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Download Solution PDF''समरस थे जड़ या चेतन सुंदर साकार बना था, चेतनता एक विलसती आनंद अखंड घना था।'' पंक्तियॉं किसकी है ?
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DSSSB TGT Hindi Female 04 Sep 2021 3rd Shift (Subject Concerned)
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Option 1 : जयशंकर प्रसाद
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DSSSB TGT Hindi Female 4th Sep 2021 Shift 2
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Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "जयशंकर प्रसाद" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- "समरस थे जड़ या चेतन सुदंर साकार बना था, चेतनता एक विलसती आनंद अखंड घना था।" पंक्ति जयशंकर प्रसाद की है।
- यह कामायनी के भाग -2 आनंद की पंक्ति है।
- इन पंक्तियों में शांत रस है।
- कामायनी आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है।
- 'प्रसाद' जी की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई, परंतु इसका प्रणयन प्राय: 7-8 वर्ष पूर्व ही प्रारंभ हो गया था।
- कामायनी में चिन्ता‚ आशा‚ श्रद्धा‚ काम‚ वासना‚ लज्जा‚ कर्म‚ इर्ष्या‚ इड़ा‚ स्वप्न‚ संघर्ष‚ निर्वेद‚ दर्शन‚ रहस्य‚ आनन्द नामक पन्द्रह सर्ग हैं।
- त्रिलोचन शास्त्री के कविता संग्रह :-
- धरती(1945), गुलाब और बुलबुल(1956), दिगंत(1957), ताप के ताए हुए दिन(1980), शब्द(1980)
- उस जनपद का कवि हूँ (1981) अरधान (1984), तुम्हें सौंपता हूँ(1985), मेरा घर, चैती, अनकहनी भी कुछ कहनी है, जीने की कला(2004)
- नंददुलारे वाजपेयी की कुछ प्रकाशित कृतियाँ
- जयशंकर प्रसाद - 1938
- हिन्दी साहित्य : बीसवीं शताब्दी - 1952
- आधुनिक साहित्य - 1950
- महाकवि सूरदास - 1953
- प्रेमचंद : साहित्यिक विवेचन - 1954
- रामचंद्र शुक्ल जी के आलोचनात्मक ग्रंथ
- सूर, तुलसी, जायसी पर की गई आलोचनाएं, काव्य में रहस्यवाद, काव्य में अभिव्यंजनावाद, रसमीमांसा आदि शुक्ल जी की आलोचनात्मक रचनाएं हैं।
Last updated on May 12, 2025
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