आधारित Question 2:

Comprehension:

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,

फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;

कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर

मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ।

मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ

मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ

जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,

मैं अपने मन का गान किया करता हूँ

जग का समानार्थी शब्द नही है: 

  1. दुनिया 
  2. विश्व 
  3. भुवन 
  4. भवन 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भवन 

पद्यांश आधारित Question 2 Detailed Solution

जग का समानार्थी शब्द भवन नही है।
Key Points
  • भवन के पर्यायवाची शब्द: घर, निकेतन, भवन, आलय,निवास, गेह, सदन, आगार, आयतन, आवास, निलय, धाम।
  • जग के पर्यायवाची शब्द: संसार, दुनिया, जगत, लोक, विश्व आदि हैं।
Additional Information

विशेष:

शब्द

परिभाषा

उदाहरण

पर्यायवाची

एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जो बनावट में भले ही अलग हों, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं।

आग-अनल, पावक, दहन।

हवा-समीर, अनिल, वायु।

पद्यांश आधारित Question 3:

Comprehension:

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,

फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;

कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर

मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ।

मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ

मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ

जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,

मैं अपने मन का गान किया करता हूँ

कवि अपने जीवन में किस सुरा का पान करता है ?

  1. ईर्ष्या-द्वेष
  2. उत्साह-उमंग
  3. स्नेह
  4. ये सभी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : स्नेह

पद्यांश आधारित Question 3 Detailed Solution

कवि अपने जीवन में स्नेह सुरा का पान करता है। 

Key Points

  •  काव्यांश के अनुसार:-
    • मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ
    • अर्थात कवि कहता है कि मैं इस प्रेम रूपी मदिरा को पीकर इसकी मस्ती में डूबा रहता हूँ। 
  • स्नेह - प्रेम, प्रीति, अनुराग, प्यार, मोहब्बत, इश्क।

Additional Informationईर्ष्या:-

  • अर्थ: द्वेष, जलन, रश्क, कुढ़न, डाह, हसद, मत्सर, ईर्षा।

उत्साह:-

  • अर्थ: उमंग, हौसला, जोश, योग्यता, साहस, क्षमता, उछाह, हिम्मत

पद्यांश आधारित Question 4:

Comprehension:

निर्देश: निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए।

रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिखाते थे।

बड़े – बड़े मोती-से ऑंसू, जयमाला पहनाते थे।

मैं रोई, माँ काम छोड़कर आई, मुझको उठा लिया।

झाड़-पोंछकर चूम-चूम गीले गालों को सुखा दिया।

आ जा बचपन! एक बार फिर दे-दे अपनी निर्मल शांति।

व्याकुल व्यथा मिटाने वाली, वह अपनी प्राकृत विश्रांति।

वह भोली-सी मधुर सरलता, वह प्यारा जीवन निष्पाप।

क्या फिर आकर मिटा सकेगा तू मेरे मन का संताप?

मैं बचपन को बुला रही थी, बोल उठी बिटिया मेरी।

नंदन-वन-सी फूल उठी, यह छोटी-सी कुटिया मेरी।

कवयित्री अपने बचपन को क्यों बुलाना चाहती हैं?

  1. अपनी माँ की याद में
  2. अपनी बिटिया की याद में
  3. बचपन के आनंद की याद में
  4. बचपन के खेलों की याद में

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अपनी माँ की याद में

पद्यांश आधारित Question 4 Detailed Solution

कवयित्री अपने बचपन को 'अपनी माँ की याद में' बुलाना चाहती है।
  • इस कविता में माँ और अपनी संतान का प्रेम वात्सल्य समझाया है।
Key Pointsअन्य विकल्प :
  • इस कविता में बिटिया की भी बातों का जिक्र हुआ है।
  • बचपन के आनंद का बखूबी चित्रण किया गया है।
  • बचपन के खेलो की याद ताजी कर सके ऐसा वर्णन काव्यांश में हुआ है।

पद्यांश आधारित Question 5:

Comprehension:

नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को पढ़कर सबसे उचित विकल्प का चयन कीजिए।

धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ

दिये से मिटेगा न मन का अंधेरा

धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ !

बहुत बार आई-गई यह दिवाली

मगर तम जहां था वहीं पर खड़ा है,

बहुत बार लौ जल-बुझी पर अभी तक

कफन रात का हर चमन पर पड़ा है,

न फिर सूर्य रूठे, न फिर स्वप्न टूटे

उषा को जगाओ, निशा को सुलाओ !

दिये से मिटेगा न मन का अंधेरा

धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ!

सृजन शान्ति के वास्ते है जरूरी

कि हर द्वार पर रोशनी गीत गाये

तभी मुक्ति का यज्ञ यह पूर्ण होगा,

कि जब प्यार तलावार से जीत जाये,

घृणा बढ रही है, अमा चढ़ रही है

मनुज को जिलाओ, दनुज को मिटाओ !

दिये से मिटेगा न मन का अंधेरा

धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ

'सृजन' के विलोम (विपरीतार्थक) शब्द का चयन करें।

  1. प्रकाश
  2. विनाश
  3. प्रेम
  4. समृद्धि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : विनाश

पद्यांश आधारित Question 5 Detailed Solution

दिए गए सभी विकल्पों में ‘विनाश’ सही विकल्प है। अन्य विकल्प अनुचित हैं। 
Key Pointsस्पष्टीकरण: 

  • ‘सृजन’ का विलोम शब्द ‘विनाश’ होगा। 

शब्द

परिभाषा

उदाहरण

विलोम/विपरीतार्थक

विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं।

इच्छा-अनिच्छा

मन- सम्मान 

Additional Information अन्य विकल्प:

शब्द

अर्थ  

पालन

भरण-पोषण की क्रिया

संकल्प

निश्चय

सृष्टि

निर्माण या रचना

पद्यांश आधारित Question 6:

Comprehension:

नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को पढ़कर सबसे उचित विकल्प का चयन कीजिए।

धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ

दिये से मिटेगा न मन का अंधेरा

धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ !

बहुत बार आई-गई यह दिवाली

मगर तम जहां था वहीं पर खड़ा है,

बहुत बार लौ जल-बुझी पर अभी तक

कफन रात का हर चमन पर पड़ा है,

न फिर सूर्य रूठे, न फिर स्वप्न टूटे

उषा को जगाओ, निशा को सुलाओ !

दिये से मिटेगा न मन का अंधेरा

धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ!

सृजन शान्ति के वास्ते है जरूरी

कि हर द्वार पर रोशनी गीत गाये

तभी मुक्ति का यज्ञ यह पूर्ण होगा,

कि जब प्यार तलावार से जीत जाये,

घृणा बढ रही है, अमा चढ़ रही है

मनुज को जिलाओ, दनुज को मिटाओ !

दिये से मिटेगा न मन का अंधेरा

धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ

'घृणा बढ़ रही है, अमा चढ़ रही है' - कविता के इस अंश के अनुसार, समाज में वृद्धि पाने वाला प्रमुख दोष क्या है?

  1. अज्ञानता
  2. दुर्भावना
  3. घृणा
  4. असहिष्णुता

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : घृणा

पद्यांश आधारित Question 6 Detailed Solution

इसका सही उत्तर "घृणा" है
Key Pointsपद्यांश अनुसार ,
"घृणा बढ़ रही है, अमा चढ़ रही है" के अनुसार: 

  • समाज में वृद्धि पाने वाला प्रमुख दोष घृणा है।
  • यहाँ, कवि स्पष्ट रूप से घृणा की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर संकेत कर रहे हैं जो समाज में विभाजन और विरोधी भावनाओं को प्रेरित कर रही है।
  • "अमा चढ़ रही है" से अंधकार के बढ़ने का आभास होता है,
  • जो प्रतीकात्मक रूप से इस अवधारणा को मजबूत करता है कि समाज में नकारात्मकता और घृणा का प्रसार हो रहा है। 

Additional Informationअन्य विकल्पों की संक्षिप्त व्याख्या:
अज्ञानता
:

  •  अज्ञानता कई सामाजिक समस्याओं का मूल कारण हो सकती है,
  • कविता में इसे प्रमुख दोष के रूप में नहीं उजागर किया गया है।

दुर्भावना:

  • दुर्भावना भी नकारात्मक भावना है जो समाज में मौजूद हो सकती है,
  • लेकिन 'घृणा' के संदर्भ में कविता का मुख्य जोर विशेष रूप से घृणा की बढ़ोतरी पर है।

असहिष्णुता:

  • यह भी समाज में नकारात्मक भावनाओं और विभाजन का कारण बन सकता है,
  • परंतु कविता में 'घृणा' की विशिष्टता को उजागर करने के लिए 'असहिष्णुता' का उपयोग नहीं किया गया है।
  • कविता का फोकस घृणा की बढ़ती प्रवृत्ति पर है, जो असहिष्णुता के मूल में भी हो सकती है,
  • लेकिन 'घृणा' शब्द का उपयोग इसे स्पष्ट रूप से बयान करता है।

पद्यांश आधारित Question 7:

Comprehension:

दी गई कविता की पंक्तियों को पढ़कर सबसे उचित विकल्प का चयन कीजिए। 

कट गया है शीश पर

शीश है झुका नहीं

राही उसी का नाम है।

जो राह में रुका नहीं

एक दिन प्रकाश होता है।

कितना भी अंधकार हो

सत्य की विजय सदा

असत्य की हार हो।

सच्चाई साथ में रहे

कैसा भी अपना अंत हो

सत्य की विजय सदा

असत्य की हार हो।

कविता के अनुसार किसी भी स्थिति में

  1. दुखी नहीं होना चाहिए। 
  2. सिर नहीं कटना चाहिए। 
  3. अंधकार नहीं होना चाहिए।
  4. स्वाभिमान बना रहना चाहिए।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : स्वाभिमान बना रहना चाहिए।

पद्यांश आधारित Question 7 Detailed Solution

सही उत्तर "स्वाभिमान बना रहना चाहिए" है 
Key Points 
पद्यांश के अनुसार, किसी भी स्थिति में स्वाभिमान बनाए रखना चाहिए। इसके कुछ मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

अडिग दृढ़ता का प्रतीक:

  • "कट गया है शीश पर, शीश है झुका नहीं", यह पंक्ति यह दर्शाती है कि व्यक्ति का स्वाभिमान एक प्रतीक है, जिसे चाहे कितनी भी मुश्किलें आएँ, वह झुकना नहीं जानता।
  • इससे स्पष्ट होता है कि स्वाभिमान की महत्वता को किसी भी स्थिति में बनाए रखना चाहिए।

निरंतर प्रगति का संकेत:

  • "राही उसी का नाम है, जो राह में रुका नहीं", यह वाक्य हमें ये बताता है कि वही व्यक्ति जीवन के पथ पर विजयी होता है जो कभी रुकता नहीं,
  • अर्थात्‌ संघर्ष करता रहता है और अपने स्वाभिमान की रक्षा करता है।

अंतिम जीत का विश्वास:

  • "सत्य की विजय सदा, असत्य की हार हो", इस पंक्ति से यह पता चलता है कि सत्य का आधार होने पर, कितनी भी परिस्थितियाँ विपरीत क्यों न हों,अंततः सत्य की विजय होती है
  • ​जो स्वाभिमान का ही एक अभिन्न अंग है।

आत्म-निष्ठा और सत्य के प्रति समर्पण:

  • "सच्चाई साथ में रहे, कैसा भी अपना अंत हो", इस पंक्ति का सार है कि अपने जीवन में सत्य और स्वाभिमान को अंतिम साँस तक बनाए रखना चाहिए।

Additional Information 

  • प्रस्तुत पद्यांश मूल रूप से वीर रस से परिपूर्ण है। वीर रस उस भाव को दर्शाता है जो साहस, शौर्य, आत्म-सम्मान, और विजय की भावना से जुड़ा होता है।

क्यों वीर रस?

"कट गया है शीश पर, शीश है झुका नहीं" -

  • यह शौर्य और साहस की भावना को दर्शाता है कि कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी आएँ, एक व्यक्ति का सिर नमन नहीं होता; उसका साहस उसे गिरने नहीं देता।

"राही उसी का नाम है, जो राह में रुका नहीं" -

  • यहाँ वीर रस के माध्यम से लगन और परिश्रम का गुण उजागर होता है जहाँ संघर्ष के रास्ते पर निरंतर चलने की प्रेरणा दी गई है।

"एक दिन प्रकाश होता है, कितना भी अंधकार हो" -

  • यहाँ वीर रस के साथ-साथ आशा और भक्ति का तत्व भी देखा जा सकता है, लेकिन मुख्य भाव वीरता का है,
  • जो यह दर्शाता है कि सच्चाई और नेकी की राह पर चलने वाले व्यक्ति की विजय सुनिश्चित है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन हों।

"सत्य की विजय सदा, असत्य की हार हो" -

  • इस पंक्ति में वीर रस की मजबूती निहित है। यह आदर्शों और सत्यनिष्ठा के प्रति समर्पण को दर्शाती है, जहाँ विजय केवल सत्य की होती है।

पद्यांश आधारित Question 8:

Comprehension:

दी गई कविता की पंक्तियों को पढ़कर सबसे उचित विकल्प का चयन कीजिए। 

कट गया है शीश पर

शीश है झुका नहीं

राही उसी का नाम है।

जो राह में रुका नहीं

एक दिन प्रकाश होता है।

कितना भी अंधकार हो

सत्य की विजय सदा

असत्य की हार हो।

सच्चाई साथ में रहे

कैसा भी अपना अंत हो

सत्य की विजय सदा

असत्य की हार हो।

कविता के अनुसार राही की विशेषता है :

  1. हर परिस्थिति में कार्यरत रहना।
  2. हर तरह से काम निकालना।
  3. हर तरह के मार्ग पर चलते रहना।
  4. हर परिस्थिति में विजयी रहना।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : हर परिस्थिति में कार्यरत रहना।

पद्यांश आधारित Question 8 Detailed Solution

सही उत्तर "हर परिस्थिति में कार्यरत रहना" है
Key Points 
कविता के अनुसार राही की विशेषता "हर परिस्थिति में कार्यरत रहना"  है। इस उत्तर को समझाने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं का उपयोग किया जा सकता है:

दृढ़ संकल्प और साहस:

  • कविता में राही के चरित्र को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है जो चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना साहस और दृढ़ संकल्प के साथ करता है। यहाँ तक की जब उसका "शीश कट गया है," वह फिर भी झुका नहीं है।

निरंतरता और स्थिरता:

  • "जो राह में रुका नहीं" से यह स्पष्ट होता है कि राही की एक विशेषता है कि वह किसी भी परिस्थिति में, चाहे वह कितनी भी कठिन क्यों न हो, अपने पथ पर चलते रहता है और रुकता नहीं है।

प्रकाश की आशा में अग्रसर:

  • "एक दिन प्रकाश होता है" से यह जाहिर होता है कि राही हमेशा आशावादी रहता है और अंधकार के बावजूद प्रकाश की उम्मीद को बनाए रखता है। इस आशा में, वह अपने प्रयासों को जारी रखता है।

सत्य और सच्चाई में विश्वास:

  • कविता द्वारा "सत्य की विजय सदा" और "सच्चाई साथ में रहे" के माध्यम से यह दिखाया गया है कि राही के लिए, सत्य और सच्चाई में अटूट विश्वास और उसके प्रति समर्पण उसे निरंतर कार्यरत रखता है।

परिणामों के प्रति निर्विकार:

  • "कैसा भी अपना अंत हो" इस लाइन से पता चलता है कि राही परिणामों की चिंता किए बिना अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहता है। उसका लक्ष्य अपने कार्य को पूरा करना होता है, नाकी परिणामों का विचार करना।

Additional Informationपद्यांश में उल्लेखित प्रमुख शब्दों के पर्यायवाची:

शीश - सिर, मस्तक, ललाट
राही - पथिक, यात्री, सफर करने वाला
प्रकाश - ज्योति, उजाला, आलोक
अंधकार - तम, घोरतम, अंधेरा
सत्य - तथ्य, वास्तविकता, यथार्थ
असत्य - मिथ्या, झूठ, अनृत
विजय - जीत, विजयी, उत्तीर्णता
हार - पराजय, विफलता, लुटना
सच्चाई - सत्यता, वास्तविकता, असलियत
अंत - समाप्ति, उपसंहार, निष्कर्ष

पद्यांश आधारित Question 9:

Comprehension:

रुको बच्चो रुको
सड़क पार करने से पहले रुको
तेज रफ्तार से जाती इन गाड़ियों को गुजर जाने दो
वो जो सर्र... से जाती सफेद कार में गया
उस अफसर को कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है
वो बारह या कभी कभी तो इसके भी बाद पहुँचता है अपने विभाग में
दिन महीने और कभी कभी तो बरसों लग जाते हैं
उसकी टेबिल पर रखी जरूरी फाइल को खिसकने में
रुको बच्चो !
उस न्यायाधीश की कार को निकल जाने दो
कौन पूछ सकता है उससे कि तुम जो चलते हो इतनी तेज कार में
कितने मुकदमे लंबित हैं तुम्हारी अदालत में कितने साल से
कहने को कहा जाता है कि न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है
लेकिन नारा लगाने या सेमीनारों में
बोलने के लिए होते हैं ऐसे वाक्य
कई बार तो पेशी दर पेशी चक्कर पर चक्कर काटते
ऊपर की अदालत तक पहुँच जाता है आदमी
और नहीं हो पाता है इनकी अदालत का फैसला
 

"दिन महीने और कभी-कभी तो बरसों लग जाते हैं" पंक्ति में रेखांकित शब्द है-

  1. विशेषण  
  2. क्रिया विशेषण
  3. संज्ञा
  4. सर्वनाम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : क्रिया विशेषण

पद्यांश आधारित Question 9 Detailed Solution

सही उत्तर है - क्रिया विशेषण। 
 Key Points
  • यहाँ कभी-कभी शब्द क्रिया विशेषण है। 
  • यह कालवाचक क्रिया विशेषण है। 
 Additional Information
  • वे क्रियाविशेषण शब्द जो हमें क्रिया के होने वाले समय का बोध कराते हैं, वह शब्द कालवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं।
  • कुछ कालवाचक शब्द:- परसों, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार, कभी-कभी।

पद्यांश आधारित Question 10:

Comprehension:

नीचे दिए गए काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिए।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,

दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली,

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,

आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,

बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की

'बरस बाद सुधि लीन्हीं' -

बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की।

'बरस बाद सुधि लीन्हीं' में कौन-सा भाव अभिव्यक्त हुआ है?

  1. प्रेम भाव
  2. उपालंभ
  3. वात्सल्य
  4. भक्ति भाव

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : उपालंभ

पद्यांश आधारित Question 10 Detailed Solution

'बरस बाद सुधि लीन्हीं' में उपालंभ भाव अभिव्यक्त हुआ है।

  • काव्यांश के अनुसार-
    • कवि कहते है कि लताएँ ऐसे किवाड़ की ओट में चिपक गई हैं और व्याकुल होकर पूछ रही हों कि इस जमाई ने बहुत दिनों बाद उनकी खोज-खबर ली हो।

Key Pointsउपालंभ-

  • किसी के व्यवहार,कार्य आदि से दुखी होकर उससे या उसके किसी संबंधित से उत्पन्न दुख कहने की क्रिया, शिकायत, उलाहना।

Additional Information

प्रेम भाव प्यार या प्रेम एक एहसास है, जो दिमाग से नहीं दिल से होता है और इसमें अनेक भावनाओं व अलग-अलग विचारो का समावेश होता है। 
वात्सल्य विशेषतः माता-पिता के हृदय में होने वाला अपने बच्चों के प्रति नैसर्गिक प्रेम।
भक्ति भाव किसी बड़े के प्रति होनेवाली श्रद्धा या आदर भाव
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