विद्यार्थिकेन्द्रिकभाषायाः कक्षा सा वर्तते यस्यां शिक्षकस्य कथनस्य समयावधिः न्यूनातिन्यूना तथा छत्राणां कथनस्य समयावधिः अधिकाधिका वर्तते। विद्यार्थिकेन्द्रिक भाषाकक्षायाः एवं  वैशिष्ट्यं अधोलिकितेषु केन कथनेन समर्थितं भवति?

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CTET Sept 2015 Paper 2 Social Studies (L - I/II: Hindi/English/Sanskrit)
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  1. शिक्षकः तथाविधमार्गस्य अवलम्बनं कुर्यात् येन छात्राः स्वयमेव ज्ञानं प्राप्तुं प्रोत्साहिताः भवेयुः
  2. शिक्षकः लक्ष्यभाषायाः (यथा संस्कृतस्य) मातृभाषायाम् अनुवादं कुर्यात्
  3. छात्राणां सौकर्यार्थ शिक्षकः प्रतिवाक्यं पाठस्य व्याख्यानं कुर्यात्
  4. छात्राः समस्याः न अनुभवन्तु इति मत्वा शिक्षकः प्रश्नानाम् उत्तराणि लेखयेत्

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Option 1 : शिक्षकः तथाविधमार्गस्य अवलम्बनं कुर्यात् येन छात्राः स्वयमेव ज्ञानं प्राप्तुं प्रोत्साहिताः भवेयुः
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CTET CT 1: TET CDP (Development)
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प्रश्न का अनुवाद - विद्यार्थीकेन्द्रित भाषा की कक्षा उसे कहते हैं, जिसमें शिक्षकों के कथन का समय कम से कम तथा छात्रों को कथन समय अधिकाधिका होता है। विद्यार्थीकेन्द्रित भाषाकक्षा के इस प्रकार के वैशिष्ट्य को अधोलिखित विकल्पों में से किस कथन के द्वारा समर्थन प्राप्त होता है?

स्पष्टीकरण -  

प्राचीन काल में शिक्षा का उदेश्य केवल बालको को ज्ञान याद कराना होता था। लेकिन आधुनिक शिक्षा में बालक को केन्द्र में रखकर प्रत्येक कार्य – योजना बनाई जाती है। वर्तमान समय में बालक के सर्वागींण विकास पर बल दिया जाता हैं। बालक के सर्वांगीण विकास में छात्रों के शारीरिक विकास, सामाजिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास आदि सभी पक्ष सम्मिलित होते हैं।

बाल केंद्रित शिक्षा का अर्थ शिक्षण की संपूर्ण कार्य योजना बालक के चारों ओर रहनी चाहिए अर्थात कोई भी निर्णय शिक्षा से संबंधित लिया जाता हैं, तो वह बालक को केंद्र मानकर किया जाना चाहिए। अतः शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति में, छात्र और शिक्षक दोनों ध्यान केंद्रित करते हैं।

  • छात्र सक्रिय श्रोता हैं।
  • समूह कार्य को प्रोत्साहित किया जाता है।
  • छात्र सहयोग करना सीखते हैं।
  • वे एक दूसरे के साथ अच्छी तरह से संवाद करते हैं।
  • साथियों के बीच उचित समझ विकसित की जा सकती है।

अतः स्पष्ट है कि विद्यार्थीकेन्द्रित भाषाकक्षा के विषय में 'शिक्षकः तथाविधमार्गस्य अवलम्बनं कुर्यात् येन छात्राः स्वयमेव ज्ञानं प्राप्तुं प्रोत्साहिताः भवेयुः' अर्थात् 'शिक्षक उस मार्ग का अवलम्ब करे जिस के द्वारा छात्र स्वयं ही ज्ञान प्राप्ति के लिए अग्रेसर होवे' यह कथन योग्य हैं।

Additional Information

  • शिक्षकः लक्ष्यभाषायाः (यथा संस्कृतस्य) मातृभाषायाम् अनुवादं कुर्यात् - शिक्षक लक्ष्यभाषा का (यथा संस्कृतभाषा) मातृभाषा में अनुवाद करे।
  • छात्राणां सौकर्यार्थ शिक्षकः प्रतिवाक्यं पाठस्य व्याख्यानं कुर्यात् - शिक्षक सुविधा के लिए पाठ के प्रत्येक वाक्य का व्याख्या करेगा।
  • छात्राः समस्याः न अनुभवन्तु इति मत्वा शिक्षकः प्रश्नानाम् उत्तराणि लेखयेत् - छात्रों को कोई समस्या ही नही हैं ऐसा मानकर शिक्षक छात्रों से  प्रश्नों के उत्तर लिखेंगे।  
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