Question
Download Solution PDF‘जबकि प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिम्ब होता है, तब यह निश्चित है कि जनता की चित्तवृत्ति में परिवर्तन के साथ-साथ साहित्य के स्वरूप में भी परिवर्तन होता चला जाता है। ____' प्रस्तुत पंक्तियाँ किस इतिहासकार की हैं ?
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MPPSC Assistant Prof 2025 (Hindi) Official Paper-II (Held On: 01 Jun, 2025)
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Option 4 : आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
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MPPSC Assistant Professor UT 1: MP History, Culture and Literature
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Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
Key Pointsरामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म-1884-1941 ई.
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- गोस्वामी तुलसीदास(1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली(1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार(1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास(1929 ई.) आदि।
Important Pointsआचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म- 1907 - 1979 ईo
- हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- सूर साहित्य (1936)
- हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940)
- प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद (1952)
- कबीर (1942)
- हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952)
- लालित्य तत्त्व (1962)
- साहित्य सहचर (1965)
- कालिदास की लालित्य योजना (1965)
- मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970)
- सहज साधना (1963)
डॉ. रामकुमार वर्मा-(1905-1990)
- डॉ रामकुमार वर्मा हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
- इन्हें हिन्दी एकांकी का जनक माना जाता है।
- पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. रामकुमार वर्मा के इनके काव्य में 'रहस्यवाद' और 'छायावाद' की झलक है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- वीर हमीर (काव्य; सन 1922 ई.)
- चित्तौड़ की चिन्ता (काव्य सन् 1929 ई.)
- साहित्य समालोचना (सन 1929 ई.)
- अंजलि (काव्य; सन 1930 ई.)
- अभिशाप (कविता; सन 1931 ई.) आदि।
नगेंद्र-
- जन्म-1915-1999 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- सुमित्रानंदन पंत (1938 ई.)
- साकेत:एक अध्ययन (1939 ई.)
- रीतिकाव्य की भूमिका (1949 ई.) आदि।
Last updated on Jul 7, 2025
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