नाटकों के पात्र MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for नाटकों के पात्र - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Mar 24, 2025
Latest नाटकों के पात्र MCQ Objective Questions
Top नाटकों के पात्र MCQ Objective Questions
नाटकों के पात्र Question 1:
ध्रुवस्वामिनी नाटक में कोमा के धर्म पिता कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटकों के पात्र Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर है - मिहिरदेव।
Key Points
- मिहिरदेव शकराज के आचार्य और कोमा के धर्म पिता हैं।
- कोमा शकराज से प्रेम करती है।
Important Points ध्रुवस्वामिनी:-
- लेखक:- जयशंकर प्रसाद।
- विधा:- नाटक।
- मूल विषय:- नारी समस्या।
- प्रमुख पात्र:- ध्रुवस्वामिनी, चन्द्रगुप्त, रामगुप्त, शिखरस्वामी, शकराज, मिहिरदेव, कोमा, मन्दाकिनी।
नाटकों के पात्र Question 2:
'आषाढ़ का एक दिन' नाटक के अंत में कालिदास का चले जाना किस मनोवृत्ति का परिचायक है?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटकों के पात्र Question 2 Detailed Solution
'आषाढ़ का एक दिन' नाटक के अंत में कालिदास का चले जाना 'पुरुषोचित मनोवृत्ति' का परिचायक है।
यह नाटक 1958 में मोहन राकेश द्वारा रचा गया।
Key Points
- इसे हिंदी नाटक के आधुनिक युग का प्रथम नाटक कहा जाता है।
मोहन राकेश (1925-1972ई.)
- नई कहानी आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर थे।
प्रमुख रचनाएँ-
- अंधेरे बंद कमरे 1971
- अन्तराल1972
- न आने वाला कल 1968
- आषाढ़ का एक दिन 1958
- लहरों का राजहंस 1963 आदि।
नाटकों के पात्र Question 3:
निम्न में से कौन ध्रुवस्वामिनी नाटक का पात्र नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटकों के पात्र Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है - समुद्रगुप्त।
Key Points
- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा कृत है।
- प्रकाशन वर्ष-1933 ई.
- यह नाटक 3 अंकों में विभक्त है तथा इसमें स्त्री-पुनर्विवाह का चित्रण किया गया है।
- साथ ही स्त्री-पात्रों की सशक्तिकरण का चित्रण भी किया गया है।
- पात्र:
- पुरुष पात्र-चन्द्रगुप्त,रामगुप्त,शिखरस्वामी,शकराज आदि।
- स्त्री पात्र-ध्रुवस्वामिनी,मन्दाकिनी,कोमा आदि।
नाटकों के पात्र Question 4:
आधे अधूरे नाटक में अशोक की प्रेयसी का नाम क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटकों के पात्र Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है - वर्णा।
Key Points
- नाटक में छोटी लड़की के संवाद से यह ज्ञात होता है।
Additional Information आधे-अधूरे:-
- लेखक:- मोहन राकेश
- विधा:- नाटक
- प्रकाशन: 1969
- इसमें तीन स्त्री पात्र हैं तथा पाँच पुरुष पात्र।
- इनमें से चार पुरुषों की भूमिका एक ही पुरुष पात्र निभाता है।
नाटकों के पात्र Question 5:
किसी माने में नहीं। मैं इस घर में एक रबड़ स्टैंप भी नहीं, सिर्फ एक रबड़ का टुकड़ा हूँ- बार-बार घिसा जानेवाला रबड़ का टुकड़ा। आधे अधूरे नाटक में यह संवाद किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटकों के पात्र Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है - पुरुष एक।
Key Points
- दिया गया संवाद सावित्री के पति का है।
- सावित्री का पति ही पुरुष एक है।
Important Pointsआधे-अधूरे:-
- लेखक:- मोहन राकेश
- विधा:- नाटक
- प्रकाशन: 1969
- इसमें तीन स्त्री पात्र हैं तथा पाँच पुरुष पात्र।
- इनमें से चार पुरुषों की भूमिका एक ही पुरुष पात्र निभाता है।
नाटकों के पात्र Question 6:
आधे अधूरे नाटक में नायिका सावित्री को "कुकू" निकनेम किसने दिया था?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटकों के पात्र Question 6 Detailed Solution
सही उत्तर है - जगमोहन।
Key Points
- आधे अधूरे नाटक में जगमोहन ने नायिका सावित्री को "कुकू" निकनेम दिया था।
- निकनेम का अर्थ है - प्यार से पुकारा जाने वाला नाम।
नाटकों के पात्र Question 7:
"जिसकी आत्मा कमज़ोर हो, जिसे लालच, स्वार्थ ने घेर रखा हो वह इस बकरी से क्या पाएगा? भगवान के पास खाली हाथ न जाने का मतलब यही है। जो फूल लेकर जाता है वह स्वर्ग लेकर लौटता है। इसीलिए श्रद्धा देना जानती है। आप इस बकरी को जितना दें उतना कम है।"
उपर्युक्त संवाद ‘बकरी' नाटक में किसके द्वारा कहा गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटकों के पात्र Question 7 Detailed Solution
उपर्युक्त संवाद ‘बकरी' नाटक में सत्यवीर के द्वारा कहा गया है।
Key Pointsबकरी-
- रचनाकार- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
- विधा- नाटक
- प्रकाशन वर्ष- 1974 ई.
- पात्र-
- नट और नटी
- भिश्ती
- दुर्जन सिंह
- कर्मवीर सिंह
- सत्यवीर
- विपती( एक गरीब स्त्री जिसकी बकरी चोरी होती है)
- सिपाही
- काका – काकी
- विषय-
- आधुनिक राजनीतिक भ्रष्टाचार तथा नेताओं द्वारा गांधी के विचारों की बार-बार की जा रही हत्या का चित्रण है।
Important Pointsसर्वेश्वर दयाल सक्सेना-
- जन्म- 1927-1983 ई.
- यह तीसरा सप्तक के कवि है।
- नाटक-
- लड़ाई(1979)
- अब गरीबी हटाओ आदि।
- काव्य रचनाएँ-
- काठ की घंटियाँ(1959 ई.)
- बाँस का पुल(1963 ई.)
- एक सुनी नाव(1966 ई.)
- कुआनो नदी(1973 ई.) आदि।
नाटकों के पात्र Question 8:
'चन्द्रगुप्त' नाटक के निम्नलिखित पात्रों को उन के संवादों से सुमेलित कीजिए:
सूची I | सूची II | ||
(a) | चन्द्रगुप्त | (i) | भूमा का सुख और उसकी महत्ता का जिसको आभास मात्र हो जाता है, उसको ये नश्वर चमकीले प्रदर्शन नहीं अभिभूत कर सकते। |
(b) | दाण्ड्यायन | (ii) | संसार-भर की नीति और शिक्षा का अर्थ मैंने यही समझा है कि आत्मसम्मान के लिए मर मिटना ही दिव्य जीवन है। |
(c) | कार्नेलिया | (iii) | भाषा ठीक करने से पहले मैं मनुष्यों को ठीक करना चाहता हूँ। |
(d) | चाणक्य | (iv) | मुझे इस देश से जन्मभूमि के समान स्नेह होता हा रहा है। |
(v) | मैंने एक अलौकिक वीरता का स्वर्गीय दृश्य देखा है। |
Answer (Detailed Solution Below)
नाटकों के पात्र Question 8 Detailed Solution
'चन्द्रगुप्त' नाटक के पात्रों का उनके संवादों के साथ सही सुमेलन हैं-(a) - (ii), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (iii)
सूची-। | सूची-।। |
चन्द्रगुप्त | संसार-भर की नीति और शिक्षा का अर्थ मैंने यही समझा है कि आत्मसम्मान के लिए मर मिटना ही दिव्य जीवन है। |
दाण्ड्यायन | भूमा का सुख और उसकी महत्ता का जिसको आभास मात्र हो जाता है, उसको ये नश्वर चमकीले प्रदर्शन नहीं अभिभूत कर सकते। |
कार्नेलिया | मुझे इस देश से जन्मभूमि के समान स्नेह होता हा रहा है। |
चाणक्य | भाषा ठीक करने से पहले मैं मनुष्यों को ठीक करना चाहता हूँ। |
Key Points
- मैंने एक अलौकिक वीरता का स्वर्गीय दृश्य देखा है।
- यह कथन सिकन्दर का है जब वह चन्द्रगुप्त से वार्तालाप कर रहा था।
चंदगुप्त नाटक-
- प्रकाशन वर्ष-1931ई.
- रचनाकार-जयशंकर प्रसाद
- विषय-चन्द्रगुप्त तथा चाणक्य का अत्याचारी नंद तथा विदेशी युनानियों से संघर्ष का चित्रण किया गया है।
- पुरुष पात्र-चाणक्य,चन्द्रगुप्त,नन्द,वररुचि,शकटार,सिंहरण,सिकन्दर आदि।
- स्त्री पात्र-अलका,सुवासिनी,कल्याणी,मालविका,एलिस आदि।
Important Points
जयशंकर प्रसाद के अन्य नाटक-
- सज्जन(1910ई.),कल्याणी परिणय(1912ई.),करुणालय(1912ई.)★,जनमेजय का नागयज्ञ(1926ई.),स्कंदगुप्त(1928ई.)★, ध्रुवस्वामिनी(1933ई.)★ आदि।
Additional Information
- अन्य कथन-
- "मैं क्रूर हूँ केवल वर्तमान के लिए,भविष्य के सुख व शांति के लिए।"-चाणक्य
- "यदि प्रेम ही जीवन का सत्य है तो संसार ज्वालामुखी है।"-कार्नेलिया
नाटकों के पात्र Question 9:
पर्णदत्त जयशंकर प्रसाद के किस नाटक का पात्र है?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटकों के पात्र Question 9 Detailed Solution
पर्णदत्त जयशंकर प्रसाद के-3) स्कन्दगुप्त नाटक का पात्र है।
Key Points
- कल्याणी परिणय-1912- अन्य पात्र-चन्द्रगुप्त,कार्नेलिया,सिल्यूकस आदि।
- राज्यश्री-1915- अन्य पात्र- ग्रहवर्मन,राज्यश्री आदि।
- अजातशत्रु-1922- अन्य पात्र-बिम्बसार,उदयन,पद्मावती,वासवी प्रसेनजित आदि।
Important Points
- स्कन्दगुप्त नाटक 1928 में प्रकाशित हुआ।
इस नाटक में पाँच अंक हैं तथा अध्यायों की योजना दृश्यों पर आधारित है। - स्कन्दगुप्त नाटक के अन्य पात्र-स्कन्दगुप्त,कुमारगुप्त,गोविन्दगुप्त,चक्रपालित,बन्धुवर्म्मा,भीमवर्म्मा,शर्वनाग,कुमारदास (धातुसेन),पुरगुप्त,भटार्क,पृथ्वीसेन,देवसेना आदि हैं।
Additional Information
- स्कन्दगुप्त ने भारत की हूणों से रक्षा की।
- इन्होंने पुष्यमित्रों को हराकर विक्रमादित्य की उपाधि प्राप्त की।
- पर्णदत्त – मगध का महानायक है।
नाटकों के पात्र Question 10:
"यह जो पीड़ा ने पराजय ने दिया है ज्ञान, दृढ़ता ही देगा वह।"
'अंधा युग' का उपर्युक्त संवाद किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटकों के पात्र Question 10 Detailed Solution
"यह जो पीड़ा ने पराजय ने दिया है ज्ञान, दृढ़ता ही देगा वह।"- 'अंधा युग' का उपर्युक्त संवाद है- विदुर
Key Pointsअंधा युग-
- रचनाकार- धर्मवीर भारती
- प्रकाशन वर्ष- 1955 ईo
- विधा- गीति नाट्य
- शैली- वक्ता श्रोता
- मुख्य पात्र-
- कृष्ण,अश्वत्थामा ,गांधारी , धृतराष्ट्र ,विदुर, युधिष्ठिर ,कीर्ति वर्मा ,कृपाचार्य, संजय युयुत्सु आदि।
- विषय-
- महाभारत के 18 वें दिन की संध्या से लेकर प्रभास तीर्थ में श्री कृष्ण की मृत्यु के क्षण का वर्णन है।
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अंक- पाँच
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पहला अंक- कौरव नगरी
- दूसरा अंक- पशु का उदय
- तृतीय अंक- अश्वत्थामा का अर्ध सत्य
- अंतराल- पंख पहिए और पटियां
- चतुर्थ अंक- गांधारी का शाप
- पंचम अंक- विजय एक क्रमिक आत्महत्या
- समापन- प्रभु की मृत्यु
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Important Pointsधर्मवीर भारती-
- जन्म- 1926 - 1997 ईo
- उपन्यास-
- गुनाहों का देवता (1949)
- सूरज का सातवाँ घोडा (1952)
- ग्यारह सपनों का देश (1960)
- निबंध-
- ठेले पर हिमालय (1958)
- कहनी अनकहनी (1970)
- पश्यंती (1969)
- साहित्य विचार और स्मृति (2003)
- कविता-
- ठंडा लोहा (1952)
- सात गीत वर्ष (1959)
- कनुप्रिया (1959)
- सपना अभी भी (1993)
- आद्यन्त (1999)