एकस्य शब्दस्य ज्ञानं नाम ______

This question was previously asked in
CTET Sept 2015 Paper 2 Social Studies (L - I/II: Hindi/English/Sanskrit)
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  1. तस्य मूलस्य ज्ञानम्
  2. तस्य रुपस्य ज्ञानम्
  3. तस्य अर्थस्य ज्ञानम्
  4. तस्य वर्तनीज्ञानम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : तस्य अर्थस्य ज्ञानम्
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CTET CT 1: TET CDP (Development)
10 Qs. 10 Marks 8 Mins

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प्रश्न का अनुवाद - एक शब्द को जानने का तात्पर्य होता है____ 

स्पष्टीकरण -  

शब्द शक्ति - प्रत्येक शब्द से जो अर्थ निकलता है, वह अर्थ-बोध कराने वाली शब्द की शक्ति है।

शब्द की तीन शक्तियाँ हैं - अभिधालक्षणा में और व्यंजना। जिनमें वे शक्तियाँ होती हैं वे शब्द भी तीन प्रकार के होते हैं- वाचक, लक्षक और व्यंजक। इनके अर्थ भी तीन प्रकार के होते हैं- वाच्यार्थ, लक्ष्यार्थ और व्यंग्यार्थ।

शब्द की तीन शक्तियाँ - 

  • वाचक शब्द साक्षात संकेतित अर्थ का बोधक होता है। वाचक शब्दों के चार भेद होते हैं- जातिवाचक शब्द, गुणवाचक शब्द (विशेषण), क्रियावाचक तथा द्रव्यवाचक शब्द।
  • अभिधा शक्ति- मुख्य अर्थ की बोधिका शब्द की प्रथमा शक्ति का नाम अभिधा है। अभिधा शक्ति से पद-पदार्थ का पारस्परिक सम्बन्ध ज्ञात होता है। अभिधा शक्ति से जिन वाचक शब्दों का अर्थ बोध होता है, उन्हें क्रमश: रूढ़ (पेड़, पौधा), यौगिक (पाठशाला, मिठाईवाला) तथा योगरूढ़ (चारपाई) कहा जाता है।
  • मुख्यार्थ से भिन्न लक्षणा शक्ति द्वारा अन्य अर्थ लक्षित होता है, उसके अर्थ को लक्ष्यार्थ कहते हैं। शब्द में यह आरोपित है और अर्थ में इसका स्वाभाविक निवास है। जैसे- 'वह बड़ा शेर है' में 'शेर' बहादुर का लक्ष्यार्थ है।
  • लक्षणा शक्ति- मुख्यार्थ की बाधा होने पर रूढि़-प्रयोजन को लेकर जिस शक्ति के द्वारा मुख्यार्थ से सम्बन्ध रखने वाला अन्य अर्थ लक्षित हो, उसे लक्षणा शक्ति कहते हैं। लक्षणा के लक्षण में तीन बातें मुख्य हैं- मुख्यार्थ की बाधा, मुख्यार्थ का योग, रूढि़ या प्रयोजन।
  • व्यंजना शक्ति - व्यंजना के दो भेद हैं- शाब्दी व्यंजना और आर्थी व्यंजना। शाब्दी व्यंजना के दो भेद होते हैं- एक अभिधामूला और दूसरी लक्षणामूला।

Additional Information

  • तस्य मूलस्य ज्ञानम् - उसके मूल स्वरूप का ज्ञान करना।
  • तस्य रुपस्य ज्ञानम् - उसके  मूल रूप का ज्ञान करना।
  • तस्य वर्तनीज्ञानम् - उसके वर्तनी का ज्ञान करना।

अतः स्पष्ट है एक शब्द को जानने का तात्पर्य 'तस्य अर्थस्य ज्ञानम्' अर्थात् 'उसके अर्थ का ज्ञान करना' यह है।

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