कथन A: स्थावर सम्पत्ति का हर एक ऐसे अन्तरण पर शून्यकरणीय होगा, जो अन्तरक के लेनदारों को विफल करने या उन्हें देरी कराने के आशय से किया गया है।

कथन B: पाश्चिक अन्तरिती को कपटवंचित करने के आशय से प्रतिफल के बिना किया गया स्थावर सम्पत्ति का हर एक ऐसा अन्तरण ऐसे अन्तरण पर शून्यकरणीय होगा

  1. कथन A सही है। 
  2. कथन B सही है। 
  3. दोनों कथन सही हैं। 
  4. दोनों कथन ग़लत हैं। 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : दोनों कथन ग़लत हैं। 

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 4 है। Key Points 

  • दोनों कथन गलत हैं और उनका स्पष्टीकरण नीचे दिया गया है:
  • संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882 की धारा 53 कपटपूर्ण अंतरण​ से संबंधित है।
  • (1) स्थावर सम्पत्ति का हर एक ऐसा अन्तरण, जो अन्तरक के लेनदारों को विफल करने या उन्हें देरी कराने के आशय से किया गया है, ऐसे किसी भी लेनदार के विकल्प पर शून्यकरणीय होगा जिसे इस प्रकार विफल या देरी कराई गई है।
  • इस उपधारा की कोई भी बात किसी सद्भावपूर्ण सप्रतिफल अन्तरिती के अधिकारों का ह्रास न करेगी।
  • इस उपधारा की कोई भी बात दिवाला सम्बन्धी किसी तत्समय प्रवृत्त - विधि पर प्रभाव नहीं डालेगी।
  • वह वाद, जो किसी लेनदार ने (जिस शब्द के अन्तर्गत डिक्रीदार आता है चाहे उसने अपनी डिक्री के निष्पादन के लिए आवेदन किया हो या नहीं) किसी अन्तरण को इस आधार पर शून्य कराने के लिए संस्थित किया है कि वह अन्तरण, अन्तरक के लेनदारों को विफल करने या उन्हें देरी कराने के आशय से किया गया है उन सब लेनदारों की ओर से या के फायदे के लिए संस्थित किया जाएगा।
  • (2) स्थावर सम्पत्ति का हर एक ऐसा अन्तरण, जो पाश्चिक अन्तरिती को कपटवंचित करने के आशय से प्रतिफल के बिना किया गया है, ऐसे अन्तरिती के विकल्प पर शून्यकरणीय होगा।
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